manchaha - 23 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | मनचाहा - 23

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मनचाहा - 23

पाखि जोर से बोलती है- यह क्या कर रहे हैं आप?
सब मुडकर पिछे देखते है। निशा पाखि से पुछती है कि क्या हुआ?
मैं- वो..वो अवि का पैर मेरे पैर के पीछे लग गया तो मेरा जूता निकल गया।
अवि ने देखा सब की निगाहें पाखि पर थी। जब पाखि की नजर अवि पर पड़ी तो अवि ने उसे आंख मारी फिर मुडकर गीत गाने लगा,"आंख मारे, ओ लडका आंख मारे" यह सुन पाखि की आंखों से अंगारे बरसने लगे।

मैं अब रवि भाई के साथ चल रही हुं। मैंने उनसे अवि और श्रुति दी के बारे में पूछा कि क्या वो दोनों कपल है?
रविभाई- नहीं, श्रुति अवि को पसंद करती है पर अवि उसे सिर्फ एक अच्छी फ्रेंड समझता है।
मैं- क्यो मना कर रहे हैं? वो दिखने में तो अच्छी है और डाक्टर भी बन ही जाएगी तो...
रविभाई- मुझे भी ऐसा ही लगता था पर अवि की पसंद नहीं है वह।
मैं- तो और कोई तो होगी न उसकी पसंद? कोई साफ केरेक्टर का नहीं लगता मुझे।
रविभाई हंसते हुए- तु ग़लत सोच रही है। न तो स्कूल में उसकी गर्लफ्रेंड थी न ही कोलेज में कोई है। फ्लर्ट करने वालों में से नहीं है वह।
मैं सोचने लगी क्या अवि इतना अच्छा है जो अब तक किसी लड़की को नहीं छेड़ा? उसकी हरकतों से लगता तो नहीं है। छोड़ो मुझे क्या।? मैं क्यूं इतना सोच रही हुं।
इधर रवि सोचता है, यह मुझसे अवि के बारे में जानकारी हासिल कर रही है क्या? पूछ लेता हुं।
रविभाई- क्यों, तु क्यूं इतना पूछ रही है? तुझे पसंद है वह?
मैं- क्या भैया, कुछ भी? आपको मेरा फैसला पता ही है मैं लव-मैरिज नहीं करने वाली। क्या आप भी...

आराम से चढ़ते चढ़ते पोने घंटे में हम टोप पर पहुंचे। मीना और काव्या हमसे पहले पहुंच चुके थे और सेल्फी लेने में मस्त हो गए थे। हम सब पहले तो एक छोटी रेस्तरां थी वहां पर बैठ गए। उपर ठंडी हवाएं चल रही है।
निशा- wow! what a place! रवि, मेरी फोटो निकालना।
रविभाई- हां-हां क्यों नहीं। चल आजा वहां टोप पर चलते हैं पिछे का व्यू मस्त आएगा।

दोनों चल पड़ते हैं फोटोज खिंचवाने। दिशा एक जगह बैठकर अपने दुखते पैरों को राजा को दिखा रही है। और राजा बेचारा दिशा के पैरों को दबा रहा है। साकेत उनके पीछे पीठ करके बैठकर गाना गा रहा है," मैं जोरु का गुलाम बन के रहूंगा, सुबह-शाम जोरुजोरु करुंगा..." इतना गाते ही एक हाथ पिठ पर पड़ता है? और वह दर्द से कराहता है। उसे पता चल गया था यह दिशा का ही हाथ है। बेचारा बिना कुछ बोले सीधा मेरे पास आ गया।
साकेत- यार ये मोटी बहुत मारती है। अब मैं इसके पास दस मीटर की त्रिज्या तक नहीं जाऊंगा।? और राजा से कहता है,- राजा अब भी संभल जा नहीं तो ये तेरा बेंड बजाएंगी देखलेना।
राजा- तु जाना यहां से मेरे बाप, क्यो आग में घी डालने का काम कर रहा है।?

साकेत और मैं काव्या के पास चलें जाते है। हमारे पिछे मनोज आ रहा था। यह देखकर अवि उससे भी आगे निकलकर हमारे साथ चलने लगे। हम सब टोप व्यू तक गए। यहां से नजारा बहुत ही खूबसूरत है। यहां पर छोटी जगह में हम सब खड़े है तो भीड़भाड़ ज्यादा लग रही है। हमारे साथ दूसरे टूरिस्ट भी है। अच्छे व्यू से फोटोज लेने के लिए एक जगह लाइन लगी हुई है। जैसे आगे वाला हटा तुरंत दूसरा वहां खडा रह जाता था। मैं कब से खड़ी हुई हुं, मेरा टर्न ही कोई आने नहीं दे रहा। काव्या और मीना पहले पहुंचे थे तो वह पहले फोटोज ले चूके थे तो नीचे ढलान पर आ गए। साकेत और मैं ऐसे ही एक-दूसरे की फोटोज निकालने लगे। उस जगह को ग्रील से कवर करा गया था। मैं जब ग्रील के पास खडी रहकर फोटो खिंचवाने लगी तभी एक टूरिस्ट को आगे से धक्का लगा तो उसका धक्का मुझे लगा और मैं ग्रील के उपर से पिछे गिरने लगी तब पास मैं ही खड़े मनोज ने मेरी कमर पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं अपने आप को संभाल ही नहीं पाई थी। अवि यह देख आग बबूला हो गए। उन्हें मेरी तरफ गुस्से में आता देख रविभाई ने उनका हाथ पकड़कर रोक लिया। फिर सब मेरे पास आ गए और मुझे कुछ हुआ तो नहीं यह पूछने लगे।

मैं- मैं बिल्कुल ठीक हुं। शुक्र मानो मनोज पास ही में था। thank u मनोज।
मनोज- अरे उसमें क्या। तुम्हें तो मै कभी गिरने नहीं देता।
काव्या- क्या कहां?
मनोज- मेरा मतलब, तुम रिद्धि की फ्रेंड हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं उसे क्या मुंह दिखाता। रिद्धि की तरफ से मेरा फ़र्ज़ है आप सबका ख्याल रखना।
रविभाई ने मेरे पास आकर मुझे गले लगा लिया।
रविभाई- पाखि अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, मुझ पर क्या बीतती पता है? अपना ख्याल नहीं रख सकती??
अवि- अबे शांत हो जा। उसे कुछ नहीं हुआ है।
मैं- सोरी भैया, पर मेरी गलती नहीं थी। वो तो किसी का धक्का लग गया था।
रविभाई- चल अब नीचे आजा, अब कोई फोटो नहीं खिंचवानी। और बाकी सब भी चलो। वैसे भी आज जल्दी जाकर रिहर्सल भी करना है, कल संगीत है तो प्रेक्टिस पूरी कर देते हैं आज।
मनोज- ठीक कहा भैया, यहां से snow view देखकर घर चलें जाएंगे।
रविभाई- अब कोई snow view नहीं देखना। अभी नीचे उतरने में भी पोना घंटा लगेगा। फिर लंच करने वापस रिद्धि के घर भी जाना है।
सबने पंद्रह मिनट रेस्ट करके नीचे उतरना शुरू किया। काव्या और मीना घोड़े पर ही नीचे गए। निशा मेरे पास आकर बिगड़े मुंह से कहती है,- क्या पाखि सारा मजा किरकिरा कर दिया तुमने। क्या मस्त सेल्फी ले रहे थे मैं और रवि। मैं उसे गाल पर किस करने ही वाली थी और तु गिर गई।
मैं- गिरी कहा मैं? but सोरी, मैंने तेरा ही नहीं सबका मजा किरकिरा कर दिया।

दिशा हमारे पास आई, उसने मेरी लास्ट लाइन सुन ली थी।
दिशा- हमारे मज़े से ज्यादा तेरी जान हमें प्यारी है समझी। तुझे कुछ होता तो तेरे घरवालों को क्या मुंह दिखाते। अच्छा हुआ मनोज ने टाइम से बचा लिया।
निशा- मनोज से याद आया, वो तेरे आगे पीछे कुछ ज्यादा ही नहीं घुमता है? (नैन मटकाते) लगता है उसे तु पसंद आ गई है।
मैं- क्या कुछ भी, कोई इंसान किसी से बात भी न करें।
दिशा- तेरे साथ ही क्यों, हम क्या मर गए हैं? निशु मुझे भी यही लगता है।
मैं- कैसे बात करें? तु राजा के साथ चिपकी रहती है और ये रविभाई के साथ। मेरा मतलब है निशु रविभाई और अवि के साथ होती है। काव्या, मीना और साकेत साथ होते हैं तों वह मुझसे बात करता है। उसमें क्या?
दिशा- मेरी prediction कभी गलत नहीं होती, देख लेना तु।
मेने सोचा इसने अवि के बारे में भी कहा था जो सच हो गया। पर इस बार मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता, फिर पता नहीं।

अवि रविभाई के साथ आगे थे जो बार बार पिछे मुडकर देख लेते थे। नीचे उतरने में आधा घंटा ही लगा। सबने नीचे आकर एक चाय की दुकान पर धावा बोला। ठंडी में गरम गरम चाय अच्छी लगती है। मनोज हमें snow view के बारे में बता रहा था। वहां से बर्फीले पहाड़ों को देखने का मजा ही कुछ और है।
मेरा तो बहुत मन है वहां जाने का पर रविभाई को कहने से डरती हुं। कल वैसे भी शाम को संगीत संध्या है तो सुबह जा सकते है। रात को मनाऊंगी भैया को।

रिद्धि के घर जाकर हमने लंच किया। संजना दीदी ने बताया,- गर्ल्स कल महेंदी भी है तो सुबह से आ जाना सब। मेहंदी वाली लडकीयां सुबह से आ जाएगी तो पहले बैठ जाना। फिर रिश्तेदार आने लगेंगे तो नंबर नहीं लगेगा मेहंदी लगाने का। और संगीत तक महेंदी सुखेगी नहीं।
मीना- हम आ जाएंगे दीदी। मुझे तो बहुत शौक है मेहंदी लगवाने का। इन सबमें सबसे पहले मैं ही लगाउंगी।
दिशा- उसके बाद मेरा नंबर।
निशा- और बाद में मैं।
संजना दीदी- सब लगवाना बाबा, पर टाइम से आ जाना।
रिद्धि- मेहंदी के दूसरे दिन सुबह हल्दी रस्म है और उसी दिन शाम को मेरी और रजत की रींग सेरेमनी है। भूलना मत टाइम से आना है सबसे पहले। मैं चाहती हूं मेरे बेस्ट फ्रेंड्स मेरे साथ रहे।
दिशा- अरे चिंता not baby, तेरे साथ मैं ही रहुंगी।
रिद्धि- देखती हुं, मेरे साथ रहती है या राजा के साथ।
दिशा- मेरी जान तेरे लिए एक दिन के लिए राजा को कुर्बान करती हुं बस।
काव्या- दिशा तु नहीं रहेगी रिद्धि के साथ। देख तेरी सेटिंग तो राजा के साथ हो गई है, अब मुझे भी अपना राजा ढुंढने दे। क्या पता जीजाजी के कोई हेंडसम दोस्त की नजर मुझ पर पड़ जाए।?
मीना- और तेरी सेटिंग भी हो जाए।
काव्या- और क्या ?
मैं- अब बातें खत्म हो तो रिसोर्ट पर जाकर कुछ देर सो जाएं?

हम सब रिसोर्ट आए तब तक दो बज चुके थे। शाम पांच बजे रोकी और मौनी आने वाले हैं। वो लोग आए तब तक फ्रेश होकर सो जाती हुं। पता नहीं रात को कितने बजे तक जागना पड़े। अवि की आज की हरकत से मुझे गुस्सा भी आ रहा है। दिन-ब-दिन उनकी हिम्मत बढ़ती जा रही है। इस बार कुछ किया ना तो जोर से थप्पड़ लगाउंगी, फिर जिसे जो सोचना है वह सोचे। सोने से पहले एकबार घर पर भी बात कर लेती हुं। मैंने घर पर फोन लगाया तो रींग ही जा रही थी कोई फ़ोन उठा नहीं रहा था। दोनों भाई तो आफिस में होंगे और चन्टु बन्टु स्कूल होंगे, पर भाभियां कहा चली गई? कोई नहीं रात को डिनर के वक्त कोल कर दूंगी। बिस्तर पर लेटते याद आती है सुबह की बात।अगर आज मनोज ने पकड़ा नहीं होता तो मेरा तो राम नाम सत्य हो जाता। कल सुबह snow view देखने जाने के लिए रविभाई को मनाना भी है। यही सब सोचते सोचते सो गई।

जब आंख खुली तो कोई जोर जोर से मेरा दरवाजा खटखटा रहा था। मैं झट से उठकर दरवाजा खोलने गई। दरवाजा खोला तो सामने अवि खड़े थे। मैंने उनसे गुस्से में पूछा,- इस तरह जोर जोर से दरवाजा खटखटा ने का क्या मतलब है।
वो मुझे अंदर की तरफ धक्का देकर दरवाजा बंद कर देते है।
मैं- ये क्या बदतमीजी है? दरवाजा क्यो बंद किया?
अवि बिना कुछ बोले मुझे कसकर अपनी बाहों में लेकर बोलते है- आज सुबह तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं जीते-जी मर जाता। मुझे अफसोस है कि मैं तुम्हारे साथ क्यों नहीं था?
मैं उन्हें गुस्से में छोड़ने के लिए बोल रही हु और वो न जाने क्या बके जा रहे है।
मैं- आपका दिमाग तो ठीक है?
अवि- मेरा दिमाग ठीक है पर तुम्हारे दिमाग पर मनोज की पट्टी पड़ी हुई है। उसके साथ क्यों बातें करती हो?
मैं- मैं किसी से भी बात करु, आपसे मतलब। और मुझे छोड़िए घुटन हो रही है। इस तरह बार-बार क्यों परेशान कर रहे है?
अवि मुझे छोड़ते हुए बोलते हैं- एक बात समझ लेना तुम। तुम सिर्फ मेरी हो और किसीकी नहीं समझी? और वो छछुंदर मनोज से दूर रहना तुम।
मैं- आप यह सब बकवास करने आए हैं यहां पर? अभी के अभी मेरे रुम से निकलिए। और हां, मुझे किससे बात करनी है और किस से नहीं वो मैं तय करुंगी न कि आप। आप होते कौन है मुझे मना करने वाले?
अवि- मैं? मैं तेरा होने वाला पति।?
मैं- किसने कहा मैं आपसे शादी करुंगी?
अवि- मेरे दिल ने।?
दरवाजे पर फिर से दस्तक होती है। अवि ने दरवाजा खोला, सामने रविभाई थे।
रविभाई- पाखि कबसे दरवाजा खटखटा रहे थे, खोला‌ कयो नही?
अवि- गहरी नींद सो रही थी मेडम।
रविभाई- क्या पाखि, डरा दिया था तुमने। मैं तो नीचे master key लेने चला गया था। वापस आकर देखा तो अंदर से तुम दोनों की आवाज आ रही थी तो दरवाजा खटखटाया।
मैं- शायद सुबह जल्दी उठने से निंद आ गई। वैसे भी यहां रात के दस बजे कहा सोने को मिलता है। मेरी निंद ही खत्म नहीं होती।
लगे हाथ भैया को कल के लिए मना लेती हुं।
मै- भैया, मैं क्या सोच रही थी, कल हम snow view चले? वैसे भी संगीत तो शाम को है और पता नहीं हम फिर यहां आ पाए या नहीं।
रविभाई- पर सुबह तो मेहंदी है।
मैं- लास्ट में लगवा दूंगी। वैसे भी सब की मेहंदी खत्म होते होते तो रात पड़ने ही वाली है। मैं कभी भी लगवा दूंगी। plz भैया चलते हैं न।
रवि कुछ सोचते हुए- ठीक है सब को बता देता हुं।
अवि- सब आएंगे तो सबकी मेहंदी रह जाएगी। हम तीनो ही चलते हैं।
मैं- साकेत और राजा मेहंदी नहीं लगवाने वाले, उसको भी साथ लेंगे।
रविभाई- मैं पूछ लूंगा सबसे। नहीं तो हम तीनों चले जाएंगे। अब चल तैयार होजा सब रिहर्सल के लिए जा रहे है।
मैं- आप चलिए मैं आती हूं।
रविभाई और अवि के बाहर जाते ही मैं फ्रेश होने चली गई। आज ठंड कूछ ज्यादा ही है। गर्म कपड़े पहनकर ही जाती हुं। रुम को लोक करके बाहर आई तो सब निचे चले गए थे। गलियारे में एक इंसान खड़ा था जिसकी पीठ मेरी तरफ थी तो उसका चहेरा मैं देख नहीं पा रही थी।

क्रमशः