zindgi kuch haseen kuch gamgeen - 3 in Hindi Fiction Stories by Nilakshi Vashishth books and stories PDF | जिंदगी कुछ हसीं कुछ ग़मगीन - 3

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जिंदगी कुछ हसीं कुछ ग़मगीन - 3

पिछले अंक में आपने पढ़ा की कैसे इतनी मुश्किलों का सामना कर क भी कनिका का पूरा परिवार साथ खड़ा हुआ था और इसमें जिसने सबसे ज्यादा साथ दिया वो थे अंकल जी ..........अब आगे

कनिका का परिवार धीरे धीरे साडी मुश्किलें उठाकर आगे बढ़ रहा था ... धीरे धीरे उन्होंने खुद को संभालना सीख लिया था अब तक कनिका भी अपने यौवन की देहलीज़ पर कदम रख चुकी थी और ये उसे तब पता चला जब वो अपने ही टूशन में आने वाल्के एक लड़के को पसंद करने लगी / तरुण वर्मा ---- है यही नाम था उसका तरुण / वो उसके साथ उसके भौतिक विज्ञानं क टूशन में पढता था / पढ़ने में भी होशियार था और काफी स्मार्ट भी था / कनिका भी उसे मन ही मन पसनद करती थी / उसकी सहेलिया उसे तरुण का नाम ले लेकर चिढ़ाती थी ऊपर से वो गुस्सा दिखती थी पर जब उसके साथ कनिका का नाम जोड़ा जाता था तो उसे ाचा भी लगता था / कुइछ समय तक ये सब यही चलता रहा फिर अचानक एक दिन तरुण ने टूशन आना बंद कर कर दिया / कनिका को समाज नहीं आया की ऐसा अचानक क्या हुआ पर वेकुछ कर भी नहीं सकती थी क्योकि वो केवल उसका नाम ही जानती थी और कुछ भी नहीं / वो थोड़ी उदास हुई पर ये सिर्फ उसका क्रश था सोचकर भूलने लगी /

एक दिन वो और उसकी टूशन में साथ पढ़ने वाली सहेली टूशन से वापिस लौट रहे थे / अचानक कनिका को किसी ने पीछे से आवाज़ लगाई जिसे सुनकर वो थोड़ा ठिठक गयी वह उन्होंने देखा की तरुण था .../कनिका को लगा की शायद टूशन में काफी समय न आने की वजह से वो उस से पढ़ई क सील सिले में कुछ बात करना चाहता होगा / पर जब तरुण ने कनिका से खा की वो उस से अकेले में कुछ बात करना चाहता है और ये सुनकर उसकी सहेली आगे चली गयी तो वो काफी डर गयी / पर फिर भी उसने उस से बात करना ठीक समझा /

तरुण कहने लगा -------

तरुण- कनिका मैं तुम्हे पसंद करता हु जबसे टूशन छोड़ा है तबसे कही भी दिल नहीं लगता बस तुम्हारे बारे में सोचता रहता हु मैं अक्सर अपने दोस्तों से तुम्हारे बारे में पूछता हु / तुम्हारी ही वजह से मैंने टूशन भी छोड़ दिया क्योकि मैं पढ़ नहीं पा रहा था ...

एक तरफ तो कनिका को ये सब सुन कर बहुत अच्छा लग रहा था पर फिर वो बुरी तरह से डर गयी वो डर उसके चेहरे पर पसर गया .. और गुस्सा बन कर बहार निकला

कनिका - तरुण मुझे लगा तुम्हे कुछ पढ़ाई से रिलेटेड बात करनी ह पर तुम तो ये सब बोलने लगे देखो मैं इस सब में नहीं पड़ना चाहती और तुम भी इस सब से दूर रहो आज तो तुमने मुझे ये सब बोल दिया आइंदा हिम्मत भी मत करना ऐसा कुछ करने की याद रखना /// और ये बोल कर वो आगे निकल गए // और तरुण भी मुँह लटका कर अपने रस्ते चला गया // कनिका उसे हां करना चाहती थी पर अपने पापा क डर से वो कुछ और ही बोल गयी // और उनकी ये छोटी सी प्यार की दास्ताँ यही खत्म हो गयी../////

कनिका भी सब कुछ भूलकर अपने एग्जाम की तयारी में लग गयी // उसके एग्जाम शुरू हो चुके थे //

कनिका ने खूब जोर शोर से एग्जाम दिए और ७९% क साथ पास किये//

अब बरी थी ग्रेजुएशन की ------

कनिका ने साइंस स्ट्रीम से १२ की थी // और वो बीएससी करना चाहती थी //लेकिन परिवार की आर्थिक इस्तिथि को देखते हुए उसने बी.ऐ में अड्मिशन लिया और साथ ही एक स्कूल में पढ़ाने लगी////

व्हा उसकी दोस्ती नए नए लोगो से हुई सब काफी अलग था // अब उसमे भी बदलाव आ रहे थे // वो भी सुन्दर दिखने की कोशिश करती // वो इस छोटी सी नौकरी की अपनबी सक्सेस से भोत खुश थी पर उसकी ज़िंदगी इतनी आसान नहीं थी //

उसे भोत ऊंचे उड़ना था भोत दूर तक जाना था उसकी ये ख्वाहिस न जाने उसे कोण सी नयी मुसीबतो में लेकर डालने वाली थी ..... जान-ने क लिए पढ़ते रहिये

ज़िंदगी - कुछ हसीं कुछ ग़मगीन