REGRET in Hindi Short Stories by Pranav Vishvas books and stories PDF | अफ़सोस

Featured Books
  • जंगल - भाग 12

                                   ( 12)                       ...

  • इश्क दा मारा - 26

    MLA साहब की बाते सुन कर गीतिका के घर वालों को बहुत ही गुस्सा...

  • दरिंदा - भाग - 13

    अल्पा अपने भाई मौलिक को बुलाने का सुनकर डर रही थी। तब विनोद...

  • आखेट महल - 8

    आठ घण्टा भर बीतते-बीतते फिर गौरांबर की जेब में पच्चीस रुपये...

  • द्वारावती - 75

    75                                    “मैं मेरी पुस्तकें अभी...

Categories
Share

अफ़सोस

बात उस रीयूनियन पार्टी की है जहाँ मुझे और साहिल को अपने स्कूल के दोस्तों से दोबारा मिलने का मौका मिला
हम पार्टी में पहुँचे और जैसे सभी दोस्त हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे, हम सब बहुत खुश थे। इतने सालो बाद अपने दोस्तों से दोबारा मिलकर जैसे पुरानी यादें ताज़ा हो गयी।
साहिल और उसके दोस्त ऐसे बातों में खो गए जैसे उनका बचपन दोबारा लौट आया हो । अचानक मेरी नज़र शिखा पर पड़ी, मुझे वो स्कूल के दिनों से ही पसंद नहीं थी। लेकिन सालों बाद उसको देखकर भी अच्छा लगा। लेकिन शिखा मेरे पास आई ही नहीं वो सीधा साहिल से मिलने चली गई और साहिल को गले लगा लिया । मुझे ये बिलकुल अच्छा नहीं लगा। वो साहिल के कुछ ज्यादा ही करीब आने की कोशिश कर रही थी और मेरे दिल में जैसे आग सी लग रही थी। साहिल भी उससे कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली हो रहा था, या मुझे ऐसा लगा , पता नहीं....वो दोनों आपस में काफी देर तक बात करते रहे और मेरा ध्यान कहीं और जा ही नहीं रहा था,
घर जाने का वक़्त हो गया पर दोस्तो से मिलने का सारा मजा बिगड़ चुका था मेरा मूड खराब हो चुका था और होता भी क्यो नही मेरे दिमाग में सिर्फ शिखा ही घूम रही थी
मै और साहिल कार में बैठे और घर की तरफ निकले,
क्या हुआ कुछ परेशान लग रही हो?
नहीं ....कुछ नहीं
अरे क्या हुआ बताओ तो ..!
तुम समझे नहीं? या जानबूझकर अनजान बन रहे हो ?
पार्टी में किसी ने कुछ कहा क्या?
मुझसे कौन क्या कहेगा, सारी बातें तो तुमने और शिखा ने ही की...
अच्छा तो मैडम इस बात पर नाराज़ है! शिखा हमारी सिर्फ अच्छी दोस्त है यार..
हमारी या सिर्फ तुम्हारी? देखा मैंने कैसे बातें कर रहे थे तुम उससे, मुझे तो तुम वहाँ बिलकुल भूल ही गए..
शिखा जो मिल गयी थी तुम्हे...
कैसी बातें कर रही हो, दिमाग तो ठीक है तुम्हारा?
मेरा दिमाग बिलकुल ठीक है, लेकिन शायद तुम्हारा मन नहीं था पार्टी से आने का.. जाओ वापस क्यों नहीं चले जाते.. शिखा अभी भी वहीं होगी....
तो क्या हुआ शिखा से बात कर ली तो! इतने सालो बाद सभी दोस्त मिले थे और इसमें शक़ करने जैसा क्या है? पागल हो गई हो तुम! जो ऐसा सोच रही हो..
अच्छा तो मै गलत हूँ? पार्टी में किसने किसलड़की को गले लगाया ? इतना फ्रेंडली होकर कौन बातें कर रहा था? और भी लड़के थे वहाँ लेकिन शिखा को तो तुम में ही इंटरेस्ट था न ? ये तो मैं थी तुम्हारे साथ इसलिए सिर्फ गले लगाया ...वरना तुम तो न जाने....
साहिल चीख पड़ा- अपनी बकवास बंद करो ...
अचानक से उसका ड्राइविंग से ध्यान हट गया और गाडी एक पेड़ से टकरा गई)
उस एक्सीडेंट ने दिया की ज़िदगी बदल कर रख दी..!

तभी पीछे से आवाज़ आयी

दिया..! यहाँ अकेली बैठी क्या कर रही हो?
दिया ने जल्दी से अपने आंसू पोंछे और ....नहीं कुछ नहीं बस यूँ ही..
ये क्या..! तुम रो रही हो? मै जनता हूँ मेरी उस दिन की गलती से तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी पर असर पड़ा है ..!
तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, मै ही फ़िज़ूल की बहस कर रही थी..अगर उस दिन बहस न करती तो आज ऐसे दिन न देखने पड़ते....
लेकिन मुझे तुम पर गुस्सा न करके गाड़ी चलाने पर ध्यान देना चाहिए था....उस समय अगर मैंने आपा न खोया होता तो....
नहीं साहिल गलती मेरी थी...खैर छोड़ो ..चलो अंदर चलते है...कहते हुए दिया उठी । साहिल उसका हाथ थाम अंदर ले जाने लगा
साहिल मन ही मन सोचने लगा- कभी कभी हमारी छोटी सी गलती भी हमारी ज़िन्दगी में कितना कितना बड़ा बदलाव ले आती है..
उस एक्सीडेंट ने दिया की आँखें हमेशा के लिए छीन ली.. और दिया उसके लिए खुद को कुसूरवार मान रही है....


प्रणव विश्वास