Achchaiyan - 26 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां - २६ 

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अच्छाईयां - २६ 

भाग – २६

सूरज जैसे जैसे गुलाबो की बाते सुनता गया वैसे वैसे कुछ कडीयाँ जोड़ने लगा | ये डी.के जो सालो से हमारे देशमें ड्रग्स भेजता है और इसके लिए वो देशविदेशमें घूमनेवाले आर्टिस्ट को ज्यादा पसंद करता है | उसके जरिए वो आसानीसे ड्रग्स को सप्लाई कर पाता था | सालो पहले ऐसे ही वो सूरज फंस गया था | उस वक्त मुस्ताकने डी. के वो मदद की थी और शायद वो ही था जिसने म्युझिकल इंस्ट्रूमेंटमें ड्रग्स के पेकेट रख दिए थे | उनका पूरा नेटवर्क काम करता था | उस देश की कस्टम पुलिस से ले के इस देशमे भी वो पैसे से काम करवा ले ते थे |

‘वो कहानी तो सालो पहले ख़त्म हो गई...! मैंने उसकी सजा भी काट ली, फीर भी ये ,मेरे पीछे क्यों है ?’ सूरज अभी भी नहीं समझ पाया था |

‘वो ड्रग्स तो उसने तुम्हारी सजा के कुछ महीनो के बाद अपने कब्जे में कर लिया था | मगर उससे जुडी एक बात अभी भी है जो तुम्हारा पीछा करने में उसको मजबूर कर रही है...!!’ गुलाबोने कहाँ |

‘वो क्या है ?’ सूरज ये भी जानना चाहता था |

‘करोडो के हीरे...!!! जो उस ड्रग्स के साथ ही थे |’ गुलाबोने जब ये कहा तो सूरज खुद चौंक गया |

‘हीरे ..? मेरे पास कहाँ है हीरे...?’ सूरज जब ये बोल रहा था तभी डी.के. निंदमें कुछ बडबडाने लगा और तभी गुलाबोने सूरज को चुप रहेना का ईशारा किया और दूसरे कोने मे धकेला |

सूरजने देखा की गुलाबो सूरज को उसकी नजर से बचाना चाहती है | उस कोनेमे धकेलते वक्त खुद गुलाबो भी सूरज को चिपक गई थी | गुलाबो के बदन की खुश्बू बेहद नशीली थी | वो पल सूरज को लगा की ये गुलाबो जो कुछ देर पहले उस स्मगलर की बांहों में थी और अभी खुद की बांहों में चिपक गई थी |

‘क्या ईरादा है ?’सूरज गुलाबो को ऐसे चिपक के खडी रही तो कहा |

‘तुम्हे बचाने का...!’

‘बचाने का या फंसाने का...?’ सूरजने भी तुरंत ऐसे जवाब दिया तो गुलाबो दूर हो गई |

‘तुम्हे फंसाना है तो आज भी फंसा शकती हु |’ गुलाबोने तुरंत जवाब दिया तो सूरज समझ गया की गुलाबो सच कह रही थी |

कुछ पल के लिए दोनों खामोश हो गए | सूरजने दोनों के बिच की खामोशी दूर करने के लिए पूछा, ‘मुझे सच में नहीं पता उस हीरे के बारे में....!’

गुलाबो भी मान चुकी थी की सूरज नहीं जानता है मगर ये डी.के को ये समझाना मुश्किल है इसलिए बोली, ‘ये लोग पैसे के लिए कुछ भी कर शकते है | सालो पहले उन्होंने ड्रग्स के साथ हीरे भी भेजे थे और उसकी किंमत आज बाजार में इतनी है जिसने भी उसे संभाल के रखा होगा वो दुनिया का सबसे अमीर आदमी बन शकता है | यानी तुम समझ शकते होगे की ये अभी तक तुम्हारे पीछे क्यों लगा है...?’

सूरज को याद आया की जब वो जेल से निकला तो यही आदमी मुझे बारबार यही पूछ रहा था की, ‘ वो चीज हमें दे दो... तुम्हे हम छोड़ देंगे |’ यानी वो चीज ये हीरे थे |

‘मगर ये किसको पता होगा ?’ सूरज खुद उलझन में था |

‘ये तुम्हारे लिए इसलिए जानना जरुरी है... वरना ये डी.के. तुम्हारी जिन्दगी मौत से भी बदतर कर देगा |’ गुलाबो शायद डर रही थी या सूरज को चेतावनी दे रही थी |

सूरजने शायद उसको नजरअंदाज किया और कहा, ‘ये क्या लगता है तुम्हारा...? और वो तुम्हारे शरीर से ऐसे खेल रहा था की....!!’ सूरज के ये शब्द निकलते ही गुलाबोने अपने हाथ उसके होठो पे रख दिए, शायद वो आगे सुनना नहीं चाहती थी |

कुछदेर के बाद वो खुद को संभालते हुए बोली, ‘हमारी ये दुनिया तुम तो जानते हो | हमारा कीसी भी मर्द के साथ एक ही नाता होता है... और वो तुम अभी सोच रहे हो...!’ गुलाबो शायद नाराज थी |

‘आज मुझे अच्छा नहीं लगा तुम्हे ऐसे देखके...!’ सूरजने सच कहा तो गुलाबो उसकी आंखोमे देखने लगी |

‘यही तेरी अच्छाई और सच्चाई मुझे पसंद आ गई है... तेरे अन्दर भी कुछ जलन तो हुई जैसे मुझे तुम्हे और सरगम के साथ देख के होती थी |’ गुलाबोने भी ऐसे कहा की सूरज देखता रह गया |

वो फिर आगे बोली, ‘तुम टेंसन मत लो... मेरी माँ भी इसी दुनिया में थी और मुझे अभी तक नहीं पता चला की मेरे पिताजी कौन है ? हमारे साथ हरवक्त सौदा होता है... मेरी माँने भी एक सौदा किया था.....!! मुझे इस दुनिया से दूर रखने का....! मगर इन मर्दोंने मेरी माँ की जवानी ख़त्म कर दी फिर मुझे भी...!!’ गुलाबो अब आगे कुछ नहीं बोल पाई |

सूरजने गुलाबो को बांहोंमें लिया और उसके आंसू पोंछे और कहा, ‘कुछ दिन के बाद मैं तुम्हे यहाँ से ले जाऊँगा और याद रखना की कोई भी सौदा नहीं करूँगा ये मेरा वादा है |’

‘आज पहलीबार किसी मर्द की बांहोंने मुझे जिन्दगी देने का वादा किया है...!’ गुलाबो अब बदल चुकी थी और वो भी चिपक गई थी ऐसे प्यार के लिए जिसकी उसको सालो से तलाश थी |

‘ये इन्स्पेक्टर तेजधार भी ड्रग्स सप्लाय करता है ?’ सूरजने अपनी बात आगे चलाई |

‘वो तो एक नंबर का हरामी है... पहले वो डी. के का कुत्ता था मगर शायद अब वो सुलेमान के साथ अपना नया धंधा कर रहा है | यदि उसे पता चला के डी.के. यहाँ है तो वो पुरी फ़ौज ले के आकर इसका इनकाउंटर भी करदे ऐसा कातिल भी है | उससे तुम दूर ही रहना....!’ गुलाबो भी तेजधार को अच्छी तरह से जानती थी |

‘अब आगे के कुछ दिन कई सारी चुनौतीपूर्ण रहनेवाले है..!’ सूरजने इतना ही कहा |

‘तुम अपना ख्याल रखना...!’ गुलाबो आज दिल से सूरज के साथ थी |

‘अब मैं निकलता हूँ...!’ सूरज अब सब जान चूका था अब आगे के पहेलियाँ खुद को ही सुलझानी थी, सूरजने अपनी आखरी नजर उस डी.के. पर कर ली |

*****

सूरज बड़ी देर वापस अपने रूममें आया | वो सोचने लगा की छोटू को पुलिस से छुडाने के बाद मिलना भी नहीं हुआ, वो क्या करता होगा ? उसको भी संभालना पड़ेगा... शायद उसने कल्लू से सारी बात कही भी होगी....! कल से कोलेज में सारे दोस्त आयेंगे और अब फिर से कोलेज को आने वाली म्युझिक प्रतियोगितामें अव्वल बनाना है.... निहाल, रज्जू और झिलमिल भी आयेगी तो सबको समझाना है की वे सब कोलेज के पार्टिशिपेट स्टूडेंट्स को अच्छी तरह से तालीम दे... वे सब संगीत के मास्टर्स थे |

डी.के, अनवर, सुलेमान, तेजधार सब कोई गहरी जाल बिछा रहे है ऐसा भी लगने लगा | उस बिच मुस्ताक का नाम भी सूरज की आँखों के सामने आने लगा तो सूरज को गुस्सा भी आया | मुस्ताक भी हमारी जितने वाली टीम का हिस्सा था... ! मेरी जिन्दगी की कुछ जड़े मुस्ताक के साथ भी अभी जुडी हुई है... सूरज की आँखों की निंद तो कब की चली गई थी | वो अब खुद को अकेला महसूस कर रहा था....

कोने में पडी हुई गिटार को अपने हाथो में ली और अपना प्यारा गीत गाना शुरू किया...

‘सुखमें चलेंगे, दुखमे रुकेंगे

तेरे दिखाए रास्तो पर हम सँभलते रहेंगे,

पता है की तु, रहेगा रूबरू...

नजर न आये भले, पर है यही जरुर...

घाव भी तु, मरहम भी तु

हम तो तुझे अपना दोस्त कहते रहेंगे....

हे इश्वर,

यकी है तु पास है खड़ा,

तुजसे नहीं कोई बड़ा

तुझे क्या कहेंगे, तेरी सुनेंगे

तेरे वास्ते ही हम जीते रहेंगे...

सुखमें चलेंगे, दुखमे रुकेंगे

तेरे बताये रास्तो पर हम सँभलते रहेंगे....’

सूरज का गाना ख़त्म होते ही बहार दरवाजे पे किसीने जोर से ठोकने की आवाज आई | सूरजने घडी में देखा तो सुबह के चार बज गए थे |

सूरजने दरवाजा खोला तो बहार देख के वो हैरान हो गया, ‘इन्स्पेक्टर साब आप... सुबह... सुबह...!!’

उसने अभी भी ज्यादा पी रखी थी, वो नशे में बोल रहा था, ‘तु गया फिर साली मुझे निंद ही नहीं आई | तुझे मोबाईल देना था तो रात को ही उसका इंतजाम हो गया | एक मोबाइल की दूकान खुली थी तो छीन लिया | वो बोलता था की ये बहोत महंगा है.... कीसी फ्रूट का नाम दे रहा था ... बनाना या एपल....!!’ वो अब रूम के अन्दर आ के बैठ गया |

तेजधार लगातार बोल रहा था, ‘मैंने कहा की फोन चालु करके सिम लगा के दे...!’ वो ना बोल रहा था तो उस ******** की दूकान के चार काच फोड़ दिए... तो साले की अक्कल ठिकाने आई | फिर ये ले के तुझे देने तो तेरे पीछे पीछे आया....! मगर तु कही बहार जा रहा था... मैंने सोचा की तु वो संगीतवाली के घर जा रहा होगा... रात को मीठी मीठी बाते जो की तो अकेले रहना मुश्किल हो गया होगा.... ! मैं तो वापिस जा रहा था मगर तु तो मेरा भी बाप निकला... रात को प्यार की बाते संगीतवाली के साथ और ऐयासी उस नाचनेवाली के साथ...! साला तु एक नंबर का चालु आदमी है | मगर कोई बात नहीं अब हम जो भी करेंगे वो फिफ्टी फिफ्टी....!! तु नाचनेवाली से साथ जाना मैं उस संगीतवाली के पास जाऊँगा...!’ तेजधार अब हद से बहार जा रहा था |

सूरजने अपना गुस्सा दबा के रखा और कहा, ‘वो तो मैं....!!’ सूरज आगे कुछ कहना नहीं चाहता था |

‘तु अन्दर कहाँ खो गया मुझे पता ही नहीं चला...? वहां मुझे अनारकली मिल गई तो उसने मुझे जाने ही नहीं दिया.... साब...साब....करके सालीने बरबाद कर दिया....! फिर मैं वापिस इधर से गुजरा तो तेरा ये गाना सुनके बहार रुक गया | साला.... तु क्या बजाता है... मैं भी बजाता हूँ मगर ये डंडा....!!’ वो हंसने लगा |

तेजधारने सूरज की जेबमें मोबाइल रख दिया और कहा, ‘ अब हमारा धंधा आज से शुरू... रात को बारह बजे तुम्हे कहाँ जाना है वो कोल आ जाएगा | ध्यान रखना की मोबाइल बंध न हो वरना ये तेजधार जीतना शरीफ है उससे ज्यादा कमीना भी है |’

सूरज चुप था | तेजधार अब जा रहा था, जाते जाते इतना ही कहा, ‘रात बहुत हो गई है.... मुझे ड्यूटी पर भी जाना है तो मैं निकलता हूँ...!’ वो गया फिर सूरज अपना गुस्सा रोक नहीं पाया, ‘साले... तुझको तो जिन्दा नहीं छोडूंगा....!!’ सूरज कुछ देर पहले अपना प्यारा गीत गा रहा था मगर तेजधार के जाने के बाद उसके स्वर तेज हो गए थे |

क्रमश: .....