सुबह अलार्म बजा छः बजे का। यार यह सुबह जल्दी क्यों हो जाती है। मैं रवि भाई को ना बोल देती हुं के मुझे नहीं आना। निंद में ही इंटरकॉम से रवि भाई को कोल किया।
मैं- हल्लो रविभाई, आप सब जाइए मुझे नहीं आना है।
सामने से आवाज आती है,- good morning जानेमन।
आना तो तुम्हें पड़ेगा ही।
मैं- आप?? (सामने अवि था) आप भैया के रूम में क्या कर रहे हैं? भैया को फ़ोन दीजिए।
अवि- तुम्हारा भाई कबका नहाने चला गया। और तुम अभी सो रही हो? जल्दी तैयार हो जाओ कहीं देर न हो जाए। उगते सूरज को देखना नहीं चाहती? उसकी रोशनी से जो mountain दिखेंगे wow! सोचकर ही image सामने आ जाती है। और हम चल कर जाने वाले है।
मैं- चल के?? पर वहां रोप वे में जाना है न?
अवि- पहले तो वहां पहुंचने के लिए चलना तो पड़ेगा न। घबराओ मत दो किलोमीटर ही चलना है। चाहो तो गोद में उठालू?
मैं shut-up कहकर फ़ोन पटक देती हुं। वैसे सुबह सुबह बर्फिले पहाड़ और वादियों का नजारा देखना अच्छा हीं लगेगा। रेडी हो ही जाती हुं। दो किलोमीटर ही चलना है न तो चल लूंगी उतना तो। मैं नहा धोकर तैयार हुईं तब सात बज चुके थे।
मैं जब नीचे आई तो रविभाई, साकेत और अवि डाइनिंग हॉल में ब्रेकफास्ट कर रहे थे। मैं रवि भाई की प्लेट से ही ब्रेकफास्ट करने लगी। साकेत मेरे लिए चाय ले आया। उसे देख अवि का मुह बिगड़ा।
रवि भाई- ज्यादा मत खाना हमे चलकर जाना है। प्रेशर आ गया तो बीच में कहां जाएंगे?? और यह अपनी बैकपैक क्यों ले आई।
मैं- क्या भैया, खाते वक्त ऐसी बात न करें। और मेरी बैकपैक में मैंने फर्स्ट एड कीट रखी है, और गर्म शोल भी।
रवि भाई- उसकी क्या जरूरत है? पास ही में तो जाना है।
मैं- हमें नहीं तो शायद किसी और को जरुरत पड़ जाए।
साकेत- अच्छे डाक्टर का फर्ज निभा रही है तु। अपना ख्याल भी रखा कर साथ में।
आठ बजे तक ब्रेकफास्ट खत्म करके हम निकल पड़े snow view point देखने। ठंड थी तो हमने गरम कपड़े पहन ही लिए थे। रास्ते में इधर-उधर की बातें करते करते हम धीरे-धीरे चल रहें थे। वैसे भी हमें कोई चढ़ाई नहीं करनी थी क्योंकि रोप वे में जाना था जो 10:30am को शुरु होता है। अवि आगे पीछे चलने में मेरे हाथों को छूते जातें हैं। यह सुधरने वाले नहीं हैं।? हम 9:30am को उस point पर पहूंच गए। हमने रोप वे के टिकट्स लें लिए और रोप वे शुरू होने का इंतजार करने लगे।
साकेत- क्यो न ठंड में गर्म काफ़ी पी जाएं।
मैं- भैया, मुझे वोशरूम जाना है। सामने की रेस्टोरेंट में जाकर आती हुं।
साकेत- वहां भीड़ ज्यादा है, मैं भी तेरे साथ आता हुं।
अवि- तु रहने दें, मुझे भी जाना है तो मैं चला जाता हुं।
हम साथ चल रहे थे तब मैंने वो सुन सके इत तरह उन्हें कहा,- जलकूकडे कही के?। इतनी जलन भी अच्छी नहीं।
अवि- अच्छे लोगो की दुनिया में कद्र ही नहीं है।? अपनी होने वाली बीवी की रक्षा करना गुनाह है?
मैं- मैं आपकी होने वाली बीवी नहीं हुं समझे? आइंदा ऐसे मत बुलाना।
अवि- ठीक है, निशु की होने वाली भाभी बुलाऊंगा।?
मैं- मैं आपका गला घोंट दूंगी।
अवि- डार्लिंग! डाक्टर जान बचाते हैं न कि लेते।
मैं- आप अपना मुंह बंद कीजिए वरना डाक्टर का पता नहीं पर मर्डरर जरुर बन जाउंगी।?
अवि- तेरे हाथों से मरना भी मंजूर है गालिब।?
मैं - आपसे बात करना ही बेकार है।
हम रेस्टोरेंट में जाकर फ्रेश हो गए। मैं अवि के आने से पहले ही वहां से निकल गई वरना और पकाते। अवि ने बाहर आकर इधर उधर देखा। मुझे वहां न पाकर हम जहां खड़े थे वहां आ गए।
अवि- बिना कहे तुम आ गईं पाखि? मैं तुम्हें वहां ढूंढ रहा था।
मैं- छोटी बच्ची थोड़े ही हुं जो खो जाउंगी। रोप वे अब चलने की तैयारी में है हम लाइन में खड़े रह जाते हैं।
सब टूरिस्ट लाइन में आ गए थे। बारी बारी सब रोप वे में बैठकर जा रहे है। मैं बहुत एक्साइटेड हुं उपर का view देखने के लिए। जब हमारी बारी आई तो एक केबिन में रविभाई और मैं आगे बढ़े। अंदर देखा तो उसमें दो आदमी बैठे हुए थे, यह देखकर रवि भाई ने मुझे साथ आने से मना किया और अवि को अपने साथ बुलाया। पर अवि ने साकेत को आगे कर दिया। वह जब रोप वे में उपर पहुंचने आए तब हमारी बारी आई। हमारे साथ एक कपल था, जिसका एक बहुत ही क्यूट बेटा था। शायद एक देढ़ साल का होगा। मैंने जब उसे बुलाया तो सीधा हसते हुए मेरी गोद में आ गया। उस बच्चे की मम्मी ने बिना किसी हिचकिचाहट के मुझे सोंप दिया। अवि भी उसके साथ खेलने लगे।
अवि- तुम देखना, हमारा भी ऐसा ही प्यारा बेटा होगा।
मैंने उसकी ओर गुस्से से देखा तो बोले- बेटी भी चलेगी। तुम्हारी तरह सुंदर।
मैं- अपनी बकवास बंद करेंगे plz।?
सामने बैठे कपल में से लेडि ने हमें पूछा- आपकी शादी हो गई है?
अवि- हुई तो नहीं पर हो जाएगी।
मैं- सपने मत देखो, टूट जाएंगे।
उस बच्चे के पापा ने कहा- प्यार का मामला लगता है।?
अवि- बच्चे का नाम क्या है?
बच्चें की मम्मी- अंशुल नाम है इसका। ध्यान रखना शरारती भी बहुत है।
हम अपने point पर आ गए। मैंने अंशुल को उनकी मम्मी को दिया तो वह मुडकर मुझसे लिपट गया। मेरे पास से अवि ने लिया तो तुरंत चला गया।
अवि- हम सब यही है, अगर आपको एतराज न हो तो हमारे पास ही रहने दे या आप भी हमें जोइन कर लीजिए। वैसे इस बदमाश के आने के बाद आपको अकेले घूमने का मौका नहीं मिला होगा तो आप enjoy कीजिए।? और घबराना मत हम डोक्टर्स है, आपके बच्चे को कुछ नहीं होने देंगे।
मैं- वैसे आपका नाम क्या है?
बच्चें की मम्मी- मेरा नाम अंकिता और इनका नाम प्रांशुल।
मैं- oh wow! अंकिता का अं और प्रांशुल का शुल मतलब अंशुल। अंकिताजी आप enjoy कीजिए यह हमारे साथ रहेगा, क्यों अंशुल।
हम रविभाई और साकेत के पास पहुंचे। हमारे साथ में बच्चा देख रवि भाई बोले यह किसका बच्चा ले आए आप लोग? हमने उन्हें अंशुल के मम्मी पापा दिखाएं और हमारी बातचीत का अंश भी। रवि भाई और साकेत भी अंशुल के साथ खेलने लगे। अवि तो सेल्फी लेने लगे बच्चे के साथ। लगता है उन्हें बच्चे काफी पसंद है।
यहां से हिमालयन बर्फिले पर्वत देखना वाकई में अच्छा लग रहा है। एसा लगता है यही पर घर बसा लिया जाए। यहां से नीचे का नजारा भी बहुत अच्छा लग रहा है। एकाध घंटे तक हमने वहां का नजारा enjoy किया। इस बीच अंशुल के मम्मी पापा उसे हमारे पास से ले गए थे। हमने उनसे हमारी ग्रुप फोटो खिंचवाई। फोटो खिंचवाते वक्त भी अवि अपनी आदतन मेरे पास आकर खड़े रह गए। वो भी मेरी कमर पर हाथ रखकर फोटो निकलवाने। मैंने रवि भाई देख लेंगे कहके उनका हाथ झटका। पर वो कुत्ते की दुम की तरह टेढ़े ही रहे। अलग-अलग view से बहुत सारे फोटोज हमने खिंचवाए और सेल्फी तो लेते ही रहे।
मैंने सबसे कहा हमें अब चलना चाहिए। मुझे महंदी भी लगवानी है। फिर डांस परफॉर्मेंस तक सूखेगी नहीं।
जैसे हम जा रहे थे तो देखा एक बुजुर्ग अंकल को लगातार उल्टी हो रही थी। हम उनके पास गए और अवि ने उनको चेक किया। बाहर का खाना खाने से उनकी हालत खराब हुई थी। मैंने कहा- अपना बैग लेने का फायदा देखा?
अवि ने फर्स्ट-एड से दवाई निकाल कर अंकलजी को खिला दी। अंकलजी जब थोड़ा ठीक महसूस करने लगे तब हम वहां से निकलने लगे। नीचे आने के लिए हमें साथ में ही जगह मिल गई।
अभी बारह ही बजे थे। नीचे आए तो हमने नैनीताल जाने वाली एक कार में लिफ्ट ली। कार में एक अंकल-आंटी बैठे थे। उन्होंने हमारे बारे में पूछा। हम सबने अपना परिचय दिया और यहां शादी अटेंड करने आए हैं वह भी बताया। बातों बातों में पता चला कि वे भी संजना दीदी के वहां ही जा रहे है। हमे तो रिसोर्ट तक की लिफ्ट मिल गई। अच्छा हुआ इतना चलना तो बचा। जब मैं सब गर्ल्स बैंठी थी वहां गई तो almost सबके हाथ में महंदी लग चुकी थी। संजना दी और रिद्धि की महंदी लग रही थी। कुछ रिश्तेदार बचें थे महंदी में। जब रिद्धि की महंदी लग गई तो उसने मुझे बिठा दिया। और साथ में महंदी वाली से कहा इसके हाथ में अच्छे से लगाना। मेरी बेस्ट फ्रेंड है, कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। महंदी वाली ने महंदी लगाना शुरू किया तब दिशा पास में आकर बैठ गई।
दिशा- पाखि, तेरी महंदी तो अच्छी लगा रही है। हमारी तो तेरे जैसी अच्छी नहीं है।
मैं- (उसका हाथ देखते हुए) अच्छी तो है क्या कमी है इसमें।
दिशा- हां, पर तेरी डिजाइन बेहतर है हमसे।
मैं- है भगवान! अच्छा धोकर आ और फिर से लगवादे।
दिशा- रहने दें अब। अच्छा जीजाजी का नाम लिखवाना फिर उसे ढूंढने को कहेंगे।
मैं- कौन सा जीजा?
दिशा - (कानो में) अवि जीजू और कौन।?
मैं- मार खानी है क्या तुझे? वो तेरा जीजा नहीं है।
दिशा- हां तो बनाले मुझे कोई एतराज़ नहीं है।
मैं- मेरा दिमाग मत खा, वैसे भी मुड़ खराब कर रखा है उसने। चल जा, तेरा राजा बुला रहा है तुझे।
दिशा राजा के पास चली गई और बाकी सब एक जगह बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे। वैसे वाकई में महंदी अच्छी लगा रही है महंदी वाली। कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी और भुख भी जोरो से लगी है। मैंने वहां देखा जहां सब बैठे हुए हैं पर ये क्या सब कहां चले गए? यार ये सब भुक्कड़ मुझे छोड़कर कहां चले गए? यह सोच ही रही थी तब सामने से रवि भाई खाने की प्लेट हाथ में लेकर आ रहे थे। बहुत भाग्यशाली हुं जो एसा भाई मिला है। पराया होकर भी सगे भाई की तरह ख्याल रखतें हैं मेरा।
रवि भाई- चल पाखि मैं तुम्हें खिला देता हुं। आज तो सब अपनी घरवाली या बहनों की सेवा में लगे हैं। सोचा मैं भी तेरी कुछ सेवा कर दूं। क्या पता तेरे आशिर्वाद से अच्छी लड़की मिल जाएं।
मैं- thanks भैया ( मन में- लड़की तो रेडी ही है बस आपके हा की देर है)। आप मेरा कितना ख्याल रखते हैं, love u so much भैया।
पिछे निशु के लिए प्लेट लेकर खड़े अवि बोले- हमें भी कभी प्यार से love u कह दिया करो।
मैंने पिछे देखा तो अवि निशु के पास जा रहे थे। यह रविभाई के सामने मरवाएंगे मुझे। मैंने रविभाई के सामने देखा, तो वह तो प्लेट मेरे बाजू में रखकर किसी से फोन पर बात कर रहे थे। मैंने राहत की सांस ली। मुझे लगता है इस तरह से डरने के बजाय मैं आज भैया को सब बता ही देती हुं। मेरी महंदी पूरी हो गई थी। वाकई में बहुत ही खूबसूरत लग रही है। मैंने दूसरों की महंदी नहीं देखी, जरा सब की देख ही लेती हुं। जैसे में खड़े होने जा रही थी तभी भैया अपना फोन अटेंड करके आ गए।
रवि भाई- चलो सब अपना खाना खा लो फिर हम मर्दों की भी बारी आए। पाखि तु काव्या, मीना जहा पर बैठे हैं वहा आजा।
हम सबने किसी न किसी के हाथों से खाना खाया। फिर सब लड़के चले गए अपना पेट भरने सिवाय एक के। और वह एक हमारा बेचारा राजा था।? दिशा का पेट जल्दी भरता तो बेचारा जाता न। उसे देख मीना से रहा नहीं गया और बोली- मोटी कबतक खाएंगी? रात को डांस करना है या खाकर मगर की तरह फैल जाएगी? इस बेचारे पर रहम कर और खाना खाने जाने दें। एसा न हो कि तुम्हें खिलाते खिलाते खाना ख़त्म हो जाएं और यह भूखा रहे।?
दिशा- अब मेरे खाने पर नजर मत लगा। वैसे भी मेरा खाना हो ही गया है। जा राजा, अब तुभी का ले वरना यह लोग मेरा खाना बोल बोलकर उगलवा देंगे।
राजा ने जब "जा" सुना, बेचारा दिशा की प्लेट वहीं छोड़कर भागा। बेचारे की हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है न घर का न घाट का।? हां पर वह दिशा से प्यार भी उतना ही करता है। हम सब कुछ देर बातें करके अपने रूम की तरफ जा रहे थे तब सभी लड़के हमारी ओर आ रहे थे।
काव्या ने सबसे कहां- हम कुछ देर आराम कर लेते हैं फिर शाम को मिलते हैं। वैसे भी रिद्धि कुछ देर बाद पार्लर जाने वाली है तो हम यहां बैठकर क्या करेंगे?
साकेत- सही बात है। अभी दो बजे है तो पांच-साढ़े पांच बजे मिलते हैं। तबतक रोकी और मौनी आ जाएंगे तो एकबार रिहर्सल कर लेंगे।
सबने यह ठीक समझा और अपने अपने कमरे में चलने लगे। मैंने रविभाई को मेरे कमरे में आने के लिए कहा। सबकी महंदी सूखने आइ है पर मेरी अभी गीली है। थोड़ी सूखेगी नहीं तबतक सो नहीं पाउंगी। तो कुछ देर भैया से बात भी कर लूं अवि के बारे में। वैसे शाम के कपड़ों की तैयारी तो हो ही गई है।
लड़कियां घाघरा चोली पहनने वाली है और लड़के कुर्ता- पजामा और कोटी पहनेंगे। इसके लिए तो सबने दिल्ली से शोपिंग करी थी वो भी जोरो शोरो से। बस रविभाई से बात कर लूं तो मन हल्का हो जाए। मैं और रविभाई मेरे रुम की ओर चल दिए।
क्रमशः