Manchaha - 28 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | मनचाहा - 28

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मनचाहा - 28

जब हमारा डांस शुरू होता है सब तालियां और सिटीया बजाने लगे। डांस करते वक्त अवि कहते हैं तुमने छूने से मना किया था पर माफ करना इस वक्त तो छूना ही पड़ेगा।?
मैं- आप चुपचाप डांस करते रहे और मुड़ की बेंड मत बजाए।
फिर पता नहीं क्या हुआ उसके बाद एक शब्द भी नहीं बोले। हमारा डांस परफॉर्मेंस इतना अच्छा हुआ कि तालियों की गूंज रुक ही नहीं रही थी। हम सब बहुत खुश हुए और हां दिशा ने वाकई में कोई गलती नहीं की और आग? लगा दी ?। हम सब ने स्टेज से नीचे उतरकर ढेर सारी फोटोज खिंचवाई। ठंड के कारण अब मुझे वाशरूम जाना है। मैंने सबसे पूछा किसीको नहीं आना था। मैंने सोचा मैं अपने कमरे में ही फ्रेश होने चली जाती हुं। सब खाने के लिए जा रहे थे तो मैं किसी को कुछ कहे बिना ही अपने कमरे में आ गई।
कमरे में आकर मैंने लॉक बंद करना चाहा तो वह हो नहीं रहा था। वाशरूम जाना जरूरी था तो मैं दरवाजा खाली बंद करके बाथरूम में चली गई। जब फ्रेश होकर बाहर आई तो सामने मनोज खड़ा था।
मैंने चौंक कर पूछा- तुम यहां क्या कर रहे हो। निकलो यहां से।
मनोज- मैं तुमसे बात करना चाहता हूं। मेरी बात सुनो एकबार।
मैं- मुझे कुछ नहीं सुनना तुम जाओ यहां से।
मनोज दरवाजे की तरफ जाकर उसे लोक करता है।
मैं- यह क्या कर रहे हो तुम? निकलो मेरे कमरे से। दरवाजा तुमसे कैसे बंद हो गया यह तो अभी... इसका मतलब तुमने दरवाजे के साथ कुछ किया न?
मनोज के चहरे पर वहशी मुस्कान आ जाती है। वह कहता है,- तुम्हें मेरा प्यार आज स्वीकार करना ही होगा।
मैं- यह कभी नहीं हो सकता। तुम जाओ यहां से वरना मैं चिल्लाऊगी।
मनोज उसे अनसुना करके पाखि की ओर बढ़ने लगता है।

इस तरफ अवि को कहीं पाखि नहीं दिखाई दी तो वह निशु से पूछता है कि पाखि कहां है?
निशु- अभी तो यही थी। हां उसे बाथरूम जाना था तो वही गईं होगी शायद। पर इतना वक्त क्यों लग गया? शायद वहां पर भीड़ होगी।
अवि सोचता है इतनी देर तो नहीं लगनी चाहिए। उस वक्त रब की रहमत समझो, अवि की sixth sense कह रही थी हो न हो अपने रूम में ही गई होगी। पर इतनी देर... कहीं गिर विर न गई हो। सबकी आंखों से बचकर वह पाखि के कमरे की ओर बढ़ जाता है।

पाखि के रूम में मनोज पाखि पर लपकता है। पाखि उससे बचने के लिए मनोज के साइड से दरवाजे की तरफ जाकर लॉक खोल देती है पर मनोज उसे खिंच कर वापस बेड पर पटकता है। मनोज ने वापस दरवाजा लॉक कर दिया। मनोज को लगा था उसने दरवाजा लॉक कर दिया पर वो नहीं हुआ था। पाखि तबतक बेड से नीचे उतरकर बाथरूम की तरफ भागी तो मनोज ने पिछे से उसकी चोली पकडी तो उसके हुक टूट जाते है। बस एक ही हुक पर वह चोली अटक जाती है। वह मुडकर मनोज को एक जोरदार थप्पड़ लगा देती है। मनोज हंसकर उसे वापस बेड पर पटकता है और जबरदस्ती करने की कोशिश करता है। पाखि जोर जोर से रोने लगती है और मनोज का प्रतिकार करती है। पाखि को लगने लगा कि आज उसकी मदद कोई नहीं कर पायेगा। बेड पर पीठ घिसने के कारण लास्ट हुक भी टूट गया।

और उसी वक्त किसी ने मनोज को पीछे से पकड़ा और उसे खिंचकर नीचे गिरा दिया। पाखि उठकर देखती है तो अवि बुरी तरीके से मनोज को पीट रहा है। पाखि अपना दुपट्टा ओढ़कर खड़ी हो गई। अवि लगातार मनोज को मार रहे है। पाखि रोते रोते उन्हें रोकने की कोशिश करती है।
पाखि अवि से कहती है- यह मर जाएगा। रुक जाइए आपको मेरी कसम है।
अवि यह सुनकर कुछ वक्त के लिए रुक जाता है।
मनोज की हालत मार खां कर खस्ता हो गई। अवि कुछ देर रुका और पाखि की ओर देखा तो पाखि रोते हुए उसके सीने से लिपट जाती है। उसे समझ नहीं आता पाखि से क्या कहें। जब अवि उसे अपनी बाहों में लेता है तो महसूस करता है कि चोली के हुक्स टूट चुके हैं। वह पाखि को कहता है- तुम अपने कपड़े बदल लो पहले। पाखि अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली जाती है।
अवि फिर बरस पड़ा मनोज पर- कमीने तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पाखि को छूने की।? आज तेरी खैर नहीं।
वह अपना पैर उसके हाथ पर दे मारता है तो मनोज की हाथ की हड्डी में फ्रेक्चर हो जाता है और वह जोर से कराहने लगता है। अवि रवि को फोन करता है- जहां कहीं भी हो जल्दी से पाखि के रूम में आजा। और बाद में रिद्धि को फोन किया कि वो पाखि के रूम में जल्द से जल्द आ जाए। रिद्धि को अपने मम्मी पापा के साथ आने को कहा।

रवि घबरा कर दौड़ता हुआ पाखि के रूम में आता है। तबतक पाखि कपड़े बदलकर बाहर आ जाती है। रवि को देखकर वह दौड़कर उसके सीने पर सर रखकर रोने लगती है। रवि मनोज को मार खाई हुई हालत में देख चौंक जाता है।
रवि- क्या हुआ पाखि, तुम रो क्यों रही हो?
पाखि कोई जवाब दिए बिना रोए जा रही है।?
रवि चिल्लाकर पूछता है- क्या हुआ कोई कुछ बोलेगा?
अवि- यह कमीना पाखि से जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था। एन वक्त पर मैं नहीं आता तो यह हरामजादा पता नहीं क्या करता।
यह सुनकर रवि का खून खौल उठा। वो पाखि को एक तरफ करके मनोज कि छाती पर बैठकर मुक्के मारते हुए गालियां देने लगा। अब मनोज के मुंह पर भी सुजन आ गई। उतने में रिद्धि और उसके मम्मी पापा आ जाते है। मनोज को मार खाता देख रिद्धि के पापा चिल्लाते हैं- ये क्या हो रहा है? क्यों मार रहे हो मनोज को?
वह रवि को मनोज के उपर से हटाते हैं।
अवि- अपने इस हरामखोर भतीजे से पूछे यह क्या हो रहा है।
मनोज अपने अंकल को देख हड़बड़ा गया और उसकी सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई।
रिद्धि पाखि के पास जाती है और पूछती है- क्या हुआ? सच-सच बता, क्या किया इसने इस बार।
रिद्धि की मम्मी- इस बार मतलब? पहले भी इसने कुछ किया है?
रिद्धि ने मोल रोड वाली बात बताई। यह सुनकर रिद्धि के पापा मनोज को खड़ा करके एक तमाचा जड़ देते हैं गाल पर। वह दीवार से सटक कर अपना टूटी हड्डी वाला हाथ दूसरे हाथ में लेकर खडा रह जाता है।
रिद्धि की मम्मी पाखि से पूछती है,- डरो मत बेटा क्या हुआ बताओ।
पाखि लगातार रोए जा रही है। अवि ने बताया कि जब वह रूम में आया तो यह क्या हरकत कर रहा था। यह सुनकर रिद्धि के पापा ने भी उसकी धुलाई चालु कर दी। तब अवि और रिद्धि अंकल को रोकते हैं। अवि ने उन्हें बताया कि उसके हाथ में मेरे मारने से फ्रेक्चर हुआ है।
अंकल- यह मर भी जाता तो भी चलता।
आंटी- यह क्या बोल रहे हैं आप? शांत हो जाइए।
अंकल- सही कह रहा हु। हमारे घर का खून ऐसा करेगा मैं सोच भी नहीं सकता। पाखि बेटा मुझे माफ़ कर दो। मैं अभी इसके मां बाप को बुलाता हुं।
रवि- अंकल आप क्यों माफी मांग रहे हैं? इसे इसके किए की सजा मिल गई है।
पाखि- अंकल कल संजना दीदी की शादी है, हम कोई तमाशा नहीं करना चाहते। आप इसके मम्मी पापा को मत बुलाइए। खामखां बात बढ़ जाएगी और फंक्शन भी खराब होगा।
रिद्धि- पाखि सच कह रही है। इसे शादी तक यहां से बाहर भेज दीजिए। शादी के बाद चाचा-चाची से बात करेंगे।
आंटी- यह सही कह रही है जी, वैसे भी अभी इसे अस्पताल जाने की जरूरत है। मनोज तु जा और अपना इलाज करा। और हां, शादी खत्म होने तक अपना मुंह मत दिखाना।
मनोज वहां से चला जाता है अपना इलाज करवाने।

रिद्धि के मम्मी-पापा मेरे सामने हाथ जोड़कर माफी मांगते है। कहते हैं- मनोज की इस हरकत से हम शर्मिंदा है हो सके तो हमें माफ कर देना। हम भी बेटीयों के मां बाप है। तुम्हारा दर्द समज सकते हैं।
मैंने कहां- आप मुझसे बड़े है, आप क्यों माफि मांगते है? इसमें आपकी क्या गलती है? यह सब भुल जाए और दीदी की शादी के बारे में सोचिए।
आंटी- तुम यह सब भूल सकती हो? नहीं न, तो हम कैसे भूले। तु भी तो हमारी बेटी जैसी हो।
आंटी के इतना कहते ही मुझे मेरी मम्मी याद आ गई और मैं आंटी के कंधे पर सर रखकर रोने लगी। अंकल ने मेरे सर पर हाथ रखा और शांत रहने को कहां। हम जानते है तुम्हारे मम्मी-पापा नहीं है। आज से हमारी तीन बेटियां हैं। तुम, संजना और रिद्धि। कभी अपने आपको अकेला मत समझना। तेरा यह बाप हमेशा तेरे साथ है।
सबकी आंखों में आंसू आ जाते है। अवि अपने आंसू छिपाते हुए खिड़की से बाहर देखने लगता है। सब का खाना अभी बाकी है तो सब नीचे चलते है। पाखि के मना करने पर अवि कहता है मैं इसके लिए खाना उपर ले आता हुं।

सब गप्पे लड़ाने बैठे हुए है।। निशु सोच रही है यह पाखि क्यों नहीं वापस आ रही उसका मोबाइल कब से ट्राई कर रही हुं। पहले नोट रीचेबल आ रहा था और अब तो स्विच ऑफ आ रहा है। वह उसके कमरे में जाने का सोचती है तभी अवि को रवि, रिद्धि और अंकल-आंटी के साथ रिसेप्शन एरिया से बाहर आते देखती है। वह लगभग दौड़ते हुए उनके पास जाती है और रवि से पूछती है- रवि, पाखि कहां है? कबसे दिख नहीं रही है।
रवि कोई जवाब नहीं देता और आगे चला जाता है। फिर निशु अवि से पूछती है कि इसे क्या हुआ, मुंह फुलाकर क्यों जा रहा है। सच-सच बताइए कुछ हुआ है न। मुझे घबराहट हो रही है क्या हुआ बताइए।
अवि- बाद में बताऊंगा। अभी सबके सामने ज्यादा मत पूछो।
निशु- इसका मतलब पक्का कुछ हुआ है। पाखि कहां है?
अवि- उसकी तबियत बिगड़ी है तो वह अपने कमरे में है।
फिर अवि भी अपना और पाखि का खाना एक प्लेट में लेकर उसके कमरे में चला जाता है। रवि उसके साथ जाना चाहता था पर कुछ सोचकर वह वहीं रुक गया।

अवि जब पाखि के कमरे में जाता है तब वह एक तरफ मुंह करके सोई हुई थी। अवि प्लेट टेबल पर रखकर उसे देखने जाता है तो वह रो रही थी। अवि उसके सर पर हाथ रखता है तो वह चौंक जाती है और उठकर बैठ जाती है।
अवि- मैं तुम्हारे लिए खाना लाया हु चलो कुछ खा लो।
मैं- मुझे भूख नहीं है।
अवि- तुम्हें न सही पर मुझे तो है न।
मैं - तो आप खा लिजिए।
अवि- तुम्हारे बिना नहीं।
मैं- आपकी मर्जी।
अवि- देख पाखि मुझसे भूख बर्दाश्त नहीं होती कभी। ज़िद मत कर खा लेना। तेरे बगैर मैं भी नहीं खाऊंगा।
मैं कुछ बोलती नहीं हु। कुछ देर हम दोनों में से कोई कुछ बोला नहीं। बाद में जब अवि के भूखे पेट से आवाज आनी शुरू हो गई तो मुझे हंसी आने लगी। और मुझे देख अवि भी मुस्कुराने लगे।
अवि- मैंने कहां न मुझसे भूख बर्दाश्त नहीं होती। पेट के जीव पर दया करो और खाना शुरू करो।
मेरे न खाने से अवि प्लेट बेड पर ही ले आते हैं। मैंने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला तो एक निवाला मुंह में भर देते हैं। उसके पेट से फिर आवाज़ आई तो मुझसे रहा नहीं गया और जोर से हस पड़ी।
अवि- कोई नहीं मेरे पेट के कीड़े ने तुम्हें हंसाया तो सही।
मैं हंसते हंसते फिर रोने लगती हुं। मैं उन्हें कहती हुं- अगर आप आज समय से नहीं आते तो मैं...।
अवि मेरे मुंह पर अपना हाथ रख देते हैं और मुझे चुपचाप खाना खाने का इशारा करते हैं। वह मुझे निवाले बना बनाकर खिलाते हैं और कहते हैं- कोई इस भूखें गरीब के बारे में सोचें तो अच्छा है।
मैं हंसकर एक निवाला बनाकर उन्हें खिला देती हुं और कहती हुं बाकी का अपने आप खा लेना।
खाना खाले फिर तुम्हारा मुड़ ठीक करने एक जगह ले जाता हु।
मैं- मुझे कहीं नहीं आना।
अवि- आना तो पड़ेगा वरना उठाकर ले जाउंगा। वैसे तुम्हें बता दूं। तुम दिखने में लगती तो हल्की फुल्की हो पर तुम्हारा वज़न ज्यादा है।
मैं- क्या? आपकों कैसे पता?
अवि- क्यों डांस करते वक्त तुम्हें उठाया नहीं था?
मैं- रहने दिजिए, मेरी हाइट के बराबर ही मेरा वज़न है।
अवि- रवि से पूछ लेना। उसे कहना एकबार तुम्हें उठाएं फिर बोले कि तु भारी है कि नहीं।
मैं- मैं बिल्कुल बराबर हुं, मुझे नहीं जानना आपसे।
अवि- खाना अब खत्म हो गया है। चाहो तो कुछ ले आऊं?
मैं- मुश्किल से मैंने चार निवाले खाएं है बाकी तो आप सफाचट कर गए। आपको भूख लगी है तो जाइए और खाना अच्छे से खा ले।
अवि- मैरा खाना भी हो गया है। चल तुम्हें घुमा लाता हुं।
मैं- इतनी रात को?
अवि- उसमें क्या है? तुम रेडी हो जाओ मैं बाहर खड़ा हु।
मुझे लगा कि अभी जो हुआ उसे भुलाने के लिए बाहर चली जाती हुं तो कुछ समय के लिए यह सब भूल जाऊं।

क्रमशः