Stree - Purush sambandh in Hindi Love Stories by Yashvant Kothari books and stories PDF | वैश्या वृतांत - ५

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वैश्या वृतांत - ५

स्त्री +_ पुरुष = ?

 यशवन्त कोठारी

प्रिय पाठकों ! शीर्षक देखकर चौंकिये मत, यह एक ऐसा समीकरण है जिसे आज तक कोई हल नहीं कर पाया। मैं भी इस समीकरण का हल करने का असफल प्रयास करूंगा। सफलता वैसे भी इतनी आसानी से किसे मिलती है। सच पूछो तो इस विषय को व्यंग्य का विषय बनाना अपने आप में ही एक त्रासद व्यंग्य है। पिछले दिनों एक पत्रिका में एक आलेख पढ़ रहा था-बेमेल विवाह । बड़ी उम्र की स्त्री और छोटी उम्र के पति या रईस स्त्री और गरीब पति। इस आलेख में अनुभव की आग का विशद चित्रण किया गया था। मैं इस आलेख के अन्य विवरनों की ओर न जाकर आपका ध्यान उस सनातन वाक्य की ओर दिलाना चाहता हूँ जिस में पुरुष के भाग्य तथा स्त्री के चरित्र को लेकर देवताओं तक को अज्ञानी कहा गया है। आखिर क्या है ऐसा कि इस स्त्री-पुरुष पहेली को आज तक कोई हल नहीं कर पाया है। प्रेम का सदा बहार त्रिकोण जो कभी समकोण बन जाता है, कभी निम्नकोण बन जाता है और कभी अधिक कोण बन जाता है। कभी सब कोण बराबर हो जाते हैं, कभी दोनों भुजाएं बराबर हो जाती हैं और कभी तीनों भुजाएं बराबर हो जाती हैं। ये संबंध कभी वर्गाकार, कभी आयताकार, कभी षट् भुजाकार और कभी-कभी वृत्तीय हो जाते हैं । कभी केन्द्र के चारों ओर इलेक्ट्रान घूमते हैं और कभी इलेक्ट्रान केन्द्रक में गिर जाते हैं, कभी न्यूट्रान बाहर निकल कर समाज में तबाही मचा देते हैं। भाई साहब स्त्री-पुरुष संबंधों पर वैज्ञानिकों ने भी काफी विचार किया है, मगर जैसा कि अक्सर होता है, वे किसी सर्वमान्य निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं। वे अक्सर इस विषय पर गुमराह रहते हैं। बुद्धिजीवियों , ऋषि-मुनियों तक ने इस पर विचार प्रकट किये हैं। मगर क्या करे कोई उर्वशी, मेनका, तिलोत्तमा आती हैं और संबंधों के समीकरण को बिगाड़ कर चली जाती है। यही नहीं बल्कि जब भी इस विषय पर चर्चा चलती है, स्त्रीवादी पुरुषवादी से लड़ पड़ते हैं और आदि काल से चल रही यह लड़ाइ अनन्त काल तक चलती रहेगी।

उपर्युक्त समीकरण को कई प्रकार से लिखा जा सकता है लेकिन फिर भी किसी सर्वमान्य हल तक पहुँचना लगभग असंभव है। यह एक ऐसा समीकरण है जिसका न आदि है और न अन्त है। यह तो अनादि है। शायद आपको याद होगा आदम और ईव ने जब सृष्टि की रचना का विचार किया तो सर्वप्रथम यही समीकरण काम आया होगा। मनु स्मृति में भी जब भगवान मनु ने प्रथम स्त्री से समागम का विचार किया होगा तो यह समीकरण दिमाग में कौंधा होगा। इन्हीं समीकरनों से आगे की सृष्टि चली होगी।

आखिर ऐसा क्या है इस समीकरण में उम्र, जाति, समाज, शरीर सब गौण हो जाता है, रह जाता है केवल एक निर्दोष समीकरण। एक निर्दोष अपराध जो कभी आदम करता है तो कभी ईव। कभी इन्द्र का आसन डोलता है तो कभी विश्वामित्र का। कभी खत्म न होने वाली यह स्थिति इस समीकरण से आगे क्यों नहीं जाती। सृष्टि का आरम्भ भी यह समीकरण और अन्त भी यह समीकरण। वैज्ञानिकों के अनुसार केवल क्रोमोसोम का चक्कर एक्स एक्स क्रोमोसोम तो पुरुष। एक्स वाई क्रोमोसोम तो स्त्री। लेकिन एक्स से वाई तक का सफर कभी पूरा नहीं होता। एक तरफ आग है और एक तरफ अनुभव। आग का अनुभव से मेल होता है और एक रेल चल पड़ती है। जीवन और स्पन्दन से भरपूर। केवल एक मुस्कराहट से चल जाता है जीवन। पुरुष गुजार देता है पूरी जिन्दगी और स्त्री समर्पण के सुख से ही संतुष्ट हो जाती है। स्त्री का पुरुष से या पुरुष का स्त्री से मिलन आनन्द, प्यार, मोहब्बत, इश्क वगैरह से ही पता चलता है यह समीकरण।

रासायनिक दृष्टिकोण से यह समीकरण उत्क्रमणीय है, दोनों दिशाओं में जा सकता है। ऊष्मा उत्सर्जित भी करता हैं। मुख्य उत्पादों के अलावा इस समीकरण के उपउत्पाद भी हैं, जो सर्वत्र दृष्टिगोचर होते हैं।इस महत्वपूर्ण समीकरण पर ताप दाब व सान्द्रता का प्रभाव भी पड़ता है। सान्द्रता बढ़ने पर उपउत्पादो में वृद्धि होती है।

इस समीकरण को हल करना आसान नहीं है। हजारों वर्षों से हम इस समीकरण पर दिमाग चलाये जा रहे हैं। इस गणितीय प्रमेय का हल किसी सुपर कम्प्यूटर के पास भी नहीं है। ज्यामिती, अंकगणित, बीजगणित, केलकुलस, ट्रिग्नोमेट्री से अलग है इस समीकरण की गणित। भौतिकी के सिद्धान्तों से इस समीकरण को नहीं समझा जा सकता है।

समीकरण अभी भी अनुत्तरित है। श्रीमान मैं आपके चिन्तन को आमंत्रण देता हूं। आइये और इस समीकरण को हल करिये यदि ऐसा हो गया तो सम्पूर्ण सृष्टि पर आपका एहसान होगा००००००

यशवन्त कोठारी, ,

86, लक्ष्मी नगर, ब्रह्मपुरी बाहर,

जयपुर-302002 फोनः-09414461207