अध्याय 3
इतने करीब से स्पर्श करने की वजह से उसकी खुशबु मेरे दिलो दिमाग पर छा गयी थी। और में खुद के ही निचले होंठ को चूसता हुआ जैसे तैसे झूमता हुआ बाइक तक पहुँचा। समझ नहीं आ रहा था में खुद के होंठ को बार बार क्यों चूस रहा था।।खेर ये मेरी ज़िन्दगी का पहला किस्स था।जिसने मेरे दिल में प्यार की घंटी बजा दी थी। में मदहोश बाइक को ८० की स्पीड पर लहराता हुआ घर ले गया। अब हमारी चैटिंग में प्यार का तड़का लग चुका था ।स्कूल खुल गए थे। और अब वो स्कूल पर रोज़ मिलती। एक प्यारी सी स्माइल पास करती। धीरे धीरे प्यार बढ़ने लगा। कसमे वादे होने लगे।।दो महीने बीत गए।उसकी खुशबु में भूलने लगा था। फिर शेर के मुँह को भी खून लग चुका था। उस पुरानी किस का असर भी खत्म हो चुका था। मेने उसको कॉल पर कहा मुझे तुमसे मिलना है।
तेरी खुशबु नहीं मिलती तेरा लहज़ा नहीं मिलता.
हमें तो शहर में कोई तेरे जैसा नहीं मिलता..
उसने कहा मुझे भी मिलना है। लेकिन कैसे मिलेंगे? मेने कहा स्कूल का घण्टा गोल करेंगे। उसने कहा।मुझे रिक्शा वाला छोड़ने आता है और वही लेने आता है। वो स्कूल के गेट के सामने छोड़ता है।।अब समस्या ये थी के रिक्शा वाले को चकमा कैसे दिया जाये। दो घण्टे विचार विमर्श के बाद ये तय हुआ के हम लोग डेट पर जायँगे।। जब रिक्शा वाला गेट पर छोड़ कर जायगा । तब ज़ोहा सीधे स्कूल से आगे की स्टेशनरी की शॉप पर जायगी। चपरासी या रिक्शा वाला पूछेगा तो कहेगी पेन लेने जा रही हूँ। आगे मेरी बाइक पर बैठ जायगी। वहा से हम लोग दोस्त के फ्लैट पर जायँगे ।।कुछ देर वहा रुकेंगे और ९:३० बजते ही वेव सिनेमा जायँगे। वहाँ हॉफ फिल्म बाजीराव मस्तानी देखेंगे ।और इंटर वेल में ज़ोहा को उसके घर छोड़ देंगे। ज़ोहा घर जाकर बोल देगी तब्यत खराब की वजह से मेम ने लीव दे दी। और रिक्शा वाले को कॉल कर के कह देगी के मम्मी घर ले आयी आप मत आना लेने के लिए।
सब प्लान के मुताबिक़ हुआ। दोस्त के फ्लैट पर हम लोग एक दूसरे को आधा घण्टा तक तो देखते ही रहे।फिर ज़ोहा ने अपने बैग से एक हैण्ड मेड कार्ड निकाल कर दिया। जो करीब दस पेज का था।हर पेज पर हम लोग की चैट की एक ख़ास बात लिखी थी। और हर पेज के दूसरे साइड ड्राइंग से कपल पिक्स बनी हुई थी। उसे देख के ही पता लगता था के उसमे कितनी मेहनत लगी है। फिर ज़ोहा ने उसे छुप के बनाया था। न जाने कितने हफ़्तों से मेहनत कर रही थी।और में पागल बस एक घड़ी ले गया था उसके लिए। लेकिन उसका कार्ड देखने के बाद मुझे घड़ी देते हुए शर्म आ रही थी।उसका प्यार वाक़ई लिमिटलेस था। गिफ्ट्स के लेन देन के बाद न जाने हम कब एक दूसरे में खो गये। बाजीराव मस्तानी के बुक टिकट्स का भी ख्याल न रहा।क्योंकि दूसरे की लव स्टोरी क्या देखते यहाँ तो अपनी ही एक अलग लव स्टोरी चल रही थी।बहरहाल आफ्टर डेट मेने ज़ोहा को उसके घर छोड़ दिया।
फेसबुक चैट
ज़ोहा- यार आज की डेट गज़ब थी न।में कभी नही भूलूंगी।
जुनैद - थी तो यार। भूल तो में भी नहीं सकता डेट (^_^)
ज़ोहा- डेट ? मतलब मुझे भूल जाओगे ?
जुनैद- ह्म्म्म शायद।।हाहाहा
ज़ोहा- खून चूस लूंगी तुम्हारा
जुनैद- ओह सॉरी। फूलो सा चेहरा तेरा। दिल पे था पहरा तेरा। फूल वूल कुछ नही सड़ा हुआ आलू हे तू।हूर नही परी नही जंगली एक भालू हे तू।जा चुड़ैल जा चुड़ैल चूड़हैल।
ज़ोहा- तुम्हे ये भी डर नहीं में रूठ जाऊंगी?
जुनैद- तुम रूठ गयी तो तुमको मना लूंगा
सीने से लगा लूंगा
आँखों में बसा लूंगा
बाहों में छुपा लूंगा
दुनिया से चुरा लूंगा
अपना बना लूंगा
ज़ोहा- aaaw लव यू बेबी। नाउ में बहुत थक गयी हूँ गुड नाईट।विथ ऑल लव स्माइलीज ।
जुनैद- गुड नाईट डिअर।विथ हॉरर ड्रीम्ज
आधी रात में ज़ोहा का मैसेज आया
ज़ोहा-आई लव यू जुनैद.....यू आर बेस्ट....
यू क्नोव व्हाट..
अवर रिलेशन शिप इस द बेस्ट
आई लव यू..लव यू..लव यू.. सो सो मच
थैंक्स फ़ॉर कमिंग इन मह लाइफ..यू मेक माय लाइफ हैवेन... अल्लाह का शुक्र मुझे ऐसा बी एफ मिला।
सुबह उठ कर जब मेसेज देखा तो खुशी का ठिकाना न रहा।।उसका प्यार लैला वाला था।हर वक़्त उस पर बस मेरे प्यार का नशा चढ़ा हुआ था। कभी वो मेरे लिए फलीप कार्ट से सिल्वर रिंग बुक कर के भिजवाती। कभी गोगल।कभी वॉच। और में उसे तभी कुछ दे पाता जब उस से मिलता। लेकिन तब भी वो बाज़ी मार जाती थी।।
खेर उसके बाद हम लोग दो बार और डेट पर गये।। दिसम्बर का ठंड का महीना था। माँ पापा घूमने के लिए राजिस्थान चले गए। हमने फिर डेट प्लान बनाया और में ज़ोहा को अपने घर ले आया। क्योंकि जनवरी में उसका बर्थडे था। और बर्थडे पर मौका नही मिलता उस से मिलने का।इसी लिए मेने २३ दिसम्बर को ही उसका बर्थडे मनाने का सोचा।।