तेज़ बिजली की कड़कड़ाहट से मेरी नींद टूट गई, खैर बड़ी मुश्किल से आई थी मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गई,
साथ वाले तकिए को देखा जों सूना पड़ा था, ऐसा लगा जैसे कितना कुछ कहना चाहता है मगर मैं सुनना ही नहीं चाहती, वो बारिश की आवाज़, बिजली का कड़कड़ाना और एक अजीब सी ख़ामोशी जो मेरे कमरे से पूरे शहर तक फैली हुई थी, अच्छी भी लग रही थी और कुछ याद भी दिला रही थी,
मैंने देखा खिड़की खुली है और बारिश की फुहार कमरे के अंदर आ रही है मैं खिड़की बंद करने के लिए उठी, खिड़की के पास गई और खिड़ी बंद कर दी, लेकिन थोड़ी देर वही खड़ी रही, खिड़की के शीशों से बहार देखा तो कुछ नज़र नहीं आया सिवाय उस अँधेरे और बीच बीच में चमकती बिजली के, काफी देर तक मैं उस अँधेरी सड़क में सुकून ढूंढ़ती रही.. फिर मेरी नज़र दिवार पर टंगी उस बड़ी सी घडी पर गई 3 बज रहे थे,
फिर सोचा सो जाती हूँ परसो सिद्धार्थ भी वापस आ जाएंगे अपनी बिज़नेस ट्रिप से!
और मैं बिस्तर पर लेट गई और यूँ ही आँखें बंद करके नींद का इंतज़ार करने लगी, ऐसा लगा जैसे नींद से मेरी कोई दुश्मनी है, आती ही नहीं और नींद को बुलाने की नाकाम कोशिश करते करते सुबह के 7 बज गए
आज सन्डे है और मुझे ऑफिस भी नहीं जाना इसलिए सोचा क्यों न ताज़ी हवा में गार्डन में बैठकर चाय के मज़े लिए जाए. बारिश भी रुक गई है लेकिन आसमान में अभी भी कुछ बादल है जिन्होंने सूरज को छुपाकर रखा है
मैं बहार गार्डन में चाय पीने बैठी और सुधा भी आ गई
सुधा और मेरे पति एक साथ बिज़नेस करते है और सुधा को मैं काफी सालों से जानती हूँ इसलिए वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई है
मैंने सुधा के लिए भी कप में चाय डाली और चीनी और चाय का कप दोनों उसकी तरफ बढ़ा दिया सुधा बैठी उसने २ चम्मच चीनी अपनी कप में डाली और बिना कुछ बोले चाय पीने लगी मैंने उसके चेहरे पर गौर किया बहुत खुश लग रही थी और मैंने उससे पूछ ही लिया...
क्या बात है बड़ी खुश लग रही है?
ख़ुशी की तो बात ही है, चेहरे से पता चल रहा है न?
अब खुलकर बताएगी क्या बात है?
मैं माँ बनने वाली हूँ, आज ही सुबह एहसास हुआ मुझे!
अरे वाह ये तो सच में बहुत अच्छी खबर सुना दी तूने सुबह सुबह...
मैं तो बहुत खुश हूँ लेकिन ये बता तू कितने रातों से नहीं सोई? किस बात की इतनी टेंशन ले रही है?
नहीं तो ऐसा तो कुछ नहीं है मै तो बिलकुल ठीक हूँ,
मुझसे झूठ मत बोल..! चल सच सच बता क्या बात है..
मैं सिद्धार्थ से बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन डर भी रही हूँ, कही उसे खो न दूँ.!
सब कुछ ठीक तो है न?
तुझे याद है जब मैं क्लाइंट मीटिंग के लिए बैंगलोर गई थी...
वो तू 6 महीने पहले गई थी न?
हाँ, तब मैं और रोहन बैंगलोर ऐरपोर्ट पर पहुँचे तो बहुत तेज़ बारिश हो रही थी, हम बड़ी मुश्किल से अपने होटल पहुँचे और रिसेप्शन से रूम की चाबी ली और रूम में चले गए..
थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश होकर अपने रूम में बैठी थी लेकिन पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही थी घडी में रात के 1 बज रहे थे... और मैं बस बैठी ही थी.!
तब मैंने रोहन को कॉल किया जो बगल वाले कमरे में ही था, मैंने उससे पूछा क्या तुम सो रहे हो?
वो बोला नहीं मैम बस पीपीटी तैयार कार रहा हूँ जैसे ही कम्पलीट होगी सो जाऊँगा, तब मैंने कहा एक्चुअली मुझे भी नींद नहीं आ रही, मैं तुम्हारी हेल्प कर देती हूँ दवाज़ा खोलो मैं वही आती हूँ।
रोहन ने कहा नो मैम आप सो जाइये मैं खुद कम्पलीट कर लूँगा! तो मैंने कहा मैं कह रही हूँ न कि मुझे नींद नहीं आ रही..! साथ में कम्पलीट कर लेते हैं, जल्दी हो जाएगा।
मैं कमरे में गयी और देखा लैपटॉप ऑन है और सारे कागज़ बिखरे पड़े हैं..
मैंने कहा क्या है ये रोहन तुमने सारे कागज़ फैला दिए और मैं कागज़ उठाने लगी तब रोहन बोला नहीं मैम मैं कर लूँगा आप बैठ जाइए।
मैं कागज़ उठाने लगी और रोहन ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा नो मैम आप मत कीजिये प्लीज!
पता नहीं उस वक़्त क्या हुआ, मैं बिलकुल शांत होकर बेड पर बैठ गई और रोहन काम करने लगा...
मैंने रोहन को देखा वो मन लगाकर पीपीटी बना रहा था और मैं खिड़की के पास गई और देखा बहुत तेज़ बारिश है, सिवाय अँधेरे और बीच बीच में बिजली की चमक के, कुछ दिखाई नहीं दे रहा। फिर मैं रोहन की पास वाली चेयर पर जाकर बैठ गई और कहा दिखाओ कितना हुआ? तब रोहन बोला अभी थोड़ा सा बाकी है... मैंने लैपटॉप अपनी तरफ घुमाया और फिर से रोहन ने मेरा हाथ पकड़ा और ऐसा लगा जैसे सब कुछ रुक गया है बाहर बारिश की आवाज़ तो आ रही है लेकिन उससे तेज़ शायद मेरी धड़कनो की आवाज़ आ रही थी थोड़ी देर तक हम एक दूसरे को देखते रहे फिर पता नहीं हम दोनों को क्या हुआ और वो सब कुछ हो गया जो नहीं होना चाहिए था.!
अगली सुबह मैं उठी और अपने कमरे में चली गई , वो तब भी सो रहा था, फिर 10 बजे मैंने उसे कॉल किया और कहा चलो क्लाइंट से मिलना है, लेट हो रहे है.! फिर हमने मीटिंग की और तब तक एक दूसरे से कोई बात नहीं की! उसने शायद कोशिश की थी लेकिन मैंने उस बारे में कोई बात नहीं की.!
शाम को हम एयरपोर्ट पहुँचे... ऐसा लग रहा था जैसे अब हम अजनबी है हमने एक दूसरे से दिल्ली आने तक कोई बात नहीं की.!
एक हफ्ता ऐसे ही निकल गया बिना बात किए..! फिर एक दिन वो मेरे केबिन में आया बोला मैम आए लव यू..!
मैं एकदम से चौक गई 20 सेकंड बाद मैंने उससे कहा शाम 5 बजे मुझे ऑफिस की छत पर मिलो और वो चला गया।
शाम 5 बजे मैं छत पर गई और देखा वो पहले से वह मौजूद है.
तब मैंने उससे गुस्से से कहा क्या मतलब है इस सब का? मैं मैरिड हूँ और तुम मुझे प्रोपोज़ कर रहे हो..! ऐसा सोच भी कैसे सकते हो तुम?
वो डरी हुई आवाज़ में बोला लेकिन आप तो मुझसे प्यार करती हो न?
नहीं रोहन मैं तुमसे प्यार नहीं करती, उस दिन वो सब कुछ गलती से हुआ था, पता नहीं क्या हो गया था मुझे., तुम वो सब भूल जाओ और अब हम इस बारे में कभी बात नहीं करेंगे, वो सिर्फ एक गलती थी और कुछ नहीं....
तब सुधा बोली फिर क्या हुआ?
बहुत सीधा लड़का था वो, उस दिन के बाद रोहन ने ऑफिस छोड़ दिया, और मैं भी सब कुछ भूल गई..!
तो फिर से तू उसे याद क्यों कर रही है?
6 महीने तक सब सही रहा, कोई प्रॉब्लम नहीं थी। लेकिन लास्ट मंडे को रोहन मुझे फिर से मिला, अब वो सिद्धार्थ की कंपनी में काम करता है, मैं उसे अपने पति के साथ देखकर बिलकुल चौक गई, और मुझे फिर से वो सब याद आ गया, और अंदर ही अंदर एक गिल्ट फील हो रहा है कि उस दिन मुझसे वो गलती कैसे हो गई?
समझ नहीं आ रहा क्या करुँ? अगर उसने सिद्धार्थ को सब बता दिया तो? आखिर वो वापस ही क्यों आया है?
बस यही सब सोच सोचकर परेशान हूँ।
सुधा बोली तुझे सिद्धार्थ को सब कुछ बता देना चाहिए, वो एक अच्छा इंसान है और बहुत प्यार करता है तुझे, वो ज़रूर तुझे समझेगा!
तब मैंने कहा बेशक सिद्धार्थ एक अच्छे इंसान है और शायद वो समझ भी जाएंगे, लेकिन हो सकता है उनके दिल में मेरे लिए प्यार काम हो जाए, इससे हम दोनों की आने वाली ज़िन्दगी बेजान हो जाएगी, माँ बनने की ख़ुशी मुझे भी चाहिए लेकिन अगर मैंने सच बता दिया तो शायद मैं माँ बन भी जाऊँ लेकिन वो प्यार मुझे कभी न मिले..!
इसलिए मैं इस गिल्ट के साथ जी लुंगी और
मैं सच नहीं बोलूँगी...!
प्रणव विश्वास