Ab nhi Sahugi - 3 in Hindi Women Focused by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | अब नहीं सहुंगी...भाग 3

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अब नहीं सहुंगी...भाग 3

शैली ने बताया !
"पापा के ऑफिस से फोन आया था !पापा शारदा हॉस्पिटल में है ! हमें जल्दी वहां पहुचना है! बेटी की बात सुन कर उसके जैसे पैरो तले जमीन हट गई !  सुधा की आंखो से बस जैसे सैलाब उमड पडा ..! 
अब आगे...!

शैली और सुधा शारदा हॉस्पिटल जैसे ही पहुंची, बाहर अनिल मिल गया ! सुधा ने अनिल को देखते ही कहा!
" भैया राणाजी कहा है? उनको क्या हुआ है ? वो ठीक तो हैं ना..?"
अनिल बोला !
"आप लोग अंदर चलिए , राणाजी आई .सी. यू में है! 
ईतना सुनते ही शैली बोली!
"पापा को आखिर क्या हुआ है? बोलो ना अंकल..?"
 आई सी यू में राणाजी को देखते ही शैली और उसकी मां की जैसे जान ही निकल गई!
 वो दोनो की आंखो से समन्दर बेह रहा था! दोनों की हालत ऐसी थी जैसे  जल बीन मछली..!
शैली ने खुद को संभालते हुए कहा ! "डॉक्टर ने क्या बोला पापा को? क्या हुआ है उन्हें..! 
अनिल नें बताया कि राणाजी को परेलेसिस (लकवे) का असर हुआ है ! उनका एक साइड पूरा बेजान हो चुका है! एक हाथ ओर यह पैर अब काम नहीं कर पाएंगे ! ओर उनके चेहरे पर भी असर लगता है ! वो ठीक से बोल भी नहीं सकते! 
दोनो मां बेटी रोती रही ! तड़पती रही! लेकिन होता वहीं है जो ऊपर वाले को मंज़ूर होता है! 
कुछ दिन बाद राणाजी घर आ गए! और शैली नोकरी के लिए यहां वहां परेशान होती फिर रही है ! अब उसके घर में  मुश्किलो का तूफान उठ रहा था ! सुधा के पास आज घर खर्च के लिए सिर्फ 200 रुपए बाकी थे ! जिसे उसे घर भी देखना था! ओर राणाजी की दवाई भी अानी थी! सुधा कुछ समझ नहीं पा रही थी कि अब वो कहे तो क्या कहे!  घर में खर्च करती है तो उसके पति की दवाई रह जाती , जिसके बिना राणाजी की हालत बिगड़ी सकती थी, ओर घर में जब खाने को कुछ नहीं होगा तो बच्चो ओर राणाजी को क्या खिलाएगी यही सोच सोच के सुधा का बुरा हाल था ! ओर वो रो रो के पागल हुई जा रही थी ! तभी पीछे से नूर ने आवाज़ दी! मां क्या हुआ राणाजी की तबियत ठीक तो है ना? आप रों क्यू रही हो..? सुधा ने बात बनाते हुए कहा!
" कुछ नहीं बस राणाजी का सोच कर रोना आ गया ..! और कोई बात नहीं है! नूर को साफ दिख रहा था कि सुधा कुछ छूपा रही है! लेकिन वो जादा ज़ोर दे कर नहीं पूछ पाई ! अब शैली भी घर आ गई ! ओर नूर ने पूछा !
" शैली.. मिली कोई जॉब..? कहीं बात बनी या नहीं..?
शैली ने कहा! 
"नहीं नूर अभी कहीं कुछ नहीं हुआ ! हर जगह से निराशा ही मिल रही है ! क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा है ! ऊपर वाले ने एक उम्मीद भेजी है ! देखते है कुछ बात बन जाए! 
नूर ने पूछा !
"क्या हुआ आज..?"
शैली ने बताया !
"आज एक भैया मिले थे बस स्टॉप पर! उसने मेरा फोन नंबर लिया और कहा है कि में जल्दी ही अच्छी जॉब के लिए कॉल करता हूं !
इतने में नूर का कॉल आया! ओर हैदर साहब ने कहा !
"नूर जल्दी घर आ जाओ ! कुछ मेहमान आए है ! 
नूर ने कहा !
"ठीक है अब्बू.. में अभी आई !" 
शैली अपनी मां के पास गई और देखा की सुधा की आंखो में आंसु है ! 
शैली ने कहा!
" क्या हुआ मां ? क्यू रो रही हो ? क्या बात है मुझे बताओ?" 
सुधा खुद को रोक नहीं पाई ओर शैली के सीने से लग के झार झ़ार रोने लगी! वो तडप कर बोली !
"बेटा ये दिन देखने से पहले में मर क्यू नहीं गई ? आज पति को देखती हूं तो मेरी बेटीया को भूखा सुलाना होगा! ओर बेटियों को खाना देती हूं तो पति को दवाई नहीं दे सकती !"
शैली अपनी मां की बात समझ गई थी! उसने कहा:" पापा की दवाई ज़रूरी है मां हम लोग एक दिन बिना खाए रहे सकते है! एक दिन में मर नहीं जाएंगे ! लाओ मुझे दो में पापा की दवाई ले आती हूं! शैली गई ओर पास के मेडिकल से राणाजी के लिए दवाई ले आई ! वहीं राणाजी ये सब चीजों से वाकिफ थे कि आज उनके घर की क्या हालत है ! सुधा जब उनको दवाई खिलाने गई तो राणाजी ने दवाई लेने से इंकार कर दिया! ओर अपनी कंपती आवाज़ में बोले !
"बच्चियों को भूखा रख के में दवाई नहीं खा सकता! मुझे कहीं से ज़हर ला दो ऐसी ज़िंदगी से मर जाना बेहतर है! शैली ओर सुधा के पास बस रोने के अलावा कोई रास्ता नहीं था! तभी बाहर से गुनगुन आई ओर बोली!
" मां मुझे भुख लगी है खाना दे दो !शैली ने गुनगुन को बहलाते हुए कहा!
" मां अभी खाना बना ने जा रही है ! तुम रूम में जाओ और अपनी पढ़ाई करो! खाना बनाते ही मे ले कर आती हूं ! गुनगुन अपने रूम में गई! शैली कि समझ में नहीं अा रहा था वो करे तो क्या करे..? 
कुछ देर बाद उसने कमरे में जाकर देखा तो  मासूम बच्ची गुनगुन बिना  कहना खाए भूखी सो गई ! शैली वहीं दरवाज़े के पास ही बैठी रह गई ! ओर फूट फूट के रोने लगी ! वो खुद को कोस रही थी कि जिस बाप ने उसके लिए इतना सब किया ,आज वो कुछ नहीं कर सकती अपने पिता के लिए!  तभी शैली का फोन बजा!
 शैली ने कॉल लिया! 
हेल्लो कौन ..? 
उधर से आवाज़ आई!
" आप शैली बोल रही हो ना?"
 उसने कहा!
" हा ..!" तब सामने से आवाज उभरी! "आप कल सुबह 9 बजे बस स्टॉप पे मिलो! आपकी जॉब का इंतजाम हो गया है! शैली को अब कुछ राहत मिली! लेकिन उसने जॉब की जरूरत के आगे ये भी जानने की कोशिश नहीं की के जॉब कहां ओर कैसा है..!


क्रमशः

                 ********सायर खान*********