vo kon thi - 26 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी - 26

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वो कौन थी - 26

रुहो का कोई धर्म नही होता!
इस बात को ईल्म धारण करने वाले बखूबी जानते है!
बाबा का मजार में होना ईतफाक नही था, तय था पहले से.. ! किसी के प्राणो को बचाने वो कुछ भी कर गुजरते है! 
एक सिध्धयोगी होकर वो उपरी ताकतो को  ताड लेते है!  उनको कंट्रोल अपने तरीके से करते है! 
बाबा अच्छी तरह जानते थे की कोई है, जिसने जिन्न को वश किया है! उस इन्सान को पहचान लिया जाता तो बहुत जल्द जिया और खलिल के परिवार को जिन्न के करतूतो से बचाया जा सकता था!
 जिया को किसी भी हालत में 7 दिन तक मजार पर आकर धागा बांधने का फरमान दीया! 7 दिन तक खुद को सबकी नजरों से बचाकर वजीफा पढ़ने की सलाह दी गई! 
और 7 दिन के बाद "मैं फिर आऊंगा" इतना कहकर वो जैसे ही आए थे वैसे ही मजार के गर्भ गृह में अंतर्धान हो गए!
जिया सबकुछ जान गई थी! 
उसी वजह से वो काफी डरी हुई थी!  अब किसी को वो खोना नही चाहती थी! 
अपने घर लौटने से पहले उसने खलिल को दो हाथ जोडे!
"मुझे माफ करदो खलिल..! मै हार गई हुं.! अब तक तूम्हारे लिए कुछ भी ना कर सकी..!"
"तुम्हारा कोई कुसूर नही है जिया!'
"नही खलिल.. हकिकत तुम नही जानते हो..  मै गुनहगार हो गई हुं..! खैर हमे सात दिन इन्तजार करना है..! अमन के मौत की खबर मेरी सास को कैसे दुं मेरी समझ में नही आ रहा..?"
"खबर तो देनी ही है जिया.. अब उनका तुम्हारे अलावा इस दुनिया मे कौई नही है..? अब उन्हें संभालने की जिम्मेदारी तुम्हारी है..! मुझे एक पल के लिए भी कभी अपना माना हो तो..  ईतना याद रखना छोटी से छोटी परेशानी हो तब भी मुझे आवाज लगाना..! क्योकि अब ये लहु का कतरा-कतरा भी तुम्हारे लिए बहा दु तब भी मेरे लिए कम होगा.!"
जिया कुछ देर उस इन्सान को एकटूक देखती रही जिसके साथ जीने के कभी उसने हसीन ख्वाब देखे थे! उसको तकलीफ में वो खुद भी नही देख सकती थी! 
 बहुत कम लोग होते हैं जो किसी भी हाल में उस इंसान का भला करते हैं , जो उनके दिल के करीब होता है! कुछ देर ज्यादा खड़ी रहती तो खुद को रोने से रोक नहीं पाती! 
वह फौरन अपने उजड़े हुए घर को संभालने भागी!
***
"बेटा तुम तो रात को आई थी फिर सारी रात कहां चली गई थी!"
जिया का इस तरह घर आकर गायब होना उसकी सास को अजीब लगा!
"मम्मी जी..! मुझे डर लग रहा है कुछ बताना है आपको..! 
"हा बताओ..!"
"इस दुनिया में जिसने जन्म लिया है उसका मरना निश्चिंत है! हम सब को एक ना एक दिन मिट्टी में मिल जाना है यही कुदरत है..! है ना..?"
"हां.. पर तू ये सब मुझे क्यों सुना रही है मेरी बच्ची..?"
"क्योंकि अमन अब इस दुनिया में नहीं रहा मम्मा..!"
जिया की आवाज टूट सी गई! 
जिया की बात सुनकर उसकी सास को सीने में दर्द उठा!  
 वो कराह कर यु गिरी जैसे पानी से भीग कर मिट्टी का बुत गिरता है..! 
मां...!  
जिया के होठो से चीख निकली! 
सास की आंखे खुली रह गई! 
उनमे सैलाब उमड कर फ्रीज हो गया! 
जिया ने उनकी धडकने सुनी! कुछ भी नही था!  वो बेजान हो गई थी! 
बच्चे के रोने की आवाज सुनकर जिया चौकी..! अपनी बच्ची को गोद में उठाकर उसने उसके चेहरे को जगह-जगह से चुमा..!  उसकी आंखें झार झार थी!
खलिल को फोन करके रोते हुये जिया ने सारी बात बताई!
सुल्तान और उसकी फैमिली ने मिलकर उसकी सास को दफनाया! 
जिया और अमन के अलावा उनका इस दुनिया मे कोई नही था! 
खलिल की मां ने जिया से कहा!
अपने आप को कभी तन्हा न समझना! मेरे घर के दरवाजे हमेशा तेरे लिए खुले हैं! इतना समझ ले  तू हमारी ही फैमिली का ही हिस्सा है! 
खलिल की आंखें साफ-साफ यह बात बयां कर रही थी कि वो जिया की एक 'हां' के इंतजार में है!
जिंदगी ऐसे ऐसे इंमतहान लेगी मालूम नहीं ! सब कुछ लुट गया था! जैसे एक बाढ़ आई और सब उस में बह गया!
रह गई  सिर्फ तनहाइयां..! अश्कों का दरिया..! कभी ना मिटने वाली यादें..!
मगरिब का वक्त होते ही जिया बुर्का पहनकर मजार जाने निकली! 
वैसे तो शरीयत के बिलकुल खिलाफ था! शोहर की मृत्यु के बाद चार महीना घर की चारदीवारी में ओरते बंद रहती है! पर यहां तो न जाने कितनी जिंदगीयों का सवाल था! जिसमें उसकी मासूम बच्ची भी शामिल थी! 
अपनी बच्ची को लेकर मजार जाना धागा बांधना ,और दुआ मांगनी उसने नियम बना लिया था!
 खलिल की अम्मी और दूसरी औरतें भी जिया के पास आकर रोज बैठती थी! जिससे उसका दिन कट जाता था!
******
7 दिन हो गए थे की फिर अचानक उस के घर में तहस-महस हो गई!  बर्तन सारे नीचे गिर गए! घर की एक एक चीज उठाकर किसी ने फेंक दी थी!
उसने तुरंत घर में चारों तरफ दीवारों पर इत्र छिडका..!  काला फकीरी लिबास पहन लिया ! गुलाब की खुशबू से सारे घर को महका दिया!
 दोनो तरफ आसन बिछाकर एक पर वो बैठ गई! 
मोगरे की मोती जैसी छोटी-छोटी कलियां लेकर उसने एक यंत्र बनाया!  
जिन में उड़द के दानों से उसने अलग अलग अंक बनाये! 
अपनी आंखें बंद करके उसने पुकारा!
"मेरे दोस्त इतना गुस्सा ठीक नहीं है! मैंने हमेशा आपको खुश रखा है! सब्र से काम लो! तुम्हारी फरमाइश पूरी कर दी जाएगी!
अचानक जमीन पर एक जोरदार थप्पड़ की आवाज सुनाई दी! एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे जीसीबी के पहिए को किसी ने उठाकर जमीन पर दे मारा हो!
रहे सहे बर्तन भी गिर गए!
छोटे से काले डरावने बच्चे ने आते ही उसकी आंखें खोल दी!
अपनी बड़ी बड़ी आंखों से वह उस औरत को घूर रहा था!
'जब तूने पहली बार मुझे बुलाया तो मैंने क्या बताया था याद कर..!'
मुझे वह सब कुछ याद है! 
अपनी आवाज में ऊभरी घबराहट छुपा कर उसने कहा!
"तुमने कहा था मैं तुम्हारा कोई भी काम कर दूंगा मगर बदले में मेरी पसंद की चीज मुझे देनी होगी.!"
"फिर अब क्यों तुम वादे से मुकर रही हो..?"
"मैं वादे से मुकर नहीं रही..! तुमने एक कंवारी लड़की का कलेजा मांगा है! 
मैं तुम्हारी मनोकामना पूरी करूंगी! बस मुझे थोड़ा वक्त दो..!"
सिर्फ 1 दिन का वक्त देता हूं ! अब मैं ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता! सोच लेना तुम्हारी बहन के बच्चे जो पाली में है मैं वहां तक पहुंच गया हूं! तुम चाहो तो उन्हें बचा सकती हो!"
शैतानी बच्चे ने हंसते हुए अपने पैर पटके..! 
बड़ी बड़ी आंखें  वाले काले बच्चे ने जो बात कही उससे उस औरत के पैरों तले से जमीन खिसक गई!
 अमन और निगाह के घर तक पहुंच गया ये..! या अल्लाह..! अब तो एक ही उपाय था , किसी भी तरह वो छोटी सी बच्ची को उठाना! 
" ठीक है तुम नाराज मत हो मैं कुछ करती हूं! बच्ची को लाकर तुम्हारे हवाले कर दूंगी..!"
उस शैतानी बच्चे की आंखे चमक उठी! 

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खलिल के घर से जिया का दोनों वक्त खाना आता था! 
खलिल की अम्मी जिया को अपने पास बिठाकर खाना खिलाती थी!
 मगरिब के बाद जब वो मजार जाकर आई तब एक घटना घटी..! 
उसकी छोटी बच्ची खेलती-खेलती घर से बाहर गई! जब काफी देर हुई तो खलिल की अम्मी वही बैठी थी, उन्होंने बाहर जाकर देखा ! बच्ची को कहीं भी ना पाकर उनका दिल धक्क से रह गया! 
जिया को खबर देने से पहले उन्होंने खलिल को कॉल लगाई!
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