Banaras Ki Yatra in Hindi Travel stories by Bala Nath Rai books and stories PDF | बनारस की यात्रा

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बनारस की यात्रा

हम सब इण्टरमीडिएट का कोचिंग करने अपने शेरपुर कलाँ गाँव से सेमरा “धनन्जय गुरु जी” के यहाँ पढ़ने के लिए जाते थे।एक दिन गुरु जीे हम लोगो को बनारस घुमाने ले जाने के लिए कहे सात जूलाई को चलना है साल था 2015,तो हम आठ लोग तैयार हो गये कहे ठीक है तब फिर कक्षा-9 के छ: लड़के भी जाने के लिए तैयार हो गये।गुरु जी ने सभी को बनारस जाने के लिए सात तारीख़ को सुबह 04:30 बजे बुलाया , सभी लोग इकट्ठा हुए । जहाँ पढ़ने जाते थे वहाँ के उमेश भईया भी जाने के लिए तैयार हो गये।

हम सब मिलकर सोलह लोग तथा एक ड्राइवर को लेकर पुरा सतरह लोग हो गए,सिर्फ एक Buloro थी जिसके मालिक को गुरु जी 2200 रूपया में जाने के लिए तैयार कराये थे।

जब ड्राइवर ने हम सभी लोगों को देखा तो कहा-मस्टर ई कुल जईहन स सर बोले  हा हा  लेकिन दो लोग दूसरे में जाएंगे एक गाड़ी कैण्ट तक जाएगी ड्राइवर बोला ठीक ह अब चल मस्टर तोहके बता देवे के चाही हमार मालिक के कि हेतना लईका जईहन स लेकिन ठीक ना कईल ह अब बईठबो करजा।

हम सभी 15 लोग एक गाड़ी में हो गए आगे की सीट पर हमारे गुरु जी , उमेश भैया ,आकास भाई तथा ड्राइवर को लेकर चार लोग आगे बैठ गए , फिर बीच के सीट पर सात लोग बैठे थे अब सुनिए कैसे बैठे थे हम सब सतीश, प्रशान्त, संदीप,रवि ये लोग तो सीट पर बैठ गए अब बचे हम नौ लोग तो ड्राइवर बोला मस्टर आज हमार गाड़ी क जीव लेब सत्यनारायण संदीप के गोदी में जाकर बैठ गए आशुतोष रवि के गोदी में और प्रशान्त , सतीश एक जगह बैठे थे उन्ही के गोदी में हम बैठ गए उसी में हम लोग हस रहे थे तो ड्राइवर गुस्सा था कि इ कुल अलगे ओजाईले बाड़न स, फिर अब छः लोग बचे थे के चार लड़के पीछे के सीट पर बैठ गए अब दो लड़के एक दूसरी गाड़ी कुछ दूसरे काम से कैण्ट तक जा रही थी उसमें बैठ गए अब दोनो गाड़ी चल पड़ी महादेव की नगरी काशी के तरफ ।

रास्ते में सैदपुर जाते जाते मेरा उल्टी का मन होने लगा ऊपर से गर्मी और एक गाड़ी में पन्द्रह लोग थे तो उल्टी होना तो आम बात थी फिर अब रास्ते भर उल्टी होता गया बीच बीच में गुरु जी नीम्बू दे रहे थे चाय पीला रहे थे कभी सर दबा दे रहे थे गुरु जी बहुत परेसान थे मेरे तबियत को लेकर।

फिर एक बार रास्ते में उल्टी होने लगी तो ड्राइवर बोला इ एगो रोगियाहवा के का जनी का लेले अइलहन जहाँ मेरा उल्टी होता था तो सब भाई लोग गाड़ी से उतर जाते थे वो भी थोड़ा हवा खा लेते अपना पैर सीधा कर लेते थे तो एक जगह ड्राइवर बोला “तोहनी क का उतर जात बाड़स” धीरे से प्रशान्त बोला “तु बोलब” फिर एसे ही हसी मज़ाक करते हमलोगों की गाड़ी बनारस कैण्ट पहुँची ।

अब क्या उस गाड़ी से भी दो लड़के आ गए ड्राइवर बहुत गुस्सा था गुरु जी पर अब बताव इ दू गोड़न के का कपरा पर बैठईब गुरु जी बोले कैसे भी करके बैठा लो पीछे की सीट पर एक बैठ जाएगा और आगे बैठा लेते है तो ड्राइवर गुस्सा होकर बोला तब मास्टर हई ल चाभी आ तूही लेके जा का जानी कहाँ बैठईहन हमके लेके चार जाना बैठल हईए हईजा त कपरा पर बैठईब और ड्राइवर लड़के को बोला “जो पीछे बैठ जो” लड़का बोला “कहाँ जगह बा” तब ड्राइवर बोला मस्टर ले कहु काहे लेके आइलहन गुरु जी पीछे बैठे लड़को को बोले देख लजा बचवा लोग ओइहेमे बैठा लजा कईसहु, लड़का कैसे भी करके पीछे की सीट पर बैठे लड़के के गोदी में बैठ गया।

उसके बाद ज्यो ही आगे बढ़े तो ड्राइवर फोन पर बात कर रहा था तो यातायात पुलिस ने 300 रू. का पेनाल्टी चार्ज ले लिया। हम सब BHU के विश्वनाथ जी के मन्दिर पहुंचे वहाँ पर महादेव का दर्शन किये अब दर्शन करके गाड़ी के पास पहुंचे तो वहाँ भी गाड़ी पार्किंग का 100 रू. देना पड़ा।फिर गुरु जी हम सब को आइसक्रीम खिलाएं और ड्राइवर को दिलाने के लिए भूल गए तब ड्राइवर आया और मस्टर बोला अरे हमरो के दिवइब तु गज़बे आदमी बाड़ तो गुरु जी कहे अरे ना हो भूला गइनी ह आइसक्रीम वाले से कहे इनको भी दीजिए ।

फिर वहाँ से सारनाथ जाने के लिए गाड़ी में हम सब बेठ गए और हमारी गाड़ी सारनाथ के तरफ चल पड़ी गाड़ी में गर्मी से परेशान होकर “आशुतोष मनहूस बैठा था बैठा भी क्यो न हो उसके गोदी में रवि जो बैठ गया था ऊपर से गर्मी तो सतीश , प्रशान्त उसको परेशान कर दिये कहने लगे जल्दी से गंगाजल पिलाओ इसको अब ये ऊपर जाने वाला है फिर बीच में गाड़ी रूकी आकाश पानी लाने गया तो कुछ देर हो गया लाने में तो ड्राइवर बोला इ पानी लियावे गईल ह कि चापाकल क बोरिंग करे गईल ह, कुछ समय में आकाश आ गया तो ड्राइवर बोला पानी लियावे गईल रलह कि चापाकल क बोरिंग करे गईल रलह, तो पीछे से प्रशान्त बोला चल चल।

ड्राइवर बोला केवन मुअत रहल ह द जा ओके पानी न त कुछ हो जाई त फिर ओहूके लेके झेले के पड़ी फिर रास्ते में आशुतोष का मजा लेते हुए सारनाथ पहुंचे , फिर वहाँ जब हमसब जब गाड़ी से उतरे तो वहाँ जितना लोग थे।हमे देखकर हसने लगें कैसे बैठे होंगे एक गाड़ी में, हम सब वहाँ पर भगवान बुद्ध के दर्शन किये,चिड़िया घर तथा वहाँ चारो तरफ घुमकर हम सब अब घर चलने के लिए चले तो वहाँ भी 50 रू.पार्किंग चार्ज देना पड़ा।

वहाँ से मेरे चार मित्र (प्रशान्त,सतीश,संदीप,आकाश) वहाँ से नहीं आए कहे कि आज नही हमलोग कल जाएंगे और वह लोग नही आए तो ड्राइवर बोला अरे मस्टर उ कुल ढेर परेशान करत रलहन स हम लोगो कि गाड़ी लौट चली अपने गाँव के तरफ रास्ते में उमेश भईया कहे कि मारकण्डे महादेव का दर्शन करते चलते है तो गुरु जी बोले बालाजी चलो दर्शन कर लिया जाए ड्राईवर बोला अरे मस्टर देखत हईये हउअ कि मौसम खराब बा त तुहू हदे आदमी बाड़ तो गुरु जी बोले चल चल केतना दूरे बा तो ड्राइवर बोला चल तोहरे न सुनेकेबा अब हमलोगों की गाड़ी कैथी के मारकण्डे महादेव दर्शन के लिए चल पड़ी वहाँ हमलोगों को शाम की आरती में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

दर्शन करके हमलोग गाड़ी के पास आए तो वहाँ भी 50 रू. पार्किंग चार्ज देना पड़ा फिर वहाँ से अब हम लोग घर को चल दिए,रास्ते में सैदपुर हम लोग उतरे तो ड्राइवर सर से बोला मस्टर कुछू खियाव कि सबेरे ही से घुमावतबाड़ हम बानर हई वहाँ हमलोगों ने ढाबा पर रात का भोजन किया और फिर हम सबकी गाड़ी घर के तरफ चल पड़ी।

गाड़ी में तेल समाप्त होने वाला था गाज़ीपुर के तलियाँ पेट्रोलपम्प पर गये तो वहा भी तेल समाप्त था तो ड्राइवर बोला इ हितहन केहे बराबर खतमें रहेला वहाँ से ड्राइवर अपनी गाड़ी को स्पीड में चलाते हुए मुहम्दाबाद पेट्रोल पम्प पर गए तो ड्राइवर ने 100 रू.का तेल डालने को कहा तो वोभी 500 रू.का तेल डाल दिया,ड्राइवर बोला काहे लिए डाल देले ह निकाल तेल देने वाला बोला अब कैसे निकाली।गुरु जी सेे ड्राइवर बोला मस्टर हमके बनारस गईले कुछ फायदा ना भईल ह । जाने वक्त 1000 का तेल डलवाये थे,300 रू. पेनाल्टी चार्ज , 200 रू. पार्किंग चार्ज में फिर ये डाल दिय़ा 500 रू. का तेल 2200 रू. पर आप ले गये थे अब 2000 रू.इसी तरह से खतम हो गया अब मालिक के हम 200 रू. देईम त उ का कहियन। तब गुरु जी बोले चल हम बानी न, फिर तब हमलोगों का गाँव आ गया हमलोगों का यात्रा समाप्त हुआ और वो यात्रा मेरा जीवन की सबसे सुखद यात्रा रही।

बालानाथ राय?
शेरपुर कलाँ,गाज़ीपुर,उत्तर प्रदेश