ये कहानी हमारे राष्ट्रीय पिता श्री महात्मा गॉंधी जी की और उनके तीन बन्दरों से मिली शिक्षा की है। वे बन्दर जिनका जैसचर(बॉडी स्टाइल) हमें बहुत अच्छा ज्ञान सिखा-कर चला गया।
एक बन्दर मुँह पर हाथ रखता है। जिससे हमें ये ज्ञान मिलता है। कि "बुरा मत बोलो"।
दूसरा बन्दर अपने कानो पर हाथ रखता है, उसका मतलब ये है कि "बुरा मत सुनो"।
और तीसरा बन्दर अपनी अॉंखो पर हाथ रखता है। और इससे हमें ये शिक्षा मिलती है,कि "बुरा मत देखो"।
महात्मा गॉंधी जी सचमुच बहुत महान थे।और उनके वे तीन बन्दर बहुत ही ज़्यादा समझदार थे।
महात्मा गाँघी जी भारत के सभी लोगो से सिर्फ़ एक ही बात कहते थे कि " एकता में बहुत बल होता है "।
वो कहते थे कि जिस दिन सभी भारतीय एक हो गये तो किसी की ज़रा भी मज़ाल नही कि कोई हमें गुलाम बना सके। या फिर हमारे देश पर कब्ज़ा कर सके। लेकिन भारत के सभी लोगों को डरा-धमकाकर, बहला-फुसलाकर एक दूसरे से अलग कर रखा है, इन गोरे लोगो ने।
अब कहानी पर आता हूँ। दरअसल वो तीन बन्दर जिनका ज़िक्र मैं पहले कर चुका हूँ। कि किस तरह उनकी बॉडी स्टाइल ने हमें - बुरा मत बोलो , बुरा मत सुनो , बुरा मत देखो का ज्ञान दिया है।
पहले के लोग इन बातों पर कम ध्यान देते थे।
लेकिन आज के समय में हर व्यक्ति के अन्दर उन तीनों बन्दरो की खूबी है , उनका आसतित्व है।
पर ये खूबी , ये आसतित्व व्यक्ति के भीतर तभी होता है जब वो बहुत व्यस्त होता है.... अपने मोबाइल में।
किसी बहुत बड़े वैज्ञानिक ने मोबाइल का अविष्कार कर सभी लोगों को महात्मा गॉंधी जी का बन्दर बना दिया है।
आज के समय में मोबाइल में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। जिससे कि लोग अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने मोबाइल के साथ ही बिताते हैं।
एक समय वो था, जब इंसानों के बीच बहुत लगाव होता था , आपस में बहुत प्यार होता था। लेकिन अब मोबाइल जैसी एक छोटी-सी चीज ने वो प्यार , वो लगाव लोगों के बीच से लगभग ख़त्म ही कर दिया है।
पहले लोग एक-दूसरे की साहयता करते थे , एक-दूसरे से काफ़ी समय तक बात किया करते थे। बड़े-छोटो का आदर सम्मान करते थे।
लेकिन अब लोगों को अपने मोबाइलों से फुर्सत नही मिलती।
ये बात सही है कि समय के साथ-साथ सभी चीज़ो में बदलाव आ ही जाता है। अब इस संसार ने टेक्नोलॉज़ी के आधार पर बहुत सारी सुविधाजनक चीज़ो का अविष्कार कर लिया है। और उन चीज़ो से हमें सचमुच बहुत सुविधा मिली है।
जैसे अगर हम मोबाइल की बात करें , तो इस छोटी-सी चीज़ में बहुत सारी सुविधाऐं हैं। और आप सब भी इस बात से भली-भांति परिचित हो।
दरअसल, मैं बताना चाह रहा था कि, अगर व्यक्ति अपने मोबाइल को चला रहा होता है , उसका उपयोग कर रहा हो , तो वो बिल्कुल गॉंधी जी के वही तीन बन्दरों के जैसा हो जाता है। फिर ना तो वो किसी की सुनता है , ना वो किसी से बोलता है , और ना ही किसी को देखता है। वो फिर बस अपने मोबाइल से ही मतलब रखता है।
उन तीनो बन्दरों की खूबी उस समय हर एक व्यक्ति में होती है , जब वो अपने मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा होता है।
..
मंजीत सिंह गौहर