घुमक्कड़ी बंजारा मन की
(१)
माउंटेन ऑफ़ लव "टी आरोहा"
( उत्तराखंड )
"दूर कहीं पहाड़ो में, हरी भरी वादियों में हो एक सुन्दर सा आशियाँ "अच्छी है न सोच बहुत से लोग सपने. देखते हैं सोचते हैं पर इन्हे पूरा कर पाने का होंसला आखिर चंद लोगों में ही होता है. आज से कई साल पहले यह सपना शिमला की वादियों में एक पेड़ के नीचे बैठे सुमंत बतरा ने भी देखा सोचा और फिर" टी आरोहा धनाचुली (उत्तराखंड) की रोमांटिक वादियों में बना कर पूरा किया। और यह सपना अब जागती आँखों से मैं देख कर महसूस कर के आई हूँ।
सुबह जब शताब्दी एक्सप्रेस से सफर शुरू किया तो दिल दिमाग में एक कल्पना थी कि दूर कहीं पहाड़ पर एक शीतल सी जगह होगी जो शायद अब और पहाड़ी जगह की तरह व्यपारिक भीड़ भाड़ और लोगों से भरी होगी क्यों की दिल्ली में इस वक़्त गर्मी और छुट्टियां एक साथ है सफर शुरू हुआ. दिल्ली की गर्मी लोगों की नैनीताल जा ने वाली लोगों की बाते भी साथ साथ सफर करती रही। काठगोदाम से आगे का रास्ता शुरू हुआ ठंडी ब्यार के झोंके आ कर बता गए की आगे अब गर्म हवा निरस्त है और एक सकूँ है यहाँ।
पुरानी लिखी पंक्तियाँ याद आ गयी
बहती मस्त बयार,
ठंडी जैसे कोई फुहार
लहराते डगमगाते पहाडी से रास्ते..
नयना ना जाने किसकी है राह तकते
ओक के पेड़, झूम के हवा के साथ लय पर नाच रहे थे और "शिवानीजी के लिखे उपन्यास "के पात्र साथ साथ चल थे. " काफल "फल की टोकरियाँ थामे पहाड़ी बच्चे जाती गाडी को रुकने का संकेत देते और अपनी मीठी मुस्कान से दिल मोह लेते। एक नवविवाहित पहाड़ी जोड़ा अपनी बाइक रोक के "काफल" फल को तोड़ते हुए नयी ज़िन्दगी के सपने भी चुन रहा था।
हवा के पंखो
पर बने
एक आशियाना,
सात गगन का... हो बस एक आसमान...
और दूर छिटके हुए गांव खेती यकीन दिला रही थी दिल को कि इंसान ने कहीं हारना नहीं सीखा है क्या वादी क्या घाटी और क्या ऊँचे पहाड़ जहाँ तक उसकी पहुँच पहुंची उसने अपना "आशियाँ "बना लिया। इन्ही रास्तों में गुनगुनाती कुदरत ने भी अपना भरपूर साथ दिया और जी भर के फल फूल से इस जगह को भर दिया। सेब, आड़ू आलुबुखारा, नाशपाती से पेड़ लदे हुए थे। रास्ते में पड़ने वाले गांव "पदमपुर गांव "यह "ऍन डी तिवारी" का गांव है और वह डिश जहाँ लगा हुआ है वह उसका घर "हमारी गाडी का ड्राइवर आते जाते दोनों वक़्त दोनों वक़्त बताना नहीं भूला और सुन कर उत्सुकता से देखती हुई मैं मुस्कराना नहीं भूली :) आलू की भरी हुई क्यारियों और ग्रीन हाउस में उगती सब्जियों ने उस जगह को कुछ तो अलग सा दिखा दिया। मैंने ड्राइवर से पूछा की तिवारी जी की शादी होने पर यहाँ क्या माहौल था तो उसका जवाब था तब तो कुछ नहीं पर उसके बेटे ने तब यहाँ बहुत बड़ी पार्टी की थी जब उसको जायज पुत्र घोषित कर दिया गया था सही है कुछ तो हुआ ख़ुशी का माहौल। वहीँ बना एक सरकारी हस्पताल भी दिखा छोटा सा, ( कुछ तो तरक्की हुई नेता जी के गांव में :)
आस पास विशाल पहाड़ ए सी ठंडक से कहीं दूर ताज़ी हवा. कहीं कहीं खिले हुए बुरांश के फूल जैसे हम से कह रहे थे कि "आओ कुछ देर हमारे साए में अपनी ज़िंदगी की सारी भाग दौड और परेशानी भुला दो.. बस कुछ पल सिर्फ़ यहाँ सुंदरता में खो जाओ.. भर लो बहती ताज़ी हवा जो शायद कुछ समय बाद यहाँ भी नही मिलेगी". और यही सोचते देखते पहुँच गए टी आरोहा (माउंटेन ऑफ़ लव )
इसकी पहली झलक ने ही प्यार पहली नजर में हो सकता है का एहसास करवा दिया। सपने को देखने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है यहाँ यह सही मायने में आ कर मालूम हुआ क्यों की यह रिज़ॉर्ट वादी में नहीं पहाड़ पर बना है तो ट्रेकिंग अपने रूम तक जाने के लिए आपकी खुद हो जाती है पर इतना अच्छा देखने के लिए तो स्वर्ग की सीढ़ी चढ़नी ही पड़ेगी न :) यह बात और है कि बाद में हिम्मत जवाब दे गयी मेरी पर इसका हर कोना इस जगह का जैसे एक कहानी बुनता दिखा। हर कोने में पड़ी कलाकृति एक कविता और यह सिर्फ खुद के ही महसूस करने वाली बात नहीं थी जब इसका सपना बुनने वाले शख़्श से मुलाकात हुई तो इस से भी अधिक सपने इन्द्रधनुष रंगो से सजे "सुमंत बतरा "की आँखों में दिखे। वह व्यक्तित्व जो पेशे से वकील और जिसका दिल रोमांस की धुनों पर थिरकता है, वह रुमानियत कुदरत के साथ ढली हुई हर कोने कमरे में दिल की धड़कनों में बजती दिखाई देती है और दिमाग निरंतर आगे और नया बनाने की दिशा में अग्रसर नजर आता है।
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनको आप निरंतर सुनते रहना चाहते हैं क्यों कि उनके बोले लफ़्ज़ों में वो नदी सी रवानगी होती है जो अपने सपनो के रंगो में आपको भी रंगती चली जाती है। सुमंत जी की युवा आँखों ने "चंड़ीगढ़ कॉलेज "में पढ़ते हुए शिमला की वादियों में किसी" पाइन ट्री "के नीचे अपने पहले काव्य संग्रह "ऐ दिल "में कुछ पंक्तियाँ उकेरी जिसमें "हरी भरी किसी पहाड़ की वादी में उनका एक आशियाँ हो "और इस सपने की तामीर पूरी हुई उत्तराखंड के "धनाचुली "के मनोरम स्थल पर जिसको उन्होंने नाम दिया टी आरोहा माउंटेन ऑफ़ लव सिर्फ तीन कमरे से बना यह "समर हाउस" रिज़ॉर्ट में तब्दील करना आसान न रहा होगा पर जिसके दिल में हिम्मत और अपने सपनो को जीने का होंसला हो तो रस्ते खुद बा खुद बनते चले जाते हैं।
जब कमरे बने तो आगे का सपना शुरू हुआ और अपने सरल स्वभाव और गांव वालों की सुविधा समझने वाले दिल रखने वाले इस शख़्श की मदद गांव वालो ने खुद की। और फिर तो जैसे रास्ता बनता गया। जब आशियाँ बन गया तो शौक के सपने ने पंख फैलाने शुरू किये | पढ़ने का शौक, एंटीक चीजे इक्क्ठी करने का शौक, फोटग्राफी का शौक. और भी कई अनमोल चीजे पुरानी फिल्मों के बेशकीमती पोस्टर, पुरानी कलात्मक माचिस की डिबिया, आदि आदि न जाने कितनी ऐसी चीजे जो गुजरे वक़्त के साथ कहीं गुम हो गयी लगती थी वह यहाँ देखने को मिली।
बचपन में कॉमिक पढ़ने के शौक ने और उसी शौक से आगे नए साहित्य हिंदी इंग्लिश आदि ने यहीं एक पुस्तकालय के रूप में जगह पायी जिस में कई तरह की किताबें, पुरानी, नयी, कई तो इतनी जिनको सहजता से कहीं देखा नहीं जा सकता हिंदी साहित्य, जीवनी, यात्रा वर्णन आदि हैं तो उनका फोटॉग्राफी के प्रति शौक "दी इंडियन " फेमस काफी टेबल बुक और वहां लगी पिक्चर में दिखाई दिया।
रिज़ॉर्ट के कोने कोने में जैसे एक रोचकता का इतिहास बिखरा हुआ है, वहां रखा हर बेंच, कुर्सी, आईने, लैंप आदि अपने में एक रोचक दास्तान समेटे हुए हैं। कोई भी वहां रखी चीज यूँ ही रख देने भर के अंदाज़ से नहीं है। यह वह शौक है सुमंत जी का जो उन्हें हर एंटीक चीज के लिए प्यार से भरा है और यह शौक उनके जानने वाले उन तक पहुंचे इस के लिए उन्हें जानकारी देते रहते हैं और वह एक रोचक कहने लिए उनके रिज़ॉर्ट के बने चित्रशाला में रोचक कहानी लिए आपके स्वागत के लिए वहां दिखाई देती है। और उन एंटीक चीजों की जानकारी यहाँ मैं जितनी लिखूं उतनी वह रोचक नहीं लगेगी जितनी वहां जा कर उन्हें खुद देखना और जानना :)
कमरे में लगी उन्ही के शब्दों में लिखी कई प्रेणात्मक कहानियाँ उनके लिखने के प्रेम को दर्शा जाती है।
कमरे में कहीं टी वी नहीं है सोच यही की यहाँ आप एक रिलेक्स मूड में आये हैं तो उसी मूड में रहे कुदरत को एन्जॉय करें पर नहीं रह सकते तो कॉमन रूम में टीवी भी है और खेलने के लिए कैरम, टेबल टेनिस और लूडो आदि भी। अभी अभी शुरू हुआ एक "टी रूम" भी है जो अपनी ताजगी से आपको मोह लेता है।
खुली हवा में बहती पहाड़ी पेड़ों के साथ झूमना हो तो एक नन्हा सा स्विमिंग पूल और एक बैडमिंटन कोर्ट आपको अपनी और आमंत्रित करते लगेंगे।
बहुमुखी प्रतिभा के सुमंत जी के सपनों का आकाश बहुत बड़ा है और यह अभी और रंग भर रहा है आने वाले समय के लिए। यहाँ बहुत कुछ नया मिलेगा आने वाले पर्यटकों को ; जो सबका भला सोचता है कुदरत उसके साथ खुद ही हो लेती है आने वाली हर अड़चन को पार कर के बना यह टी आरोहा वाकई एक राहत है जो दूसरे पहाड़ी स्थानों से अलग है सकूंन भरा है। खुद में खुद की तलाश, पढ़ने का शौक, और एंटीक चीजों के प्रति रूचि आपको जैसे रूबरू करवा देती है उस दुनिया से जिसकी कल्पना सिर्फ कहीं पढ़ी हुई होती है। सुमंत बतरा वहां हो न हो वहां का फ्रैंडली स्टाफ आपको अपनी सेवा से अभिभूत कर देगा। यहाँ का खाना आपकी भूख को और बढ़ा देगा अब यह कमाल यहाँ की आबो हवा का है या यहाँ के खाना बनाने वाले शेफ का यह आप खुद अनुभव कीजिये :)
आप यदि वाकई एक सकून की तलाश में है तो माउंटेन ऑफ़ लव टी आरोहा जरूर आये और खो जाए वहीं की फैली हुई रुमानियत में जहाँ मेरी कलम से यूँ ही लिखे गए कुछ आधे अधूरे से लफ्ज़
यूँ ही ख्यालों के एक गांव में
किसी तिलिस्मी सी जगह पर
ऊँचे पहाड़ों पर पसरे हुए बादलों में
एक घर है बर्फ का
सिमटे हुए हैं जहाँ हम -तुम
बंद आँखों में मुस्कराते
सर्द हवा के झोंको में
चाँद से बतियाते
टूटते तारों में तलाशते हुए
आने वाले वक़्त के निशाँ
रूह से रूह की इबारत पढ़ रहे है. ……।
(आगे न जाने कब पूरी हो )
जरूर होगी कभी अभी तो आप पढ़ के बताये कैसी लगी यह यात्रा मेरे लफ़्ज़ों के साथ आपको आप यहां पूरे साल जा सकते है । गर्मी में ठंडक और हरियाली पाने के लिए और सर्दियों में स्नोफॉल के लिए । दिल्ली से शताब्दी से काठगोदाम और आगे टैक्सी ले सकते है। वहां से 2 घण्टे का लगभग रास्ता है। वापसी में भीमताल नैनीताल भी घूम कर आ सकते है ।
***