Jin ki Mohbbat - 1 in Hindi Horror Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | जिन की मोहब्बत... - भाग 1

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जिन की मोहब्बत... - भाग 1


मेरी कहानियों को सरहने के लिए आप सबका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आप सबने मेरी कहानियां पसंद की !
मेरी इस कहानी को भी आप सबकी सहियोग की जरूरत है मेरा ऐसा ही साहस बढ़ते रहिये शुक्रिया...!



7 साल की ज़ीनत निहायती खूबसूरत उसकी बड़ी बड़ी आंखें चेहरे से जैसे नूर बरसता हो..!
"खुदा ने बहुत फुरसत से ज़ीनत को बनाया था इतनीे छोटी उमर में भी लोग उसे देखते ही रहे जाते थे..!
वो अपने अब्बू की एक ही बेटी थी मां उसे जन्म देते वक़्त दुनिया से रुखसत हो गई थी उसके अब्बू ने अकेले ही ज़ीनत की परवरिश की..!
"ओर बहुत प्यार से पाला ज़ीनत स्कूल अकेले ही आती जाती थी..!
"पास में स्कूल होने की वजह से उसके अब्बू को ज़्यादा फिक्र नहीं रहती थी ज़ीनत स्कूल से आते वक़्त बरगद के पेड़ के नीचे रोज़ झूला झूलने रूक जाती..!
"सब जानते थे कि ये रोज़ की आदत है ज़ीनत की ज़ीनत काफी देर देर तक उस झूले पर झूलती रहती..!
"कुछ ही दूरी पर वहा एक खंडहर था ! वहा कोई आता जाता नहीं था ज़ीनत का जब मन भरता तब घर जाती..!
"स्कूल की छुट्टी वाले दिन उसका वक़्त उसी पेड़ के नीचे गुजरता..!
" ज़ीनत अपनी सभी दोस्तों को लेकर वहीं खेलने जाती थी उसे वहा अच्छा लगता था..!
"धीरे धीरे वक़्त गुजरता गया और ज़ीनत ने बड़े होते होते जवानी की देहलीज पर कदम रखा ..!
"उसकी खूबसूरती और ज़्यादा निखरती जा रही थी उसका जिस्म जैसे किसी ने अपने हाथो से तराशा हो..!
"दिन पे दिन वो लोगो के दिलो पर क़यामत ढा रही..! लोग उसकी खूबसूरती के ऐसे दीवाने थे कि उसकी शान में कहा जाता था ज़ीनत पूरे गांव की ज़ीनत है ऐसा लगता है जैसे खुदा ने हुर को ज़मीं पर उतार दिया हो..!
" लेकिन ज़ीनत सादगी में लिपटी हुई अल्लाह की इबादत में रहने वाली अल्लाह की नेक बंदी थी जिसे अपनी खूबसूरती का कोई घमंड नही था..!
"वो ओर लड़कियों की तरह सजना संवरना पसंद नहीं करती सादगी में रहना उसे पसंद था ओर उसकी यही सादगी लोगो के साथ ना दिखने वाली हवाओं को भी बहुत पसंद थी..?
"जिससे ज़ीनत अभी अनजान थी ज़ीनत ने 12 वीं क्लास के बाद अपनी पढाई छोड़ दी..!
"उसे घर के काम ओर अल्लाह की इबादत के सिवा वहीं पेड़ के नीचे झूला झूलना आज भी पसंद था वो आज भी हर रोज़ वहा जाती..!
"उसकी सहेलियों के साथ एक दिन अचानक से ज़ीनत को ऐसा लगा जैसे दूर खड़े उसे कोई देख रहा हो..?
"उसने अपनी बचपन की दोस्त को बोला "देख वहा कोई खड़ा हमे देख रहा है ,उसकी सहेली सबा ने पीछे मुड़ कर देखाl वहा कोई नहीं था..!
" सबा ने कहाl
" वहा कोई नहीं है तू बस झूला झूल फिर घर भी जाना है..!
"ज़ीनत ने सोचा शायद ये मेरा वहेम है ज़ीनत ने उस तरफ फिर ध्यान नहीं दिया l सबा ज़ीनत को लेे कर घर आ गई !
"सबा ओर ज़ीनत घर आई ज़ीनत अपने काम में और अपनी इबादत में लग गई उसकी शादी के लिए रिश्ते आना शुरू हो...!
"गए कुछ दिन में ज़ीनत की मामू की बेटी उसके लिए एक अच्छा रिश्ता लाने वाली थी...!
"ज़ीनत की फोटो देख कर लड़के ने कहा अम्मी ज़ीनत के घर जल्दी रिश्ता लेे जाओ...!

क्रमशः