Achchaiyan - 28 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां – २८

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अच्छाईयां – २८

भाग – २८

मुस्ताक और सूरज दोनों आमने सामने थे | कुछ पल के लिए सूरज सोचने लगा की मुस्ताक बहुत कुछ जानता है मगर उससे सच का पता कैसे चलेगा ? गुलाबो के साथ डी.के. को देखकर भी कई सारे सवाल खड़े हो गए थे | डी.के. और गुलाबो क्यों साथ थे ? गुलाबो उससे साथ भी थी और उससे नफ़रत भी करती थी | मेरे पास करोडो के हीरे आये ही नहीं मगर ये सबको ये क्यूँ लग रहा है की वे अभी भी मेरे पास है..? तेजधार अचानक मेरी जिन्दगी में क्यों आया? डी.के., मुस्ताक या सुलेमान कोई न कोई मेरे बारे में सबकुछ जानते है | ये मुस्ताक भी शायद उस कहानी का अहम हिस्सा है | गुलाबो भी शायद आधा सच ही जानती थी बाकी का सच शायद मुस्ताक से पता चले...!

कोफ़ी शॉप के एक कोने में मुस्ताक और सूरज दोनों आमने सामने थे | ऐसा ही लग रहा था की दोनों एकदूसरे के मन-मस्तिष्क के साथ खेल रहे थे | मुस्ताकने सूरज को डी.के. तक ले जाना का वादा किया था, इसलिए सूरज को वो किसी भी तरह से अपने बस में करना चाहता था और सूरज मुस्ताक से जुडी सच्चाइयाँ जानना चाहता था |

सूरजने जैसे ही तेजधार का नाम दिया तो मुस्ताक कुछ कुछ सच्चाईया बयाँ करने लगा था |

मगर सूरज अपने कई सारे सवाल ढूंढ नही पाया था | इसलिए इतना कहा, ‘गुलशन और श्रीधर के प्यार को भी किसी की नजर लग गई...!!’ सूरजने इतना कहा और मुस्ताक के आँखोंमें उछलते हुए सच को परखा | सूरज को लगा की उसने ये भी सही अंदाजा लगाया था |

मुस्ताक ने सालो पहले की कुछ बाते कहना शुरू की, ‘हां... सूरज...! तुम सच कह रहे हो...!’

‘तुम गुलशन को जानते थे और शायद उससे प्यार भी करते थे...?’ सूरज अब मुस्ताक से आखरी सच तक जानना चाहता था इसलिए नइ कहानी बनाई |

मुस्ताक भी ये सुनकर चौंक गया मगर आखिर उसने सच कहना शुरू किया, ‘ हां.. ये भी सच था..| गुलशन को मैं बेपनाह महोब्बत करता था, मगर वो श्रीधर को चाहने लगी थी | उसे नजर लगी थी उसके अलग मजहब की....!’ जब मुस्ताकने इतना कहा तो सूरज के सामने सालो पहले की एक नई कहानी सामने आई |

उसने आगे कहा, ‘मैंने उसे कई बार रोकना चाहा | श्रीधर और गुलशन के मजहब अलग थे इसलिए उनका प्यार संभव नहीं था और वो समझने के लिए तैयार नहीं थी | एक दिन हम दोनों अकेले कोलेज से वापस जा रहे थे तो मैंने उसे अपने प्यार का इजहार किया | मैंने गुलशन को समजाया की सुलेमान तुम्हारे प्यार को कभी अपनाएगा नहीं | मगर उस दिन गुलशनने मेरे प्यार को ठुकरा दिया और वो मुझे दोस्त मानती है ऐसा कहकर प्यार की बाते भूल जाने को कहा | मुझे लगता था की गुलशन यदी श्रीधर से दूर नहीं होगी तो उनके लिए भी खतरा हो शकता है | मुझे श्रीधर और गुलशन पर गुस्सा आया था...! शायद वो मेरा अँधा प्यार था..!’

‘इसलिए तुमने सुलेमान का सहारा लेना शुरू किया...!’ सूरजने फिर एक नई कहानी बनाई |

‘हां.. सुलेमान भी श्रीधर और गुलशन के प्यार के बारे में जान चुका था | ’

‘मुस्ताक, वो बात तुमने ही सुलेमान को बताई थी...! तुम चाहते थे की गुलशन और श्रीधर अलग हो जाए...!’ सूरजने बड़े विश्वास के साथ कहा तो मुस्ताक कुछ देर चुप हो गया |

‘हां... मैंने ही कहा था..! मुझे पता था की सुलेमान श्रीधर को डरा के गुलशन से दूर कर देगा | और फिर गुलशन मेरी हो जायेगी...!’

‘इसलिए तुमने सुलेमान के साथ नजदिकिया बनाई और उसके धन्धेमे साथ देने लगा |’ सूरज धीरे धीरे सच के पास पहुचना चाहता था इसलिए वो गुलाबो और सरगम से हुई बातो से जोड़ रहा था |

‘मुझे भी काम की तलाश थी, सुलेमान चाहता था की इस देशमें डी.के. का नहीं मगर मेरा राज होगा | वो उससे आगे निकलना चाहता था | मगर तुम कुछ ही दिन हुए यहाँ आये, ये सारी बाते कैसे जानते हो....?’ मुस्ताकने बीचमे सवाल किया |

‘क्यूंकि मैं केवल तेजधार से ही नहीं मगर डी.के. से भी कल रात मिला हूँ...! तुम भी डी.के. के पास गए थे...!’ सूरज धीरे धीरे अपनी बात आगे बढाने के लिए एक एक सच को पेश कर रहा था और मुस्ताक धीरे धीरे अपनी सारी बाते बता रहा था |

‘हाँ मैं गया था... और वहां वादा भी किया था की सूरज तुम्हे उनके सामने ले आऊंगा...! तुम्हारे पास जो चीज है वो उन्हें चाहिए..! मगर सुलेमान भी ये चाहता है की वो है क्या...?’’ मुस्ताक दोस्त की तरह पेश आ रहा था |

सूरज कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला, ‘मुस्ताक तेरे लिए मैं अपनी जान को दाव पे लगा दूंगा | तेरा वादा मैं निभाऊंगा, मैं तुम्हारे साथ आऊंगा, ये हमारी दोस्ती का वादा है | उनको जिसकी तलाश है वो उनको मिल जायेगी, मगर मुझे जो सजा हुई उसका जिम्मेदार कौन था ? तेजधार क्या जानता है ? सुलेमान और डी.के दुश्मन कैसे बने ?’ सूरज अब कई सारे आखरी सच जानता चाहता था |

‘ये तेजधार और डी.के. दोनों की दुश्मनी हुई पैसे की वजह से..! सुलेमान पहले डी.के. के लिए काम करता था मगर अब वो डी.के. से भी आगे निकलना चाहता है | मगर तेरे पास ऐसा क्या है जो सारे लोग तुम्हे ढूँढने लगे है ?’ मुस्ताक अब सूरज से कुछ बाते जानना चाहता था |

‘यदी मुस्ताक तुम मेरा साथ दो तो वे जो करोडो का माल है वो अभी भी हमारा हो शकता है और यदी सुलेमान मेरी मदद करेगा तो वो काम आसान हो जाएगा | मैं समझता हूँ की तुमने जो किया था वो तुम्हारे प्यार के लिए किया था और कहा गया है की ‘ प्यार और जंग में सबकुछ जायज़ है’ | उस करोडो के हीरे के लिए मुझे तुम्हारी मदद चाहिए....?’ सूरज मुस्ताक को धीरे धीरे अपनी ओर खिंच रहा था |

‘क्या वो करोडो के हीरे है ? वो मुझे भी पता नहीं है...! अच्छा, उसके लिए मुझे क्या करना होगा...?’ मुस्ताकने सूरज को साथ देने का भरोसा दिलाया |

‘ये बताना होगा की वो ड्रग्स किसने रखा था ? क्यों रखा था? और उसके साथ एक नायब चीज जो मेरे पास थी वो किसने चुराई ? और गुंजा और श्रीधर का खून किसने किया ?’ सूरजने एक साथ इतने सारे प्रश्न किये की मुस्ताक खड़ा हो गया |

‘खून...? . गुलशन और श्रीधर का....?? ये तुम क्या कह रहे हो ? वो एक्सीडेंट था !’ मुस्ताक सूरज के आखरी सवाल पे हैरान हो गया था |

‘देख मुस्ताक, ये तु अच्छी तरह से जानता है की क्या हुआ था... सुलेमान ने वो पोस्टमोर्टम रिपोर्ट बदलने के लिए पैसे लिए थे |’ सूरज मुस्ताक को अब अपने वश में कर रहा था |

सुलेमान.... खून.... पोस्टमोर्टम रिपोर्ट... ये सब बात सुनकर मुस्ताक बैठ गया और उसको लगा की अब सूरज को सारी बात बतानी होगी... मगर मुस्ताक कुछ मिनीटो के लिए रुक गया, सूरज को लगा की शायद अब मुस्ताक आगे कुछ कहना नहीं चाहता |

मगर कुछदेर बाद उसने इतना कहा, ‘ देख, सूरज..! तु आज भी मेरा दोस्त है | हमारी कोई दुश्मनी नहीं थी | तुझे उस गुन्हा की सजा मीली थी जो तुमने किया ही नहीं था | मैं ईतना यकीन से कहता हूँ की उस रात वो ड्रग्स मैंने नहीं रखा था...! मुझे पता था की हमारे साथ ड्रग्स आनेवाला है मगर...!!’ उसी वक्त सरगम उधर आई तो दोनों चुप हो गए |

सरगम आते ही बोली, ‘उधर कोलेज में सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है और तुम यहाँ कोफीशॉप में मजा ले रहे हो |’ सरगम के आते ही मुस्ताकने अपने होठ पर आई बात वापस निगल ली |

‘हां... मैं कोलेज में जा रहा हूँ .. तुम दोनों... कोफी का मजा ले लो....!’ मुस्ताक इतना कहकर जल्दी से निकल गया | सरगम को लगा की मुस्ताक उसको सूरज के साथ कुछ्देर अकेला छोड़ना चाहता है इसलिए उसके ऐसे रवैये पे हंस पडी और सूरज के सामने बैठ गई | सूरज को सरगम को ऐसे आते हुए देख के अच्छा नहीं लगा और शायद मौका देखकर मुस्ताक वहां से निकल गया |

‘आज सालो बाद हम अकेले में कोफीशॉप में मिले है ...! तुम्हे पता है की तुमने यहाँ पर एक गीत लिखा था और हमने उसकी धून बनाई थी...!’ सरगम कुछ रोमांटिक हो गई थी |

‘तुम मुस्ताक के बारे में क्या जानती हो...?’ सूरजने सरगम के रोमांस के मुड को ध्यान न देते हुए तहकीकात शुरू की |

सरगम कुछदेर सोचती रही फिर बोली, ‘अच्छा लड़का है.... अच्छा बजाता है...! तुम्हारे जाने के बाद वो ही था जो तुम्हारे बारे में कई बार मुझे सवाल करने आता था !’

सूरजने बिच में रोका और कहा, ‘तुम कुछ गुलशन और उसके रिलेशन के बारे में जानती थी ?’

सरगमने याद किया और कहा, ‘अरे हां...! वो गुलशन से प्यार भी करता था | एकदिन गुलशनने मुझे बताया था की मुस्ताकने उसे प्यार का इजहार किया था | मैंने तो बोला था की वो अच्छा लड़का है |मैंने कहा था की तु भी हा कर दे, मगर उस दिन गुलशनने कहा था की मैं किसी और को प्यार करती हूँ....! मैंने काफीबार पूछा था की तुम किसको प्यार करती हो ? मगर उसने मुझे जवाब नहीं दिया था, शायद उसवक्त वो मुझे बताना नहीं चाहती थी | वो श्रीधर ही था वो तो कुछ महीनो के बाद पता चला |’ सरगमने भी मुस्ताक की कुछ अनकही बाते सुनाई तो सूरज को यकीन हो गया की मुस्ताक सही कह रहा था |

‘तो ये बात अबतक मुझे क्यों नहीं बताई ?’ सूरज सरगम की ओर देख के बोला |

‘मुझे लगा की बादमे बताउंगी... और ये बात मैंने सीरियसली नहीं ली थी | मगर क्या हुआ...?’ सरगम को लगा की शायद ये बात सूरज के लिए अहेम थी |

‘कोई बात नहीं... ये तो मैंने इतने सालो तक अपने किसी दोस्त के बारे में जाना नहीं था इसलिए पूछ रहा था |’ सूरजने मूड को बदल दिया |

‘तो चले...!’ सरगमने उसे कोलेज जाने को ईशारा किया |

‘सरगम.... कुछ दिनों तक शायद मुझे कही जाना होगा... तुम कोलेज में ध्यान देना |’ सूरज कुछ सोचमें डूबा था |

सरगमने सूरज का हाथ थामा और कहा, ‘मुझे लगता है की तुम कुछ उलझन में हो...!’

सूरजने गहरी सांस ली और कहा, ‘हां.. मुझे अभी मेरी जिन्दगी की कई सारे सच जानने है...!’

‘मैं हरपल तुम्हारे साथ हूँ ...!’ सरगम भी सूरज को समझ रही थी |

‘और मैं भी....! सूरज मैं भी अब तुम्हे अकेला नहीं छोड़नेवाली...!’ झिलमिल भी अब वहां आ गई और उसने भी सूरज और सरगम के हाथो में अपना हाथ रखकर बोली |

झिलमिल को ऐसे सूरज का हाथ थामे हुए देख के सरगम को अच्छा नहीं लगा मगर ये उन सबकी गहरी दोस्ती थी जो एकदूसरे को हरदम साथ रहेना का विश्वास बयाँ करते थे |

‘तुम दोनों कोलेज जाओ... हमारी कोलेज इसबार भी पूरे वर्ल्ड में अव्वल आनेवाली है ये हमारा विश्वास है |’ सूरजने दोनों को भरोसा दिया और उनके कदम कोलेज की ओर चल पड़े | कोलेज के गेट पे ही सूरज रुक गया और बोला, ‘तुम सबका होंसला बढ़ाते रहो... मुझे कुछ काम है, मैं शाम को मिलूँगा |’

‘कहाँ जा रहे हो...?’ सरगम और झिलमिल दोनोंने एक साथ एक ही प्रश्न पूछा | मगर उसवक्त सूरज दोनों से दूर जा चुका था |

क्रमश: .......