जंग ए ज़िंदगी 11
वीर डाकू रानी को होश में लाने का प्रयत्न करने लगा डाकू रानी को बहुत हीलाया फिर पानी लेकर आया और मुंह पर छिड़का उससे भी डाकू रानी होश में नहीं आई फिर उसने एक पेड़ की पतीली अपने हाथों से घसीटकरडाकू रानी के मुंह पर रखी फिर भी कुछ नहीं हुआ फिर उसने पानी लिया पेड़ की पत्ती ली चट्टान पर मिश्रण किया और फिर डाकू रानी के हाथ और पैर में लगाने लगा फिर भी कुछ असर नहीं हुआ
दूसरी ओर नरोत्तम के साथी के साथी को पता चल गया वह परिवेश बदलकर आने वाला इंसान और कोई नहीं लेकिन वीर था उसने तुरंत ही नरोत्तम को बताया कि वह आने वाला इंसान भगोड़े परम चंद्र का बेटा वीर चंद्र था नरोत्तम ने सरदार वीरप्पन को भड़काने के लिए तुरंत ही यह समाचार खुद जाकर दिए
कहा सरदार वीरप्पन आप को नुकसान पहुंचाने के लिए परम चंद्र का बेटा भी वीर चंदआया था लेकिन मेरे साथियों ने उसे भगा दिया तभी सरदार भी बहुत गुस्से हुआ और
कहने लगा वह भगोड़े परम चंद्र का बेटा फिर वीरचन्द्र क्या कर लेगा अगर वह मेरे पास आया तो मैं खुद अपनी तलवार से उसका क़त्ल कर दूंगा और उसके बाप को बताऊंगा कि देख लो सरदार वीरप्पन से गद्दारी करने का नतीजा अपने बेटे की जान देकर भुगतना पड़ा
दूसरी ओर डाकू रानी के बापू सा और मंत्री जगजीत सिंह परेशान हो गए वीर डाकू रानी को लेकर कहां चला गया शायद वह डाकू रानी को लेकर भाग तो नहीं गया या फिर उसका कत्ल कर दिया या फिर उसे मार कर फेंक दिया है या पानी में फेंक दिया हो अभी तक डाकू रानी को तैरना नहीं आता है उसके साथी इधर-उधर ढूंढने लगे जगजीत सिंह और बापू की डाकू रानी को ढूंढने लगे
फिर एक सिपाही आकर बताया मंत्री जी डाकू रानी को कुछ नहीं हुआ है वह बेहोश हो गई है इसीलिए वीर से होश में लाने का प्रयत्न कर रहा है सामने वाले तालाब के तट पर दोनों है चलिए फिर दोनों वहां चलते हैं तो बापू और मंत्री जगदीश जी ने वह जो देखा वह अविस्मरणीय आश्चर्यजनक है
उसने देखा कि वीर डाकू रानी को होश में लाने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहा है लेकिन कुछ हो नहीं रहा है फिर दोनों अपने घोड़े से उतर कर मंत्री जगजीत सिंह और बापू दोनों डाकू रानी के पास आए और
बापू बोले वीर तुमने डाकू रानी को होश में लाने के लिए जो करना था वह कर दिया अब तुम थोड़ी देर रुक जाओ तुमने जो पत्ती लगाई है वह दवाइयां सही है लेकिन उसका असर कुछ देर बाद होता है तब भी
मंत्री जगदीश जी बोले राजा ठीक कह रहे हैं फिर तुमने जो पत्ती लगाई है इसका आसर कुछ देर बाद होगा वीर रुक गया सब इंतजार करने लगे थोड़ी देर में ही डाकू रानी को होश आ गया और वह धीरे धीरे से हलन चलन करने लगी और आंख मीच कर ही बोली
वीर में सब नहीं देख सकती हूं यहां से ले चलो मैं सब कुछ नहीं देख सकती हूं मेहरबानी करके तुम मुझे यहां से मुझे ले चलो तभी वीर उठकर डाकू रानी को अपनी गोद में लिया और डाकू रानी मैं यही हूं तुम बिल्कुल ठीक हो अपनी आंखें खोलो तुम्हारे बाबपु और मंत्री जगजीतसीह भी तुम्हारे पास है फिर डाकू रानी ने आंखें खोली उसने देखा तो वह वीर की गोद में है वह तुरंत ही उठ गई और बोली काका बापु।
तब जगदीश बोले तुम ठीक हो अब हम अपने घर चलते हैं बापू ने कहा चलो तुम अब बिल्कुल ठीक हो ठीक है चलो
अपने घर आकर डाकू रानी बोली बापू काका हम पलट साम्राज्य पर हमला करने की तैयारी करते हैं तब भी
बापू बोले बेटा हमारी गिनती बहुत कम है हम ऐसा नहीं कर सकते हमला करने की तैयारी करते हैं तब भी बापू बोले बेटा हमारी गिनती बहुत कम है हम ऐसा नहीं कर सकते हैं तभी
परम चंद्र बोले डाकू रानी तुम्हारे पिता बापू सच कहते हैं हमारी गिनती बहुत कम है हम 500 है और वह लोग 5,000 है 500 में और 5,000 में बहुत अंतर होता है जब हमारी गिनती 3000 हो जाए तब ही हम अपना अपनी ओर से हमला कर सकते हैं
तभी एक सैनिक आया और कहां पलट साम्राज्य की कुछ प्रजा डाकू रानी से मिलना चाहती है या डाकुरानी ने कहा ठीक है आने दो डाकू रानी ने देखा तो 10 /15 लोग उसे मिलने के लिए पलट साम्राज्य से आए हैं
डाकू रानी ने कहा बोलो क्या काम है आप लोग यहां क्यों आए हैं अगर सरदार वीरप्पन को पता चल जाएगा तो वह आप सब को मार डालेगा या नरोत्तम मरवा देगा तब उन लोगों में से
एक आदमी बोला अगर हमारी जान भी चली जाए तो भी हमें कोई फिक्र नहीं है लेकिन हम अपने बच्चे अपनी पत्नियां अपने मां बाप को बचाना चाहते हैं और इसीलिए हम आपसे मदद लेने के लिए यहां आए हैं तब डाकू रानी बोली कौन सी मदद
दूसरा आदमी बोला हम आपके साथ रहकर सरदार वीरप्पन की विरुद्ध लड़ना चाहते हैं और हम अपने पलट साम्राज्य को सरदार वीरप्पन की चुंगल से बचाना चाहते हैं यह तभी हो सकता है जब आप हमारा साथ दे और हम आपका साथ दे हम इतने लोग नहीं हैं तकरीबन हम हजार लोग हैं जो आपके साथ जुड़ना चाहते हैं लेकिन हम 10/ 15 लोग ही आपसे मिलने आए हैं आप की परवानगी लेनी जरूरी है और
आपकी जैसी डाकू रानी और एक प्रभावशाली राजकुमारी ही पलट साम्राज्य को बचा सकती है आपने आप का राज महल छोड़ा केवल डाकुओं को इस धरती से हटाने के लिए जो राजकुमारी इतना बड़ा सोच सकती है वह हमारे लिए सब कुछ कर सकती है और इसीलिए हम आपकी मदद लेने यहां आए हैं अगर आप हमारी मदद कर सके तो हम आपके ऋणी हो जाएंगे और इसमें हमारी कोई चाल नहीं है बस हमारा स्वार्थ इतना है कि हम आपको आगे रखना चाहते हैं और हमारे पलट साम्राज्य को बचाना चाहते हैं
तभी बापू बोले अगर गद्दारी की तो हम से बुरा कोई नहीं होगा तभी एक और आदमी बोला जिस लोगों के पत्नियां पत्नी बेज्जत हो बच्चे भिखारी बन चुके हो मां बाप सेवक बन गए हो वह आदमी आप से गद्दारी कैसे कर सकता है
तब भी परम चंद्र बोला यह लोग सच कह रहे हैं यही इन लोगों की विडंबना है ये लोग को में जानता हु और हमारे साथ यह लोग गद्दारी नहीं कर सकते हैं तभी
वीर भी बोला यह सच कह रहा है बापू हमें इन लोगों पर विश्वास करना चाहिए और इन लोगों को उसकी बात साबित करने का मौका भी देना चाहिए तभी
जगजीतसिंह बोले ठीक है अगर यह साबित कर पाई है कि यह लोग गद्दार नहीं है तो हम इसके साथ है तभी
बापू बोले हां यही सही रहेगा और
।डाकू रानी बोली अब यहां की सभी निर्णय में करूंगी वीर यहां मेरा डाकू सिहासन लगा दो जैसे राज महल में महाराजा निर्णय करते हैं वैसे ही हम अपने डाकू सिहासन पर बैठकर सभी निर्णय लेंगे और इस निर्णय में ना मंत्री जी जगजीत सिंह कोई निर्णय लेंगे ना बापु।
हम खुद सब करेंगे ।हम सिर्फ इन दो लोगों से सलाह लेंगे आखरी निर्णय हमारा होगा
वीर ने कहा ठीक है हम आप का सिहासन तैयार करवाते हैं और फिर डाकू रानी अपने कक्ष में चली गई