The Author Sarvesh Saxena Follow Current Read लालिमा By Sarvesh Saxena Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books नियती - भाग 36 भाग 36सुंदर च्या हालचालींचे निरीक्षण करत...फौजदार म्हणाले...... अनुबंध बंधनाचे. - भाग 21 अनुबंध बंधनाचे.....( भाग २१ )प्रेम आतल्या रूम मधे झोपलेला अस... बकासुराचे नख - भाग २ -----कोण होती ती गूढ स्त्री....यक्षिणी..आसरा ...हडळ की एखाद... एकापेक्षा - 16 एके दिवशी आम्ही असेच दुपारचे सुट्टी झाल्यावर घरी येत होतो. आ... क्रीपि फाईलज - खरी दृष्य भीतीची ... - सीजन 1 - भाग 2 व्हिक्टोरिया 405भाग 2 ....भाग 2तपकीरी रंगाचा मातीचा रस्ता का... 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कैसे चलती हो? अभी जान चली जाती, अरे कम से कम अपना नहीं अपने परिवार के बारे मे तो सोचो, जान नहीं प्यारी क्या? लालिमा कुछ नहीं बोली लेकिन उसके आंसू सब कुछ बोल पड़े, आदमी ने उसको बिठाया और धैर्य बंधाया कि जीवन में ऐसा होता रहता है लेकिन इसकी वजह से आत्महत्या करना तो एक संगीन पाप है l लालिमा ने कहा, "जो बच्चा औरत एक बच्चा ना जन्म सके, उसका जीवन तो बेकार ही है ना" l कुछ देर बात करने के बाद उस आदमी ने अपना नाम श्रेष्ट बताया और बोला, "अब तुम कहां जाओगी" ? लालिमा निरुत्तर हो कर बैठी रही l श्रेष्ठ बोला, "तुम चाहो तो मेरे यहां रह सकती हो कोई परेशानी नहीं होगी, इतनी बड़ी दुनिया में कहीं भी जाओगी तो तुम्हें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा", लालिमा ने भी एक पल के लिए सोचा और श्रेष्ठ के साथ चली गई लेकिन उसे हर पल अपने शिशिर का इंतजार रहता l श्रेष्ठ लालिमा का बहुत ध्यान रखता और उसे हंसाने की कोशिश किया करता, लालिमा जान चुकी थी श्रेष्ठ उससे प्यार करने लगा है लेकिन लालिमा सिर्फ और सिर्फ शिशिर को प्यार करती थी l उधर शिशिर शराब के नशे में डूब चुका था और अपनी सारी जायदाद लुटा चुका था जब उसके पास उसके सारे पैसे खत्म हो गए थे, जो औरतें उसके आस पास बनी रहती थीं वो भी उसे लात मारकर चली गई थीं l अब वह बीमार रहने लगा शराबी होने के कारण नौकरी से भी निकाल दिया गया l अब उसे लालिमा की याद आ रही थी, उसे अपने आप पर पछतावा हो रहा था वह दिन रात अपने आप को कोसता और दरवाजे की ओर निहारता रहता कि एक दिन लालिमा जरूर आएगी l एक दिन श्रेष्ठ ने लालिमा को अपने दिल की बात बताइ, लालिमा ने कुछ नहीं कहा लालिमा ने सोचा कि अब वह किसका इंतजार करेगी, श्रेष्ठ इतना अच्छा आदमी है उसका अच्छा ध्यान रखता है वह कितने एहसान कर चुका है लालिमा पर, वह उसको मना नहीं कर सकती इसलिए लालिमा ने भी हां कर दी l दोनों ने शादी कर ली और कुछ महीनों बाद पता चला कि लालिमा मां बनने वाली है, लालिमा को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह मां बन सकती है, वह बहुत खुश थी, उसके माथे पर लगा कलंक अब उसे गर्व जैसा महसूस हो रहा था और उधर शिशिर की हालत और बिगड़ती जा रही थी वह दीवारों पर अपना सर पटकता तो कभी लालीमा की फोटो देख कर रोता और कहता मुझे माफ कर दो कमी तो मुझ में थी लालिमा मैंने इसकी सजा तुम्हें दी l मैं बाप नहीं बन सकता था लेकिन मैं क्या करता अपनी झूठी मर्दानगी की डींगे हांकता रहा, उधर आखिर वह दिन आ ही गया जब लालिमा माँ बनने वाली थी l श्रेष्ठ ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया, लालिमा की हालत बहुत नाजुक थी, वह इस नाजुक हालत में शिशिर का नाम ले रही थी, श्रेष्ठ से रहा नहीं गया और उसे मना नहीं कर पाया और शिशिर को बुलाने चला गया, वह इतना घबराया हुआ था और लालिमा को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था लेकिन वक्त को तो कुछ और ही मंजूर था l श्रेष्ठ घबराहट में तेज गाड़ी चला रहा था और अचानक उसका एक्सीडेंट हो गया इधर से शिशिर की हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई तो पड़ोसियों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया और उसी अस्पताल मे लालिमा एक बेटे को जन्म दे चुकी थी लेकिन लालिमा की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी लेकिन वह इतनी खुश थी कि उसको अपना दर्द बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था, बस आंखों में शिशिर की तलाश थी तभी एक डॉक्टर ने नर्स से चिल्लाते हुए पूछा, "लालिमा का पति आया या नहीं अभी, जैसे ही आ जाए उससे ये पेपर साइन करा लेना, उसकी हालत नाजुक है", शिशिर ने लालिमा का नाम सुनते ही छटपटाने लगा और बोला, "लालिमा, लालिमा कहां है? मैं हूँ उसका पति, वह लालिमा के कमरे तक आया और देखा उसकी अपनी लालिमा चुपचाप लेटी हुई थी और पास में था एक सुंदर सा शिशु जो अभी अभी इस दुनिया में आया था, लालिमा ने सुशील को देखा तो उसकी आंखों में चमक आ गई पर उसने अपना मुहँ घुमा लिया, शिशिर ने उसके पास आकर उसका माथा चूमा और उस से माफी मांगी और बोला, "अब कोई परेशानी नहीं होगी, हम दोनों एक साथ रहेंगे, मुझे माफ कर दो, कमी मुझ में थी और दोस्त में देता रहा तुम से छुटकारा पाने के लिए सच्चाई से मुंह मोड़ने के लिए पर अब मैं समझ चुका हूं और बहुत पछता रहा हूं,मैं तुमसे इस बच्चे के बारे मे कुछ नहीं पूछूँगा, अब हम साथ रहेंगे, रहोगी ना? हमेशा की तरह लालिमा ने कोई जवाब नहीं दिया पर इस बार वो हमेशा की तरह खामोश हो चली थी और उसके पास लेटा प्यारा सा बच्चा हर दुख से बेख़बर, इस काली रात के बाद आने वाली अपनी पहली सुबह का इंतजार कर रहा था l? समाप्त ?कहानी पढ़ने के लिए आप सभी मित्रों का आभार lकृपया अपनी राय जरूर दें, आप चाहें तो मुझे मेसेज बॉक्स मे मैसेज कर सकते हैं l?धन्यवाद् ?? सर्वेश कुमार सक्सेना Download Our App