Khel Pyar ka - 10 in Hindi Love Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | खेल प्यार का... भाग 10

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खेल प्यार का... भाग 10

कायनात ने कहा आपने मुझे खरीदा है तो अपने पैसे क्यू बर्बाद करते हो अपना काम कर लो ! और जाओ यहां से..! "
तभी उस लड़के ने कहा !
"मुझे कोई काम नहीं करना है ! में बस अपने दोस्तो के साथ आया हूं ! वो मुझे पहली बार यहां ले आए है ! लेकिन तुम फिक्र ना करो में कुछ गलत नहीं करुगा..! लेकिन में आज खुश हू की तुम मुझे मिल गई ! मेने तुम्हे ट्रेन में जब देखा था तब से मुझे तुम पसंद थी! लेकिन उस दिन तुम्हारे साथ वसीम था, जिसे तुम बहुत प्यार करती थी उस दिन से ही में तुम्हारे ही खयालो मे खोया रहता था..... !
आज जाकर तुम मीली भी तो कहां मीली यार।"
 अब आगे

            खेल प्यार का...भाग 10


इतना सुनते ही कायनात के आंखो से आंसू निकाल आए ! वो बोली जिसे मेने जान से ज्यादा अपनी इज्जत की परवाह किए बिना प्यार किया, उसने मुझे यहां लाकर छोड़ दिया! मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी उसने..! और एक आप है जिसे में जानती भी नहीं जो पैसे दे कर भी मुझे बिना छुए प्यार करते हो !
तभी उस लड़के ने कायनात को दिलासा देते हुए कहा !
"मै तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा ओर बहुत जल्द यहां से अपने साथ ले जाऊंगा।
इतना सुनते कायनात के दिल में कुछ उम्मीद बंध गई ! उसे ऐसा लगा जैसे अल्लाह ने कही से एक फरिश्ता भेजा है उसके लिए , उसे इस दल दल से निकालने!
 वो मुस्कुराते हुए उठी ,ओर बोली !
"आज़म आप सच कहें रहे हो क्या में अपने मां बाबा से फिर से मिल पाउंगी..?" उसने कायनात के आंसू पोछते हुए कहा! "हा..! अल्लाह पे यकीन रखो ! मुझे अपना समझो ! में सब ठीक कर के ही दम लूंगा अब।
इतना कहकर आज़म कायनात को चुप करते हुआ बोला! 
"अच्छा मुझे अब ये बताओ तुम्हारा घर कहाँ है ?  मुझे वहां का कोई पता मिल सकता है ! 
कायनात ने उसे अपने घर की ओर शहर की सारी जानकारी दी! जिसे आज़म ने एक डायरी में लिख लिया।
वो बोला!  
"कायनात फिक्र ना करो !अब सब ठीक हो जाएगा ! अब में हूं तुम्हारे साथ हुं! "
इस तरह सुबह के 5 बज गए !
 फिर आज़म के दोस्त ने दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा!
" आज़म अब बस भी कर सुबह हो गई है! घर जाना है या यही रहना है तुम्हें?"
आज़म ने दरवाज़ा खोला ! कहा !
"हा , चलो में अाता हुं ! 
"दोस्त ने कहा ठीक है हम बाहर है !जल्दी आ!"
 आज़म :
"-कायनात मुझे अभी जाना होगा ,लेकिन तुम फिक्र ना करो, में रात को फिर आने वाला हूं! नहीं तो ये लोग किसी ओर को तुम्हारे रूम में भेज देंगे ! जो कोई ओर अब तुम्हे छुए वो में नहीं चाहता ! अपना ख्याल रखना में रात को अाता हूं!"
इतना कह कर आज़म वहां से चला तो गया लेकिन उसे अब सिर्फ ओर सिर्फ कायनात की फिक्र थी ! ओर ये भी सोच रहा था कि अब आगे उसे क्या करना चाहिए , जिसे वो कायनात को वहां से बाहर निकल सके..? उसे कुछ सुज नहीं रहा था! वो परेशान भी बहुत था !
उसे ऐसे देख दोस्तो ने कहा !
"आज़म सब ठीक तो है तुम जब वहां गया था , तब तू ठीक था! अभी कुछ परेशान दिख रहा है ! ऐसा क्या हुआ तुझे ? बोल कोई प्रॉब्लम है ? बता हमें..?
उसने दोस्तो को बताया कि जिस लड़की का ज़िक्र में तुम लोगो से किया करता था, वो लड़की मुझे एक बार फिर कहीं मिल जाए तो में उस अपनी मोहब्बत का इजहार कर दुगा !"
उसके दोस्त ने कहा!
"वहीं लड़की जो तुझे ट्रेन में मिली थी ?"
"हा यार वहीं लड़की जिसका नाम कायनात है ! वो आज मुझे मिल गई! लेकिन मिली भी तो एक रेडलाईट एरिया में जिस्मो के बाजारमें !"
आज़म तू क्या बोल रहा है ? हम कुछ समझे नहीं ?
आज़म ने कहा!
" यार वहीं लड़की मेरे साथ उस कमरे में थी ! जिसके साथ मैने रात गुजारी..!"
"क्या बोल रहा है तू? यार वो यहां कैसे आई ?"
तब आज़म ने अपने दोस्तों को कायनात की सारी बाते बाता दी !
और कहा!" अब मुझे कुछ समझ नही आ रहा है उसे यहां से कैसे बाहर निकालू..?
सारे दोस्त उसके साथ थे !सब ने कहा! "आज़म अगर ऐसा है तो हम तेरे साथ है ! तू बता अब करना क्या है आगे..? "
आज़म ने कहा! 
अभी तो बस मुझे कायनात की फिक्र है कि उसे किसी ओर को ना सौंप दिया जाए! जिसे उसे किसी और की हवस का शिकार होना पडे! 
मुझे रोज़ रात उसके पास रेहना है !
जब तक कुछ सोच ना ले हम।"
ठीक है बस जल्द ही कुछ करना होगा! 
सबने एक साथ कहा..!

क्रमशः


                              *******सायरा खान*********