Loneliness in Hindi Philosophy by shekhar kharadi Idriya books and stories PDF | अकेलापन

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अकेलापन

आप सभी ने अवश्य कही न कही इस सायकाॅलोजी डिसआॅडॅर के विषय में आर्टिकल्स पढ़ें होगे । कुछ इसी तरह डिसोएक्टिव आइडेंटिटी डिसआॅडॅर के बारे , जिसे आमतौर पर ' मल्टिपल पर्सनालिटी डिस आॅडॅर ' के नाम से भी जाना जाता है , इस तरह के मानसिक विकार में व्यक्ति एक समय पर अलग अलग तरह के व्यक्ति की तरह व्यवहार करता है । इस तरह की समस्या तब उत्पन्न होने लगती है । जब व्यक्ति भावनाओं, विचारों और याददाश्त पर से नियंत्रण खो देता है । इसका सीधा असर व्यक्ति के मन, मस्तिष्क में होता है । इसके अतिरिक्त इस तरह के मानसिक विकार का कारण पोस्ट, टाॅमेटिक तनाव भी होता है जिसमें व्यक्ति को बहुत ही बुरे सपने, जीवन में ज्यादा अकेलापन, क्लैश बैक, और बहुत ज्यादा डरावनी प्रतिक्रिया देने लगता है ।

कुछ ऐसी ही स्टोरी है । मधु और रोहन की जो संबंधों में ज्यादा दूरीयों की वजह से मधु स्ट्रेस का शिकार बन जाती है । जिसकी पूरी जिंदगी उथल-पुथल होकर जो करवटें लेती है उन सभी घटनाओं का दौर आरंभ से अंत तक नीचे प्रस्तुत है । बस ध्यान से पढिये..?

रोहन ने शादी किये दो बरस गुजर गये थे । लेकिन वो दाम्पत्य जीवन में टाईम नही दे पाता था । अक्सर बिजनेस के सिलसिले में कभी बैंगलुरु, कलकत्ता, मुंबई और कभी विदेश भी चला जाता था । वहीं दुसरी तरफ रोहन की पत्नी मधु अकेली दिल्ली में एक बडे फ्लैट में रहती थी । जो रोहन के इंतज़ार में उसकी कई आशाएं रोज टूटकर बिखर जाती थी । बस बाकी रह गया भीतर ढेर सारा दर्द स्वंय को पिटता हुआ।

वक्त के साथ मधु के जीवन में काफी परिवर्तन आ चुका था । इसकी वजह थी  खालीपन, जुदाई जो पूरी तरह मन को झकझोर करके रख दिया था । उसकी पर्सनालिटी और बाॅडी बिहेवियर में अब काफी बदलाव आ चुका था । क्योंकि वो स्ट्रेस डिसआॅडॅर की शिकार बन चुकी थी । क्योंकि मधु डिफेंरेन्ट टाईप के केरेक्टर में घुसकर राॅल प्ले करती हो, वैसे ऐक्टिंग रियल में करती थी । जैसे कभी वो गुस्सा हो जाती, कभी वो उदास हो जाती, कभी बच्चे जैसे हरकतें करती, कभी अकेली कोने में रोने लगती, कभी वो किसी पर अटेक कर देती, क्योंकि न जाने वो किस केरेक्टर में आ जायें वो कहना अत्यंत कठिन था । ऐसी मानसिक बिमारी उस हावी हो चुकी थी । जो दूसरों के लिए खतरा बने वैसा भय अब रोहन को मन में बारबार सताये जा रहा था । न तो वो बिजनेस के वास्ते आॅफिस में जा सकता था, ना तो वो एक सेंकन्ड भी मधु को अकेला छोड़ सकता । इतनी लाईफ उसकी भी डिस्टर्बसे मधु ओकवडॅ टाइप का बिहेवियर करती है , जैसे में हैरान और परेशान हो गया हूँ  ! "

" क्या तुम डॉक्टर के पास मधु को लेकर ट्रीटमेंट करवाने गये थे ?"
" अफकॉज गया था । कई बार, ' फिर रिपाॅट क्या आया और डॉक्टरों ने क्या कहा ? "

उन्होंने ने कहां की नोर्मल स्ट्रेस है । जो मेडिसीन का रेग्युलरी काॅस करने से मधु फास्ट रिकवर हो जाएगी, लेकिन वैसा हुआ नही, दवा का इफेक्ट भी मधु पर बेअसर साबित हुआ । 

रोहन अब तुम्हें दिल्ली के टोप टेन  Psychiatrist  के पास मधु की ट्रीटमेंट करवाना चाहिए, शायद रिकवरी का परफेक्ट रिजल्ट मिल सके ।
रोहन - " योर थींग इज परफेक्ट.. ! "

तृपेश ने कहां "अब रोहन मुझे वापस घर जाना चाहिए, यार इतनी जल्दी क्या है ?"  जरा ब्रेकफास्ट करके जाना " नो थैंस रोहन... फिर कभी नेक्ट टाईम, साॅर.., यस माय डियर, बट अक्सुली टु डे माय आॅफिस इन इम्पोर्टन वर्क ' ऐसा कहकर तृपेश जाने लिये तत्पर था, तभी उसकी नजर डोर पर पडी जिस पर लींम्बू धागे से बांधा हुआ लटक रह था । 
तृपेश ने हंसते हुये कहा - " रोहन क्या तुम भी ब्लैक मेजिंक पर विश्वास रखते हो, इतने पढ़ें, लिखें होकर भी बावज़ूद.. ?"
रोहन ने सफाई देते हुए कहा- " तृपेश तुम समझ रहो वैसा कुछ नही है , वो तो पिताजी के आग्रर से ब्लैक मेजिक की विधी कराई थी । "

अब रोहन टुमरो फ्लाइट पकड़कर फिर वापस दिल्ली लौट आता है । फिर वो दिल्ली के मशहूर Psychiatrist ( मनोचिकित्सक ) डाॅ. रवि सक्सेना के पास मधु का निदान अर्थात तपास करवाने लेकर जाता । अब डाॅक्टरने अपनी सभी फाॅमालिट मधु से तरह-तरह सवाल पूछके इन्फर्मेशन एकत्रित करके एक रिपाॅट बनाया ।

" मिस्टर रोहन आपकी वाईफ मधु ' मल्टिपल पर्सनालिटी डिस आॅडॅर '  की शिकार बन चुकी है । "
डाॅक्टर ये कैसी बिमारी है ? "
ये मानसिक बिमारी है, एक ही व्यक्ति का दो यादो से व्यक्तित्व को धारण कर लेना, ऐसे में व्यक्ति अपने खुद के व्यक्तित्व को छोड़ कर, किसी और व्यक्तित्व के बारे में सोचने लगता है, उसके व्यक्तित्व की तरह बातें करना, जीवन की पूरानी यादों को बहुत ज्यादा याद करना औ उन यादों  को वर्तमान के साथ जोड़कर देखना, हफ्तेभर अकेला रहने से मानसिक विकृति धारण करना, एकदम से मुड़ बदल लेना, हर टाईम डिप्रेंशन में रहना  । जैसे एक्जामपल कभी साध्वी नारी, कभी सामान्य नारी, कभी क्रोधीत नारी, कभी अच्छे नारी, ऐसे भिन्न प्रकार का बिहेवियर करती है । जिसकी वजह मिस्टर रोहन आप है ।

" वोट..!  डाॅक्टर आप ऐसा क्यूँ कहते है ? "

आप अपने बिजनेश के कामकाज में इतने उलझ गये की अपनी पर्सनल लाईफ को इतना इम्पोर्टन टाईम दे पाये नही, जिसकी वजह से आपकी वाईफ मधु अकेलापन की शिकार बन गई ।

क्या डाॅक्टर MPD ( Maltiple Personality Disorder ) का उपचार संभव है ? "
अफकाॅज मिस्टर रोहन बट कहा नही जाता की महीनों या दो साल भी  लग सकते है  ठिक होने क्योंकि इस तरह के मानचिक विकास में व्यक्ति के दूसरे व्यक्तित्व को भूलने और उसका ध्यान भटकाने की कोशिश की जाती है । इसके साथ साथ काॅगनिटिव और क्रिएटिव थेरेपी का प्रयोग भी किया जाता है । इसके अतिरिक्त इस तरह की अवस्था से गुजरे रहे व्यक्ति को ठिक करने के करने के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है ।

अब रोहन डाॅ. रवि सक्सेना की बाते सूनकर गहरी सोच में डूब गया । काश.. मैं मधु को थोडा वक्त दे पाता तो आज वो ठिक होती , लेकिन सब मेरी गलतियों का नतीजा आज मधु को मिला है ।

( Please Wait and Watch Second Part )

---- शेखर खराडीं ईड़रिया