Jang-A-Jindagi bhag - 4 in Hindi Love Stories by radha books and stories PDF | जंग-ए-जिंदगी - 4

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जंग-ए-जिंदगी - 4

जंग-ए-जिंदगी-4


अब भी बापु सब कुछ ख्वाब मे देख रहे है।किस तरह से एक राजकुमारी डाकुरानी बन गई।

राजकुमारी दिशाने मंत्री "जगजीतसिंह" का सहारा लिया।

एक "सभा" चुपके से बुलाई। सभा मे तकरीबन "200 सो लोग" है।

उसने कहा...."मंत्री जगजीतसिंह" मे आपसे पूछती हु क्या आप मेरा साथ देंगे?

भले ही आप बड़े बापू के वफादार रहे हैं, फिर भी।


जगजीतसिंह को तब याद आया..... महाराजा सुर्यप्रतापसिंह ओर उसकी बाते.....


जगजीत; महाराजा,अब हमे ईतनी हमदर्दी दिखाने की कोई आवश्यकता नही ।हर बार वो लोग हमे बहोत बडा नुकसान पहोचाते है।हर बार वो युध्ध के नियमो का उलंघन करते है। ओर हम........




महाराजा; हम एसा नही कर सकते।हम अपने नियम का उलंघन नही करा सकते।कभी नही।



जगजीत;मगर महाराजा...

महाराजा; नही,जगजीत कभी नही।



जगजीत;महाराजा मुजसे ये सब हरगीझा बरदास्त नही होता। अगली  बार कोई नदानी की तो आप अपने नियमो पर अट्ल रहना मे भी "ईंट का जवाब पथ्थर" से ही दुंगा।



महाराजा; उग्र स्वर मे बोले अगर आप लोगो ने या सैना ने एसा कुछ किया तो मुजसे बुरा कोई नही होगा।


जगजीत; मगर महाराजा

महाराजा;नही मतलब नही।

जगजीत;महाराजा मगर हमारी माताए, बहेने, बच्चे, बुढे सब को वो लोग......



महाराजा;कुछ भी हो जाये जगजीत मगर हम ....एसा नही करेगे।

राजकुमारी बोली जगजीतसिंह क्या सोच मे पड गये?

तब जगजीत सिंह ने कहा....राजकुमारी मुजे वो मनहुस दिन याद आ गया जब "भानुपुर' की एक महिला को भर बाझार मे बेईज्ज्त किया गया ओर महाराजाने हमे जाने नही दिया ओर नाही हमे उन लोगो की तरह हमे बेईमानी करने दी।


अगर वो हा केहते  तो वो महिला बच जाती मगर एसा नही हुवा।मेरी आंखो के सामने महिला के घरवाले उसका पति बच्चे गिड्गिडाये मगर मे कुछ नही कर पाया कुछ नही सिर्फ महाराजा के काराण्। फिर उसने अपना हाथ जोर से पटका।

राजकुमारी बोली आज वो दिन है काका,आप हमारी, उस महिला ओर उसके जैसी कही महिलाओ को न्याय दिलाये,ये आपका प्रथम कर्तव्य है। आप मंत्री ही नही हमारे काका भी है।


आप सोचे उस जगह अगर आपकी बेटी "प्रेमलता" होती तो.....? क्या आप महाराजा के हुक्कम का ईंतझार करते? क्या आप उन डाकुओ को बक्षते?


नही कभी नही तो फिर एसा क्यु? हम सिर्फ मंत्री को नही, हम सिर्फ जगजीतसिंह को भी नही, हम हमारे काका को नही, सब को पुछते है,एसा क्यु? बताये एसा क्यु?


हम ये सब सेह नही पाते है। तो आप अभी तक क्यु सेहते आ रहे है? क्या आप लोगो के दिल मे प्यार नही है? अपनापन नही है? या फिर आप लोग मर्द नही है?आपकी मरदानगी क्या मर चुकी है? आपके अंदर ‘’राज’’ परिवार का खुन  नही है?


हमे बताये?क्या है आप? क्या बन गये है आप सब?

एक आदमी बोला ना हम नामर्द है। ना हम अपना परिवार भूले है। ना हम सब कुछ भुल गये। हमे जो हमारे लिये एक व्यक्ति चाहिये था जो हमारी हिम्मत बढाये वो मिल गया, अब मे आपके साथ हु।


दुसरा बोला मे भी राजकुमारी के साथ हु।

तीसरा बोला मे भी राजकुमारी के साथ हु।

पुरी सभा मे आवाझ आने लगी हम सब राजकुमारी के साथ है।


मंत्री जगजीतसिंह बोले अब हम डाकुओके अत्याचार को नही सहेगे। नाही उसकी राक्षसी स्वभाव को। अब नाही हम भानुपुर की एक भी स्त्रीका अपमान होने देगे।


हा...हा....नही होने देंगे,नही होने देंगे।


राजकुमारी बोली आज से हम ‘’राजकुमारी’’ नही है।

हमारा नाम है.... ‘’डाकुरानी’’

आज से कोई हमे ‘’राजकुमारी’’ नही बुलायेगा।


जगजीतसिंह जी ‘’राजकुमारी’’।


राजकुमारी बोली काका "जी डाकुरानी" कहे।


डाकुरानी की जय हो...जगजीतसिंहने आवाझ लगाई ओर गुंज उठा स्वर जंगल मे।



डाकुरानी ने बोला अगर आप लोगो को आपतिना हो तो जगजीतसिंहजी आज भी हमारे मंत्री पद पर ही रहेंगे?


एक आदमी बोला हमे कोई आपती नही,है ना भाईओ?

हा..हा...हमे कोई आपति नही,कोई आपति नही।



राजकुमारी ने अपनी सेना को जंगलमे स्थित उंचे पहाड पर जहा घना जंगल है वहा जाने का आदेश दे दिया।वही वो रसजय5चलाएगी।




मंत्री को कहा....आप हमे अच्छी घुडसवारी ,तलवार बाझी,निशानेबाझी ओर वो सब कुछ सिखायेंगे जो एक सैनिक को सीखना चाहिये।




जगजीतसिंह आज भी मंत्री पद पर है वो बोले जी डाकुरानी जैसा आपका हुक्कम।


आगे जानने के लिये मुजसे जुडे रहीए।