Yrr, I can't.. you don't love me.. I think is distance ne humare relation me bhi distance la di, you take ur space 'aarav'.. love u so much my writer..!
Your aarushi
Are..! Aaru yaar, sab sahi ho jayega.. or new year ko aa raha hu na me, jo chut gya in distance me vo mil jayega...
But I know ye sirf usee rokne ke liye meri dilasa thi
Usee mere time me se time na de pana meri hatasha thi
Aarav, I don't want that u talk to me every moment, bt aarav i want that u talk to me a single moment with love, and that moment will only for me.. bt u can't give me a single moment into ur busy schedule..!
मैं:- सुन, मुझे इतनी english नही आती।
वो:- तुम्हें अभी भी मजाक लग रहा है सब..!
मैं:- नही, तुझे शांत करने की कोशिश कर रहा हूँ..!
वो:- पर ये कब तक चलेगा आरव..!
मैं:- नही पता यार..! एक बात बोलूं..? बुरा मत मानना..!
वो:- बोलो..!
मैं:- You deserve better than me...!
वो:- okk aarav, I start searching for a better option than you.
After 8 month..!
I found a new message on my whtsap with a new number.
" Hye "
Me:- Hii, who r u..?
वो:- इतनी जल्दी भूल गए...?
मैं:- भूल गए....! भूलूंगा तब जब मैं तुम्हे याद करूँगा, मैं जानता ही नही तुम्हे ..!
वो:- I found many people better than you my writer, bt I couldn't find a single person like you..!
मैं:- aaru .. I mean aarushi..?
वो:- yes, Mr aarav
मैं:- how did u miss me today..?
वो:- आप बदल गये आरव ..!
मैं:- may be ..!
वो:- आपका प्यार भी बदल गया क्या ..? इतने दिनों में ..!
मैं:- तुम्हे क्या लगता है ..?
वो:- मुझे लगता है, मेरे ही प्यार मैं कुछ कमी रह गयी थी..!
मैं:- नही, तुमने अपना 100% दिया था ..!
वो:- फिर आपका प्यार भी नही बदला ..!
मैं:- बहुत ज्यादा believe करती हो मुझ पर, इतना मत करा कर।
वो:- ये मेरा right है।
मैं:- 8 महीने दूर जाने का dicision भी सिर्फ तेरा ही right था ..?
वो:- 8 महीने 5 दिन 9 घंटे 10 मिनट।
मैं:- calculation अच्छी कर लेती हो तुम .. पर जो मैंने पूछा वो नही बताया तूने ..!
वो:- आपने ही कहा था कि I deserve better than you..!
मैं:- अच्छा तो आज मुझे बताने आयी हो तुम कि मुझसे अच्छा मिल गया तुम्हे ..!
वो:- आप जैसा नही मिला मुझे आज तक कोई ..!
मैं:- क्या करोगी मुझ जैसे का मैं ही इतना अच्छा होता तो क्यों जाती तुम 8 महीने 5 दिन 9 घंटे 10 मिनट मुझे छोड़ कर ..!
वो:- आप क्यों पुराने बाते लेकर बैठे हो..!
मैं:- क्यों न करूँ पुरानी बात.. रिश्ता रखना क्या सिर्फ तुम्हारे अकेले का decision था, अगर नही तो, जाना कैसे तुम्हारे अकेले का decision हो गया, हां शायद मैंने कुछ गलती कर दी थी उस दिन, बोल दिया कुछ ऐसा जो मुझे नही बोलना चाहिए था, hurt किया था तुझे, पर तू मुझे सुना लेती, सज़ा दे देती.. पर तू तो सीधी निकल ली .. वो भी बिना कुछ बताये ..!
नाराज होती तू... उसका तुझे पूरा right था... तुझे मनाना मेरा right था... तूने मुझे मेरा right मुझे दिया ही नही....!
वो:- अब आप नाराज हो जाओ..! ये right अब आपके पास है..!
मैं:- और तू मुझे मना लेगी..!
वो:- आखिरी कोशिश तक..!
मैं:- बस तेरी ये ही आदत मुझे तुझसे गुस्सा नही होने देती, पूरी loyalty है तेरे प्यार में..!
वो:- बहुत दिन से कुछ सुनाया नहीं आपने मुझे..!
मैं:- इतने दिनों में बहुत सारे letter लिखे थे मैंने तुझे.. जिनका तूने reply नही दिया कभी..!
वो:- हर एक letter पढ़ना है मुझे वो..!
मैं:- okk तो call करता हूँ मैं तुझे रात में..!
वो:- okk..!
LETTER - 1
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Dear aarushi..!
बहुत दिन से तुमसे बात नही हो पायी
या यूं कहूं कि खुद से ही मुलाकात नही हो पायी..!
कई text किये तुम्हे, call भी बहुत किये.. और हर एक call का मुझे तुम्हारा reply सिर्फ एक ही मिला
"The person you are trying to reach is unavailable at this time, please try your call later."
मैंने बहुत बार try किया, पर तुम unavailable ही रही..! इसीलिए अब मैं तुम्हें कॉल नही कर रहा letter लिख रहा हूँ..!शायद तुम ये पढ़ लो और कुछ दूसरा reply कर दो
हमेशा एक santence सुना था " Long distance relationship ", कभी सोचा नहीं था कि मैं भी कभी इस relationship में रहूंगा..! पर रहा, वो भी तेरे साथ..!
इसका ये असर हुआ कि मैं तुझे time नही देता था, प्यार के दो वक्त भी तुझसे छीन लेता था, तुझे प्यार तो करता था, बहुत ज्यादा करता था, खुद से भी ज्यादा..! पर तुझे ये सब कभी नही कहता था...!
पर अब तुझे बहुत कुछ कहना है यार, तेरे जाने के बाद तेरी कमी का मुझे आभास होने लगा है, तुझ पर क्या बीती होगी इतने दिन एहसास होने लगा है..! हर एक लम्हे में तेरी कमी मुझे खलने लगी, तुझसे मिलने की wish अब हर god के पास निकलने लगी, तू क्या थी मुझे महसूस होने लगा यार..! छोड़ दे ना angry bird बनना, पास आजा ना यार..!
अब हर एक खुशी में तो है पर दर्द बांटने वाला नही है, दिन में तो लाखों है, पर काली रात में साथ जागने वाला नही है। रूठ तो मैं अभी भी जाता हूं छोटी-छोटी बात पर, पर कोई मनाने वाला नही है।
पूछने वाला नही है कि खाना खाया कि नही, अपना ध्यान रखता है कि नही, मुझसे प्यार करता है कि नही, मुझे miss करता है कि नही, मुझसे मिलने आएगा कि नही, बात बात पर गुस्सा करना छोड़ेगा की नही, या मुझे ऐसे ही सताते रहेगा... कभी कुछ कहेगा भी या नही, या सब कुछ यूँ ही निभाते ही रहेगा।
अब बोल देता हूँ यार.. जो तू चाहती है, बस लौट आ तू, तेरी कमी मुझे बहुत सताती है...!
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अनकहे ख़त भाग-2
वो:- अरे वो मैने नंबर बदल लिए थे तो कॉल नही लग रहा था..!
मैं:- कोई बात नहीं..! पर तुझे मेरे नंबर कहा से मिले फिर..?
वो:- जो अपने साथ ट्रैन में दीदी थी उन से ली थी..!
मैं:- उसने कुछ पूछा नही तुझसे.. क्यों, किसलिए, कैसे चाहिए..!
वो:- पूछी थी..!
मैं:- क्या बोली तू..?
वो:- आपको मतलब, आप चुपचाप दूसरा लेटर सुनाइये..!
मैं:- कल, आज रात बहुत हो गयी सो..!
Next night..!
वो:- सुनाइये ना..!
LETTER-2
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डिअर आरुषि..!
कैसी हो..? बेशक ठीक ही होगी..! पहले वाले खत का जवाब नही आया तो सोचा कि दूसरा लिख दूँ..! लास्ट 45 मिनटों में 45 पेज फाड़ चुका हूं..! सिर्फ इस कशमकश में कि क्या लिखूं तुम्हे.. कि जिसे पढ़ कर तुम्हे अच्छा लगे..!
3 महीनों से ज्यादा हो चुके है तुम्हे गए, पर अभी भी मैं वो तुम्हारी ट्रैन में लहराती जुल्फ़े, पकौड़ी खाने वाली मस्ती, कंधे पर हाथ रखने वाली जिद्दी, और आहिरा के बारे में न बताने वाला गुस्सा भूल नही पाया..!
ये खत में तुम्हे इसलिए नही लिख रहा कि मैं तुम्हें बताऊं कि मैं तुम्हे कितना याद कर रहा हूं.. बस इसलिए लिख रहा हूँ कि ये लिखने के बहाने मैं फिर उन पलों को जी सकूँ जो शायद अपन ट्रैन में ही छोड़ आये..!
तुम्हारी पुरानी चैट पढ़ कर इस लगता है जैसे मैं किसी टाइम मशीन में बैठ कर पास्ट में चला गया और तुम्हे फिर से जीने लगा..! महसूस करने लगा कि तुम मुझसे दूर नही हो कहीं मेरे आस-पास ही हो.. और मुझे विश्वास है कि एक दिन तुम आओगी.. इस हाईड एंड सीक के गेम में मुझे जोर धप्पा करोगी और कहोगी कि आरव जाओ तुम फिर से स्टार्टिंग से ये गेम खेलों और मैं कहूँगा कि नही यार अब तक चुके है चल बैठ कर अन्ताक्षरी करते है.. और तुम फिर कहो कि मेरी एक शर्त है खेलने से पहले, कि तुम अपना लेफ्ट हैंड मेरे लेफ्ट शोल्डर पर रखो और मैं अपना सिर तुम्हारे सीने पर रखूं..!
खैर, अभी के लिए बस इतना ही..! इतना सब लिख कर... आज इन सब पलों को जीकर, तुम्हें याद करके, तुम्हारे न होने पर भी तुम्हे महसूस करके अच्छा लग रहा है..! ये सब ठीक है, मैं मुत्मइन हूँ इस सब से.. पर ज्यादा दिन नही रह पाऊंगा..! पर जैसा कि मैने पहले ही कहा.. कि मुझे उम्मीद है तुम जल्दी वापिस आओगी..! तब तक अपना ख्याल रखो..! और अब ये लेटर पढ़ने के बाद फिर से खिड़की के बाहर तारे मत गिनने लगना..!
With love
Your aarav
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अनकहे ख़त भाग-3
वो:- आप बहुत बदल गए आरव..!
मैं:- कैसे..?
वो:- बस ऐसे ही..!
मैं:- मुझे तो नही लगता कि मैं ऐसे ही बदल गया..!
वो:- आप और मैं दूर क्यों हुए थे..?
मैं:- क्या पता..? तुम ही गयी थी, मुझसे अच्छा ढूंढने..!
वो:- और मुझे इसकी जरूरत क्यों पड़ी..?
मैं:- ये तुम ही जानो..!
वो:- क्योंकि मुझे आपका थोड़ा सा भी समय नही मिल पाता था।
मैं:- यार..! तुम जानती हो ना कैसा शेड्यूल है मेरा, समझना चाहिए था ना..!
वो:- जब मैं गयी उसके बाद शेड्यूल change हो गया था क्या आपका..?
मैं:- नही तो सब वैसा ही चल रहा है..!
वो:- तो फिर मुझे ख़त लिखने के लिए time कहा से लाते हो..?
मैं:- वो क्या है ना कि वो.. वो.....!
वो:- रहने दीजिए आपका वो..! अगर ये ही time आप मुझे देते तो शायद वो सब दिन नही देखने को मिलते..!
मैं:- अच्छा ठीक है ना, अब हो गयी गलती..! अब शर्मिंदा मत कर मुझे वो सब याद दिला कर..! वैसे भी जो हुआ अच्छा ही हुआ..!
वो:- कैसे..?
मैं:- इन सब incident के बाद मुझे पता चला कि मेरी जिंदगी में तेरी अहमियत कितनी है..! अब तुझे पता चला कि नही वो मुझे नही पता..!
वो:- अगर मेरी जिंदगी में आपकी अहमियत नही होती तो अभी तक आपसे अच्छा ढूंढ ली होती..!
मैं:- उससे कुछ नही होता..!
वो:- क्यों..?
मैं:- क्योंकि मेरे बाद जो भी उन होंठो को चूमेगा, वो मेरे होंठो के निशान चूमेगा..!
वो:- आपको लगता है कि ऐसा होगा..?
मैं:- तुम सवाल बहुत पूछने लगी आज कल..!
वो:- अगर आपके बाद जो कोई भी इन होंठो को चूमेगा, वो सिर्फ और सिर्फ मेरी लाचारी चूमेगा..!
मैं:- चल मै पहले वाली लाइन को थोड़ा सही कर देता हूं,
अगर मेरे बाद कोई उन होंठो को चूमेगा, वो सिर्फ मेरी ख़ुद्दारी चूमेगा..!
वो:- मैं आपकी ख़ुद्दारी हूँ..?
मैं:- कोई शक़..?
वो:- चलो, ये सब छोड़ो.. आगे का ख़त सुनाओ..!
मैं:- जी..!
LETTER-3
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डिअर आरुषि...!
कैसी हो..?
अब तो जैसे आदत सी हो गयी पूछने की..! खैर, अब तुम्हें ये सुनने को नही मिलेगा..! क्योंकि ये ख़त अब मेरा आखिरी खत है.! हाँ..! ये ख़त अब आखिरी खत है..!
क्योंकि अब मैं समझ चुका हूं कि जिंदगी मैं दिल की नही दिमाग की ही सुननी चाहिए..! दिल ने लाख उम्मीदें लगाई थी कि तुम जरूर वापिस आओगी, तुम जरूर मेरे खतों का जवाब दोगी। पर शायद जिंदगी को वो ही मंजूर था जो दिमाग ने चाहा..!
अब तुम्हारे वापिस आने की हर उम्मीदें टूटने लगी, चकोर चाहे कितनी ही उड़ान भर ले उसके नसीब में चाँद से विरह ही लिखी है, और ये बात में जितनी जल्दी समझ जाऊं शायद उतना ही अच्छा होगा मेरे लिए ये..!
वैसे तो बहुत से खत लिखे थे मैंने तुम्हें इन दिनों पर भेज नही पाया क्योंकि शायद तुम बोर होने लगी मेरे खत पढ़ पढ़ कर, इसीलिए तो तुम जवाब नही दे रही..! इसीलिए आज आखिरी बार ये आखिरी खत तुम्हे लिख रहा हूं।
अब सिर्फ एहसास है कि तुम पास हो बस, सिर्फ एहसास की तुम नजदीक हो.. और आज के बाद ये ही रहेगा! अनगिनित सवालों में उलझ गया हूँ मैं..! पर समय की वास्तविकता से सुलझ गया हूँ मैं..! कई अफसोस को अपने अंदर दबाये बैठा हूँ कि काश मैं तुम्हे समय दे पाता तो तुम नही जाती, काश तुम्हे नही बोलता कि तुम्हे मुझसे अच्छा ढूंढ लेना चाहिए, काश उस समय हमारी RAC ना होती, काश मैं उस ट्रिप पर गया ही नही होता तो तुम न मिलती, काश ये, काश वो..! बस इन काश मे ही सिमट गया हूँ मैं..!
मन तो नही कर रहा इसको मानने का, पर शायद ये ही सच है कि अब अपनी ट्रैन उस ट्रैक से उतर गई जिस पर अपन ने एक नई कहानी लिखी थी..!
लेकिन पता नही क्यों सब कुछ पता होने के बाद भी ऐसा लग रहा है कि तुम वापिस हमारी ट्रेन, ट्रैक पर लाओगी और कहोगी कि जो रास्ता हमने अधूरा छोड़ दिया चलो इसे पूरा करते है। पर ये सब सिर्फ खयाली पुलाव है, क्योंकि ऐसा कुछ नही होने वाला..!
चलो.. आज जाते जाते कुछ खुशनुमा लम्हे याद करते हुए जाते है..!
याद है तुम्हे, तुम्हारा कहना कि मेरी डायरी ट्रैन मे गिर गयी थी..! मुझे पता है वो गिरी नही थी, तुमने निकाली थी..! शायद जब मैं रात में उसमे कुछ लिख रहा था तुम वो पढ़ चुकी थी..!
याद है तुम्हें, मेरा पहली बार तुम्हें emoji में kiss भेजना उस time मैं इतना डर गया था कहीं तुम इस बात का बुरा न मान लो..! पर तुम्हारा रिप्लाई में बड़े वाले sticker ने मेरा सारा डर दूर कर दिया था..!
याद है तुम्हे अपना ट्रिप के बाद पहली बार मिलना, जब तुम्हारे और मेरे बीच मे एक और चीज थी, दोनों की चुप्पी..! चैटिंग पर घंटो बातें करते थे.. पर उस दिन पता नही क्या हो गया था, दोनों कई देर तक एक-दूसरे को सिर्फ देखे जा रहे थे होंठो पर बेशक चुप्पियां थी, पर आंखों से एक दूसरे को सब कह रहे थे।
याद है तुम्हें, जब अपन साथ बैठ कर कॉफी पी रहे थे, और मेरा मोबाइल नीचे गिर गया था तो तुमने जल्दी से दोनों के गिलास exchange कर दिए थे, वो मैंने देख लिया था उस समय..!
याद है तुम्हें उस दिन मेरे जाने के समय तुम्हारा ये पूछते हुए आंखों में आंसू आना कि वापिस कब आओगे, और मेरे कुछ कहने से पहले ही अपने होंठो से मेरे होंठो की बंद कर देना, शायद उस दिन तुम्हे पता चल गया था..! इसलिए तुमने मेरे लफ्जों को बाहर नही आने दिया..!
इस छोटे से सफर में तुमने मुझे बहुत सारे ऐसे पल दिए जिन्हें मैं शायद जिंदगी भर ना भूल सकूँ, और सबसे बड़ी बात तो एक बहुत अच्छा साथ दिया, जो शायद मैंने कभी expect भी नही किया था..! इन सब के बीच इन दूरियों का आ जाना.. मेरे और तुम्हारे दोनों के लिए किसी सदमे से कम नही था..! तुम अपना 100% दी जो शायद मैं नही दे पाया..!
सो डिअर आरुषि, इन सब यादों को देने के लिए मेरा thnx भी बहुत छोटा है, अब time हो गया ये सब खत्म करने का..!
और हाँ..! तारे मत गिनना अब खिड़की मे..!
ध्यान रखना मेरी आरू का.. वरना मैं तो...!
कुछ नही..!
अलविदा..!
जाते जाते साहिर साहब की कुछ line सुनती जाओ..!
"वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर, छोड़ना अच्छा...!"
To be continued...
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