Ab Nhi Sahugi - 2 in Hindi Women Focused by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | अब नहीं सहुंगी...भाग 2

Featured Books
Categories
Share

अब नहीं सहुंगी...भाग 2

शैली कि बातो से वो सहमत थी, लेकिन उसने यही कहा कि पापा की मर्ज़ी बिना तुझे जॉब नहीं करनी है , क्यू की मां-बाप हमारा अच्छा सोचते है, ओर रही बात घर की परेशानी की तो वो तो तू और में बचपन से समझते है! और वैसे भी तुझे पता है, हम दोनों कुछ सोचे तो कर के ही दम लेते है! थोड़ा टाइम होने दे पापा मान जाएंगे! 
फिर दोनो बातो में उलझ गई! 
और हसी मज़ाक चलता रहा.!
अब आगे...!!!


थोड़ी देर में नूर अपने घर चली गई ! लेकिन उसके मन में बार बार शैली की बाते घूम रही थी कि उसके पापा को जॉब करने देने के लिए कैसे मनाया जाए! उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था!  वो अपने अब्बू के पास गई! बोली :"अब्बू एक बात पूछूं ? क्या में जॉब करना चाहूंगी तो आप मुझे जॉब करने देंगे..?"
उसके अब्बू ने कहा:" नहीं में तुम्हे जॉब नहीं करने देना चाहता.. एक बाप के दिल से पूछो तो.. क्यू की माहौल अच्छा नहीं बाहर का फिर भी तुम चाहोगी तो में तुम्हारी खुशी के लिए मना नहीं करूगा..!! इतना सुनते ही नूर बोली! 
"अब्बू अल्लाह आपको सलामत रखे! आप मेरी खुशी के लिए इतना सोचते है, शुक्रिया अब्बू ! 
तभी अब्बू ने कहा!
"अच्छा अब ये बताओ !आज ये जॉब करने का खयाल कैसे आया ?"
तब उसने शैली कि सारी परेशानी अब्बू को बताई , ओर कहा अब्बू आप राणाजी को समझाके देखोना शायद वो आपकी बात मान जाए ! शैली को जॉब करने की इजाज़त दे दे ! हैदर साहब ने कहा ठीक है, में बात कर के देखता हूं !
दो दिन बाद जब राणाजी मिले हैदर साहब वो दोनों बैठे ! यहां वहां की बाते हुई साथ में चाय पीते पीते बात निकली शैली के जॉब की! तब हैदर साहब ने कहा! "राणाजी आप शैली को जॉब करने से क्यू माना कर रहे है? हमारी बच्चियां समझदार है ओर पढ़ी लिखी है , उनको कोई भी अच्छी नोकरी मिल सकती हैं! तो आपको किस बात का डर है ?"
राणाजी ने कहा !
"में ऑफिक में काम करता हूं ! में जानता हूं कैसे लोग है ओर लड़िकयों को कैसे परेशान करते है ! बस यही वजह है मेरे माना करने की ! ओर कुछ नही! हैदर साहब ने कहा !
"हर जगह एक जैसी नहीं होती, थोड़ा सोचो शैली के जॉब करने से घर में भी मदद हो जाएगी और कल उसकी शादी के लिए भी वो कुछ जोड़ पाएगी ! राणाजी को बात कुछ हद तक ठीक लगी! तब बोले!
" में देखता हूं कहीं कोई ठीक ऑफिस लगा तो में उसे बोल दुंगा ! 
ऐसे ही बाते चलती रही! दोनो फिर घर आ गए ! कुछ दिन गुजर गए! इधर नूर ओर शैली भी जॉब की तलाश में थी ! कई लोगो से जॉब के लिए बोला था कि अच्छी जॉब बताएं ! वहीं नूर का भाई भी जॉब ढूंढ़ रहा था शैली के लिए! कुछ दिन बाद एक हादसा हुआ! राणाजी अपने ऑफिस से शाम 6 बजे घर जाने के लिए बाहर आते है!
5 -6 कदम चलते ही उनको चक्कर आने लगे ! ओर उनका पूरा शरीर कांपने लगा! कुछ ही देर में वो ज़मीन पे गिर गए! ओर बे होश हो गए! तभी ऑफिस से बाहर निकल रहे स्टाफ ने देखा!
" राणाजी ज़मीन पे गिर गए! सभी लोग ईक्कठे हो गए !ओर उनको होश में लाने की कोशिश की , लेकिन कोई असर नहीं! फिर राणाजी को हॉस्पिटल ले जाया गया! शैली के पास कॉल अाता है जो राणाजी के नंबर से किया गया था! शैली ने कॉल उठाते ही बोला! "जी पापा बोलिए! 
तभी दूसरी तरफ से आवाज़ आई !
"आप शैली बोल रही है ना राणाजी की बेटी?"
उसने कहा !
"जी हा में शैली बोल रही हूं ,लेकिन आप कौन है ? ओर पापा का फोन आपके पास कैसे आया?
तब उन्होंने बताया कि में पापा के ऑफिस स्टाफ में से हूं राणाजी का दोस्त अनिल! शैली बोली !
"ओह...! जी अंकल बोलिए ! पापा कहा है?"
अनिल ने कहा!
" बेटा आपके पापा शारदा हॉस्पिटल में है! आप अपनी  मां को लेकर अाजाओ ! इतना सुनते ही शैली घबरा गई बोली! अंकल पापा को क्या हो गया? वो ठीक तो है ना प्लीज़ बताओ मुजे? 
अनिल ने कहा! "आप बस आ जाओ सब ठीक है ! शैली घबराई हुई अपनी मां के पास आई और कहा!
" मां जल्दी चलो मेरे साथ! सुधा ने पूछा क्या हुए कहा ले जा रही हो मुझे ?"
शैली ने कहा !
"चलो तो रास्ते में सब बताती हूं आपको! लेकिन अभी चलो! दोनो घर से बाहर आकर ओटो पकडती है ! अब सुधा ने फिर से पूछा !
शैली ने बताया !
"पापा की ऑफिस से फोन आया था !पापा शारदा हॉस्पिटल में है ! हमें जल्दी वहां पहुचना है! बेटी की बात सुन कर उसके जैसे पैरो तले जमीन हट गई !  सुधा की आंखो से बस जैसे सैलाब उमड पडा ....!


क्रमशः

                 ********सायर खान*********