Retirement in Hindi Short Stories by Tara Gupta books and stories PDF | रिटायरमेंट

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रिटायरमेंट

रिटायरमेंट के बाद से सतीश घर पर ही ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत कर रहे थे। खाना,सोना, पेपर पढ़ना ,टीवी देखना और बिस्तर पर पड़े रहना यही उनकी दिनचर्या हो गई थी।
सना उनकी इस दिनचर्या से अब उबने लगी थी। या यूं कहें कि बोर हो रही थी ।बच्चे पढ़ कर शादी कर बाहर चले गए थे। पति रिटायरमेंट के बाद से कमरे के ही होकर रह गए। सना जो भी कहती सतीश हर बार उसकी कल परसों कह कर टाल दिया करते फिर अपनी दिनचर्या में खो जाते।
सारा काम खत्म कर सो जाती या फिर अपने पेड़ों की कटाई छंटाई में व्यस्त हो जाती।व्यस्त रहने बाद
उसका मन कुछ नया करने को बेचैन रहता।
आज सना का मन बहुत बेचैन था ,फिर भी वह सतीश की सारे ऑर्डर्स फॉलो कर रही थी, पर उदास मन से। सतीश की बेरुखी उसे खल रही थी। चाय का प्याला सतीश को थमा वहीं बैठ कर रोने लगी ।
सतीश ने पूछा ---क्या हुआ। ?
• उनकी आवाज के साथ ही सना का रोना और बढ़ गया, इस प्रकार सना को रोते देखकर सतीश घबरा से गये। कोई खास बात है तभी इतना रो रही है । ऐसा तो आज तक कभी नहीं हुआ।उन्होंने प्यार से सना को अपने पास बिठाकर रोने का कारण पूछने लगे‌। सना ने अपने रोने पर काबू कर अपने मन की बात सतीश को बताना शुरू किया।
• " जब से वह ब्याह कर आई है ,जिम्मेदारियों को निभाते हुए उम्र के आखिरी पड़ाव पर आ गई है। आज भी मैं अपनी उसी तरह से सुबह शाम घर के काम में लगी हूं ,सोचा था जब हम तुम अपनी अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएंगे तो अपनी इच्छाओं को जिएंगे पर आपने तो मुझे केवल सेवक बना कर छोड़ दिया है ,सारे क्रिया कलाप बंद हो गए हैं अब तो हर सपनो की आशा टूट रही है। जीवन को संवारने के लिए कितना कुछ सोचा था। लगता है मेरा जीवन यूं ही बीत जायेगा।'
• सतीश शांत होकर तकिया के सहारे बैठ गए। टीवी बंद कर सना की बात को ध्यान से सुनने लगे थे ।सना अपनी बात कह कर रोते हुए अपने कमरे में चली गई। सतीश ने उसे रोका भी नहीं । वे आंख मूंद कर लेट गए सना की एक-एक बात पर गौर करने लगे। अपने बीते दिनों की बातों को याद कर मन ही मन मुस्कुराए । जब सना ने उनके जीवन प्रवेश किया था तो वह उत्साह और उमंग से भरी हुई थी।उसके विचारों के हर पहलू चलचित्र की तरह उनके मन मस्तिष्क में घूम गये। सच ही तो कह रही है सना । इस तरह रह कर वे अपने शरीर व मन दोनों पर ही जंग लगा रहे हैं ।सना भी घर में बंद बंद डिप्रेशन में जा रही है ,उन्होंने तय किया कि वे अनुशासित जीवन जीना शुरू करेंगे और सना को भी जो भी उसकी इच्छा है करने के लिए प्रेरित करेंगे । जिसने जीवन के हर मोड़ पर हंसते हुए साथ दिया।अब उसको खुश रखने की बारी उनकी है। दोनों ही मिल कर जीवन के हर पड़ाव पर एक दूसरे का साथ दिया है और अब आगे का पड़ाव को भी हसते हंसते हंसते पार करेंगे। दिमाग में एक टाइम टेबल सेट कर सना केकमरे में पहुंचे।
• सना सोच की मुद्रा में बिस्तर पर बैठी थी। सतीश ने पास जाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया। रूठी सना को मनाने का प्रयास करने लगे ।
• सना ने अपने को छुड़ाने का प्रयत्न किया ।
• "यह बंधन छुटने वाला नहीं, मैं तो तुम्हारी सलाह का कायल हो गया हूं। ‌तुम ने सच ही कहा था-- "अपनी सोच में चमक होनी चाहिए .छोटे बड़े आज और कल या फिर उम्र का कोई फर्क नहीं पड़ता। अपना जीवन अनुशासित वा प्यार से भरा होना चाहिए।"
• कल से हमारी तुम्हारी या यूं कहो । हम दोनों अपनी नई जिंदगी शुरु करेंगे ।
• क्या करोगे?
• क्या करोगे ? देखना मैं अब क्या करता हूं
• अब तो मैं योग गुरु रामदेव बनकर दिखाऊंगा फिल्मी हीरो जानी वाकर या महमूद बंद कर दिखाऊंगा। नहीं तो स्वामी विवेकानंद बनने का प्रयास करूंगा।
• विनोद भरे स्वर में बोले क्योंकि अब मैं यह जान गया हूं कि तुम केवल मेरी संगिनी ही नहीं मेरी सच्ची दोस्त , सलाहकार भी हो।
• उसके लिए मैं तुम्हें धन्यवाद देता हूं । आगे झुक कर सर एवं हाथों को झुका दिया।
• सतीश की इस हरकत से वह बच्चों की तरह
• खिल खिला कर हस पडी।आप और ये सब? नही हो सकेगा आप से ।
• चैलेंज.. .." लगी शर्त"
• "डन'
• 'डन'
• इतना कहकर सतीश ने सना को जोर से बाहों में भींच लिया ।शर्मा कर सना ने उसके सीने में मुंह छुपा लिया।
• सना के ओठों पर अपने ओठोंरखते कहा--
" शुरू करते हैं हम दोनों अपनी नई जिंदगी।"
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।। तारा गुप्ता।।