Achchaaiyan - 20 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां – २०

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अच्छाईयां – २०

भाग – २०

‘सालो बाद मिले तो भी किस हालत में....? सरगम को मिलने की तो दूर कुछ मिनीटो के लिए उसे देख भी नहीं पाया था... और पुलिस से वो बाते भी कर रही थी... शायद उसे छोटू के बारेमे पता भी चल गया होगा | और हालात भी ऐसे थे की वो कुछ भी नहीं कर शकता था |’ सूरज सोच में डूब गया था |

सरगम और सूरज ऐसी हालात में मिले थे की दोनों के बिच की दुरिया बढ़ सकती थी | सूरज छोटू को बचाके निकल तो गया था मगर सरगम की नजरो से वो ओर नीचे गीर गया था | आज कुछ भी हो जाए सरगम से मिलना पड़ेगा ऐसा सोच के सूरज फिर अपनी कोलेज में गया |

सरगम कोलेज में ही थी | सालो बाद वो फिरसे सरगम को मिलने जा रहा था | सरगमने सूरज को आते देख के दूर से ही अपना मूंह मोड़ लिया |

‘सरगम....!!’ सूरज के मुंह से सालो बाद आज सरगम अपना नाम सून रही थी |

‘तुम यहाँ वापस क्यों आये... चले जाओ यहाँ से...!!’ जैसे दादाजीने कहा था वैसे ही सरगमने सूरज की ओर देखे बिना ही कहा |

‘सरगम तुम जो समझ रही हो वो सच नहीं है... मैंने कुछ नहीं किया....!!’ सूरज अपनी बेगुनाही को बताना चाहता था |

‘यानी तुम ड्रग्स बेचते नहीं थे...?? चलो मैं मानलू की तुम बेक़सूर हो तो उस देशमें तुम्हारे पास इतना सारा ड्रग्स कहाँ से आया ? तुम्हारे रूमसे भी जो ड्रग्स मिला था वो भी शायद तुम्हारा नहीं था और आज जो मैंने मेरी आँखों से देखा की तुम उस बच्चे को ले के भाग रहे थे जिसके पीछे पुलिस थी और वो भी ड्रग्स का ही मामला था... सूरज तुम कब तक मुझे दोखा दोगे ? चले जाओ यहाँ से.....!!’ सरगम सूरज को नफ़रत करने लगी थी |

सूरज कुछ देर सरगम को सूनता रहा और फिर बोला, ‘ सरगम मेरा विश्वास करो.... आज जो लड़का था उसका नाम छोटू है और उसको भी नहीं पता था की उसकी बैगमें ड्रग्स था... मैं उसे बचाने के लिए पुलिस से दूर ले जा रहा था...!!’

‘शायद वो तुम्हारे लिए काम करता होगा...!!’ सरगमने कहा |

‘कल्लू उससे ये काम करवा रहा है... वो अच्छा लड़का है...’ सूरजने जोर से कहा |

‘चलो ये मान लू..... मगर उस संगीत प्रतियोगिता के बाद तो तुम्हारे पास जो ड्रग्स मिला तब तुम अकेले थे, उस वक्त भी क्या तुम किसीको बचा रहे थे..?? ... और तुम्हारे जो म्युझिक इंस्ट्रूमेंट थे उसमे किसने ड्रग्स रखा ?’ सरगमने फिर पूछा |

उस रात श्रीधर मेरे रूम में आया था और उसने कहा चलो हम शहर की सैर कर आये | मैंने अपना सारा सामन होटल पर ही छोड़ा था | मैं और श्रीधर घूमने निकले थे फिर उस अगली रात आप सबकी फ्लाईट थी और दूसरे दिन मेरी थी | सारा सामान उस होटल में था तो किसीने उसमे ड्रग्स कब रख दिया वो मुझे पता भी नहीं....!!’ सूरजने अपनी बात बताई |

‘किसीने रख दिया...??’ क्या मैं ये भी मान लू...!!’ सरगम को अब विश्वास नहीं था |

‘उस दिन जब मेरी फ्लाईट निकलने वाली थी तभी कोई अनजान मेरे पास आया था और कहा था की तुम भाग जाओ... आज चैकिंग में हमारे आदमी नहीं है .... मुझे वो क्या कह रहा था पता ही नहीं चला... मेरे सामन की चैकिंग हुई तो मुझे लगा की वो ही आदमी था जो सबकुछ जानता था... होटलमें मैं और श्रीधर साथ थे उसकी एक चाबी श्रीधर के पास भी थी, शायद उसे किसीने दी हो.... मुझे एकबार श्रीधर से मिलना होगा | ’ सूरज अपनी बात बता रहा था |

‘तो श्रीधर तक बात पहुंच गई...!!! और यहाँ तुम्हारी रूम से भी जो ड्रग्स मिला था उसका क्या...? ’ सरगमने मुडके सूरज के सामने देखकर कहा |

‘उस दिन दादाजीने मुझे कहा था मगर मैं उसके बार में कुछ नहीं जानता की मेरे रम से भी ड्रग्स कैसे मिला...? मुझे श्रीधर से भी कुछ पूछना है..!’ सूरज सरगम के करीब आया |

सरगम कुछ देर चुप रही और फिर बोली, ‘ तुम्हे ये पता नहीं है की श्रीधर अब इस दुनिया में नहीं है....!!’

‘क्या...??’ सूरज ये सुनते ही चौंक गया |

सरगम को लगा की सूरज को सचमुच पता नहीं है तो उसने श्रीधर की सच्चाई बताना शुरू किया, ‘वहा से आने के करीब तीन महीने के बाद उसका एक्सीडेंट हो गया....उसी एक्सीडेंट में श्रीधर हमें छोड़ के चला गया |’ सरगम की आँखों से आंसू निकल आये |

‘ओह...!!’ सूरज कुछ देर चुप रहा |

सरगम और भी कुछ कह रही थी, ‘श्रीधर और गूंजाने चुपके चुपके शादी कर ली थी | दादाजी भी उससे नाराज थे | उसके एक्सीडेंट के बाद गुंजाने कहा की वो प्रेगनेंट थी | फिर गूंजा हमारे घर रहने लगी | उसको लड़की हुई मगर गुंजा भी उसी दिन हम सबको छोड़कर चली गई | मेरे और दादाजी के कंधो पर जिम्मेदारी बढ़ गई और तुम्हारी वजह से कोलेज भी बदनाम हो गई थी इसलिए हम टूट चुके थे.... उस लकड़ी का नाम मैंने ‘सुगम’ रखा जो तुम्हे पसंद था.... वो भी उसके पापा की तरह अच्छी बांसुरी बजाती है....’

‘ओह माय गोड.... गुंजा भी अब इस दुनियामे नहीं है.....!!’ सूरज ये सुनते ही बैठ गया.... उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे |

‘दोनों एक साल से एकदूसरे से प्यार कर रहे थे और सुगम उनके प्यार की निशानी है...’ सरगमने सूरज की ओर देखके कहा |

सूरज सुछ देर चुप हो गया था मगर थोड़ीदेर बाद बोला, ‘ सरगम मुझे ये कुछ पता नहीं है.... और सुगम हमारे श्रीधर की लड़की है ?’

‘हां’

‘तो वो तुम्हे मम्मा क्यों कहती है ? और उस दिन उसने मुझे कहा की मेरी मम्मा का नाम सरगम है तो मैं समझा की तुम्हारी शादी हो गई है इसलिए मैं भी तुमसे दूर चला गया था ....!!’ सूरज अपनी दिल की सच्चाई बता रहा था |

‘ओह्ह, ऐसा था...!! मगर उन दोनों के जाने बाद मैं क्या करती ? हमें ही उसको संभालना था.. श्रीधर और गूंजा के घरवालोने तो दोनों को अपने घर से बेदखल कर दिया था | फिर मैं ही उसकी मम्मा हूँ...!!’ सरगमने कहा |

श्रीधर और गूंजा के मौत से सूरज दुखी था मगर सरगमने शादी नहीं की ये सुनकर उनके दिल को तसल्ली भी मीली थी | थोदीदेर बाद उसने खुद को संभाला और कहा, ‘सरगम.. तुम मेरा विश्वास करो या न करो मगर एक दिन मैं मेरी सच्चाई तुम्हारे सामने ला के रहूँगा | मेरे कारन तुम्हे, दादाजी या इस कोलेज को जो भुगतना पड़ा है वो मैं ठीक कर दूंगा |’

सरगम कुछ देर खामोश रही और फिर बोली, ‘ कुछ ही महीनो में फिर से उसी देशमें संगीत प्रतियोगिता होनेवाली है....!!’

ये सुनकर सूरज की आंखोमे चमक आई और सरगम के करीब आके बोला, ‘फिर से मेरी कोलेज ही बेस्ट बनेगी और मैं दुनिया को बता दूंगा की मैं बेक़सूर था | सरगम तुम उस दिन तक मेरा इंतज़ार करना की मैं खुद को बेक़सूर साबित न कर लू और इस कोलेज और दादाजी का सन्मान वापिश कर लू... और यदि ये न कर पाया तो मैं तुम्हारी दुनिया से हंमेशा हंमेशा के लिए दूर चला जाऊँगा.... ये मेरा वादा है...! ’

सूरज की आँखों से सच्चाई झलक रही थी और सरगम की आँखो से भी बेपनाह महोब्बत..... मगर सरगमने अपने प्यार को फिर छीपा लिया |

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‘दादा... मेरी बैग पुलिस के हाथोमें लग गई... और मैं बचकर निकल आया...!!’ छोटूने वापिस आते ही कल्लू को अपनी बात कहना शुरू किया |

‘ओह्ह... बैग पुलिस के हाथ लग गई....?? और पुलिसने तुम्हे पहचान तो नहीं...??’ कल्लूने गभराते हुए कहा |

‘नही... नहीं दादा.... मगर उन्होंने उस बैग के देखने के बाद मेरा काफ़ी पीछा किया था... क्या था उस बैग में दादा...??’ छोटूने सवाल किया |

‘कुछ नहीं... तुम हाथ मुंह धोलो और आज बहार मत निकलना...!!’

‘दादा... मुझसे कोई गलत काम तो नहीं करवा रहे’न...? दादा... यदी मैं पकड़ा गया तो मुझे जेल ले जायेंगे ?? ’ छोटूने नादानियत से पूछा |

ये सुनते ही आज कल्लू के चहेरे पे पहलीबार छोटू पर प्यार उभर आया, ‘नहीं मेरे बच्चे... तुझे कोई जेल नहीं ले जाएगा... मैं ही बहक गया था की....!!’ और कल्लू कहते कहते रुक गया |

उसी वक्त बहार एक आदमी आया और बोला, ‘ कल्लू.. तुम्हे अनवर बुला रहा है....!’ कल्लू को जो डर था वही हुआ... अनवर का नाम सुनते ही वो खड़ा हुआ और छोटू को कमरे में भेज के वो निकल गया |

कल्लू को देखकर अनवर चिल्लाया और कल्लू को जोर से लात मारी ‘साल्ले... बोल रहा था की मुझ पे काम छोड़ दो...! और आज पुलिस चारो ओर हमारे आदमी को तलाश रही है... ये तेरे लडके की वजह से हुआ.... एक तो बोस आ रहा है और धंधा बिगड़ रहा है...!’

‘माफ़ कर दो अनवरमियां... उस लडके से गलती हो गई...!!’ कल्लू गिर गया फिर भी अपने हाथ जोड़ के गिडगिड़ा रहा था |

‘पचास हजार का माल था वो क्या तेरा बाप देगा...?? एक तो सूरज मिल नहीं रहा और ये...!!’ अनवरने कल्लू को और दो लाते ठोकी | वो अपना गुस्सा कल्लू पे निकाल रहा था... कल्लू दो हाथ जोड़ के उसके पैर पकड़कर गिडगिड़ाने लगा | मगर अनवर आज अपना गुस्सा कल्लू पर निकाल रहा था |

उसी वक्त गुलाबो आई और कल्लू को छुड़वाया, ‘ जाने दो इसे...मर जाएगा बेचारा.. !!’

‘जाने तो दू मगर जो एडवान्स लिया है वो वापस करने को बोल...!’ अनवर गुलाबो के मनाने से कुछ शांत हुआ था |

‘हां... दे दूंगा...!!’ कल्लू को दो लाते क्या पडी तो पता चला की दर्द क्या होता है |

फिर कल्लू उधर से जाने लगा और फिर कभी इस दुनियाने कदम नहीं रखेगा वो सोच के अपने घर वापस आया | छोटूने कल्लू को ऐसी हालतमें देखकर उसके पास बैठा और बोला, ‘ दादा... क्या कही गिर गए थे ? दवा लगा दू ?’

ये सुनकर कल्लू की आँखों से आंसू निकल आये और बोला, ‘हां, छोटू गिर ही गया था... मगर अब संभल चूका हु....!!’ ये कहकर छोटू को प्यार से गले लगा लिया | शायद अब कल्लू बदल चुका था |

‘दादा, सूरज बहुत अच्छा है... उसीने ही मुझे बचाया...!!’ छोटू को कल्लू की गोद में आज अपनापन लगा तो अपने दिल की बात बोल दी....!

‘सूरज.... ये अनवर जो उसका नाम ले रहा था...??’ कल्लू सोचमें डूब गया मगर छोटू को प्यार से बोला, ‘ये सूरज कौन है ?’

‘मेरा दोस्त...!’

‘उसे कल यहाँ बुला लेना... मैं भी मिल लू |’

‘मुझे मिलेगा तो मैं जरुर कहूँगा की दादाने याद किया है....!!’ छोटू आज प्यार से अपना दिल खोल रहा था मगर कल्लू कुछ ओर सोचने लगा....

क्रमश:........