manchaha - 8 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | मनचाहा - 8

Featured Books
  • શ્રાપિત પ્રેમ - 18

    વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે...

  • ખજાનો - 84

    જોનીની હિંમત અને બહાદુરીની દાદ આપતા સૌ કોઈ તેને થંબ બતાવી વે...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 69

    સાંવરીએ મનોમન નક્કી કરી લીધું કે, હું મારા મીતને એકલો નહીં પ...

  • નિતુ - પ્રકરણ 51

    નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું...

  • હું અને મારા અહસાસ - 108

    બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્...

Categories
Share

मनचाहा - 8


अविनाश और रवि की बातें चल रही थी तभी श्रुति वहां पर आई।
श्रुति- क्या बातें हो रही है जरा हमें भी बताएं।
रवि- कुछ नहीं बस तुम्हें कभी भी हेल्प चाहिए तो अवि से मांग लेना, बंदा हेल्प करने में माहिर हो गया है।?
श्रुति- मुझे तो हेल्प करता हीं है, क्यो तुझे नहीं करता?
अविनाश- तुझे क्या हेल्प की मैंने??
श्रुति- क्यो अपनी नोट्स नहीं देता मुझे?
अविनाश- अच्छा वो...
रवि- और क्या, कुछ दूसरा भी था?
अविनाश- तुझे पिटना है अभी? चलो अब यहां से, कुछ खाते हैं।

तीनों खाने के काउंटर पर चले गए। इधर हमने भी खानें की प्लेट लेली थी। खाना खाने के बाद हम एक जगह चेयर लेकर बैठ गए। रात के दस बजने को आए थे, मेरी आंखों में अब निंद साफ-साफ दिखाई दे रही थी। मैंने दिशा से घर जाने को कहा। उसने साढ़े दस को निकालने के लिए कहा। निंद और थकान कि वज़ह से अब मैं ज्यादा बात नहीं कर रही थी। बैठे बैठे सोच रहीं थीं कि हरबार ये बंदा ही क्यूं बार बार मेरी मूसिबत के वक्त आ जाता है, या यह सिर्फ एक इत्तफाक है? तभी,
काव्या- क्या सोच रही है पाखि?
मैं- कुछ नहीं, बस निंद आ रही है और कुछ नहीं।
काव्या- सच में..??
मैं- हां, बाबा। तुम्हें डाक्टर नहीं जासूस बनना चाहिए था।?
कुछ देर बाद मि. एंड मिस फ्रेशर का अनाउंसमेंट होना था। सब फ्रेशर्स में उत्सुकता थी कि किसका नाम आएगा। तभी अविनाश सर माइक लेकर के सेंटर में आ गए।
- good evening, dear friends. U all r invite in our family. जी हां, इस कोलेज की विशेषता यही है कि यहां सब फेमिली की तरह ही रहते हैं। यहां आए सभी नए स्टूडेंट्स का हम तहेदिल से welcome करते हैं।साथ में यह कहना चाहूंगा कि यहां हमारे सभी आदरणीय गुरुवर बहुत ही सपोर्टीव है। कभी स्टडी में कोई मुश्किल आजाएं या कुछ समझ न आए तो बिल्कुल न घबराते हमारे प्रोफेसर्स के पास जाए या हमारे पास भी आ सकते हैं। हमें भी हमारे सिनियर्स से सहकार मिला था तो हम यही सहकार आपको देने में खुशी महसूस करेंगे।
अब तक इस कोलेज की रेप्यूटेशन पर कोई दाग नहीं लगा है तो आपसे भी यही आशा है कि इस रेप्यूटेशन को बनाए रखें। यहां रेगिंग करना गुनाह है, अगर आपसे कोई रेगिंग करे तो सीधे हमारे कोलेज आफिस में शिकायत करे। और ज्यादा कुछ नहीं कहुंगा वरना आप सब बोरियत महसूस करेंगे ?। बस आप सब एक अच्छे डाक्टर बनकर कोलेज का नाम रोशन करें। जय हिन्द,जय भारत ?।
यह कहके अविनाश सर ने हमारे डीन डो. गोयल के सामने देखा। डीन सर ने "तुमने सही कहा" का इशारा कर रहे थे।

-अब मैं इस साल के मिस्टर और मिस फ्रेशर का नाम अनाउंस करुंगा। पहले अनाउंस करुंगा मिस्टर फ्रेशर का नाम, जो है... साके..त मिश्रा...।
तालियों की गूंज के साथ साकेत ने मिस्टर फ्रेशर की ट्रोफि ली।
-अब बारी है मिस फ्रेशर की, तो मेरे प्यारे भाइयों और उन भाइयों की प्यारी बहनों (आडिटोरियम में हंसी की लहर दौड़ गई) इस साल की मिस फ्रेशर है.... रीधीमा... शास्त्री...(हर बार नायिका ही नहीं बनती मिस फ्रेशर ?)

हमारे ग्रुप ने तो तालियों के साथ सिटिया भी बजाई। हम बहुत खुश थे साकेत और रीधीमा लिए। जब दोनों हमारे पास आए तो सब ने उनको बधाई दी और पार्टी की मांग भी की और दोनों मान भी गए। next Sunday पार्टी तय हुईं। धीरे-धीरे सब आडिटोरियम से निकलने लगे। साकेत और राजा कार से आए थे तो उनको काव्या, मीना और रीधीमा को होस्टल उतारने को कहां। वैसे मैंने आगे बताया नहीं कि वे तीनों होस्टल में रहती है। काव्या और मीना हरिद्वार से और रीधीमा नैनिताल से आई हैं। निशा को आज श्रुति उसके घर ड्रोप करने वाली थी क्योंकि अविनाश सर को देरी होने वाली थी कोलेज में। सब पार्किंग की ओर बढ़े, एक-दूसरे को बाय बोला और अपना वेहिकल लेकर अपने घर की तरफ निकल पड़े।

मैं और दिशा आज फिर मूसिबत में पड़े। कारण...मेरी स्कूटी... फिर आधे रास्ते पहुंचे की बंद हो गई। नीचे उतरकर दिशा को देखा.. आज मेरी बेंड बजाएंगी ये। सच में हुआ भी ऐसा, दिशा- (मूझे घूरते हुए) मैंने कहा था ये बंद हो जाएगी पर तूझे तेरी रामप्यारी पर बहुत भरोसा था, देखा अब। रात के साढ़े ग्यारह बजे कोनसा गराज खुला होगा अब। रिक्षा और टेक्सी भी कम दिख रही है वरना इसे कहीं पार्क कर घर चले जाते।
मैं- तु अपना बोलना बंद करेगी तभी न मैं सोचूं...। पिछली बार स्टार्ट हो ही गई थी। देख अभी इसे चालू करती हुं। दस मिनट तक कोशिश करने पर भी स्टार्ट नहीं हुईं। घर पर कह रखा था कि आने में बारह बज जाएंगे तो घर पहुंच ने का टेंशन कम था। मैं घर पर फोन कर हीं रही थी तभी रवि सर वहां से गुजरे। वे अपनी बाइक पर थे, हमें खडा देख बाइक को यू-टर्न देकर वापस आए।
रवि सर- any problem?
दिशा- जी वो हमारी स्कूटी बंद हो गई है और स्टार्ट भी नहीं हो रही है।
फिर रवि सर ने ट्राइ की स्कूटी को स्टार्ट करने की पर इस बार तो ये शुरू ही नहीं हो रही थी। हम सोच रहे थे कि अब घरवालों को बुला ही ले हमें ले जाने के लिए। तब तक अविनाश सर की भी एंट्री हो गई।

क्रमशः