Sone ki machhali in Hindi Short Stories by Amita Joshi books and stories PDF | सोने की मछली

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सोने की मछली

सोने की मछली

एक नदी किनारे छोटी सी झोपड़ी में चुनमुन नाम की छह साल की लड़की रहती थी | दिन भर वो माँ के आसपास उछलती कूदती और माँ के काम में हाथ बंटाती | उसके बाबा पास के जंगल में सुबह सवेरे लकड़ी लेने चले जाते | शाम को लकड़ियां बेचकर जो पैसे मिलते उससे घर का खर्च चलाते| उनका बहुत मन था की अपनी चुनमुन को पढ़ा लिखा कर एक अच्छा डॉक्टर बनाएं | जंगल के साथ लगते उस गाँव में बहुत सारे लोग बिना इलाज के ही मर जाते थे| पर दिन रात मेहनत करने पर भी चुनमुन के बाबा पैसे नही जोड़ पा रहे थे |

"चुनमुन, माँ को तंग मत करना और खाना बनाने केलिए नदी से पानी समय पर लाना ", रोज़ सुबह बाबा की ये हिदायत सुनकर ही चुनमुन झट से बिस्तर छोड़ देती थी | दरअसल चुनमुन को नदी पर जाकर अपनी छोटी सी गागर में पानी लाने का बहुत शौक था और माँ बस यही एक काम कराती थी उससे | उसके बाद चुनमुन पेड़ पर चढ़ती, उतरती, झूला झूलती और अपनी सहेलियों के साथ खूब खेलती| कभी कभी वो दिन में बाबा का खाना लेकर जंगल भी चली जाती और फिर बाबा उसको अकेले आने केलिए खूब डांटा करते |

"चुनमुन, पीने का पानी गागर से निकाल कर एक साफ़ बर्तन में रख दो और देखो गागर को आज साफ़ करके धुप में रख आओ ", माँ ने चुनमुन को हिदायत दी |

"अच्छा माँ, अभी झूला झूलकर करदूँगी ", चुनमुन ने बात को टालते हुए कहा |

"मैं बाबा से शिकायत करूँगी तुम्हारी, फिर वो तुम्हारे लिए फ्रॉक और पढ़ने केलिए किताब नही लाएंगे शहर से | "माँ ने प्यार से समझाया | माँ जानती थी की चुनमुन को पढ़ने का, शहर जाने का, नई फ्रॉक का बहुत शौक है | ऐसा कहकर वो चुनमुन से काम तो करा लेती थी पर मन ही मन अपनी विवशता पर दुखी भी होती थी |

"माँ तू चिंता मत कर, मैं सब काम कर दूँगी और जो ये मेरी गागर है, देखना यही मुझे पढ़ाएगी "माँ को दादी की तरह समझाते हुए चुनमुन फिर गाना जाती

गागर मेरी सबसे चमकीली,

सबसे सुन्दर और रंगीली

ये मुझको नदी से मिलाती

पाठ नित नए सिखाती

लेजायेगी मुझको पाठशाला

जानेगा मुझको जग सारा |

रोज़ की तरह एक दिन चुनमुन जब गागर में से पानी निकालने लगी तो उसने देखा की कुछ चीज़ पानी मैं चमक रही है | पीने के पानी में हाथ नही डालते, ये सोच कर चुनमुन गागर को माँ के पास लायी | माँ ने जब कुछ चमकता हुआ देखा तो उसे वो मछली सी लगी, पर उसे पानी से निकालना जीव हत्या होगा, ये सोचकर तो माँ भी असमंजस में पड़ गयी| माँ को अपने बचपन की कविता याद आगयी जो चुनमुन की नानी सुनाती थी |

"माँ ये चमकीली चीज़ क्या है?' इसको निकालो, में खेलूँगी इससे, चुनमुन ने ज़िद करते हुए कहा |

"नही चुनमुन, ये मछली है और तुम्हारी नानी कहती थी

"मछली जल की रानी है,

जीवन उसका पानी है

हाथ लगाओगे तो डर जाएगी,

बाहर निकालोगे तो मर जाएगी |

और फिर माँ और चुलबुल गागर को ही लेकर जंगल चले गए |

"चुनमुन बाबा की रोटी भी लेचल, वही इसमें से चमकीली मछली निकालने का उपाए बताएँगे | "माँ ने गागर धीरे से उठाते हुए चुनमुन को हिदायत दी | चुनमुन और उसकी माँ जब जंगल पहुंचे तो चुनमुन के बाबा लकड़ियों के ढेर को एक पेड़ के सहारे खड़ा कर रहे थे |

"बाबा, देखो मैं आपकेलिए क्या लायी हूँ ?" चुनमुन ने झटपट गागर बाबा को लाकर दे दी |

"अरे इसमें तो कुछ चमक रहा है "| इसको पेड़ के नीचे रखदो चुनमुन, मैं अभी हाथ धोकर देखता हूँ | "माथे से टपकते पसीने को पोछते हुए बाबा ने कहा |

चुनमुन झट से बाबा की गोद में चढ़ गयी और माँ खाना का डिब्बा खोलने लगीं | कुछ देर बाद जब बाबा ने गागर में झांका तो उसमे कुछ भी नही दिखायी दिया | अब तो चुनमुन और उसकी माँ और भी परेशान होगये | मछली कहाँ चली गयी | चुनमुन सब जगह ढूंढ़ने लगी और माँ को भी मछली के मरने की चिंता होने लगी | तभी बाबा की नज़र ऊपर पेड़ पर गयी, वहाँ भी कुछ वैसा ही चमक रहा था | वो झटपट पेड़ पर चढ़ गए | चुनमुन रोने लगी, "बाबा नीचे आजाओ, मुझे डर लगरहा है | "

"अरे चुनमुन ये देखो पेड़ पर मछली, चमकीली मछली ", बाबा ऊपर से ही चिल्लाये |

नीचे उतर कर जब माँ ने उसको देखा तो वो सचमुच सोने सी चमक वाली मछली थी | वो ज़िंदा मछली सी नही थी अपितु नकली मछली थी | माँ ने तुरंत उसको अपने पल्ले में संभालते हुए कहा, "ये सोने की मछली नदी ने हमारी चुनमुन को भेंट की है, ये बहुत कीमती है | इससे हमको बहुत सारे पैसे मिलेंगे इसको हम चुनमुन के भविष्य के लिए रखेंगे | "

"नही माँ, इससे हम अपने घर के लिए अच्छी चीज़ें, खाने की चीज़ें और आपके, बाबा और मेरे लिए अच्छे कपडे लाएंगे ", चुनमुन ने फुदकते हुए कहा |

तब बाबा ने कहा, "नही इस सोने की मछली से जो भी पैसे मिलेंगे उससे हम चुनमुन को पढ़ाएंगे और उसको डॉक्टर बनाएंगे ", |

"सोने की मछली हमारी चुनमुन के भविष्य को सही मायनों में हमेशा के लिए सुनहरा करदेगी, "माँ ने बाबा की बात में सहमती जतायी और झट से चुनमुन को गोद में उठा लिया |

***