Five days in Hindi Horror Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | पांच दिन

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पांच दिन

सड़कों पर गाड़ियों की लंबी लाइन लगी हुई था , लोग जल्दी जल्दी में अपने काम पर जा रहे था , बच्चे स्कूल जा रहे थे, किसी को इतनी फुर्सत नहीं थी कि किसी से कोई बात कर ले l शहरों में सुबह से शाम तक यही माहौल रहता है पर वरदान इस मुंबई शहर की भागदौड़ भारी ज़िन्दगी से बिल्कुल अलग था, वो मुंबई में 4 साल से अकेला रहता है, एकदम मस्त, बिंदास l सुबह के 9:30 बज गए थे, सारा सामान कमरे में फैला पड़ा था, घड़ी का अलार्म बजा जा रहा था और वरदान टांगे फैला के सो रहा था, चादर नीचे पड़ी थी तभी उसने करवट बदली और अलार्म घड़ी में हाथ लगा, घड़ी फर्श पर धड़ाम से गिरी और वरदान उठा और आँखे मसाला हुआ बाथरूम भागा और ऑफिस के लिए तैयार होने लगा वह सिर्फ आधे घंटे में तैयार होकर बाहर निकल गया l
वरदान बहुत ही मॉडर्न और खुलकर जीने वालों में से था, तीन साल से तो वह पढ़ रहा था और इसी साल एक नई जॉब लगी थी l वरदान के स्टाइल वाले अंदाज पर लड़कियां तो आसानी से फिदा हो जाती और वरदान सबकी आग भड़का कर हंस कर चला जाता l वरदान के इतना मॉडर्न होने के बावजूद वह एक बहुत नरम दिल और अच्छा इंसान था, ऑफिस में सभी उससे बहुत खुश रहते थे वरदान इस बिंदास मिजाज के कारण दोस्तों की भी गिनती नहीं थी, राह चलते उसके दोस्त बन जाते थे l दिन आराम से धीरे धीरे कटते जा रहे थे और फिर एक दिन वरदान का जन्मदिन आया, ऑफिस वालों ने बिना बताए ही उसका जन्मदिन मनाया और ढेर सारे गिफ्ट दिए वरदान ने जब घर पर सब गिफ्ट खोले तो उनमें से एक गिफ्ट ऐसा था जिस पर कोई नाम नहीं लिखा हुआ था, गिफ्ट को खोल कर देखा तो एक बच्चे की फोटो थी, उदास और खामोश बच्चा जो लगभग पांच साल का था, उसको देखकर वरदान को अजीब सा लगा लेकिन ठीक है कहकर वरदान ने उस तस्वीर को दीवार पर लटका दिया और सो गया l अगले दिन वरदान को अपने दोस्तों को पार्टी देना था तो देर रात तक सबने मिलकर खूब शराब पी, डांस किया और सब ने खूब इंजॉय किया l वरदान दोस्तों के साथ घर आ रहा था उसका एक दोस्त गाड़ी बहुत तेज़ चला रहा था, सारे दोस्त खूब हंस रहे थे और रोड पर बिल्कुल अंधेरा और सुनसान था, उस पर अचानक गाड़ी के सामने एक बच्चा आ गया गाड़ी का ब्रेक जब तक लगता तब तक बहुत देर हो चुकी थी, वरदान और उसके दोस्तों को पसीना आ रहा था, सबका नशा उतर चुका था l सबने गाड़ी से उतर कर देखा तो एक कुत्ता था, उसकी गर्दन बिल्कुल अलग हो चुकी थी, सब हैरान the की दिखा तो बच्चा था, कुत्ता मार चुका था, सबने थोड़ा चैन की साँस ली और गाड़ी मे बैठ गए लेकिन वरदान को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था, गाड़ी चल चुकी थी कि तभी वरदान की नज़र गाड़ी मे लगे साइड मिरर पे पड़ी उसने देखा कि पास में ही एक बच्चे का सिर कटा पड़ा था और आंखें खुली थी वह यह देखकर बिल्कुल डर गया उसे लगा कि कुत्ते के साथ साथ बच्चा भी खत्म हो गया क्या, वरदान ने फिर गाड़ी रूकवायी, सभी दोस्त गाड़ी से उतर गए और बच्चे की डेड बॉडी ढूंढने लगे तभी वरदान ने ध्यान से उस बच्चे के चेहरे को देखा तो उसे याद आया यह तो वही तस्वीर वाला बच्चा था, वरदान और उसके दोस्त डर कर फिर गाड़ी में बैठ के और फुल स्पीड के साथ गाड़ी चलाने लगे वरदान ने पीछे देखा तो वह कुत्ता उठ खड़ा हुआ और उधर से बच्चे का सर उठकर दोनों एक पास आए और जुड़ गए और जंगल की ओर चला गया l वरदान और उसके दोस्त भी डर के मारे ठंडे पड़े जा रहे थे कि आखिर एक कुत्ता और एक बच्चे का सिर आपस में कैसे जुड़ सकते हैं, वरदान तो यह बात सोचने में जुटा था कि तस्वीर वाला बच्चा यहां कैसे आ गया, इतनी रात सुनसान और अंधेरे में जहां कोई आदमी दूर-दूर तक नहीं था तो बच्चा कहां से आ गया और फिर अकेला उसके साथ भी तो कोई नहीं था l


वरदान यह सब सोचता रहा और रात गुज़रती रही, रात न जाने कब उसकी आंख लग गई तभी आधी रात को दरवाजा खटखटाने की आवाज आई, वरदान ने पूछा, "कौन है?" तो बाहर से आवाज आई, "बेटा, बहुत भूख लगी है कुछ खाने को तो दे दो मैंने बहुत से लोगों से मांगा पर किसी ने कुछ नहीं दिया", वरदान ने उठकर दरवाजा खोला और देखा एक बुढ़िया मुंह ढंके खड़ी थी, उसके हाथ में कटोरा था जो खाली था, वरदान ने कहा, "रुको मैं अभी कुछ लाता हूं", वरदान यूं तो बहुत घबराया हुआ था कि इतनी रात गए बुढ़िया को उसी का घर मिला था पर फिर भी कुछ खाना निकालने लगा तो उसने बुढ़िया की बहुत धीमी सी आवाज़ सुनाई पड़ी, "बेटा... पांच दिन... हाहाहा.. पांच दिनों की ही तो जिंदगी बची है तुम्हारी एक-दो दिन तुमसे और मांग लूंगी" बेचारा वरदान यह सुनकर बड़ी तेजी से चिल्लाया, "क्या.. क्या कह रही हो??? तुम क्या कर रही हो??, चली जाओ और कभी मत आना" ये कहते ही वरदान ने देखा बुढ़िया कहीं गायब हो गई l

आगे की कहानी अगले भाग मे..



कहानी पढ़ने के लिए आप सभी मित्रों का
आभार l
कृपया अपनी राय जरूर दें, आप चाहें तो मुझे मेसेज बॉक्स मे मैसेज कर सकते हैं l

?धन्यवाद् ?

? सर्वेश कुमार सक्सेना