Him Sparsh - 81 in Hindi Fiction Stories by Vrajesh Shashikant Dave books and stories PDF | हिम स्पर्श - 81

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हिम स्पर्श - 81

81

“कहाँ है जीत?” आते ही डॉक्टर गिब्सन ने कहा।

“आप यात्रा से आए हो। थकान भी होगी। थोड़ा विश्राम कर लो, पश्चात जीत को देख लेना।“ वफ़ाई ने कहा।

“किसी भी डॉक्टर के लिए विश्राम से अधिक महत्वपूर्ण होता है रोगी का उपचार। चलिये, जीत से मिलाईये मुझे।“

“याना, वफ़ाई, आप दोनों डॉक्टर के साथ रहिए। विक्टर तुम डॉक्टर के साथियों के लिए उचित व्यवस्था करो।“ जोगन ने आदेश दिया।

“जैसी आज्ञा।“ विक्टर ने कहा।

“डॉक्टर, आप भी हिन्दी जानते हो?” वफ़ाई ने पूछा।

“हिन्दी मेरी तीसरी मातृभाषा है।“ डॉक्टर ने स्मित करते कहा।

“वह कैसे? तीसरी मातृभाषा कैसे हो सकती है?” याना ने पूछा।

“मेरी मा जर्मन है, तो जर्मनी मेरी प्रथम मातृभाषा हो गई। मेरे पिता पोलेंड से है, तो पोलिश मेरी दूसरी मातृभाषा हुई। मेरी दादी भारत से है। उससे मैंने हिन्दी सीखि है। तो हुई न हिन्दी मेरी तीसरी मातृभाषा?”

डॉक्टर के साथ वफ़ाई तथा याना हंस पड़े।

“तो यह जीत है?”

“हां डॉक्टर।“

डॉक्टर ने जीत को स्पर्श किया। कुछ समय तक वह जीत का अवलोकन करते रहे।

“कुछ ही समय में मेरे साथी शस्त्रक्रिया कक्ष तैयार कर लेंगे। उसके पश्चात जीत को वहाँ ले जायेंगे।“ डॉक्टर चलने लगे।

“डॉक्टर, क्या लगता है? जीत...?” वफ़ाई अधीर थी, व्याकुल थी।

“वफ़ाई, धैर्य रखो। मेरा कक्ष तैयार हो जाने दो।“

“किन्तु, जीत ठीक तो हो जाएगा ना?” वफ़ाई चिंतित थी।

“जिसके पास वफ़ाई जैसा मित्र हो उसे ठीक तो होना ही पड़ेगा।“ डॉक्टर के अधरों पर दिव्य स्मित था। उस स्मित में वफ़ाई को अनेक संकेत मिलने लगे। उसने भी स्मित से उत्तर दिया। वफ़ाई ने जीत के ललाट पर हथेली रख दी।

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“हम शीघ्र ही जीत की शस्त्रक्रिया करेंगे। जब तक शस्त्रक्रिया पूर्ण नहीं होगी, जब तक जीत स्वस्थ नहीं होगा, तब तक मैं तथा मेरे साथी चित्र प्रदर्शनी नहीं देखेंगे।“ डॉक्टर गिब्सन ने अपना निश्चय व्यक्त कर दिया। यह सुनते ही वफ़ाई, याना, विक्टर और जोगन के मुख पर प्रसन्नता छा गई।

“एक घंटे पश्चात जीत का उपचार प्रारम्भ होगा।“ डॉक्टर ने कहा।

“याना तथा विक्टर। आप दोनों डॉक्टर के साथ रहेंगे। उसके सभी साथियों का पूरा ध्यान रखेंगे। आप के पास एक घंटे का समय है। आप अपने सारे केमरे, सारे साधन तैयार कर लो। जीत के उपचार की प्रत्येक क्षण का जीवंत प्रसारण होना है, अनेक चेनल के माध्यम से।“

“हम दोनों तैयार ही हैं।“ विक्टर रोमांचित हो गया।

“सामान्य रूप से किसी भी शस्त्रक्रिया का जीवंत प्रसारण करने की अनुमति नहीं होती है। किन्तु यह एक विशेष घटना है, एक इतिहास रचा जा रहा है। अत: मैं जीवंत प्रसारण हेतु सम्मति प्रदान कर रहा हूँ।“ गिब्सन ने कहा।

“डॉक्टर, आप बड़े अच्छे हैं।“ जोगन ने कहा।

“वफ़ाई, तुम प्रदर्शनी का संचालन करोगी।“ जोगन ने आदेश दिया।

“किन्तु, मैं जीत के साथ रहना चाहती हूँ। आप तो जानती हो...।” वफ़ाई अनुनय करने लगी।

“वफ़ाई, मैं तुम्हारी भावनाओं को समझती हूँ। किन्तु तुम यदि जीत के सामने रहोगी तो तुम दुर्बल हो जाओगी। इस समय तुम्हारे मन का दुर्बल होना किसी के भी हित में नहीं, विशेष रूप से जीत के।“

“जैसी आपकी आज्ञा।“ अपने आक्रंद को छुपाती हुई वफ़ाई वहाँ से चली गई।

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वफ़ाई ने अपने शब्दों को विराम दिया। चित्र प्रदर्शनी खुल गई।

विश्व भर से पधारे दो सौ से अधिक व्यक्ति से बनी भीड़ प्रदर्शनी देखने के लिए अधीर थी, उत्सुक थी। धीरे धीरे वह भीड़ अंधकार से प्रकाश की तरफ, रंगों से भरे चित्रों की तरफ गति करने लगी। भीड़ जैसे जैसे आगे बढ़ती रही, प्रकाश बढ़ता गया। अंतत: भीड़ पूर्ण प्रकाश से भरे कक्ष में प्रवेश कर गई। प्रवेश करते ही प्रत्येक कोने में बिखर गई, जैसे धरा पर गिरते ही प्रसर जाता पानी।

वफ़ाई तथा जीत के द्वारा रचे चित्रों को भीड़ देखने लगी। चित्रों की अनुभूति करने लगी। चित्रों पर चर्चा करने लगे। बड़ी सी भीड़ अब छोटी छोटी टोलियों में बंट गई। प्रत्येक टोली ने अपना स्वतंत्र विश्व रच लिया।

वफ़ाई इन सभी टोलियों का स्मित के साथ अभिवादन करने लगी। वफ़ाई के अधरों पर स्मित तो था किन्तु वह स्मित नैसर्गिक नहीं था। स्मित के पीछे पीड़ा थी, चिंता थी, व्याकुलता थी, व्यग्रता थी।

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शस्त्रक्रिया कक्ष में डॉक्टर गिब्सन तथा उसके साथी जीत का उपचार करने में व्यस्त थे। याना तथा विकटर उन सभी का ध्यान रख रहे थे। सब के लिए जलपान, विश्राम आदि का पूर्ण प्रबंध कर रखा था इन दोनों ने।

“डॉक्टर से कहो, थोड़ा अंतराल ले ले। कुछ जलपान तथा अल्पाहार ले ले।“ याना ने डॉक्टर के एक साथी से कहा।

“याना, यह डॉक्टर गिब्सन है। जब तक शस्त्रक्रिया पूर्ण नहीं होगी, वह रुकेंगे नहीं।“ उस साथी ने कहा।

“किन्तु यह तो लंबी प्रक्रिया है। कई घंटे लग सकते हैं इसमें। थोड़ा विराम कर लेते तो...।“

“इससे भी लंबी अनेक शस्त्रक्रियाएं हुई है किन्तु वह नहीं रुके। एक बार तो ढाई दिवस तक अविरत चलती रही, किन्तु वह रुके नहीं थे।“

“यह तो अद्भुत है। कैसे कर लेते हैं वह यह सब?”

“वह कहते हैं कि उसके अंदर यह शक्ति योग से आई है। उसका आत्मबल अनुपम है। विक्टर, डॉक्टर की दादी भारतीय है, ज्ञात है ना आप को? उस दादी से उसने यह सब सीखा है।”

“किन्तु आप सब तो विश्राम कर लो। आप लोग थक गए होंगे।“ याना ने उसे आग्रह किया।

उसने स्मित दिया तथा कहा, ”हम भी नहीं थकते।“

“ऐसा क्यों?”

“डॉक्टर की दादी से हम भी तो मिले हैं।“ उसकी बात पर याना तथा विक्टर भी हंस पड़े।

“उस दादी से मुझे भी मिला देना।“ याना ने कहा।

“याना, वह तो अब चल बसी।“

याना उदास हो गई। मौन हो गई। विक्टर ने उन क्षणों को बितने दिया।

“याना, चलो देखते हैं कि शस्त्रक्रिया का प्रसारण ठीक से चल तो रहा है ना। कहीं कोई व्यवधान तो नहीं आया इसमें?” विक्टर ने मौन भंग किया।

याना ने सब कुछ जांच लिया,”विक्टर, सब कुछ ठीक है। विश्व के सारे चेनल पर जीवंत प्रसारण हो रहा है।“

“और प्रदर्शनी का प्रसारण?”

“चलो वहाँ चलते हैं।“

दोनों प्रदर्शनी कक्ष में पहुँच गए।

“इस स्थान की क्या स्थिति है, वफ़ाई?”

“याना, विक्टर। जीत कैसा है? डॉक्टर क्या कर रहे हैं?”वफ़ाई अधीर हो गई।

“वफ़ाई, धैर्य रखो। सब कुछ ठीक चल रहा है। तुम निश्चिंत रहो।“

“तुम सत्य कह रहे हो?”

“वफ़ाई, हमारा विश्वास करो।“ विक्टर ने कहा।

“अब कहो, यहां क्या स्थिति है? दर्शकों की क्या प्रतिक्रिया है?” याना ने पूछा।

“यहाँ भी सब उचित रूप से चल रहा है। सभी दर्शक अपनी अपनी टोली में व्यस्त है।“

“लगता है, प्रदर्शनी पसंद आ रही है सभी को।“ विक्टर ने कहा, प्रदर्शनी में व्यस्त दर्शकों पर एक द्रष्टि डाली और स्मित किया।

“अपने मुख्यलाय से कोई संदेश? कई घंटे हो गए कोई बात नहीं हुई।” याना ने कहा।

“याना, कोई संदेश तो नहीं है। लगता है सब कुछ ठीक चल रहा है।“

“मैं संपर्क करती हूँ। जानते हैं कि संसार की क्या प्रतिक्रिया है।“ याना ने मुख्यालय से संपर्क किया।

“याना, विक्टर। सब कुछ ठीक जा रहा है। सारा विश्व एक ही काम कर रहा है- यह जीवंत प्रसारण को देख रहा है। लोगों में अत्यंत उत्साह है। उत्तेजना भी है। सेंकड़ों लोगों ने प्रदर्शनी में सम्मिलित होने का प्रस्ताव भी भेजा है।“ मुख्यालय से किसी ने बताया।

“तो भेज दो सब को यहाँ।“ विक्टर ने कहा।

“यदि सब को वहाँ भेजने लगा तो तुम्हें यह प्रदर्शनी कई दिवसों तक चलानी पड़ेगी। बोलो स्वीकार है?”

“नहीं, नहीं। हम तो इसे शीघ्र ही समाप्त करने का विचार रहे हैं। तुम तो जानते हो कि यह दुर्गम प्रदेश में अनेक दिवसों तक यह प्रदर्शनी चलाना संभव नहीं है। कितना विकट है यह सब?” याना ने कहा।

“किन्तु यही विकट मार्ग, यही दुर्गम स्थान ही दर्शकों का आकर्षण का केंद्र है। यही कारण है कि अनेकों लोग वहाँ आना चाहते हैं।“

“किन्तु यह संभव नहीं है।“

“ठीक है। याना, विक्टर, अपना ध्यान रखना।“

“और आप हमारे साथ संपर्क बनाए रखना।“ मुख्यालय से संपर्क टूट गया।

“याना, हमें अब चलना चाहिए। डॉक्टर तथा उनके साथियों को हमारी आवश्यकता पड़ सकती है।“ विक्टर ने कहा।

“याना, कुछ समय के लिए तुम यहाँ संभालो। विक्टर, मैं चलती हूँ तुम्हारे साथ। मेरा मन कर रहा है जीत को देखने का।“ वफ़ाई ने विनती की।

“वफ़ाई, हम तुम्हारी व्याकुलता समजते हैं। किन्तु अभी तो यह संभव नहीं।“ याना तथा विक्टर चले गए। जाते जाते वफ़ाई के तन से सारी ऊर्जा भी लेते गए।

कितनी विवश हूँ मैं? जीत वहाँ जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है और मैं यहाँ हूँ। कुछ ही अंतर पर जीत है किन्तु मैं उसे देख नहीं सकती। उसके समीप नहीं जा सकती। उसके ललाट पर मेरे हाथों का स्पर्श नहीं कर सकती। उसे मेरे स्मित का आश्वासन नहीं दे सकती। यह कैसी विडम्बना है? कैसी विवशता है?

वफ़ाई, धैर्य रखना होगा तुम्हें। समय के कुछ टुकड़े व्यतीत हो जाने दो।

इतना धैर्य नहीं है मेरे पास। प्रत्येक क्षण मेरे सामने पहाड़ बनकर आता है और युगों तक ठहर जाता है। यह समय इतना धीरे धीरे क्यूँ चलता है? उसे कहीं पहुँचने की शीघ्रता नहीं है क्या? क्या कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा? कितना जड़ है यह समय?