Mister Fattu - 1 in Hindi Love Stories by PARESH MAKWANA books and stories PDF | मिस्टर फट्टू. - भाग - १

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मिस्टर फट्टू. - भाग - १








लेखक- परेश मकवाना



मि.फट्टू में उसे अक्सर इस नाम से ही बुलाती थीं वो था ही इतना फट्टू हर बात पर उसकी फटती, छोटी छोटी बात पर वो घबरा जाता। नाम था वीर लेकिन वीरता सिर्फ नाम मे थी व्यवहार में नही। वो एकदम सिम्पल बॉय क्या पहना है वो भी उसे नही मालूम था बड़े घर का बेटा होने के बावजूद भी कॉलेज जाता तो पुरानी सी एक्टिवा ओर कपड़ो में जो हाथ लगा वो पहनकर निकल जाता था में उसकी बेस्ट फ्रेंड थी उसकी मम्मी मुजे बहुत प्यार करती थी इसीलिए अक्सर में उसके घर जाया करती थी वो भी कभी कभी मेरे घर आ जाया करता था उससे हर चीज से डर लगता था
मुजे आज भी याद है जब में उसके घर गई थी और वो खिड़की के पास बैठकर कुछ पढ़ रहा था इतने में ही खिड़की पे एक कबूतर आकर बैठ गया अब कबूतर से क्या डरना लेकिन कबूतर ने जैसे ही अपने पंख फड़फड़ाये वो अंदर से हिल गया डर के मारे चिल्लाया - ''मम्मा प्लीज़, इस कबूतर को यहा से भगावों।''
''बेटा कबूतर ही तो है बैठने दे ना।''
मेने हसते हुवे कहा - ''आंटी वीर कबूतर से डर गया.. हा.. हा..''
''तू दांत मत दिखा ओर यहा आके भगा इसको।''
''आती हु बाबा आती हु, तुम भी ना...''
मुजे डांटते हुवे वो चिंखा ''मम्मा कबूतर के साथ इसको भी भगावों कब से खी खी कर रही है।''
"सोरी बाबा में भी जाती ह ठीक है..।''
आपको सुनकर अजीब लग रहा होगा की कोई इंसान कबूतर से भी डर सकता है। एक बार वीर मेरे घर आ रहा था की एक गली में उसने कुत्ता देख लिया तो उस फट्टू ने अपना रास्ता ही बदल लिया घर आया तो गेट पर लिखा था 'कुतो से सावधान' अब बेचारा अंदर तक तो आएगा नही मुजे कोल किया - ''सोरी मुस्कान में तेरे घर नही आ सकता थोड़ा काम आ गया है''
उस वक्त में ऊपर बालकनी में खड़ी थी मेने हसते हुवे कहा '' फट्टू बॉबी को मामा अपने साथ इलाज के लिए ले गए है डरो मत ऊपर आ जावो''
''तुम जुठ तो नही बोल रही ना..?''
''नही यार सच मे बॉबी घर मे नही है तुम आ जावो''
"तब जाकर वो ऊपर आया।

में उसे स्कूल के दिनों से जानती थी जब में नाइंथ में थी तब वो मेरी जिंदगी में आया उस वक़्त से लेकर आज तक वो मेरे साथ है कब जाने हमारी यारी प्यार में बदल गई वो भी मुजे ख्याल नही आया। मुजे लगता था कि वो फट्टू है सामने से मुजे प्रपोज़ भी नही कर पायेगा लेकिन इस बार वेलेंटाइन डे पर पूरी क्लास के सामने घुटनो पर बैठ कर उसने बड़ी फिल्मी स्टाइल से मुजे गुलाब का फूल देते हुवे प्रपोज़ किया ''मुस्कान में तुम से बहुत प्यार करता हु विल यू मेरी मी..'' में भी उससे बहुत प्यार करती थी इसलिए ना कहने का तो सवाल ही नही था मेने हा कर दी और उसने मुजे उठा के गले लगा लिया ये मोमेंट्स मेरे लाइफ की सबसे बेस्ट मोमेंट्स थी।
उसके बाद तो मिलना ही था हम मिलते रहे। कभी कोफीशोप तो कभी कॉलेज की केंटीन..,कभी क्लास तो कभी लाइब्रेरी..,कभी मोल तो कभी मल्टीप्लेक्स वो मेरे बिना कहि नही जाता जहाँ भी मुजे साथ बुला ही लेता में हमेशा उसके साथ यु ही कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती थी।
उसके पास एक बढ़िया सा रॉयल एनफील्ड बाइक था लेकिन आज तक वो उसके घरकी पार्किंग में सिर्फ दिखावट के तौर पर ढका पड़ा था..वो कॉलेज आता तो अपनी पुरानी एक्टिवा लेकर आता था में कहिबार में उससे बाइक लाने के लिए जिद करती थी पर वो यह कहकर बात को टाल देता था की ''यार बाइक से अच्छी एक्टिवा है ना..'' ये तो तब जाकर मुजे पता चला की वो अपनी बाइक चलाने से डर लगता था की कहि बाइक के चक्कर में हाथपैर ना टूट जाए..मेरी एक विश थी की उसकी बाइक के पीछे बैठकर राजकोट शहर में आधी रात को लोंगड्राइव पर निकलू..लेकिन एक वो फट्टू था की बाइक चलाने से डरता था जहाँ भी जाना हो एक्टिवा। एकदिन रात को वीर का मेसेज आया की सुबह घूमने जाएंगे
में तो सुबह तैयार होकर पंजाबी ड्रेस उसके घर पोहच गई उसके कमरे में पोहची तो वो अभी तक बेड पर सोया पड़ा था में वही बैठी ये सोचकर की अभी उठ जाएगा लेकिन वो था की उठने का नाम ही नही ले रहा था आंटी आई ओर नास्ते की प्लेट रखकर चली गई. घड़ी में साडे ग्यारह होने पर भी वो नही उठा आखिर मुजे उसपर पानी फेकना पड़ा वो अचानक कमरे में उसके ऊपर हुई बारिश को देखकर वो घबरा गया में गुस्से में चिल्लाई ''ये फट्टू उठ जाना नही है..'' उसने सामने पूछा ''कहा जाना है..'' मेंने पास में पड़ा तकिया उठाया ओर मस्ती में पूछा बताऊ कहा जाना है..वो फटाफट उठा ''हा..याद आ गया की कहा जाना है..'' तुम नीचे जावो में तैयार होकर आता हु..'' मेने कहा जल्दी आना ओर में नीचे होल में चली गई..आंटी ने नास्ता लगाया ओर नास्ता खतम किया की वो ब्लू जीन्स ओर काली टी शर्ट में नीचे आ गया.. मेने कहा ''अपने बाल तो बनावो..''
''नही यार बाल बनाने की जरूरत नही है ऐसे ही चले..''
''कहा जाएंगे..?''
''सरप्राइज़ है..तुम चलो तो सही..''
''बाइक से जाएंगे..?''
''बाइक से नही जाना यार खामखा हड़िया टूटेगी..''
''फट्टू कहि का..''
''हा... फट्टू...हैप्पी..''
* * *

हमलोग यही राजकोट के आजीडेम पार्क में मीले वह पर एक बहुत बड़ा गार्डन था जहाँ हम एक दूसरे की बाहों में बाहे डाले एक पेड़ के नीचे बैठे थे। दोपहर की नीरव शांति थी दूरदूर तक कोई भी नही दिख रहा था।इतनी शांति में उस फट्टू ने तो यहां बैठने से भी इनकार किया था की लेकिन में थी की उसे वही पर बैठने के लिए जिद की यहाँ का एकांत ही ऐसा था कि मेरे मनको भा गया।
वो कह रहा था कि ''मुस्कान तुम मुझे फट्टू कहती हो लेकिन देखना एक दिन यही फट्टू तुम्हारे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाएगा"
ओर उसकी ये बात सुनकर में हस पड़ती थी।
"तुम हस क्यों रही हो..?"
"बस युही मुजे हसी आ गई"
" में सच कह रहा हूं।"

इतने में कुछ बाइक वाले गुंडे आ कर हमारी आसपास बाइक से चक्कर लगाने लगे। हम घबरा कर खड़े हो गए
उस गुंडो में से एक ने अपनी बाइक थमाई ओर स्टाइल से उतरकर बोला -
"हाये देख साले क्या माल है" दूसरे ने बोला "भाई इस माल के तो मजे लेने का दिल कर रहा है।"
वीर ने पहली बार मेरे लिए इतने गुंडो के सामने बिना डरे आवाज उठाई -
"कोई मुस्कान के पास भी आया तो अच्छा नहीं होगा"
में पहली बार उसकी आँखों मे मेरे लिए फिक्र देख रही थी। उस पल लगा कि वीर के होते हुए मुजे कुछ नहीं हो सकता।
वीर की बात सुनकर गुंडे हसने लगे एक वीर की पास आया और उसके शर्ट की कॉलर अपनी ओर खींचते हुए बोला -
"तू बचाएगा..तू बचाएगा इसे..चल बचा..बचा.."
वीर पूरी तरह से कांपने लगा इतने में एक गुंडे ने चाकू निकाला ओर वीर को चाकू से डराया "अगर जान बचानी है तो भाग..भाग जा वरना.." इतना सुनते ही वीर वहा से अपनी जान बचाकर भागा.. में चिल्लाती रही..वीर वीर प्लीज़ रुक जा..वीर.. पर उसने एकबार भी मुड़के न देखा एक पल लगा कि ये वही इंसान हैं जो कुछ देर पहले सारी दुनिया से लड़ने की बाते कर रहा था वीर तू कायर है, डरपोक है फट्टू है में ही गलत थीं कि तुज संग जिंदगी बिताने की सोच रही थी जो आज साथ नही देता वो कल क्या देगा।

एक गुंडे ने मेरा दुप्पटा खींचा ओर दूसरे ने मुजे ध्क्का देकर धड़ाम से नीचे गिरा दिया.. प्लीज़ जाने दो मुजे..प्लीज़ छोड़ दो मुजे में हाथ जोड़ती रही लेकिन उन रक्षसो ने मेरी एक ना सुनी ये तो अच्छा हुवा की मेरी रक्षा के लिए भगवान ने किसी नेक अंकल को भेज दिया उस अंकल ने आवाज लगाई।
"ये हरामियों क्या कर रहे हो लड़की के साथ.., छोड़ दो लड़की को वरना में पुलिस को बुलाता हु"
एक अंकल के पास गया " बूढ़े क्या करेगा तु.., पुलिस को बुलायेगा.. बुला पुलिस को.. बुला..।"
उसी वक़्त अचानक ही पास से ही पुलिसजीप निकली..जिसे देखकर उन लोगो के होश उड़ गए, एक ने कहा "भाई लगता हैं सच में पुलिस आ गई भागो यहाँ से.."
ओर फटाफट वो वहाँ से अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे फटाफट बाइक स्टार्ट की ओर एक साथ सभी भाग गए।
मेने उस अंकल को कहा..- "अंकलजी आज अगर आप न होते तो..."
इतने में वीर भी आ गया
''तुम ठीक तो हो ना मुस्कान..?''
ओर वो मुजे गले लगाने के लिए दौड़ा की में चिल्ला उठी - "पास भी मत आना वीर.. आज तूने अपनी औकात दिखा ही दी..जो चार गुंडो से डर गया वो दुनिया से क्या लड़ेगा..वीर तू फट्टू है और फट्टू ही रहेगा..।
ओर वो रोते हुवे वहाँ से चली गई..
TO BE CONTINUE...