Mister Fattu - 2 in Hindi Love Stories by PARESH MAKWANA books and stories PDF | मिस्टर फट्टू - भाग - २

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मिस्टर फट्टू - भाग - २







लेखक, परेश मकवाना








वीर घुटनो पर वही बैठ कर रोने लगा..''में क्या करता मुस्कन में भागा नही था पर किसी से मदद के लिए गया था की कोई आये ओर तुम्हे बचा ले..लेकिन तुम हो मेरी इस कोशिश को भी मेरी निर्बलता ही मानोगी''
देर रात जब वीर उदासी में घर लौटा उसे देखते ही उसकी माँ ने कहा - " अरे वीर आ गया तु... इतनी देर क्यों लगा दी.."
वीर ने मुड के एकबार माँ की ओर देखा और फिर कुछ बोले बिना ऊपर अपने कमरे में चला गया माँ उसके पीछे दौड़ी.. "वीर..वीर खाना तो खा ले..वीर" पर वीर था कि कमरे में जा के दरवाजा अंदर से बंध कर दिया।
कुछ देर बाद उसके पापा आये और खाना लेकर उसके कमरे में गए
"वीर दरवाजा खोल.. में हु.." वीर ने दरवाजा खोला "क्या हुवा बेटा तेरी माँ बता रही थी कि तू परेशान है क्या बात है मुझे बता क्या हुवा.."
"कुछ नहीं, पापा में ठीक हु..आप जाइये.."
"बाप हु में जनता हु की तुजे कुछ हुवा है..चल बाता बात क्या है"
वीर रोने लगा..."पापा क्या करूँ कुछ समझ नही आ रहा" ओर उसने सारी बात बता दी।
"बेटा उस वक़्त तुजे मुस्कान की हेल्प करनी थी मगर तू वहां से भाग गया तेरी जगह कोई और लड़का होता तो कैसे भी कर के अपने प्यार को बचाता जो हुवा सो हुवा अब तुजे कैसे भी कर के मुस्कान का टूटा हुवा भरोसा जितना है''
''पापा में क्या करू मुझसे कुछ नही होगा''
''तुजे मुस्कान का प्यार चाहिए ना..अगर चाहिए तो कुछ ऐसा कर की उसे यकीन हो जाए की तू उसके लिए कुछ भी कर सकता है''
* * *

अक्शर प्यार में फेल होनेवाले लड़को में से कुछ कलम से दोस्ती कर के शायर बन जाते है ओर कुछ जिम जाकर बॉडी बनाने में लग जाते है वीर ने जिम जॉइन कर ली ओर सुबह शाम बॉडी बनाने में लग गया रोज सुबह उठकर जिमसूट पहने, में कान में ईयरफोन लगाए, एक हाथमे पानी की बोटल लिए वो पास ही के एक गार्डन में जॉगिंग के लिए निकलता जाता था वो गार्डन के जॉगिंग ट्रेक पर दौड़ता हुवा जा रहा था की पीछे किसी ने आवाज लगाई आवाज कुछ सुनी सी लगी अचानक ही कदम रोककर वो पीछे की ओर मुड़ा
''तुम लोग..? आज नही बचोगे..?
वो वही चार लोग थे जिन्होंने आजीडेम पार्कवाले गार्डन में मेरे साथ छेड़खानी की थी उसमे से एक जोर से हँसा..''तु ओर हमे मरेगा..उस दिन तो डर के भाग गया था..'' दूसरे ने कहा-''यार तेरा माल ना बड़ा ही प्यारा था एक दिन उसे हमारे पास छोड़ जा'' ओर दूसरे की कॉमेंट्स पर सबलोग हसने लगे..ये सुनकर वीर को बहुत गुस्सा आया उसके माथे पर गुस्से की लकीरे साफ दिखाई दे रही थी उसने अपने हाथो की मुठी बंध की ओर घुमाके सामने हस रहे एक गुंडे के गाल पर जोर से मारा की वो वही गिर पड़ा उसके मुह से खून निकलने लगा ये देखकर तीनो गुंडो ने एक साथ वीर पर वार किया वीर ने उसमे से एक को पैरो के बीच जोर से लात मारी वो बिचारा वही अपने आपको बचता गिर पड़ा..उसके दूसरे के हाथ तोड़े..चौथा थोड़ा समझदार था की मार खाने से अच्छा भागना मुनासिब समजा ओर वो अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया वीर आगे दौड़ने लगा की इतनेमे उसका दोस्त साहिल आ गया उसने आवाज दी वीर..अपने दोस्त की आवाज कोई भूल सका है भला वीर को पता चल गया किब साहिल ही है उसने कहा ''साहिल तु यहां..'' साहिल ने कहा ''वो सब छोड़ पहले बता ये लोग कोन थे ओर क्यु मार रहा था इन बिचारो को..''
वीर हँसा ''कुछ नही यार ये कुछ मामूली गुंडे थे इनका कुछ पुराना हिसाब बाकी था जो चुकता करना था''
साहिल हैरानी से-''हिसाब..? में कुछ समजा नही..''
वीर ने कहा ''छोड़ ये सब ओर बता कॉलेज कैसी चल रही है..''
''कॉलेज तो ठीकठाक चल रही है पर ये बता तु ओर मुस्कान कॉलेज क्यु नही आते..''
''क्या मुस्कान भी कॉलेज नही आती..?''
''तु ऐसा क्यु पूछ रहा है तेरे ओर मुस्कान के बीच कुछ हुवा है क्या..?''
''नही यार छोड़ ये सब वैसे भी दो दिन बाद में कॉलेज आ ही रहा हु..अभी मुजे घर जाने में देर हो रही है मिलते है''
इतना कहकर वीर गति से आगे की ओर दौड़ने लगा
* * *
दो दिन बाद सुबह उठते वो बाथरूम में घुस गया ओर टॉयलेट करते हुवे पास ही में पड़ी अपनी फेवरिट किताब पढ़ने लगा टॉयलेट में भी कोई पढ़ता है भला पर ये वीर था इनकी पढ़ाई ही इतनी उची थी वैसे कोनसी बुक पढ़ रहा था ये नही बता सकती
गर्म पानी के शावर से नहाने के बाद टॉवेल लपेटकर वो बहार आया ओर फिर आईने के पास जाकर अपनी बॉडी पर एक बढ़िया सा डीओ स्प्रे मारा जिसकी मादक महक पूरे कमरे में फेल गई..अपनी अलमारी खोली ओर माँ ने सामने रखी हुई ब्लू जीन्स पहन ली पर शर्ट चूस करने में उसने आठ दश शर्ट ओर टीशर्ट को अलमारी से बाहर बेड पर बिछा दिया फिर एक एक पहनकर खुद को आईने में देखकर ''ये जचता है..नही यार नही जचता'' ऐसे खुद से ही वर्तालाप करके निकल के फेक देता एक साइड दूसरा ट्राय करता कहता ''नही यार ये नही जचता ये तो मुस्कान को भी पसंद नही आएगा'' फिर वो भी निकालकर फेक देता आखिर उसने मेरी गिफ्ट की गई ग्रे कलर की टीशर्ट पहनी ओर ऊपर बड़े ब्लू एन्ड वाइट चेक्सवाला शर्ट पहना बटन खुले छोड़ दिए फिर एक बढ़िया सा परफ्यूम लेकर उसने कपड़ो पर छिड़क दिया आईने के सामने जाकर बालो में हेरजेल लगाकर बालो दोनों हाथो से ऊपर किया ओर फिर मुछो को ऊपर उठकर वो अपने शर्ट की बाजुए चढ़ाते हुवे नीचे की ओर चला नीचे उतरते ही उसने रामु को कह ''रामु आज कॉलेज स्कूटी नही बाइक लेकर जाऊंगा तो जाकर अभी बाइक को अच्छी तरह से चमका दे
'' रामु ने जब आंटी से बाइक की चाबी मांगी तो आंटी हैरान रह गई..उसने वीर से जाकर पूछा "तू बाइक लेकर जाएगा..''
वीर ने कहा ''हा माँ..आज बाइक लेकर कॉलेज जाऊंगा..''
"क्यु...अचानक बाइक लेकर जाने की क्या जरूरत है..रोज एक्टिवा से जाता है..''
वीर आंटी के पास गया ओर उसके गाल खींचते हुवे प्यार से बोला..''समजा करो माँ..आज मुस्कान को इम्प्रेस करना है..''
''मुस्कान को इम्प्रेस करने के लिए बाइक की क्या जरूरत है..''
वीर मुस्कुराया..''जरूरत है माँ..तू नही समझेगी..''
नास्ता खतम कर के वीर अपनी रॉयल एनफील्ड बाइक लेकर कॉलेज की ओर निकल पड़ा।
जब उसने बाइक से कॉलेज के केम्पस में एंट्री ली, तब सब देखते ही रह गए। उस वक्त मेने उसके वर्तन में काफी बदलाव देखा लगा की ये पहले वाला वीर नही है किसी फिलॉसफर को शूट करती बढ़ी हुई दाढ़ी,ताव देकर ऊपर उठाई हुई मुछे एकदम पंजाबी फ़िल्म का हीरो लग रहा था बड़ी ही फिल्मी स्टाइल से, बाइक से उतरते वक़्त उसने एक नज़र मुजे देखा उसके देखते ही मेने अपना मुह घूमा लिया दिल तो कर रहा था की सबकुछ भुलाकर दौड़कर वीर को गले लगा लु..। लेकिन उस दिन जो हुवा उसके बाद वीर पर भरोसा करने से डरती थी।

वीर अपने दोस्तो से मिलने मेरे पास आया। उसे देखते में वह से चली गई।
मेरे जाने के बाद हमारे दोस्त अजय ने कहा- '' यार लफड़ा क्या है तुम दोनों का..ना वो बताती है ना तू कुछ कहता है.. वीर उदास होकर बोला -''सोरी यार जाने दे..'' अजय की गलफ्रेंड पल्लवी बोली - ''यार कुछ तो हुवा है इन दोनों के बीच'' साहिल ने कहा '' बता यार बात क्या है मिलके देख लेते है''
वीर ने बेठ के सबकुछ बताया ''अब तुमलोग ही बतावो में क्या करू...''
साहिल- '' भाई तुजे मुस्कान की नज़रो में हीरो बनना होगा मुस्कान का भरोसा जितना होगा''
''हा...मगर कैसे वो तो मुझसे नफरत करती है''
अजय-'' एक आइडिया है मेरे पास, हम मुस्कान को उसदिन की तरह गुंडे बनकर छेड़ेंगे ओर तू हीरो की तरह आकर उसे बचायेगा''
अजय की बात पल्लवी को अच्छी नही लगी उसने कहा- ''नही वीर..अजय की बात मत मानना..''
साहिल- ''क्यु ना हम मुस्कान का जुठ मुठ का किडनेप करे ओर वीर तू हमे मारकर मुस्कान को बचा लेना''
अजय-''ये आइडिया अच्छा है..हम मुस्कान को अगवा करेंगे..''
वीर ने कहा- ''नही फ्रेंड्स ऐसे जुठमुठ के ड्रामो से में मुस्कान को धोखा नही दे सकता''
पल्लवी- ''तो वीर तू ही बता की क्या करे..''
''पता नही..'' इतना बोलकर वीर वह से चला गया।

इस ओर इन तीनो ने मिलकर हमे फिर से मिलाने के लिए कुछ करने की थान ली। आइडिया था साहिल का।
''वीर भले ही मना करे लेकिन हम दोस्त है उसके पल्लवी..उसके लिए कुछ तो सोचना ही होगा..''
साहिल-''सोचना क्या यार सोच लिया..हम कल सुबह मुस्कान का किडनेप करेंगे ओर उसे गाड़ी में उठाकर मेरे गाँव ले जाएँगे वीर आएगा अपनी मुस्कान को बचाने वो किडनैपर्स को पीटकर मुस्कान को बचाएगा मुस्कान पिछली बाते भुलाकर वीर को गले लगा लेगी..कैसा आइडिया है..''
पल्लवी-''बकवास..वीर कभी नही मानेगा इस प्लान के लिए..''
अजय-''वीर को हम बताएंगे ही नही की ये प्लान हमारा है..हम बस इतना बोलेंगे की मुस्कान को कुछ गुंडे उठाकर ले गए है..तो वो मुस्कान को बचाने जाएगा''
पल्लवी हँसी..''वीर ओर वो भी मुस्कान को बचाने जाएगा..''
साहिल-''हसो मत पल्लवी यार वीर..अब पहलेवाला वीर नही रहा अब वो मुस्कान के लिए किसी से भी लड़ सकता है..मेने खुद उन्हें फाइट करते हुए देखा है..।

TO BE CONTINUE...