Dream and Dream in Hindi Human Science by Manjeet Singh Gauhar books and stories PDF | सपने और ख़्वाब

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सपने और ख़्वाब

' सपने '
इस संसार में ना जाने कितने एेसे काम हैं, जो आज तक शायद किसी भी व्यक्ति नही किए होगें।
जैसे एक काम ये भी है कि कोई भी अाज तक आसमान में तारों को नही गिन सका है।
लेकिन सपनों में लोग इस असंम्भव कार्य को भी बड़ी ही आसानी से कर देगें। और ये संम्भव भी है। जैसे आप-हम ने ये कहावत तो कई बार सुनी ही है कि कोई भी कार्य छोटा नही होता है, सही है।
लेकिन ये भी सही है कि कोई भी कार्य बड़ा नही होता, अगर हम जी-जान से उस कार्य के प्रति मेहनत करें तो।
इस संसार में दो तरह के लोग होते हैं। एक तो वो जो आँखें बन्द करके सपने देखते हैं, और दूसरे वो जो अाँखें खोल कर सपने देखते हैं।
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना-सा है कि, जो लोग आँखें बन्द करके सपने देखते हैं वो जीवन भर सपने ही देखते रह जाते हैं। कभी भी अपने सपनों को सच नही कर पाते।
और जो लोग आँखे खोल कर सपने देखते हैं वो अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, हर प्रकार की कोशिश करते हैं। और ये तो आप बहुत अच्छे से जानते हो कि " कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती "।
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अब मैं बात करता हूँ मेरे सपनों की। जिन्हें मैं प्यार से " The Golden Dreams " कहता हूँ।
अगर मैं अपनी और अपने सपनों की बात करूं तो आप शायद विश्वास नही करेंगे,कि मैं ऐसे सपने देखता हूँ जिन्हें मैं हक़ीक़त में बदल सकूँ।
या फिर ये समझ लीजिए कि मेरे सपनों का मुझसे कुछ ज़्यादा ही गहरा लगाव है, दिखते ही ऐसे हैं जिन्हें मैं पूरा कर सकूँ।
ये बात भी सही कि हर व्यक्ति एक दिन में सपने तो सैंकड़ो देख लेता है, लेकिन उन सैंकड़ो सपनों में से वो व्यक्ति कुछ ही सपनों को सच कर पाता है। और कुछ लोग तो इस दुनिया में सिर्फ़ सपने देख-देख कर ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं, क्योंकि सपनों को सच करने की क्षमता उनके भीतर नही होती है। वो शायद सपने देखते रहना ही जीवन का आनंद समझते हैं।
' ख़्वाब '
जो लोग ज़िन्दगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं वो सपनों से ज़्यादा ख़्वाब देखते हैं। और ख़्वाब कभी सोते हुए नही देखे जाते। खुली आँखों से देखे जाते हैं।
ख़्वाब वो होते हैं जो इन्सान ख़ुद में खोकर देखता है। सचमुच ये हक़ीक़त है कि ख़्वाब सपनों से ज़्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली होते हैं।
क्योंकि ख़्वाब सीधा मनुष्य के दिमाग़ पर प्रभाव डालते हैं और उसे विवश करते हैं वो सब करने पर जिस चीज़ के वो ख़्वाब देखता है। ख़्वाब इन्सान के दिमाग़ को स्थिर करता है कि वो उन ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलने के लिए मेहनत करे।
और जिस व्यक्ति का दिमाग़ स्थिर हो जाता है अपने लक्ष्य के प्रति या फिर किसी भी चीज़ के लिए जिसके वो ख़्वाब देखता है। फिर तो वो व्यक्ति हद से ज़्यादा मेहनत करता है जिससे वो अपने ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदल सके।
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तो जैसा मैं आपको अपने बारे में पहले ही बता चुका हूँ कि मैं ऐसे सपने देखता हूँ जिन्हें मैं पूरा कर सकूं। दरअसल, वो मैं सपने नही देखता ... ख़्वाब देखता हूँ। ऐसे ख़्वाब जिन्हें मैं हर हालत में हक़ीक़त में बदल सकूं।

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" सपने और ख़्वाब " ' सुनने में एक जैसे शब्द लगते हैं, लेकिन अन्तर बहुत बड़ा है। और ये अन्तर आपको शायद इस कहानी को पढ़कर पता चल गया होगा। '

मंजीत सिंह गौहर