Kamsin - 5 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कमसिन - 5

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कमसिन - 5

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(5)

अब कार में वे दोनों ही बचे थे ! इतना प्यारा मौसम और साथ में अपना प्यार, मन बड़ा भावुक सा हो रहा था ! और अभी अभी ईश्वर ने नूर की बूंदें भी उनपर बरसा दी थी ! रवि एकदम शांत बैठे कार चला रहे थे !

अँधेरा घिरता जा रहा था और खतरनाक मोड़ बार बार आ रहे थे परन्तु रवि अपने सधे हाथों से कुशलता से कार चलाये जा रहे थे !

बिना कुछ बोले एकदम शांत भाव से बैठे हुए मानों उन्हें कोई एहसास ही नहीं है और वे एकदम से निर्लिप्त से हैं ! शाम के 6 बज चुके थे ! और थकान चेहरे पर महसूस होने लगी थी !

अभी कितनी दूर और जाना है ? राशी ने शांति को भंग करते हुए पूछा !

बस आ ही गया है समझो मात्र ४० मिनिट्स का रास्ता अभी और बचा है !

सुबह 6 बजे से लगातार कार ही चला रहे हैं कितनी ज्यादा थकन हो गयी होगी !

अब हम लोग अपने गंतव्य तक पहुँच गए थे ! रवि किसी को फ़ोन मिलाने लगे थे !

हाँ बेटा जी कितनी देर में आ रहे हैं ?

............

हाँ मैं आ गया हूँ और इधर खड़ा हूँ !

............

ठीक है ! आ जाओ जल्दी से !

करीब 10 मिनिट्स में ही एक व्यक्ति आया जिसकी उम्र लगभग ५० साल की रही होगी ! उसने हलके नीले रंग का कुरता पायजामा और उसके ऊपर मटमैली से रंग की सदरी पहन रखी थी ! सर पर कैप और पैरों में मोटे मोटे स्पोर्ट्स शूज !

आते ही बोला, नमस्ते सर जी, नमस्ते दीदी जी !

बड़ी चहक थी उसके बात करने के अंदाज में ! उसके आने से माहौल में थोड़ी रौनक सी आ गयी थी ! उसका नाम देव था ! राशी को उसे देखकर पिक्चरो में दिखाये जाने वाले राजू गाइड ली याद आ गई ! बिलकुल उनकी जैसी ही शक्ल, पहनावा और बोली भी !

रवि ने पूछा, हाँ भाई, बताओ, कहाँ पर रुकने का इंतजाम किया है !

चलो बस करीब ही है अपना घर, बस इस पहाड़ी रस्ते से नीचे को ले लो ! अपना ही गॉंव है !

अब इतना अँधेरा सा हो रहा है और शायद मैं आगे कार लेकर नहीं जा पाउँगा ! आज इस समय तो यहीं पर रहने का करवा दो !

चलो सर जी फिर यहीं पर करा देता हूँ जी !

थोडा दूर जाकर कार रुकवाता हुआ बोला,, बस बस यहीं पर रोक लो !

राशि ने देखा वो कोई सरकारी ईमारत जैसी जगह थी !

सर जी ऐसा करो कार को गेट के अंदर ले लो !

बड़े से गेट से कार को अंदर ले जाकर एक तरफ पार्किंग थी वहीँ पर ले जाकर खड़ी कर दी !

वो एक सरकारी गेस्टहाउस था ! देव बड़ी फुर्ती से निकला और अंदर जाकर एक लडके को बुला लाया ! वो आकर डिक्की में से सामान निकलवाने लगा !

आओ सर जी ! कहकर वो आगे आगे चलने लगा और वे दोनों उसके पीछे पीछे !

एक साथ लाइन से कई कमरे बने हुए थे, वो एक कमरे के सामने जाकर रुका ! जेब से चाबी निकाली और उस कमरे में लगे ताले को खोलने लगा ! ताला खोलकर उन लोगों को रास्ता देते हुए बोला आइये आप लोग !

सर जी, यहाँ पर इसी तरह का गेस्ट रूम मिलेगा ! यहाँ और कोई होटल भी नहीं हैं ! छोटी सी जगह है ! यह भी सीजन पर फुल रहता है !

आज भी बस एक यही कमरा खाली है वो भी इसलिए कि बुकिंग करवा दी थी !

राशि ने देखा वो एक बेहद खुबसूरत कमरा है ! काफी बड़ा भी ! उसमे एक तरफ बेड पड़ा हुआ है और एक तरफ सोफा सेट ! कमरे में एक बड़ा सा फायर प्लेस भी है जो शायद अब यूज़ नहीं होता है ! दो वेंटीलेटर, एक खिड़की जो बाहर की तरफ खुलती थी ! जहाँ से बाहर का नजारा आसानी से देखा जा सकता था ! एक लाबी, जिसमे ड्रेसिंग टेबल और एक तरफ को डाएनिंग टेबल रखी हुई थी ! खूब बड़ा सा बाशरूम गीजर आदि सुविधाओं के साथ !

सर जी क्या लेंगे ? चाय या काफी ?

थकान बहुत ज्यादा हो रही थी ! चाय पीने का बेहद मन हो रहा था !

ऐसा करो दो चाय ले आओ ! रवि ने देव से कहा

ठीक है !

एक लड़का कमरे में सारा सामान सजा कर रख गया !

देव उसी के पीछे पीछे चाय लेने चला गया !

कुछ ही देर में देव लौट आया और बोला, सर जी यहाँ पर चाय या काफी कुछ नहीं मिलेगी क्योंकि अब दूध ख़त्म हो चुका है और पास में कहीं मिलेगा भी नहीं !

उसे याद आया कि वो पहाड़ी इलाके में बैठी है यहाँ पर सब सुविधायें किसी भी वक्त मिलना मुश्किल है !

सर जी माफ़ी चाहता हूँ इस समय चाय नहीं पिला पाउँगा !

अरे भाई कैसी बात करते हो ! मैं समझ सकता हूँ !

आप लोग आराम करो मैं तब तक कैंटीन में खाने के लिए कह कर आता हूँ !

आराम करने की बात सुनकर आभास हुआ कि सही में इस वक्त आराम की सख्त जरुरत है !

उसने बेड की तरफ नजर दौड़ाई देखा बेड पर खूब मोटी मोटी दो रजाईयाँ रखी हुई हैं ! 4 तकिये शायद रात को यहाँ पर बहुत ठंडक होती होगी ! उसका मन किया कि बेड पर आराम से मुँह ढककर लेट जाये ! लेकिन यह उसका घर थोड़े ही न है !

राशी आप जाओ फ्रेश हो जाओ और कपड़े चेंज कर लो !

ठीक है ! उसने अपने रात के कपड़े निकले और वाशरूम में चली गयी ! बड़ा सा साफ सुथरा वाशरूम ! गर्म पानी आ रहा था मन किया नहा ले थकान दूर हो जाएगी !

लेकिन उसने वाशवेशिन में हाथ मुँह धोया और कपड़े चेंज करके बाहर आ गयी !

रवि ने भी अपने कपड़े चेंज कर लिए थे !

रवि, मेरा मन कर रहा है कि आराम से लेटकर सो जाउँ 1

ठीक है भई सो जाना पहले खाना तो खा लो !

तब तक देव और वो लड़का खाना लेकर आ गया था !

मेज पर प्लेट्स ग्लास और खाना रखकर वो लड़का तो चला गया पर देव वहीँ पर रुक गया !

दीदीजी सर जी पहले खाना खा लो नहीं तो ठंडा हो जायेगा !

हाँ खा लेता हूँ ! देव आप भी खाओगे न ?

नहीं मैं नहीं खाऊंगा ! आप लोग खा लो !

मेरे को वापस गाँव जाना होगा ! मैं निकल जाता हूँ ! देर हो जाएगी तो जाने में थोडी मुश्किल होगी !

ठीक है फिर कल सुबह मिलते हैं !

जी सर जी, मैं सुबह ठीक 8 बजे पहुँच जाऊंगा ! अच्छा चलता हूँ फिर ! आप लोग खाना खाकर आराम करिए ! आप लोगों के हिसाब से उतना बढिया खाना तो नहीं है ! बस सर जी यहाँ पर ऐसा ही मिलता है और आसपास कोई होटल भी नहीं है !

कोई बात नहीं भाई, यह खाना भी बहुत बढ़िया है !

राशी प्लेटें पोंछकर खाना लगाने लगी !

दाल, मिक्स सब्जी, सलाद और रोटियां !

देव चला गया था ! अब कमरे में वे दोनों ही बचे थे ! खाना बहुत सारा था ! केवल एक एक रोटी ही खा मिली थी दोनों को ! गेस्ट रूम वाला लड़का चावल भी लेकर आ गया था ! गर्म गर्म भाप निकलते उन चावलों को देखकर राशि का मन करने लगा कि वो थोड़े से खा ले लेकिन उससे पहले ही रवि बोल पड़े, नहीं नहीं रहने दो ! यही खाना बहुत है ! खतम ही नहीं कर पाएंगे ! सच में खाना बहुत था ! हालाँकि भूख तो लग रही थी परन्तु थकान की वजह से खाने का बिलकुल भी मन नहीं कर रहा था ! लगभग सारा खाना ही बच गया था ! खाना समेट कर एक तरफ रख दिया ! राशि हाथ धोकर रजाई में घुस गयी, बहुत ठंडक हो रही थी ! रवि कमरे से बाहर चले गये थे ! सिगरेट का पैकेट उनके हाथ में था ! रजाई की गर्माहट में उसकी उनींदी आँखे बंद होने लगी थी !

***