Ab Nhi Sahugi - 4 in Hindi Women Focused by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | अब नहीं सहुंगि...भाग 4

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अब नहीं सहुंगि...भाग 4

अब नहीं सहुंगि...भाग 4

तब सामने से आवाज उभरी! "आप कल सुबह 9 बजे बस स्टॉप पे मिलो! आपकी जॉब का इंतजाम हो गया है! शैली को अब कुछ राहत मिली! लेकिन उसने जॉब की जरूरत के आगे ये भी जानने की कोशिश नहीं की के जॉब कहां ओर कैसी है..? अब आगे।

                             भाग 4

रात भार भूख के मारे करवट लेती शैली ओर गुनगुन को सुधा देख रही थीं !
लेकिन करती भी तो क्या करती? 
रात तडपकर कटी !
सुबह के 6 बजे शैली कि आंख खुली तो बोली !
"मां गुनगुन रात भर सो नहीं पाई ! भूख की वजह से !  क्या करू कुछ समझ नहीं आता?
 सुधा तो जैसे बेजान सी होने लगी ये सब देख कर!  एक जगह बैठी की बैठी रही! ओर आंखो में आंसू निकलते रहे! उस मां पे क्या बीत रही थी ये आप ओर में बहुत अच्छे से समझ सकते है ! 
शैली सुब्हा फ्रेश होकर निकली! आज सुब्हा उसे 9 बजे बस स्टॉप उस आदमी से मिलना  था !
ईधर नूर आई ,हाथ में उसके बड़ सा टिफिन था जिसमें वो खाना बना कर लाई थी! नूर शैली से बोली !
"शैली मुझे माफ कर दे में रात को बहुत लेट हो गई थी मेहमानों के बीच फसी थी और थकान की वजह से नींद लग गई !मुझे याद नहीं रहा कि खाना ले कर तेरे घर जाना था! 
तब शैली ने कहा! 
"इसकी क्या ज़रूरी है ? मां ने नाश्ता बना लिया है! मेने खा लिया !और अब में जॉब के लिए जा रही हूं ! 
नूर बोली! 
"में जानती हूं तू मुझे सच नहीं बोलेगी!  लेकिन मे भी इसी घर में बचपन से खेली हूं! जवान यही हुई हूं !क्या सच है क्या नहीं पता है मुझे ! चल अब चुप कर के यह बैठ ओर नाश्ता कर जा!
 बस फिर क्या शैली नूर के सीने से लग गई! ओर फूट फूट कर रोने लगी !
"तू केैसे समझ लेती है पागल सबकी परेशानियां ! तू दुनिया कि सब से अच्छी दोस्त है नूर!"
" अरे.. अरे बंद करो मेरी तारीफ !चलो अब नाश्ता करो! ओर गुनगुन को भी खाना खिला दो! मां आप भी आजाओ में राणाजी को खिलाती हूं ! आप तीनों खालो!
 सुधा ने कहा!
" लाओ में राणाजी को खिलाती हूं !तुम बैठो !
फिर शैली नूर को देख रही थीं और उसकी आंखो में आंसू थे !
तभी नूर ने कहा ! 
"अरे अब तुम्हे देर नहीं हो रही जाओ जल्दी ओर अच्छी खबर सुनाना आकर!" मुस्कुराती शैली बोली!
"ओके बाय..!"
 ओर अब शैली बस स्टॉप आ गई ! वो आदमी जिसका नाम है सोनू उस एक बड़े से ऑफिस में ले गया जहां शैली ने देखा कि लड़कियां जादा है ओर लड़के कम थे लड़कियों को मॉडल ड्रेस मिनी स्कट टॉप पहने हुए देख के उसे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था! दिल तो करता था कि वो वहां से भाग जाए ,लेकिन घर की जिम्मेदरियो ने उसे ऐसा करने नहीं दिया! ओर वो अंदर गई! सोनू  उसे एक केबिन में छोडकर गया ! वहां ऑफिस का मैनेजर बैठा था !सोनू ने कहा !
"सर यही शैली है जिसके बारे में आपको कल बोला था! बहुत परेशान है जॉब की जरूरत है !
"ठीक है शैली आपको हम जॉब पे रख सकते है लेकिन हमारे यहां लड़कियों को ऑफिस के काम से बाहर भी आना जाना रहता है सो आप कर पाओगी?"
 शैली ने कहा !
"जी सर में कर लूंगी मुझे बस जॉब मिल जाए ! 
उसने कहा!
" ओके तो आप कल से ऑफिस ज्वाइन कर सकती है ! शैली ने डरते हुए पूछा !
सर एक बात बोलूं ! 
"हा बोलो ! सर मुझे कुछ एडवान्स मिल जाता तो आपका बहुत एहसान होता!
 सोनू ने कहा !
"हा सर बहुत परेशानी में है ,थोड़ा आप कर सकते है तो प्लिज! 
सर ने कहा!
" ओके ओर बोला आपकी सैलरी 15 हजार मिलेगी ठीक है मे?और वन मंथ का मै आपको एडवान्स दे देता हूं !"
शैली कि खुशी का ठिकाना नहीं था ! उसे लगा की उसकी प्रॉब्लम अब ख़तम होने लगी! लेकिन उसे पता नहीं था कि उसकी प्रॉब्लम अब बढ़ने वाली है !
शैली खुशी खुशी घर आई ! ओर नूर को कॉल किया! उसे बताया की उसे जॉब मिल गई !
नूर बहुत खुश हुई ! उसने कहा !
"अल्लाह का शुक्र है चल में थोड़ा काम खत्म कर के अाती हूं तेरे पास !
शैली ने कहा !
"नहीं अभी में बाज़ार जा रही हूं ! घर का सामान लाने हम बाद में मिलते है ! 
नूर नें कहा !
"ठीक है तुम हो कर आ ओ !
शैली मार्केट से घर का राशन ले आती हैं! फिर मां से कहा!
" बाकी पैसे आप रखो पापा की दवाई ओर जो भी  लाना है ले आना! शैली राणाजी के पास गई! और कहा !
"पापा अब सब ठीक हो जाएगा !मुझे अच्छी नोकरी मिल गई है !अब आप बिल्कुल फिक्र ना करना ! अब में सब ठीक कर दुगी !
राणाजी रोने लगे! ओर कहा !
"तू मेरी बेटी नहीं आज मेरा बेटा बन गई! जिसके कंधो पे घर की जिमेदारी आ गई! शैली बोली !
आप अब रोना बंद करो! में आपका बेटा हूं ना ? अब मुस्कुरादो!
 राणाजी मुस्कुराए !ओर शैली के सर पे हाथ रखते हुए बोले !
"भगवान तुझे हर मुश्किल से बचाए !शैली खुश तो थी लेकिन उसके दिमाग में ऑफिस का माहौल देख कर वहीं सब घूम रहा था !
दूसरे दिन जब शैली ऑफिस आई उसे कहा गया ड्रेस चेंज कर के आने को !वहीं सब लड़कियां पहनी थी! ओर अपने जिस्म की नुमाइश कर रही थी! शैली मना नहीं 
कर सकती थी उसकी मजबूरी के आगे  कुछ सही गलत नजर नहीं आ रहा था! उसने ड्रेस चेंज की और एंट्री की ऑफिस में ! अब उसका काम था सर के आसपास ही रहना! मतलब पीए की जॉब दी गई! पहला दिन शैली का कुछ इस तरह से गुज़रा ! उसे केबिन में बुलाया गया !ओर पास बैठ कर लेटर टाइप करने को कहा गया !शैली अपने काम में बिजी हो गई! तभी उसे ऐसा लगा कि उसके कंधे पर किसी का हाथ था ! उसने मूड के देखा तो उसका बोस बोला!
" क्या हुआ डरो नही अपना काम करो ! में बस देख रहा हूं तुम काम ठीक से कर सकती हो या नहीं ..!!!" ओर वो शैली को अन चाहे तरीके से छू रहा था...!

क्रमशः

                    ********सायरा खान********