Kahan gai tum naina - 11 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | कहाँ गईं तुम नैना - 11

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कहाँ गईं तुम नैना - 11


            कहाँ गईं तुम नैना (11)


जमुना प्रसाद की गिरफ्तारी ने ना सिर्फ खबरों की दुनिया को गर्म कर दिया था बल्कि राजनीति के क्षेत्र में भी बवंडर खड़ा कर दिया था। सत्ताधारी दल सवालों के घेरे में था तो विपक्ष पूर्णतया आक्रामक। न्यूज़ चैनल पर हो रही बहसों में खुल कर आरोप प्रत्यारोप हो रहे थे। पर एक बात साफ थी। इस गिरफ्तारी ने सत्तापक्ष को गहरा आघात पहुँचाया था। वह भी लोकसभा के चुनावों के कुछ ही दिन पहले। 
जमुना प्रसाद की गिरफ्तारी के साथ ही साथ नैना की गुमशुदगी की खबर भी मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ बनी थी। मीडिया भी अटकलें लगा रही थी कि नैना के लापता होने में जमुना प्रसाद का हाथ हो सकता है। नैना के पोल खोल शो में उसका नाम भी उछला था। नैना के गायब होने से पहले उसे धमकियां भी मिल रही थीं। इसलिए इसके पीछे जमुना प्रसाद ही हो सकता है। 
सवाल दुनिया न्यूज़ चैनल पर भी उठ रहे थे कि जब उनकी एक प्रसिद्ध न्यूज़ ऐंकर गायब थी तो उन्होंने उसे तलाशने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। पुलिस में रिपोर्ट भी नैना के पती आदित्य ने कराई। क्या इतने बड़े न्यूज़ चैनल का अपने कर्मचारी के प्रति कोई कर्तव्य नहीं था।
इन सवालों के उठने पर दुनिया न्यूज़ के एडिटर इन चीफ वरुण सान्याल ने अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर सफाई दी कि नैना चैनल से छुट्टी लेकर गई थी। लेकिन समय पर लौट कर नहीं आई। हमने उससे संपर्क करने का प्रयास किया पर हुआ नहीं। हमने सोंचा कुछ और दिन उसकी राह देखते हैं तब तक उसके पती ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी। 
इन सब से प्रभावित हुए बिना पुलिस अपना काम कर रही थी। पुलिस ने अन्य मामलों के साथ साथ नैना के गायब होने के मामले में भी जमुना प्रसाद से पूँछताछ की। उसने नैना के गायब होने में अपने किसी भी तरह के संबंध से इंकार कर दिया। उसका कहना था कि क्योंकी फुलवारी मामले में अपना नाम आने पर उसने अपने प्रभाव का प्रयोग कर मामले को दबा दिया था। इसलिए उसने ना तो नैना को धमकी दिलवाई और ना ही उसे गायब किया। पुलिस ने उससे कई बार नैना के बारे में पूँछा। उसका एक ही जवाब था कि इस मामले से उसका कोई संबंध नहीं है। उसका कहना था कि वह तो वैसे भी फंस चुका है। फिर वह नैना के मामले में झूठ क्यों बोलेगा।  
इंस्पेक्टर नासिर अहमद को जमुना प्रसाद की इस बात में सच्चाई दिख रही थी। यह सही था कि वह अन्य मामलों में गंभीर रूप से फंस चुका था। तो उसे झूठ बोल कर क्या मिलता। 
इंस्पेक्टर नासिर ने इस विषय में बात करने के लिए आदित्य को पुलिस स्टेशन बुलाया। उन्होंने आदित्य को सारी बात बता दी। सारी बात सुन कर आदित्य परेशान हो गया। वह तो यह सोंच कर खुश था कि जमुना प्रसाद से नैना के बारे में जानकारी हासिल कर उसे जल्दी ही वापस लाया जा सकेगा। लेकिन इंस्पेक्टर नासिर तो कुछ और ही कह रहे थे। आदित्य यह सोंच रहा था कि नैना के मामले में अभी रत्ती भर भी प्रगति नहीं हो पाई है। बस उसे एक बात की ही तसल्ली थी कि नैना जमुना प्रसाद का पर्दाफाश करना चाहती थी और वह हो गया।
"तो अब क्या हो इंस्पेक्टर नासिर ? नैना का केस तो जहाँ था वहीं रह गया।"
"बात तो आपकी ठीक है मि. आदित्य। हमने जो सोंचा था वह तो हुआ नहीं। अब तो नए सिरे से आरंभ करना होगा।"
इंस्पेक्टर नासिर का फोन बजा। वह कॉल रिसीव करने चले गए। आदित्य सोंचने लगा कि उन लोगों को फिर से शुरुआत करनी पड़ेगी। लेकिन यह शुरुआत कहाँ से हो वह समझ नहीं पा रहा था। कॉल रिसीव करने के बाद जब इंस्पेक्टर नासिर वापस आए तो बात आगे बढ़ाते हुए बोले।
"मैंने ध्यान से सोंचा। जमुना प्रसाद के अलावा पोल खोल शो में जिनका भी पर्दाफाश हुआ था वो सभी धमकी तो दिला सकते हैं लेकिन इतने प्रभावशाली नहीं लगते कि नैना को गायब करा सकें।"
"हाँ पर कोई तो है जिसने नैना को नुकसान पहुँचाया है। ना जाने वो किस हाल में होगी।"
इंस्पेक्टर नासिर ने आदित्य को तसल्ली देते हुए कहा।
"मि. आदित्य आप घबराएं नहीं। हम फिर से नैना के केस की शुरुआत करेंगे। मैं नैना के कॉल रिकॉर्ड को चेक करके देखता हूँ। शायद उसमें कुछ निकल आई।"
आदित्य के दिमाग में एक बात चल रही थी। उसने इंस्पेक्टर नासिर के सामने अपनी बात रख दी।
"हमारा सारा ध्यान जमुना प्रसाद की तरफ था। इसलिए हमने किसी और बात पर ध्यान नहीं दिया। नैना की दोस्त चित्रा ने बताया था कि वह दस दिनों की छुट्टी लेकर नोएडा के 'धम्म शरण विपासना सेंटर' गई थी। यह वह आखिरी स्थान है जहाँ गायब होने से पहले नैना के होने का पुख्ता सबूत हैं। हमें वहाँ चल कर पूँछताछ करनी चाहिए।"
आदित्य की बात सुन कर इंस्पेक्टर नासिर कुछ सोंच में पड़ गए।
"मि. आदित्य इधर कुछ दिन तो जमुना प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज़ करने की प्रक्रिया में व्यस्त रहूँगा। अगले हफ्ते चलें।"
"ऐसा करते हैं कि मैं जाकर वहाँ कुछ पता करता हूँ। अगर कुछ हाथ लगा तो मैं आपको लेकर चलूँगा।"
इंस्पेक्टर नासिर को बात ठीक लगी। आदित्य ने विपासना सेंटर की वेबसाइट पर जाकर कई सारी जानकारियां प्रप्त कीं। अगले दिन सुबह ही वह नोएडा के उस विपासना सेंटर के लिए निकल पड़ा। 
धम्म शरण विपासना सेंटर आठ एकड़ के क्षेत्र में फैला बहुत ही मनोरम व शांत क्षेत्र था। इस सेंटर में विपासना से संबंधित कई कोर्स हिंदी तथा अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध थे। यहाँ देश तथा विदेश से कई लोग आते थे। यहाँ आने से पहले आदित्य ने सेंटर की संचालिका श्रीमती चेतना प्रकाश से बात कर ली थी। 
आदित्य सेंटर की संचालिका के कार्यालय में बैठा था। उसने श्रीमती चेतना प्रकाश को नैना के बारे में जानकारी दी। 
"मैम नैना यह कोर्स छह दिन में ही छोड़ कर चली गई। यह उसके स्वभाव के विपरीत बात थी।"
"आदित्य जी विपासना का यह दस दिन का कोर्स कोई साधारण कोर्स नहीं है। हलांकि यह एक प्रारंभिक कोर्स ही है जो आगे के कोर्स के लिए तैयारी कराता है। लेकिन इसके तहत स्वयं को हर एक चीज़ से काट कर ध्यान में रहना पड़ता है। मौन रहना पड़ता है। ऐसे में अक्सर लोग टूट जाते हैं। कुछ लोग इसे बीच में छोड़ देते हैं।"
"मैम जैसा की मैंने आपको बताया कि नैना यह कोर्स बीच में छोड़ गई थी। लेकिन मैम उसके बाद से उसका कोई पता नहीं चल रहा है। वह कहाँ है कोई नहीं जानता।"
"यह तो बहुत अफसोस की बात है आदित्य जी।"
"मैम मैं चाहता था कि कोर्स के दौरान जो गुरू नैना को ट्रेनिंग दे रहे थे उनसे बात करूँ। शायद वह उसकी मनोदशा के बारे में कुछ बता सकें। जिससे हमें कुछ मदद मिले।"
"देखिए मैं कह नहीं सकती कि वो आपकी कितनी मदद कर सकेंगे। लेकिन आपको करीब एक घंटे तक इंतज़ार करना पड़ेगा। आप चाहें तो तब तक हमारे सेंटर में घूम कर इस सुंदर जगह का आनंद ले सकते हैं। किंतु ऐसा कुछ मत कीजिएगा जो यहाँ की शांती को भंग करे। गुरू जी का नाम श्वेतपद्म है। आप उनसे मेरे कार्यालय में ही मिल सकते हैं।"
समय बिताने के लिए आदित्य उस सुंदर जगह का भ्रमण करने लगा। यह जगह सचमुच बहुत ही शांत व दिल को खुश कर देने वाली थी। आदित्य सोंचने लगा आखिर नैना कितनी अधिक परेशान होगी कि यह जगह भी उसके मन को शांत नहीं कर सकी। वह कौन होगा जिसके कारण निडर व साहसी नैना भी डर गई। ज़रूर कोई ऐसा होगा जो उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था। हो सकता है कि वह यहाँ भी उसके पीछे पीछे आया हो। गुरू जी से मिल कर वह इस विषय में जानने का प्रयास करेगा।
जब आदित्य श्रीमती चेतना प्रकाश के कार्यालय में पहुँचा तो श्वेतपद्म उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। आदित्य ने उन्हें सारी बात बताई।
"गुरू जी आप उन दिनों नैना की मनोदशा के बारे में कुछ बता सकते हैं।"
"देखिए अक्सर लोग विपासना कोर्स के लिए तब आते हैं जब उन्हें मानसिक शांती की आवश्यक्ता होती है। अक्सर वह बहुत परेशान होते हैं। नैना भी उसी तरह की मानसिक स्थिति में थी। वह परेशान थी। मन की शांती चाहती थी। लेकिन उससे यहाँ का अनुशासन सहन नहीं हो सका। इसीलिए बीच में ही छोड़ कर चली गई।"
"लेकिन उसने छह दिन तक तो कोर्स किया। फिर यह कैसे हो सकता है कि वह अनुशासन ना सहन कर पाई हो। ऐसा होता तो वह आरंभ में ही चली गई होती।"
"इस विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता है। छह दिन उसने कोशिश की हो फिर हार गई हो।"
"क्या आपने किसी ऐसे व्यक्ति को देखा जो उसके आसपास मंडराने की कोशिश करता हो।"
"ऐसा होना तो मुश्किल होता है। किंतु एक दिन नैना जब विश्राम के लिए अपनी कुटिया में जा रही थी तब मैंने किसी को उसे रोकने का प्रयास करते देखा था। मैंने तुरंत उसे अनुशासन में रहने की हिदायत दी।"
"आप बता सकते हैं वह कौन था ?"
"जी नहीं... मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ।"
आदित्य ने श्वेतपद्म को धन्यवाद दिया। उनके जाने के बाद उसने श्रीमती चेतना प्रकाश से उन लोगों की लिस्ट मांगी जिन्होंने नैना के साथ कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि वह ऐसा नहीं कर सकती हैं।