रीता २२- २३ साल की खुले विचारों की स्वाभिमानी नवयुवती थी । उसका मन बहुत मासूम था , वह असहाय और जरूरत मंदो की हमेशा मदद करती थी । वह किसी का दुःख नही देख सकती थी । वह जितनी सुंदर अंदर से थी, उतनी ही सुंदर बाहर से भी थी , उसका दुग्ध समान गोरा रंग, काले घने लहराते बाल और मृगनयनी आँखें उसके रूप पर चार चाँद लगाती थी । अगर यह कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उसकी सुंदरता किसी कवि की कल्पना से भी अधिक सुंदर थी । वह दिल्ली विश्वविद्यालय मे स्नातक की पढ़ाई कर रही थी। उसका प्रखर व्यक्तित्व और सात्विक आचरण ही विश्वविद्यालय मे उसे विख्यात किए था।
रीता विश्वविद्यालय मे बैचलर आँफ साइंस की छात्रा थी । रीता अपने साथ पढ़ने वाले छात्रों से ज्यादा मतलब नहीं रखती थी, उसके सिर्फ दो ही अच्छे दोस्त थे , वह उन्हीं के साथ ही रहती थी।
वैसे रीता के साथ दोस्ती करने के लिये तो सभी आतुर रहते थे, पर उनमें से दो आँखें ऐसी थी, जो उसे हर जगह देखती रहती थी , चाहे वह क्लास रूम मे हो , चाहे कैंटीन हो या फिर कारिडोर मे ही क्यों ना हो वे दो अाँखे शायद उसे पसंद करती थी , या उससे कुछ ज्यादा ? ? ? ?
यह राजेश था , जो रीता के साथ ही पढ़ता था। वह लगभग रीता को ही देखता रहता था , या ये कहे वह रीता के लिये ही कालेज आता था। राजेश रीता से दोस्ती करना चाहता था , लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती थी परंतु वह रीता के आसपास रहने के बहाने ढूँढ लेता था। कभी प्रैक्टिकल के बहाने या कभी लाइब्रेरी के बहाने से वह रीता के आसपास रहता था। लेकिन उसकी कभी बात करने की हिम्मत नही होती ।
( आपको बता देते है कि राजेश जैसा लग रहा है कि वह सीधा और शर्मिला लड़का है ,लेकिन एेसा नही है , वह एक अमीर बाप की बिगड़ैल औलाद था। उसने एक दिन रीता को यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी मे देखा था , तभी से वह उससे दोस्ती करना चाहता था , परंतु वह अपनी बिगड़ैल छवि को रीता के सामने नही लाना चाहता था। इसलिये वह अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रहा था। )
रीता राजेश की हरकतों से अनजान , वह उसकी पढ़ाई में मदद करने लगी थी, धीरे-धीरे राजेश ने रीता दोस्ती कर ली। अब उसे रीता से बात करने ने मे जरा सी भी हिचक नहीं होती थी , वैसे चाहती तो रीता भी नहीं थी कि वह राजेश से दोस्ती करे क्योंकि उसने अपने दोस्तों से राजेश की बिगड़ैल हरकतों के बारे मे सुन रखा था, फिर भी उसने राजेश की अच्छी बातें मे अाकर उससे दोस्ती कर ली। अब रीता और राजेश पक्के दोस्त हो गए थे।
कोर्इ भी समस्या होती थी रीता को , तो वह राजेश को ही बताती अौर राजेश ने भी अपनी अच्छी छवि बना ली थी, रीता के दिल में । अब राजेश को कोई बहाना भी नही चाहिए था, उसे देखने का अथवा ये कहे उसे ताड़ने का क्योंकि वह उसका दोस्त था।
समय के साथ - साथ रीता के दिल मे राजेश के लिए जगह और पक्की होती गई और अब वह एक मिनट भी राजेश से दूर नहीं रह सकती थी , उसे राजेश से प्यार हो गया था। राजेश को भी इस बात का एहसास हो गया था कि रीता उससे प्यार करती है। इसलिये एक दिन मौक़ा देख कर उसने रीता से अपने प्यार का इजहार कर दिया और जवाब मे रीता ने भी हाँ कह कर अपना इकरार किया ।
रीता अब बहुत खुश रहने लगी थी , उसे लगता था जैसे सारे जहाँ की खुशियाँ उसके दामन मे आ गई है। जैसा कि हर प्यार के पंक्षी को लगता है। राजेश भी बहुत खुश था , उसका सपना भी पूरा हो गया था।
समय बीत रहा था लगभग एक साल हो गया था। राजेश और रीता ने अपने - अपने घरों मे अपने प्यार की कहानी सुना दी थी दोनों के परिवारों को कुछ खास ऐतराज नहीं था , पर वो दोनों की शादी करवाना चाह रहे थे , क्योंकि शादी करवाकर वो भी अपने कत्तर्व्य पूरा करना चाह रहे थे । रीता भी चाहती थी कि वह राजेश से शादी कर ले , परंतु राजेश नही चाहता था लेकिन वह अपनी छवि के विपरीत काम नही करना चाहता था , इसलिये शादी के लिये हाँ कर दी। वैसे उसने हाँ इसलिये नहीं की थी कि वह रीता से प्यार करता था , बल्कि इसलिये क्योंकि वह रीता को पाना चाहता था , उसने पहले भी कई बार रीता से अपनी यह इच्छा जाहिर की थी , परंतु रीता मना कर देती थी क्योंकि वह अपनी मर्यादा को तोड़ना नही चाहता थी , राजेश ने सोचा जब शादी तय हो जायगी तो शायद रीता उसकी बात मान ले, लेकिन वह गलत साबित हुआ । रिश्ता तय होने के बाद भी रीता ने कभी उसे अपनी मर्यादा तोड़ने नहीं दी , बल्कि वह उसे समझाती थी। लेकिन अब राजेश का सब्र जवाब दे रहा था , क्योंकि वह रीता से प्यार नहीं करता था , ना ही वह उससे शादी करना चाहता था। वह तो रीता को पाना चाहता था। वह अब हर कीमत पर रीता को अपनी वासना का शिकार बनाना चाहता था।
एक दिन राजेश ने शाम को खूब शराब पी और अपने आवारा दोस्तों के साथ बाहर आया और रीता को फोन कर के अपने प्यार की कसम देकर उसे मिलने बुलाया , रीता ना चाहते हुए भी उससे मिलने अाई , रीता राजेश को देखकर चौक गई क्योंकि उस दिन राजेश मे उसे उसका राजेश नही दिखा , जिससे उसने प्यार किया था । राजेश ने रीता से कोई बात नही की, बस नशे की हालत मे उसने उसे पकड कर कार मे बिठाया अौर होटल ले गया , राजेश के साथ उसके आवारा दोस्त भी अाए थे , रीता बहुत रो रही थी , उसने राजेश से बात भी की लेकिन वह उसकी कोई भी बात नही सुन रहा था। अौर अाखिर उस काली रात को राजेश ने अपनी दरिंदगी का प्रदर्शन करते हुए रीता को अपनी हवस का शिकार बना लिया,अौर यहीं नहीं उसके आवारा दोस्तों ने भी उसके स्त्रीत्व का हनन किया , अौर राजेश ने अपनी सच्चाई भी स्वीकार की कि वह उससे प्यार नहीं करता था , वह तो बस एक बार उसे पाना चाहता था।
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रीता का तो सब कुछ लुट गया था। उसने जिससे प्यार किया वह इंसान नहीं दरिंदा था। लेकिन उसे सबसे ज्यादा दुःख उसे इस बात का था कि उसके पापा और भाई उसके आरोपी को सज़ा दिलाने की बजाय अपनी बदनामी से बचने के लिये रीता की शादी उसके साथ करवाना चाहते थे। रीता के परिवार ने राजेश के परिवार के साथ रिश्ता तय कर दिया । चूँकि राजेश के पापा ने पहले तो मना किया लेकिन बाद मे बदनामी के डर से उन्होंने भी रीता का रिश्ता स्वीकार कर लिया और राजेश को भी मना लिया । रीता को सबसे ज्यादा दुःख इसी बात का था , वह अपने गुनहगार से शादी नहीं करना चाहती थी। पर उसके पापा ने बदनामी से बचने के लिए रीता की बलि चढ़ाना उचित समझते थे।
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अाज रीता की शादी है , लेकिन वह भागना चाहती है , इस शादी से । वह यही सोच रही है कि गुनाह राजेश ने किया फिर क्यों उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ रही है। अाखिर क्या कसूर है रीता का ?
जो उसे उसकी पूरी जिंदगी एक ऐसे जानवर ( इंसान कह नही सकते क्योंकि एेसा काम कोई इंसान नही करेगा ) के साथ बितानी पड़ेगी। जिसने ही उसकी जिंदगी बरबाद की है।
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दोस्तों यह तो रीता की बात थी जिसकी शादी उसी के आरोपी से की जा रही थी , लेकिन सोचने की बात है कि हमारे देश मे ना जाने एेसी कितनी रीता हेेेै , जिनकी कोई गलती ना होने पर भी उन्हें फाँसी से भी बदतर सजा दी जाती है। उन्हें उन्हीं के अपराधी के साथ बांध दिया जाता है , जिन्होंने उनके स्त्रीत्व का मजाक उड़ाया , उन्हें वह सारी जिंदगी बोझ की तरह ढोती है।
हमारे देश के माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली निर्भया गैंगरेप के ५ अारोपियों को फाँसी की सजा सुनाई और यह कहा कि बलात्कार एक जघन्य अपराध है । फिर अाखिर क्यों हम उन लड़कियों को न्याय दिलाने के बजाय उनकी जिंदगी बरबाद करने वालो के साथ शादी कर देते है। क्या वे कभी उस जानवर के साथ खुश रह सकती है , नहीं , फिर अाखिर क्यों यह हमारे समाज मे होता है ?
अाखिर क्या कसूर होता है एक महिला का ?
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