गाड़ी वाले ने घबरा कर गाड़ी बीच सड़क में रोक दी ओर गाड़ी से उतर के भागा ।
रफीक भी गाड़ी से बाहर निकल कर भागने लगा l पीछे खड़ा वो शक्श वहां से गायब हो चुका थाl रफीक ने पीछे पल्ट के देखा , कोई नहीं था वहां पर.. । उसका रोम रोम कांप रहा था...! अब आगे।
भाग 7
रफीक बहुत डरा हुआ था l उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो करे तो क्या ?
वहां से निकलने की कोशिश करने लगा उसे वहां से भाग ना था, लेकिन उसे कोई रास्ता नजर ही नहीं अा रहा है ।
वो वहीं थक के बैठ गया l तभी उसके पास वहीं शक्श सामने आ कर खड़ा हुआ।
उसे देख रफीक ज़ोर ज़ोर से चीखने लगा l
" बचाओ कोई मुझे बचाओ।"
उस अनजान शक्श ने कहा l
"तुझे यहां बचाने कोई नहीं आएगा l
तू किसी इंसान के नहीं जिन्नात के हाथो मारा जाएगा l और वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा ।
फिर उसने कहा कि "ज़ीनत को छूने की गलती हुई है तुझसे..! में तुझे माफ नहीं करूगा।
तू मरेगा मेरे हाथो से.! उसे कोई ओर देखे मुझे ये भी गवारा नहीं । ओर तूने उसे हाथ लगाया वो मेरी है सिर्फ मेरी.. वो पाक दिल लड़की है । तू नापाक इंसान मेरी मोहब्बत को अपने हाथों तू नापाक करना चाहता है वो में होने नहीं दे सकता ।
तेरी मौत मुकारार हुई है आज ओर अभी यही..! मेरे हाथो..! "
उस जिन ने रफीक को एक इशारे से हवा में उछाल दिया ।
रफीक ज़मीन से 10 -12 फिट ऊपर लटका हुआ है।
रफीक आपनी ज़िंदगी की भीख मांग रहा था ! बहुत गीड गीडा रहा था।
"मुझे छोड़ दो में ज़ीनत की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखूंगा ।"
लेकिन उस जिन पर कोई असर नहीं वो बस एक ही बात बोले जा रहा था।
"तूने ज़ीनत को छू कर नापाक करना चाहा तू ज़िंदा नहीं बच सकता।"
फिर क्या था उसने रफीक को इतनी ऊंचाई से नीचे पटका की रफीक की हड्डियां टूट गई ।
वो रो रहा है चिख रहा था , लेकिन उसे बचाने ओर उसकी चीखे सुनने वाला वहा कोई नहीं।
वो जिन उसे एक बार नहीं बार-बार ऊपर से नीचे पटक रहा था ! तब तक वो उसे पटकता रहा जब तक पूरी तरह उसकी जान नहीं निकल गई।
उसे इतने बेहरेहमी से मारा की उसका भेजा तक बाहर निकल गया ।
उसके जिस्म ऐसा हो गया था जैसे कपड़ो की धोबी मरमत करता है वैसा छलनी छलनी कर दिया ।
उसकी शक्ल तक कोई पहचान नहीं सकता था।
वो जिन अपनी आग बुझा कर गायब हो गया किसी को कुछ खबर नहीं थी कि रफीक के साथ हुआ क्या है?"
दो दिन बाद रफीक के घर से कॉल आयाl
"सबा के घर की रफीक क्यू नही निकला वहा से घर आने के लिए?"
सबा की अम्मी ने कहा l
" रफीक दो दिन पहले यहां से निकल चूका था अब तक तो घर पहुंच जाना चाहिए ।"
उसकी अम्मी को फिक्र हुई ! उन्होने सबा की अम्मी को कहा।
"आप रफीक के बारे में कुछ पता कीजिए कहा गया मुझे बहुत फिक्र हो रही है ? यहां ज़ीनत की मंगनी (सगाई) होने की तयारी चल रही थी कल उसकी मंगनी होने वाली है।"
ज़ीनत के अब्बू बहुत खुश थे ज़ीनत अब्बू को देख खुश थी ओर उसे फिक्र थी कि वो अब्बू को छोडकर जा रही थी।
मेरे जाने के बाद अब्बू का कोन ख्याल रखेगा? अब्बू बहुत अकेले हो जाएंगे ।
यहां सबा बहुत परेशान थी ज़ीनत आई देखा सबा रो रही है ।
ज़ीनत ने बोला सबा क्या हुआ क्यू रो रही है ?
सबा ने बताया कि "रफीक तो दो दिन हो गए यहां से गए ओर अब तक वो घर नहीं पहुंचा।"
ज़ीनत ने उसे तसल्ली देते हुए कहा तू रोना बंद कर , हो सकता है वो कहीं ओर किसी काम से चला गया हो।
सब ठीक हो जाएगा तू ज़्यादा ना सोच एक-दो दिन में आजाएगा ।
चल अब आंसू पोछ ओर मुस्कुरा देे !
सबा को समझा के ज़ीनत ने तसल्ली देे दी लेकिन वो खुद फिक्र में डूब गई ।
रफीकजी गए तो कहाँ गए बिना बोले?
क्रमश: