Mithi jubaan alladin ka chirag in Hindi Motivational Stories by Ajay Kumar Awasthi books and stories PDF | मीठी जुबान अलादीन का चिराग

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मीठी जुबान अलादीन का चिराग



अपने बर्ताव से किसी का दिन खराब न करें,,,,

अक्सर देखा गया है कि बहुत से काम सिर्फ इसलिए सफल नहीं हो पाते कि टीम के सद्स्यो के बीच सही संवाद स्थापित नहीं था . उनका आपस में एक दुसरे से बर्ताव ठीक नहीं था . ख़राब बर्ताव और संवादहीनता की स्थिति में स्पष्ट विचारो का सम्प्रेषण नहीं होता , जिसके कारण बहुत से काम बनते बनते बिगड़ जाते हैं . प्रायः ऐसा भी होता है कि हम कहना कुछ और चाह रहे थे और कह कुछ और गये, जिससे अर्थ का अनर्थ हो गया. चाह रहे थे कुछ अच्छा और मिलने लगा ठीक इसके विपरीत. और यह सब इसलिए होता है कि हमारा आपसी संवाद ठीक नहीं था . सही संवाद हमारे बर्ताव का परिचायक है . बर्ताव आखिर क्या है... आँख और जुबान से किसी दूसरे के लिए निकला भाव और शब्द ही तो है.

हमारा किसी से संवाद स्थापित करने का गुण हमे सफलता की ओर ले जाने वाला पहला सशक्त माध्यम है . इसलिए अपने बर्ताव पर नजर रखें, क्योकि यही ज्यादा महत्वपूर्ण है . यदि यह महत्वपूर्ण न होता तो आज तक जितने भी महाभारत हुए हैं, उनके कारणों में बहुतों का कारण बदजुबानी और अपमान भरा बर्ताव रहा है . संवाद का वह निम्नस्तर, जिसके कारण आपस में नफरत और रंजिश बढ़ी. दूसरों को दुखी करने, चिढाने, नीचा दिखाने और अपमानित करने के लिए प्रयोग किया गया व्यवहार एक दिन लौट के उसे ही मिलता है .

इसलिए कभी अपने बर्ताव से किसी का दिन खराब न करें . कोशिश हो कि जितना बन पड़े अपनी ओर से मीठी जुबान ही दें . आपकी मधुर वाणी उसे तो शीतल करेगी ही आप भी सुकून से भर जायेंगे और यदि ऐसा कर पाने में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं तो उसमें बदलाव के लिए सबसे पहले वक्ता और श्रोता दोंनो बनने की आदत डालें . यह आदत तब बनेगी जब आप यह महसूस करें कि कोई भी व्यवहार यदि हम किसी के साथ करते हैं तो सामने वाले की ओर खुद को रखकर उस व्यवहार का खुद पर क्या असर पड़ेगा इसकी कल्पना करें . अक्सर हमारा अहंकार हमे कठोर व्यवहार के लिए प्रेरित करता है तो जब ऐसा लगे कि मेरा अहंकार मुझपर सवार होकर मेरी वाणी और संवाद की कला को प्रभावित कर रहा है, तब सोचना चाहिए ये दुनिया आखिर एक ऐसा खिलौना है जिस पर कभी किसी की रंगत चढती रही है कभी किसी की ... इस रंगत में जो मदहोश हो गया उसके गिरने की सम्भावना ज्यादा होती है .जो इस रंगत में अपने होश कायम रखता है उसकी जुबान इधर उधर फिसलती नहीं . वो संयम की छड़ी से खुद पर काबू रख लेता है . तब हालात की आंधी में गिरकर भी वो फिर से उठ जाता है .

इस पर रोचक किस्सा है., एक गरीब ने मैदान में अपना घोडा जहाँ बाँध रखा था वहीं एक अमीर भी अपने घोड़े को बाधने लगा गरीब ने उसे रोकते हुए कहा कि “हुजुर,अपने घोड़े को कही और बांधिए मेरा घोडा गुस्सैल है, वो आपके घोड़े को मार डालेगा” अमीर ने उसकी बात हंसी में उडा दी. गरीब ने बार बार चेताया पर अमीर ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया. आखिर गरीब के घोड़े ने उस अमीर के घोड़े को दांतों से काट काट कर और लाते जमा जमा कर मार डाला . यह देखकर अमीर को बहुत गुस्सा आया, वह अपने घोड़े की कीमत मांगने लगा . अमीर अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था, वह मामले को अदालत में ले गया, उसने न्यायाधीश को पूरी कहानी सुनाई पर वह गरीब द्वारा बार बार चेताय जाने की बात गोल कर गया . न्यायाधीश ने गरीब से उसका पक्ष जानना चाहा,पर वो गरीब ऐसा जताने लगा जैसे उसे न कुछ सुनाई देता है न वह कुछ बोल पाता है. उसकी हरकतें देख अमीर बौखला गया और कहने लगा “हुजुर यह मक्कार नाटक कर रहा है . अभी मैदान में तो मुझसे बोल रहा था कि अपने घोड़े को मेरे घोड़े के पास मत बांधो वरना वह उसे मार डालेगा “ उसकी बात सुनकर गरीब बोला “जी हाँ हुजुर ये सच कह रहे हैं, मैंने इन्हें चेता दिया था” . न्यायाधीश ने पुछा “फिर तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे थे ? गरीब बोला “हुजुर अगर यह बात मै बताता,तो मेरे पक्ष में गवाही कौन देता ? वहां तो कोई नहीं था . इसलिए मुझे गूंगा बहरा होने का नाटक करना पड़ा “

इस किस्से से हमे यही सीख मिलती है कि हमे कहाँ बोलना है कहाँ नहीं. हमारी वाणी पर हमारे विचारों का असर होना चाहिए , इसलिए क्यों न हम जीवन के सफ़र के हर मोड़ पर मिलने वाले हमराही के लिए प्यार भरी दुआ निकालें और सुनने की आदत डाल लें ताकि किसी खतरनाक मोड़ पर किसी की दी गयी सीख काम आ जाय . यह साश्वत सत्य है कि मीठी जुबान और चेहरे पर मुस्कान जिंदगी की बहुत सी मुश्किलों को आसान कर देती है ....

अजय अवस्थी किरण