हा आज पूरा 1 साल खतम हुआ स्वीटी को राहुल की ज़िंदगी मे आए , ओर स्तुति की जिंदगी से राहुल को गए
इतनी बुरी तरह से हर्ट होने के बाद स्तुति का सिर्फ उसके एक कॉल पे मिलने जाना लाज़मी तो न था लेकिन शायद यह आखरी मोका था जब वो उसे करीब से देख सके, उसकी आंखो को अपनी तरफ देखते देख सके, उसकी आवाज़ मे अपना नाम सुन सके!, शादी के बाद बदल गया होगा क्या वोह ? मुजे देख के क्या बोलेगा ?
हम किसी से मिलते है उससे पहले अनेक बार हम उनसे मिलते है शायद वो मिलना एक-दो घंटे का हो लेकिन वोह मिलने का ख्याल ओर मिलने की चाह बार-बार मन मे हमे मिलाती रेहती है!
राहुल हर बार की तरह देर से आया, सेमिनार मानो उसिके इंतज़ार मे था उसके आते ही सुरू हो गया ! अब वहापे सभी को अपने गेस्ट को इंट्रड्यूस करवाना था लगभग डेढ़शों जीतने लोगोके सामने पहली बार राहुल उसे उसकी दोस्त कहके बुलाने वाला था ओर उसके ज़िंदगी मे उसका महत्व बताने वाला था ।
“मेरी मेहमान है स्तुति ! मे उसे लगभग एक दो सालो से जनता हु ( दो साल के ऊपर सात महीने हो गए, हा लेकिन सात महीने कहा साथ थे ) स्तुति काफी इंटोवर्ड पर्सन थी मेरे साथ रहके थोड़ी एक्स्प्रेसिव हुई है ”
मोटीवेटर ने बोला उसकी तारीफ करनी है खुद की नहीं !
तीन घंटे का सेमिनार! तीन घंटेका साथ! जब मोतिवेटर ने पूछा अभी-अभी किस की शादी हुई है छलाँगे मार-मार के राहुल ने हाथ खड़ा किया था !
अच्छा पति था राहुल मंथली एनिवरसरी पे तरह-तरह के गिफ्ट देता , स्वीटी को उसके मायके ले जाता पूरा सर्वगुण समपन पति लेकिन स्तुति को भी तो उसकी आदत थी उसके ज़िंदगी की हर छोटी-बड़ी बात उसे राहुल को बाटनी होती लेकिन जब भी कॉल करो या तो जनाब बिज़ि होते या तो उनका कॉल उनकी अर्धागनी स्वीटीजी उठाती ओर स्वीटी से करनी पड़ती ढेर सारी फेक बाते !
“देखो ना डियर! राहुल मुझे दीवाली की छूटियों मे मायके नहीं जाने दे रहे !”
मुझे क्या! तू मायके जाए ना जाए या फिर कुवे मे जाए ओर जब जब राहुल को बोलो के कम से कम हफ्ते मे तो एक बार बात कर लिया कर तब एक ही आन्सर आता “मेरी शादी हो गई है तुजे समजना पड़ेगा”
राहुल एसे बाते करता मानो पूरी दुनिया मे उसके अकेले की शादी हो गई है उसके ज़िंदगी की हर वोह छोटी-बड़ी बात जो पहले रात को ‘दो’ बजे भी बताना ज़रूरी था अब वोह उसकी पोस्ट से पता चलता था ।
बदल गया था ओर उसका ये बदलाव स्तुति से हजम नहीं हो पा रहा था यह मानना के वोह अब किसी का हमसफर है यह बात नहीं गले पे अटक गई थी ओर उसस स्वीटी के साथ उसकी पोस्ट देख के इतना गुस्सा आता के उसे कच्चा खा जाए उसके लिए नफरत दिन व दिन बढ़ती जा रही थी ओर गुस्सा एक एसी चीज़ है जो दूसरों से पहले खुद को मार देता है फोटोस पोस्ट देख के चिड़ना,गुस्सा होना ,नफरत करना अरे यार हमारी स्तुति नहीं थी एसी ...
उसका बर्थड़े आनेवाला था उसे इतजार था राहुल का कम से कम रात के बारा बजे मेसेज ही करदे पर नहीं दूसरे दिन तीन बजे के बाद सिर्फ हॅप्पी बी डे! यह मेसेज फडके मानो पूरे जन्मदिन का का सत्यानाश हो गया !
“इसका मतलब उसे मेरा जन्मदिन तक याद नहीं पिछले साल भी कहा याद था तब तो माफी मांगी थी, कॉल भी किया था लेकिन इस् बार बर्थ का पूरा स्पेलिंग भी नहीं लिखा गया उससे , परसो उसकी स्वीटी का जन्मदिन मेरे ही बर्थ मंथ पेदा होना था उसे उसने राहुल को सामने से कॉल किया हैलो...हैलो कट”
बोहोत इंतज़ार किया सामने से कॉल ना आया राहुल यह जनता था के स्तुति का बर्थड़े है फिर भी !
मायूस, गुमसुम रहने लगी स्तुति... रेडियो सुन रही थी किसी ने पूछा के मेरा एक्स बॉय फ्रेंडकी शादी हो चुकी है अब वो चाहता है के हम अब दोस्त बनके रहे मे क्या करू कुछ समज नहीं आ रहा ?!
आरजे वश ने कहा के आसान जवाब है नहीं!
“क्या आप इतने काबिल है के उसे किसी ओर के साथ वोह सारी चिजे करते देख पाएंगे जो आपको भले ही अंदर ही अंदर पर कभी उनके साथ करने की इच्छा थी ? क्या अपने आप को यह सोचने से रोक पाएंगे के अगर इसकी जागा मे होती तो क्या बात थी? क्या आप खुद की ओर उनके पार्टनर की तुलना करने से खुद को रोक पाएंगे ? आप उसे आगे बढ़ता देख के खुद आगे बढ़ पाएंगे ? याद रखिए उनकी ज़िंदगी मे कोई ओर आया है वोह आगे बढ़े है आप तो अभी उस मोड़े पे खड़े है जहा वोह आप को छोड़ के गए थे ! अभी आप को अपनी ज़िंदगी मे आगे बढ्ना है आप उनही मे उलज के रेह जाएंगे यह देखते ओर तुलना करते रेह जाएंगे के मेरे साथ एसा ओर उसके साथ वेसा! वही अटक जाएंगे...”
इससे अच्छा है उसको वटका दे ! उस्से सारे नाते तोड़ दे अपनी ज़िंदगी मे आगे बड़े क्यूकी “ज़िंदगी worth है व्यर्थ नहीं ।“
स्तुति ने खुद को देखा वो भी तो यही कर रही थी या तो वोह उन यादों मे खोई रहती जब राहुल उसके था या उन ख़यालो मे अगर राहुल होता तो वोह क्या कहता ओर अगर स्वीटी के बदले वोह वहा होती तो क्या होता उसकी बेबुनियाद कल्पना जिसका कोई अर्थ था ही नहीं इतने महीनो मे राहुल आगे बढ़ चुका था स्तुति उसकी एक दोस्त मात्र थी बस एक कोंटेक्ट नंबर !
अब इस उलजनों के बवंडर बाहर केसे निकला जाए कही न कही राहुल ने समवन स्पेशल की जगह ले ली थी उसकी जगह पे किसी ओर की कल्पना करना भी नागवारा था ओर उसके रहते आगे बढ़ना खुदके बारे मे सोचना नामुमकिन सा था!
उसी रात जब स्वीटी का जन्मदिन था स्तुति ने अपने दो-तीन सुंदर फोटो लिए ओर पोस्ट किया इसमे तेरा घाटा मेरा कुछ नहीं जाता जादा प्यार हो जाता तो दिल सेह नहीं पता फिर एक लिखी के,
“वॉट इस इन ध नामे लेकिन, कुछ नामो से नफरत ज़रूर होती है”
स्वीटी नाम वाले गानो से भी अब नफरत हो चली थी कोई बोले के आप कितने स्वीट हो फिर भी एसा लगता के इससे अच्छा तो तुम गाली दे दो !
राहुल का मैसेज आया “तू किसको कह रही है ये देख पहले !!”
“तेरी ज़िंदगी है तू जो करना चाहे कर सकती है सोर्री”
अब तो दिल मे कुछ नहीं रखना था सब कुछ नहीं रखना था फिर जो ज्वाला मुखी फूटा है ना...
“क्या है तूजे इतना इग्नोर क्या करता है क्या मांगा मैंने के मेरे मेसेज का रिप्लाइ किया कर , हफ्ते मे एकाद घंटे बात करले साल मे एक बार मिलले पर नहीं ओर कुछ जादा बोलो तो जनाब कहते है के मेरी शादी हो गयी है तुझे समज ना चाहिए तंबूरो समज न चाहिए क्या मांग लीआ एसा मेने ? वन नाइट स्टेंड करने को बोला क्या मेरे साथ ? इतनी फटती है क्या तेरी बीवी से, क्या था वो ?मेरी वाइफ़ आ जाएगी फिर ब हमारी दोस्ती रहेगी ! मे तुजे कभी अकेली नहीं रखूँगा तू मेरी सची दोस्त है ! एसी दोस्ती निभाई तूने ! ओर तेरी वो स्वीटी कितनी कड़वी है, वो कोडी जेसी आंखे , पकोड़ा घूमा के उल्टा रखा हो वेसा नाक बरगद के पेड़ो की शाखा यहा वह लिपटी हो एसे बाल ओर केसुड़ा का फूल जब सूक जाए ओर जो रंग हो वेसे बेढंगे होठ! 36 24 36 का फिगर होता है लेकिन उसका तो संकु आकार का है ओर जब हसे तो एसा लगे मानो अभी उल्टी हो जाए! ओर तू भी कोई हैंडसम नहीं है सिगरट पिता है , दारू पिता है... हा वाइन भी दारू ही होती है अंडे खाता है तू ! अच्छा हुआ मे बच गयी हम एक दूसरे के लायक ही नहीं थे ओर पता नहीं क्या क्या... सारी भड़ास एक जटके मे निकाल दी !
दूसरे दिन उठके खूब रोयी स्तुति! खुदा से माफी मांगी, किसी को उसे देखाव से नीचा दिखाना बोहोत बुरी बात होती है। अपने दोस्त को इतना बुरा बुरा बोला उसे कितना दुख हुआ होगा उसे !उसकी स्तुति एसा बोलेगी यकीन नहीं आया होगा राहुल को !
लेकिन जो हुआ अच्छा हुआ दिल से एक बोज हल्का हो गया जो उसे अंदर ही अंदर खा रहाथा क्यूंकी
जो आसू ज़मीन पे नहीं गिरते दिल चीर जाते है !
अब राहुल के वापस आने की कोई गुंजाइश नहीं थी सभी यादे सँजोके पासवर्ड डालके लैपटाप मे समा दी ! एक आखरी मेसेज आया राहुल का
“कूल निकाल दिया सब , एक दोस्त दूसरे दोस्त से यही चाहेगा के सामने वाले के मन मे मेरे खिलाफ कुछ न हो ओर स्वीटी के लूक्स देखके मेने उससे शादी नहीं की थी उसका सरल स्वभाव को देख के की थी वेसे तू भी कोई मिस वर्ल्ड नहीं है मेरे जीतने भी एक्स रेह चुकी है उनकी खूबसूरती के सामने रत्ती भर भी तू न आए !कोई बात नहीं मे तुजे जानने मे गलत रहा लेकिन एक ज़िंदगी भर का सबक मिला हमेशा-हामेषा के लिए अलविदा मेरी सबसे अछि दोस्त !”
वो हुआ जो हो ना चाहिए था पर वो हौवा जो स्तुति चाहती थी !
थोड़े महीनो बाद किसी अंजान नंबर से कॉल आया हैलो मे स्वीटी बोल रही हु लो राहुल से बात करो “हैलो ! क्या मेसेज भेज रही हे तू मुझे मेरे मेरीड लाइफ पे इन सबका क्या असर होगा वो तो अच्छा है की स्वीटी है वरना कोई ओर होता तो पता नहीं क्या अनर्थ हो जाता”
मे बाद मे बात करू अभी बिज़ी हूँ .............................. फोन कट गया
कुछ रिसते अपनी एक्स्पायरी डेट लेके आते है उसके बाद उनका खतम होना लिखा ही होता है लंबे खिचने पर कड़वाहट आ जाती है रिस्तो पे भी फफूँन लग जाती है टॉक्सिक हो जाते है अगर समय पर उन्हे बाहर न किया जाए तो हमे नासाज़ कर सकते हे कबीर सिंग बना सकते है सही समय पह उनकाना खतम होना अनिवार्य हे॥
स्तुति ने एक आखरी मेसेज किया , “देखो , हम दोनों का एकदूसरे से दूर रहना ही दोनों के लिए अच्छा है , ना तू अब मुझे दोस्त से जादा मन सकता है ना तो मे तुजे सिर्फ अपना दोस्त रख सकती हु इससे ओर मेरी नादान ओर अड़ियल फीलिंग्स तेरी शादिशुदा ज़िंदगी बिगाड़े ये ना मै चाहती हु ना तुम ! तू गुस्सा हो मुझसे दूर चला जाए यही मै चाहती थी इसीलिए वोह मेसेज लिखा मेने! अलविदा हमेशा के लिए !
आज एक साल हो चुका है राहुल की ज़िंदगी मे क्या चल रहा है न स्तुति को पता है न स्तुति के बारे मे कुछ राहुल को॥ स्तुति कभी-कभी राहुल की फेस्बूक प्रोफ़ाइल देख के मुस्कुरा देती है कोई मूवी देखके राहुल को याद कर लेती है एक डायरी रखी है हर जो बात उसे राहुल को बाटनी होती है वोह उस डाइरी मे लिख देती है
अंत मे अंजान बन गए वोह लोग जो एक दूसरे के बारे मे सब जानते थे !
दिवांगी जोशी की बातें
यायावरगी