Achchaaiyan - 25 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां – २५

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अच्छाईयां – २५

भाग – २५

इन्स्पेक्टर तेजधार की हुई मुलाक़ात से सूरज एक नई उलझन में फंस चुका था | तेजधार क्या ड्रग्स का धंधा करता होगा ? उसने मुझे ही क्यों इसके लिए बात की ? वो मुझे फिरसे फंसाना तो नहीं चाहता होगा ? सरगम और मेरे बीच शायद वो खाई बन भी शकता है...! सूरज सच ही में समझ नहीं पा रहा था की ये तेजधार उसकी जिन्दगी में क्या करेगा ? हां.. उसकी नजरो से और जुबान से वो बैखोफ हो ऐसा लगने लगा था |

दूसरी और गुलाबो भी कई सारे मेरे राझ जानती है मगर वो मुझे कुछ बता नहीं रही | हर बार जब मिलने गया तभी एक नई उलझन में मुझे डाला है | वो भी ईस तेजधार को जानती होगी.... !

कल से कोलेजमे मेरे सारे दोस्त आ जायेंगे फिर तो ये गुलाबो, छोटू और ये तेजधार से कैसे मिलूंगा ? फाइनल पर्फोर्मन्स के लिए सबको साथ जुड़ना है | एक साथ कई सारे काम करने होगे... देर रात हो गई थी | सूरज को निंद नहीं आ रही थी | वो बहार निकला और खाली सड़क पे उसके कदम तेजी से चलने लगे | उसने कुछ तय करके बहार जाने का सोचा था | एक खाली टैक्सी को देखकर रोक लिया और चारोओर देख भी लिया की तेजधार शायद उसका पीछा तो नहीं कर रहां ?

इतनी देर रात को सरगम को मिलू या गुलाबो को....!! वो शायद तय कर नहीं पा रहा था |

‘कुठे जायचे आहे ?’ उस मराठी ड्राइवरने पूछा |

सूरज की जबान से तभी एक ही शब्द निकल पाया, ‘हसीनाखाना’

वो टेक्सीवाला भी इतनी देर रात को हसीनाखाने का नाम सुनते ही मुश्कुराया और बोला, ‘अब तो शायद बंद हो गया होगा ? पुलिस तो उनका भी धंधा देर रात को बंध करावा देती है |’ वो हिन्दी भी अच्छी तरह से बोल शकता था |

सूरजने उसकी बात पे कोई ध्यान नहीं दिया तो फिर अपनेआप ही चुप हो गया | पंद्रह मिनिट के बाद उसने हसीनाखाने के पास टेक्सी को रोकी और कहा, ‘एक दो पहचानवाली है... कहो तो वहा तक ले जाऊ...!!!’

सूरजने उसे कोई जवाब नहीं दिया तो वो अपना किराया ले के निकल गया | सूरजने देखा की अब यहाँ भीड़ नहीं थी | मगर कुछ कुछ नज़रे अभी भी खिड़की से बहार अपने ग्राहक को ढूंढती दिखाई दे रही थी | शायद उनको पता होगा की कई शरीफ लोग दुनिया से मुंह छीपाके देर रात को भी आते होंगे....!! कही पे संगीत तो कही से हंसी की आवाजे आ रही थी | कहीं कहीं कोने पे दारु पी के टल्ली हो के गटर के पास या जहाँ जगह मीली वहां बेहोश हुए शराबी पड़े थे |

सूरज अब गुलाबो की हवेली के सामने पहुँच चुका था | उसने देखा की गुलाबो के घर की लाईट अभी भी जल रही थी | उसके घर के आगे खड़े चौकीदार की नजरे चुराके वो पीछे चला गया और जैसे वो गुलाबो के घरमें पहले जैसे घुसता था वैसे ही आज पहुँच गया | आज गुलाबो के घर की रोशनी और खुशबू अलग ही थी | लगता था की आज की सजावट कुछ ज्यादा थी | वैसे तो गुलाबो के घरमें रात को कोई नहीं रहता था मगर आज नीचे पांच हट्टे कट्टे पहेलवान बैठे थे |

गुलाबो का रूम बंध था | सूरज खिड़की से पहले उसे देखना चाहता था | सूरजने जैसे अन्दर देखा तो कोई आदमी उसके सामने खड़ा था | उस आदमी की पीठ सूरज को दिखाई देती थी | उसका चहेरा गुलाबो की तरफ था | बहार अँधेरा था इसलिए गुलाबो सूरज को देख नहीं पाती होगी |

‘इस बार धंधा कैसा है ?’ वो गुलाबो से पूछताछ कर रहा था |

‘अच्छा है मगर इन्स्पेक्टर तेजधार दूसरी गेंग से मिलकर हमारे धंधे को चोपट करना चाहता है |’ गुलाबो भी तेजधार को पहचानती हो वैसे बोली |

‘हमारे होते हुए यहाँ कौन है जो ड्रग्स में हमारी बरोबरी करे ?’

‘वो सुलेमान जितना दिखता है इतना शरीफ नहीं है....!!’ गुलाबो शहर के कीसी धंधे के बारे में ऐसे बता रही थी जैसे सारा धंधा उससे होता हो और सामनेवाला उसका बोस हो |

वो कुछ देर हंसने लगा और बोला, ‘तुमने कहाँ से ये शराफत की बाते शीख की ? हमारे धन्धेमे कोई शरीफ नहीं होता ये अच्छे से समज लेना |’

वो कुछदेर खामोश रहा | उसने खड़े हो के सामने राखी दारु की बोतल से दो पेग बनाए और एक पैग गुलाबो को देकर बोला, ‘ उसका क्या हुआ जो काम तुम्हे सौंपा गया था उसका ?’

सूरज को लगा की वो दोनों शायद साथमें पीते होंगे और एकदूसरे को अच्छी तरह से जानते भी होंगे की एकदूसरे को क्या पसंद है ?

गुलाबोने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया मगर ‘चियर्स’ करके दोनोने वो शराब की गरमी अपने पेट में खाली कर दी |

‘हो जाएगा.... सब्र करो !!’ गुलाबोने पेग वापस रखते हुए कहा |

‘सब्र करते करते तो पांच साल चले गए... उसको उसकी नानी का दूध याद दिलाना पड़ेगा | यदी तुजसे नहीं हो रहा है तो मैं एक दिनमें उसकी जबान चीर के उसके हाथ में दे दूंगा तो वो बतायेगा की....!!’ उसका नशा बढ़ रहा था और गुस्सा भी |

‘शायद ये मेरी ही बात कर रहे है..!’ सूरज उनको सुनके सोचने लगा |

गुलाबो उसके पास आई और उसके हाथमें एक और पेग थमा के शांत रहने को बोली | वो ज्यादा पी रहा था और गुलाबो उसे ज्यादा से ज्यादा पीला रही थी | उसने गुलाबो के बदन को अपनी बांहों में बाँध के बिस्तर पे ले जाने लगा | गुलाबो उसकी बांहों में खुशी खुशी बिस्तर पे लेटने जा रही थी, सूरज को ये अच्छा नहीं लग रहा था |

वो अब दारु को छोडके गुलाबो के नशेमे खोने लगा | गुलाबो के बदन पे से वो धीरे धीरे कपडे निकाल रहा था और गुलाबो भी उसे कोई इन्कार नहीं कर रही थी |

‘साली... वैश्या.....!! वैसे तो मेरे पास शराफत की नौटंकी करती थी और इसके साथ.... ’ गुलाबो को ऐसे देखके सूरज मन ही मन उसे गाली देने लगा |

गुलाबो उसे बिस्तर पे ही और नशा करा रही थी | बिस्तर उस खिड़की से काफी दूर था इसलिए उसका चहेरा सूरज को नजर नहीं आ रहा था | वो शराब और शबाब दोनों के नशे में चूर हो रहा था | गुलाबो उसे दोनों के नशे में चकनाचूर कर रही थी | वो उसके होठ को अपने होठो से मिला भी रही थी और काफी शराब पीला भी रही थी | गुलाबो शायद ऐसा करनेमें माहिर थी | गुलाबो बड़ी होंशियारी से उसे शबाब का नशा कम दे रही थी और शराब का नशा बढ़ा रही थी | शायद गुलाबो उसे सुलाना चाहती थी और उसने बड़ी होंशीयारी से उसे सुला दिया | सूरजने अभी भी उसका चहेरा अच्छी तरह से नहीं देखा था |

जब वो सो गया तो गुलाबो क्या कर रही है वो देखने लगा | गुलाबोने उससे दूर होते हुए एक लात मारी और बोली, ‘ साले ****** मेरे बस में होता तो तुम्हे ईस ग्लास में जहर डाल के जिंदगीभर के लिए सुला देती |’ कुछ पल पहले गुलाबो की आंखोमे नशा था वही आँखे अब गुस्से से उसे देख रही थी | सूरजने देखा की औरत के कितने सारे रूप होते है ? शायद वो हमारे समझ से परे है....!

सूरज को लगा की अब वो सो गया है तो उसने धीरे से दरवाजे पे जा के खटखटाया | उसकी आवाज नीचे तक न जाए उसका ख्याल रखा | गुलाबोने जैसे दरवाजा खोला सूरज जल्दी से अन्दर घुस गया | ऐसे अचानक आये सूरज को देखकर गुलाबो समज नहीं पाई की उसे क्या कहू....? मगर जैसे सूरज उसके बिस्तर की करीब जाने लगा तो गुलाबो बीच में आई और सूरज को रोक लिया |

‘मुझे देख तो लेने दे की ये कौन है जो मेरी जुबान चीरने की बाते करता था और तुम्हे बिस्तर तक ले जाने की हिंमत रखता है...?? ’ सूरज गुस्से में था |

‘देख सूरज तुझे मैं सब बात बताउंगी.... तूम यहाँ से निकल जाओ.. इसको होंश आ गए तो यहाँ से जिन्दा वापस नहीं जाओगे...!’ गुलाबो सूरज को डरा रही थी |

‘अभी तो उसे तुम जहर पिलाने की बात कर रही थी और मुझे रोक करी हो...?’ सूरजने जैसे ही कहाँ तो गुलाबो के चहेरे की रेखाए बदल गई |

‘अच्छा... तो तूम देख रहे थे ?’ उसने हल्के स्वर में कहा |

‘ये कौन है जो तुम मुझसे बचा रही हो...!’ सूरजने आखिर गुलाबो को धक्का लगा दिया और उस बिस्तर पर लेते आदमी के पास पहुँच गया |जब उसका चहेरा देखा तो सूरज बोल उठा, ‘ ये तो....!!’

गुलाबो अब खुद कहने लगी ‘इस कुत्ते का नाम, देवराज... अंडरवर्ल्ड में डी. के. के नाम से जाना जाता है |’

‘यही तो है... जिसने मुझे....!!’

‘हां... तुमको किडनेप किया था और ये तेरे लिए ही आया है....?’ गुलाबोने आगे बताते हुए कहा | गुलाबो जैसे जैसे उसे आगे बता रही थी वैसे वैसे सूरज की आंखोमे कई गहरे राझ और उसके साथ जुडी है कई कडीयाँ जुड़ने लगी.....!!

गुलाबोने जब बीचमें मुस्ताक का नाम दिया तो सूरज हैरान हो गया....!!

क्रमश: .......