ठंडी हवा के झोंके पेड़ो को झूमने पर मजबूर कर रहे थे।शाम का धुंदलका छा रहा था। हर चीज सुर्खी लिए हुए महसूस हो रही थी।सूरज नीले आसमान पर अपनी मंजिल तय करता हुआ चारों तरफ सुर्खी बिखेर कर गायब होने के लिए तैयार था।परिंदे आशियानो की तरफ लौट रहे थे।चारों तरफ लगे बेशुमार ऊंचे ऊंचे पेड़ो लाखो परिंदो को पनाह दिए हुए थे।चिडियो कीचूं अब जोर पकड़ती जा रही थी।
वो सहन में खड़ी इस मंजर को बहुत दिलचस्पी से देख रही थी। अंधेरा अब फैलनै लगा था।सहन के दूसरी तरफ बने किचन में मामा शाम का खाना बनाने में मसरूफ थी।चमगादड़े इधर-उधर उडना शुरू हो गई थी।उसने थोड़ा सा खौफ महसूस किया ओर मग़रिब की नमाज़ की तैयारी करती दादू की तरफ देखा। उसे यहांं आए अभी थोड़े दिन ही हुए थेे। एकदम ही गर्मी का एहसास बढ गया था ।
वो भी मग़रिब की नमाज़ पढ़ने के लिए कमरे में आ गई।
नमाज़ से फ़ारिग होकर वो बाहर निकल आई ।ऊंचे-ऊंचे पेड़ जो कुछ देर पहले बहुत खूबसूरत लग रहे थे, अब काफी डरावने महसूस हो रहे थे।उनकी तरफ देखने से कतराते हुए वो चारपाई बिछाने लगी।डैडी के आने का वक्त हो गया था। वो मग़रिब की नमाज़ अदा करने के बाद ही घर आते थे।
अभी कुछ दिन पहले उनका ट्रांसफर यहां हुआ था।वो आर्मी में मेजर थे।फौजियों की ट्रेनिंग के लिए उन्हें यहां ट्रांसफर किया गया था।अपने शौक के हाथों मजबूर होकर साथ ही गांव के माहौल को नज़दीक से देखने का शौक लिए वो यहां मौजूद थी।इन दिनों वो बी- एस- सी के एग्जाम्ज़ देने के बाद फ्री बैठी हुई थी।मम्मा और दादू भी इसीलिए उसके साथ यहां आ गई कि गांव के लोगों का रहन सहन और रस्मो रिवाज को क़रीब से देखा जा सके।वैसे उनका अपना घर मुल्तान में था।
रात का खाना बल्ब की पीली रौशनी में खाया गया था। हालांकि उसे खुले सहन में सोने की आदत नहीं थी लेकिन ठंडे हवा के झोंके उसे फ़ौरन ही नींद की वादी में ले जाते थे। रात के किसी पहर आंख खुलने पर झ़ीगरो की आवाजें और अंधेरा उसे थोड़ी देर के लिए खौफ में डाल दिया करते थे।फिर नींद की देवी उस पर मेहरबान हो जाती थी। वैसे भी हालात के मुताबिक खुद को ढाल लेना उसकी आदत थी।यहां के लोग आम तौर पर नमाज़ के वक्तो के हिसाब से अपना टाईम टेबल सेट किए हुए थे।
सुबह वॉक करते हुए उसकी मुलाकात एक काफी खूबसूरत लड़की से हुई।उस लड़की का नाम शमा था।उसका बाप मज़ारा था।उसकी माँ की दो साल पहले डेथ हो चुकी थी।तीन बहनें और दो भाई थे।वो सबसे बड़ी थी।थोड़ी सी बातचीत के बाद वो उससे इजाज़त लेकर उठ गई।
"मेरा अब्बा उठ गया होगा, मैं जाऊं? कल फिर आ जाऊंगी।आप आओगी ना बीबी?"वो जाते जाते उससे कल आने का वादा लेकर गई थी ।
(क्रमशः)