Jin ki Mohbbat - 3 in Hindi Horror Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | जिन की मोहब्बत - भाग...3

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जिन की मोहब्बत - भाग...3

"अब्बू ने देखा तो ज़ीनत बुखार से तप रही थीl ज़ीनत के अब्बू ने अपनी बहन को बुलाया वो पास में ही रहती हैं !
कहा "l नुरी तुम ज़ीनत का ख्याल रखना, में डॉक्टर को लेे कर अाता हूं l नूरी ने कहा l "जी भाईजान आप , फिक्र ना करे में ज़ीनत के पास ही बैठी हू ,आप जल्दी जाए...!
अब आगे।

जिन की मोहब्बत...3

"डॉक्टर साहब जल्दी चलिए मेरी बच्ची को ना जाने क्या हुआ है l वो बुखार से तप रही है।
"उसे होश भी नहीं की सुबह हुई है या रात है l
"आप फिक्र ना करे आपकी बच्ची ठीक हो जाएगी।"
"घर आकर देखा तो ज़ीनत नींद से जागी हुई हैl
डॉक्टर ने देखा बुखार बहुत ज़्यादा था ।
"उसने ठंडे पानी की पट्टियां रखने को बोला।
नूरी ने फौरन ही पट्टियां रखना शुरू कर दिया ।
"डॉक्टर साहब ने कहा l "डरने को कोई बात नहीं है नॉर्लाम सा "बुखार हैl कुछ देर में ठीक हो जाएगा l आप ये दवाई लेे कर खिला दें ।
"ज़ीनत ने अब्बू को देख कर कहा l
"अब्बू आप इतने परेशान क्यू है? में ठीक हूं l
"लेकिन मुझे रात सोते वक़्त तो ऐसा कुछ नहीं था नुरी ने बोला l
"हो जाता है फिक्र की कोई बात नहीं तुम ठीक हो अब।
"ज़ीनत के अब्बू रशीद खान ने कहाl
" नूरी तुम जाना चाहो तो घर जा कर देखलो काम पड़ा होगा तुम्हारा ।"
"ज़ीनत के पास में बैठता हूं नूरी ने कहा l
"जी भाईजान में कुछ खाने के लिए बना कर लाती हूं ।"
"तभी सबा वहां आ आई , उसने देखा कि ज़ीनत अब तक बिस्तर में है ।
"ओए.. ! क्या हुआ तुझे आज बिस्तर छोड़ ने का इरादा नहीं है क्या? चल जल्दी कर हमे चलना है ।
"रशीद खान बोले l
"बेटा आज ज़ीनत नहीं जा सकती , उसे तेज बुखार हुआ है ।
"सबा ने देखा l और कहा l "तुझे तो बुखार है तो अब में क्या करू?"
वो ज़ीनत के पास बैठ गई।
"तुम दोनों बाते करो में बाहर से अाता हूं l
रशीद खान बाहर चले गएl ज़ीनत ने पूछा l
"आज इतनी जल्दी में कहा जाना है तुझे बोल ?"
"सबा ने बताया कि आज उसे मिलने उसका होने वाला शोहर आने वाला है ।"
"उसीके लिए बाजार जाना था तेरे साथ ।"
सबा की शादी बहुत टाइम पहले ही पक्की हो चुकी थी ।
"लेकिन वो दोनो एक दूसरे से पहले कभी मिले नहीं थे
वो दुबई में जॉब करता था ।
"वो इंडिया आया था l सबा से मिलना चाहता हैl सबा ने ज़ीनत से कहा तू मेरे साथ ही रहना मुझे डर लग रहा है ।
"ज़ीनत ने कहा l
" लेकिन इस हालत में कैसे जा सकती हूं में तेरे साथ अब्बू नहीं मानेंगे ना ?
"सबा ने कहा l
"में अब्बू को मनाउंगी तू बस तयार हो जा प्लीज..!"
"ठीक है बाबा तू अब्बू को बुला , में बात करती हूं ।
"रशीद खान को सबा ने कहा l
"चच्चा जान आपको ज़ीनत बुला रही है ।"
"हा बेटा बोलो क्या बात है ?
ज़ीनत - "अब्बू सबा की ससुराल वाले आरहे है ये मुझे लेने आई है आप इजाज़त दे तो में साथ चली जाऊं ?
"बेटा तुम्हे बुखार है ऐसे में कैसे जाने दू , तुम आराम करो l"
सबा- " चच्चाजान अम्मी ने कहा था ज़ीनत को लेे आना l ओर आप फिक्र ना करे में ज़ीनत का ख्याल रखूंगी l जल्दी ही घर छोड़ जाआऊंगी ।"
"ठीक है ले जाओ लेकिन जल्दी अजाना l
" जी अब्बू में जल्दी ही लौट कर आजाउगी ।"
"सबा के घर मेहमान आएl
रफीक सबा का होने वाला शोहार भी अच्छा खासा दिखने में ठीक था ।
"ज़ीनत ओर सबा अंदर कमरे में थी l सबा की अम्मी ने आवाज़ दीl
" बेटा ज़ीनत रफीक को अंदर ले जाकर सबा से मिला दो।
ज़ीनत सामने आई ओर कहा l"आईये आपको सबा से मिलाते है l
रफीक ने ज़ीनत को देखा तो बस देखता चला गया ।
उसकी नजर ज़ीनत के चेहरे से नहीं हट रही थीl
ज़ीनत रफीक को सबा के पास ले आई lओर कहाl
" लीजिए सबा आपके होने वाले शौहर को हम आपके पास लेे आए ।"
सबा शारमाई नज़रे झुका कर बैठी थी ।
"ओर रफीक की नज़रे जैसे ज़ीनत पर आकर रुक गई l ज़ीनत ने मस्ती करते हुए कहा ।
"जनाब रफीक साहब l आपकी बेगम वहा है आप हमे ऐसे ना देखो ।"
रफीक घबरा कर नहीं नहीं ऐसी बात नहीं वो में आपकी बाते सून रहा हूं।
ज़ीनत ने हस्ते हुए सबा के पास बैठ कर कहा l
"सबा नजर उठा के देख तो लो आपके होने वाले को।"
सबा ने बात करना शुरू की ओर बताया की ये मेरी बच्चपन की दोस्त है ।
"रफीक ने कहा l
"आपकी दोस्त काफी दिलचस्प लगती है बाते भी प्यारी करती है ।
"चेहरे से तो माशाअल्लाह नूर ही नूर झलकता हैl बहुत मासूम ओर दिल की साफ लगती है।
सबा ने कहा l "हा वो है ही इतनी प्यारी ।"
ज़ीनत-" अरे अरे आप दोनो मेरी तारीफ में कसीदे पढ़ते रहोगे या अपने बारे में भी बात करोगे ?"
रफीक ने ज़ीनत को देखते हुए कहा l "आप जैसी खूबसूरत लड़की सामने बैठी हो तो फिर किसी ओर का खयाल कहां रहेगा ।
ज़ीनत ने कहा l
"ऐसा है तो लो हम चले सबा सभालो अपने होने वाले शौहर को नहीं तो वो हमे देखते रहेंगे बाद में बोलेंगे "सबा कोन थी? मेने देखा ही नहीं ज़ीनत हस्ते हुए बाहर चली गईं।"
लेकिन ज़ीनत को रफीक का अंदाज़ कुछ ठीक नहीं लगा l ज़ीनत ने सबा की अम्मी को कहा ।
"खालाजान में घर जा रही हूं मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही l आप सबा को बोल देना और ज़ीनत वहा से चली गई...!
अचानक उसका सिर भारी होने लगा.. कंधो पर बोज बढने लगा उससे वहां खडा भी न रहा गया.. l
(क्रमश:)