Kathin path par kaise badhe in Hindi Philosophy by Rajesh Kumar books and stories PDF | कठिन पथ पर कैसे बढ़ें

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कठिन पथ पर कैसे बढ़ें

उड़ने लगे धूल कण जब, 
पैर पथ पर बढ़ चले।
हो बिछे कंट पथ पर, 
कठिनाइयां चाहे मिले।
ध्येय ज्वाला जला हृदय में, 
नित्य आगे बढ़ चले।
सफल परिश्रम हो हमारा,
नित्य पथ अवलोकन करें।

साथियों,
    जब कभी हम अपने लक्ष्य को निश्चित कर उसकी ओर सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए बढ़ते है तो प्रथम कदम से ही हमें समस्याओं का सामना करना पड़ता है, धूल रूपी समस्याएं हमारा मार्ग औझल करती है यदि हम दृढ़ता से और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य के प्रति प्रारम्भिक ललक बनाएं रख आगे बढ़ते जाते है तो वह औझलता भी समय के साथ समाप्त हो जाती है।
इस प्रकार की यात्राओं में भीषण समस्याएं आतीं है, भिन्न-भिन्न प्रकार की बाधाओं से सामना होता है।
हमें उन से बचने की अपेक्षा उनका निदान खोजना चाहिए और साथ यह अनुभव भी करें कि दोबारा इस प्रकार की समस्याएं न आएं और यदि आएं भी तो पहले से कम समय में व आसानी से उनसे निदान पाया जा सके।
     कभी कभी हम देखतें है कि गणित का कोई जटिल सवाल जिसको हल करने का नियम हमें नही आता है। तो वह हम से हल होना बहुत कठिन लगता है लेकिन जब हमें उसे हल करने का नियम कंठस्थ हो जाए तो हम उसी जटिल सवाल को आसानी से हल कर लेते है और उसी प्रकार के अन्य प्रश्नों को भी।
   जीवन में हमारे लक्ष्यों को लेकर भी इसी प्रकार की समस्याएं हमारे सामने आती हैं। एक समय होता है जब लगता है कि जो हमनें अपना लक्ष्य बनाया है वह मेरे लिए असंभव है। लेकिन जब हम दृढ़ निश्चय के साथ और सार्थक परिश्रम के साथ कदम बढ़ाकर नित्य बढ़ते जाते है तो वही कठिन और धूमिल लक्ष्य एक दिन प्राप्त हो जाता है। 
कुछ लोगों की शिकायत रहती है कि उन्होंने बहुत परिश्रम किया परन्तु उन्हें उनका लक्ष्य प्राप्त नही हुआ। ऐसे लोगों में कुछ भाग्य को कोसते नजर आते है तो कुछ पहली कठिनाई से हार मान कर बैठ जाते है। तो ऐसे लोगों को भाग्य और निराशा का त्याग कर छोटे छोटे कार्य कर अपने आत्म विश्वास को प्रबल बना कर फिर बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने का विचार करना चाहिए। 
एक बात सैदेव स्मरण रखिए यदि आप सफल हुए तो हजारों लोग आपकी सफलता में अपने सरीख होते हैं और कहते है कि उन्होंने आप का भरपूर सहयोग किया है हाँ कुछ चंद लोग होते है ऐसे लेकिन वो भी आप को राह दिखा सकते है राह पर चलकर लक्ष्य तो आप ही को प्राप्त करना होता है। 
यदि आप असफल होते है तो कोई भी ये नही कहेगा कि उसके सुझाव के कारण आप असफल हुए हैं। लोग ऐसी स्थिति में लोग आप को अयोग्य घोषित तक कर देते हैं जिससे लोगों का मनोबल कई बार इतना गिर जाता है कि वो दोबारा उस कार्य या लक्ष्य के बारे में सोचते तक नही। याद रखिए यही परिस्थितयां हमें और भी दृढ़ और परिश्रमी बना सकती है बस निराश को त्याग कर पुनः उठकर आगे बढ़ने की आवश्यकता होती है। "भाग्य वो नही जो आपके हाथों की रेखाओं में अंकित होता है। भाग्य वो है जो सार्थक परिश्रम की कसौटी पर उतरकर बनाया जाता है, जिसके बल पर बिना किसी का शोषण किए लक्ष्य प्राप्त किया जाए ,तभी लोग आप का अनुसरण करते हैं। तभी आप को सच्चे सुख की अनुभूति होती है,यही सच्चा भाग्य भी है।"
हमें हर परिस्थिति में अपने मार्ग, कार्य, परिश्रम का अवलोकन करते रहना चाहिए जिससे हमें हमारी दिशा और दशा का सही  आकलन अवगत रहे ऐसा करने से हम सरलता पूर्वक आगे बढ़ते है। एक बात सदैव याद रखिए 
"यह समय बीत जाएगा"  अब चाहे वो कठिन समय हो या सरल अतः हमें हर छण सम भाव न दुखी और न ही अतिप्रश्नता को मन में रखना चाहिए। 
"यदि आप सही दिशा और आप का परिश्रम योजनाबद्ध व सार्थक है तो सफलता मिलने तय है।"