जाल हसीना की - horror story
मैं शुरू से शर्मीला था, लड़कियों से बात करने में हिचकिचाहट सी होती थी, या यूँ कह लीजिये की लड़कियों से बात ही नहीं कर पाता था. शायद इसकी एक वजह यह भी थी की मैं हमेशा बॉयज स्कूल में पढ़ा था, जहाँ लड़कियों से दोस्ती तो दूर उनकी शक्ल देखने को नहीं मिलती थी, मैं हमेशा पढ़ाई पर ध्यान देता था और फुर्सत के समय अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था. धीरे धीरे मेरे सारे दोस्त अपने अपने जगह सेट होते चले गए मतलब अपने अपने जॉब में लग गए, मैं भी जॉब की तैयारी में जुट गया और मुझे शिमला के पास ही एक कसबे में जॉब मिल गया, जगह अच्छी थी, लोग भी अच्छे थे, उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया, जिनकी वजह से ना मुझे कभी घर की याद आयी ना ही मुझे ऐसा लगा की मैं अपने घर से इतना दूर आ गया हूँ. वक्त के साथ साथ मैं वहां रम गया था. मेरे साथ काम करने वाली एक लड़की जिसका राम सुजाता था, वह मुझे पसंद आ गयी, सुजाता बहुत गोरी थी और देखने में भी बहुत सुन्दर थी, मेरी नजर ऑफिस में उसी को तलाश किया करती थी, धीरे धीरे मैं उसके करीब जाने की कोशिश करने लगा, आस्चर्य की बात थी वह इतनी गोरी थी की मेरा रंग उसके सामने काला लगता था, लेकिन मैंने सोचा अगर सुजाता हाँ कह दे तो आज ही उसके साथ शादी कर लू, यह बात मैंने अपने घर वालो को बताई तो उन्होंने लड़की को अच्छी तरह देख परख लेने को कहा, मैंने सुजाता के करीब जाने के साथ साथ उसके शरीर को भी बिरिकियों से देखने लगा, घर वालो का भी कहना सही था की शादी से पहले लड़की को अच्छी तरह देख लेना चाहिए, क्योँकि सिर्फ रंग ही सब कुछ नहीं होता है .
अब तो सुजाता को देखते हुए करीब एक साल होने को आया, इतने दिनों में मैं सुजाता से घुल मिल भी गया, मुझे सुजाता में कोई कमी नजर नहीं आयी, करीब करीब मैंने उसे सब तरफ से देख लिया था, अब यह बात अलग थी की शरीर के कुछ पार्ट्स को छोड़ कर. हाँ एक बात और ताजुब भरी थी, चाहे कितनी ही गर्मी पड़े या बारिश हो सुजाता कभी अपने पैरो से मोजा नहीं खोलती, यह मुझे आस्चर्य लगता, एक बार मैंने सुजाता से पूछा भी, लेकिन सुजाता ने हस्ते हुए सिर्फ इतना कहा की वह बिना मोज़े को नहीं रह सकती, मोजा उसकी कमजोरी है उसके पास करीब 200 जोड़ी मोज़े है. मैंने उसके बाद कभी गौर नहीं किया, एक दिन मैंने उसके सामने शादी की बता कह डाली वह हस्ते हुए मान गयी, लेकिन एक शर्त पर उसका शर्त भी अजीब था की मैं उसे कभी मोजा खोलने को ना कहु, मैं मान गया. मैं बहुत खुश था, कुछ दिनों के बाद हमारी शादी हो गयी, सुहागरात को मैं उससे लिपट कर सो गया और लाइट ऑफ होने के बाद हमारे बिच शारीरिक संबंध भी बने, हमारी जिंदगी अच्छी तरह से कट रही थी, एक बार सुजाता नाहने के लिए बाथरूम गयी मुझे मस्ती सूझी और मैंने चुपके से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया लेकिन यह क्या जब मेरी नजर सुजाता के पेअर पर पड़ी तो मैंने देखा उसके पैर तो है ही नहीं, ऐसा कैसे हो सकता था मोज़े में पैर होता है और बिना मोज़े के पैर नहीं, तभी सुजाता हवा में उड़ने लगी और मुझे जोर से चांटा मारा और कहा की उसने मना किया था की उसके पैर बिना मोज़े के ना देखे, फिर क्यों देखा ? मैं पूरी तरह से दर गया था, सुजाता लगातार हसे जा रही थी, उसके बाल खुले हुए थे, और वह मुझे हवा में उड़ा कर जमीन पर पटक रही थी, मैंने सुजाता को पकड़ा और होश में आने को बोला उसे अपन प्यार का वास्ता दिया, जब जा कर सुजाता शांत हुई, मैंने उसे उसके मौजे दिए साथ में उसे आराम करने को कहा, उसके बाद जो मैं घर से निकला तो वापस अपने घर चला आया उसके बाद मैंने जॉब छोड़ दिया और ना ही कभी शिमला वापस गया………