कहाँ गईं तुम नैना (3)
चित्रा और नैना ने एक ही कॉलेज से मास कॉम का कोर्स किया था। दोनों अच्छी सहेलियां थीं। कॉलेज से निकल कर दोनों ने अलग अलग न्यूज़ चैनल ज्वाइन किए। लेकिन डेढ़ साल पहले चित्रा भी दुनिया न्यूज़ चैनल में आ गई। दिल्ली आने के बाद चित्रा एक लड़की के साथ फ्लैट शेयर करने लगी। पर उसके साथ चित्रा की पटरी सही तरह से नहीं बैठ पा रही थी। उसने नैना को अपनी समस्या बताई तो उसने सुझाव दिया कि जब तक उसे सही जगह नहीं मिल जाती वह उसके साथ रह सकती है।
आदित्य से नैना का रिश्ता टूटे अभी कुछ ही समय हुआ था। वह भावनात्मक रूप से कमज़ोर थी। चाहती थी कि उसके पास कोई हो जिसके साथ वह मन हल्का कर सके। चित्रा उसकी सहेली थी। उसका साथ रहना नैना के आहत मन को संतुष्ट करता था।
नैना चित्रा के साथ अपने मन की बातें बेझिझक साझा करती थी। वह अक्सर कहती थी कि उसने आदित्य को दिल से चाहा। लेकिन जिस तरह से उनका रिश्ता टूटा वह उसे बहुत तकलीफ देता है। चित्रा उसे समझाती थी कि जो हो गया उसके बारे में सोंचते रहने से कोई फायदा नहीं है। अब वह जीवन में आगे बढ़ने के बारे में सोंचे।
चित्रा के साथ रहते हुए नैना अब धीरे धीरे अपने दुख को भूल रही थी। इस बीच चैनल की तरफ से भी उसे अच्छा अवसर मिला। वह चैनल की तेज़ तर्रार एंकर मानी जाती थी। आने वाले चुनावों को ध्यान रखते हुए चैनल ने उसे वर्तमान सांसदों पर एक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने को कहा। यह अवसर पाकर नैना बहुत खुश थी।
उसने मेहनत करके कार्यक्रम की योजना बनाई। कार्यक्रम का नाम उसने रखा था 'वोट से पहले हिसाब'। इस कार्यक्रम में वह सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के एक एक सांसद को आमने सामने बैठा कर उनसे कार्यकाल के दौरान उनकी उपलब्धियों, संसद में उनकी उपस्थिति आदि पर तीखे सवाल करने वाली थी। उसने प्रस्ताव चैनल के एडिटर इन चीफ वरुण सान्याल के सामने प्रस्तुत किया। वरुण ने उस पर विचार करने की बात कही।
दुनिया न्यूज़ में खबरों की दुनिया का एक बड़ा नाम जतिन रामपाल कुछ महीनों पहले ही शामिल हुआ था। जतिन भी नेताओं से बात करते समय अपनी बेबाकी के लिए जाना जाता थे। चैनल चाहता था कि उसकी इस छवि का लाभ उठाया जाए। चैनल के चेयरमैन संजय बख्शी ने सलाह दी कि यदि 'वोट से पहले हिसाब' कार्यक्रम नैना की जगह जतिन करे तो टीआरपी आसमान छुएगी। वरुण हलांकि नैना के पक्ष में था पर चेयरमैन की बात को टाल नहीं सका।
नैना ने इस फैसले का पूरा विरोध किया। उसने कड़ी मेहनत करके कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की थी। उसे अच्छा नहीं लगा कि उसकी मेहनत पर किसी और को प्रसिद्धि मिले। पर वरुण ने उसे समझाया कि वह पूरी कोशिश करके उसे दूसरा शो दिला देगा। उसके पास 'पोल खोल' नाम के एक शो का प्रारूप था। इसमें अलग अलग स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार या गलत काम की पोल खोली जानी थी।
नैना का यह शो लोगों को बहुत पसंद आया। यह चैनल के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक बन गया। पोल खोल शो के दौरान ही हरियाणा के सत्ताधारी दल के एक विधायक का काला कारनामा नैना के सामने आया। एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा अनाथ बच्चों के लिए 'फुलवारी' नाम से एक अनाथालय चलाया जा रहा था। कहने को तो यहाँ बच्चों को एक सुरक्षित माहौल दिया जाता था ताकि वह पढ़ लिख कर अच्छे नागरिक बन सकें। पर वास्तविकता इसके विपरीत थी। वहाँ रह रहे मासूम बच्चों पर हर तरह के अत्याचार होते थे।
'फुलवारी' चलाने वाली समाजसेवी संस्था का संचालन सविता नाम की महिला द्वारा होता था। लेकिन वहाँ जो भी होता था वह विधायक जमुना प्रसाद के इशारे पर होता था। जमुना प्रसाद के कहने पर बच्चों को रात में चोरी छिपे बाहर भेजा जाता था। वहाँ उनसे दुष्कर्म होता था। आवाज़ उठाने वाले बच्चों को पीटा जाता था।
'फुलवारी' से भागे हुए एक बच्चे की मुलाकात नैना से हो गई। सब जानकर नैना ने अनाथालय में चल रहे जघन्य अपराध की जानकारी सबूतों के साथ अपने शो पोल खोल में दी। साथ ही पुलिस में शिकायत की। जमुना प्रसाद ने अपने रसूख का प्रयोग कर मामले को दबाने का प्रयास किया। किंतु जब बवाल बढ़ा तो सविता की गिरफ्तारी करा कर मामला रफा दफा कर दिया गया।
मामला दब तो गया लेकिन जमुना प्रसाद का नाम उछलने से उनकी छवि धूमिल हो गई। इस बात से नाराज़ होकर जमुना प्रसाद ने नैना को गुंडों के ज़रिए धमकी दिलानी शुरू कर दी।
चित्रा रुकी और आदित्य से बोली।
"मैं अपने ब्वायफ्रेंड के साथ रहने लगी थी। नैना अकेली पड़ गई थी। तुमसे अलग होने का दुख पहले ही उसके दिल को पीड़ा देता था। उस पर चैनल ने उसका शो जतिन को दे दिया। प्रोफेशनल जीवन का यह अनुभव भी बहुत कड़वा था। इन सबके ऊपर जमुना प्रसाद से मिलने वाली धमकियों ने उसे बुरी तरह तोड़ दिया था। नैना बहुत अधिक तनाव में थी। किसी ने उसे विपासना के बारे में बताया था। छुट्टी लेकर वह नोएडा के एक विपासना सेंटर में दस दिनों के ध्यान कार्यक्रम में गई थी। मैं नहीं जानती क्यों लेकिन जाने से पहले उसने तुम्हारा नंबर मुझे देकर कहा कि ज़रूरत पड़ने पर तुम्हें फोन कर दूँ।"
आदित्य को अच्छा लगा। अभी भी नैना को उस पर यकीन था कि वह ज़रूरत पड़ने पर काम आएगा। उसके दिल में एक दर्द सा उठा। नैना ना जाने कहाँ होगी।
"जब वह लौटी नहीं तब तुमने पता करने की कोशिश नहीं की कि वह कहाँ गई ?"
"मैंने विपासना सेंटर फोन किया तो पता चला कि वह छह दिन में ही कोर्स छोड़ कर चली गई थी। मैंने उसका फोन लगाया पर लगा नहीं। मैंने ऑफिस में बात की। उन लोगों ने कहा कि कोई कार्यवाही करने से पहले कुछ दिन देख लेते हैं। वह परेशान थी। हो सकता है कि मन लगाने के लिए कहीं और चली गई हो। मैं समझ नहीं पा रही थी कि कुछ दिन और नैना की राह देखूँ कि तुम्हें फोन करूँ। इसी बीच मिसेज़ चटर्जी का फोन मेरे पास आया। वह नैना को लेकर चिंतित थीं। उसके किसी रिश्तेदार का नंबर मांग रही थीं। मैंने उन्हें तुम्हारा नंबर दे दिया।"
"अभी तक नैना के गायब होने की रिपोर्ट पुलिस में नहीं लिखाई गई।"
"नहीं.."
"तुम्हें लगता है कि नैना के गायब होने में जमुना प्रसाद का हाथ हो सकता है।"
"कह नहीं सकती...पर वह धमकी तो दे रहा था कि अंजाम बुरा होगा।"
आदित्य कुछ देर खामोश बैठा सोंचता रहा। उसने अपनी घड़ी देखी। शाम के साढ़े पाँच बजे थे। उसने चित्रा से कहा।
"मैं नैना की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने जा रहा हूँ। तुम साथ चलोगी।"
"सात बजे मेरा एक डिबेट शो आता है। मुझे अब जाना होगा।"
"ठीक है..तुम जाओ। मैं अकेला चला जाऊँगा।"
आदित्य उसे दरवाज़े तक छोड़ने गया। चलने से पहले चित्रा बोली।
"आदित्य मैंने महसूस किया था कि नैना अभी भी तुम्हें बहुत चाहती है। उसे ढूंढ़ लो। मेरी कोई भी मदद चाहिए हो तो बताना।"
चित्रा चली गई। आदित्य पुलिस स्टेशन जाने के लिए तैयार होने लगा।
आदित्य ने वहाँ मौजूद पुलिस अधिकारी को नैना के लापता होने के बारे में सारी बात बता दी।
"पच्चीस दिन हो गए। आप अब रिपोर्ट लिखाने आए हैं। क्यों ?"
"मुझे आज सुबह ही इस बारे में सूचना मिली।"
"पर आपने तो कहा आप उनके पती हैं ?"
"जी पर दो साल से कुछ कारणवश हम अलग रह रहे हैं। अभी हमारा तलाक नहीं हुआ है। मैं आगरा में रहता हूँ। खबर मिलते ही दिल्ली आ गया।"
"किसी पर किसी तरह का शक।"
"जी हरियाणा के विधायक जमुना प्रसाद पर।"
"पर क्यों ?"
आदित्य ने उन्हें फुलवारी वाले केस के बारे में सब बता दिया।
"नैना को उनकी तरफ से धमकियां मिल रही थीं।"
अधिकारी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिख ली।
दो दिन बीत गए थे। आदित्य के लिए एक एक पल काटना कठिन हो रहा था। वह महसूस कर रहा था कि दो साल अलग रहने के बावजूद नैना के लिए उसका प्यार ज़रा भी कम नहीं हुआ था।
अभी तक पुलिस को नैना के केस में कोई सुराग नहीं मिल पाया था। उसने तय किया कि बैठ कर इंतज़ार करने की बजाय वह खुद भी कुछ करेगा। उसने सबसे पहले पुलिस स्टेशन जाने का निश्चय किया।