Wo ladki - Somu in Hindi Horror Stories by Ankit Maharshi books and stories PDF | वो लडक़ी - सोमू

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वो लडक़ी - सोमू

मेरी शांत से जीवन मे "उस रात" वो लड़की एक ख़ौफ़नाक "पर्दा" लेकर आई। उसने "बेपर्दा" कर दिया "ख़ौफ़ का राज़" फिर वो लड़की ले गई मुझे "आत्मालोक" में, वहां पर्दाफाश हुए कुछ ऐसे राज़ कि मुझे खुद से "घिन्न" हो उठी, वो लड़की कोई और नही "सोमू" थी जिसने मेरी "वापसी" फिर से मेरी दुनिया मे करवाई। आज सोमू मेरी दुनिया का हिस्सा है , अब आगे


                              सोमू         

Dear diary,
                        माफी चाहता हूं , आज पूरे 7 दिन बाद हमारी मुलाकात हो रही है । क्या करूं ...पहले मेरी जिंदगी में काम,  केमिस्ट्री और तुम्हारे अलावा कुछ और था ही नहीं,,, पर अब कोई और भी है ....जो मेरी जिंदगी में खुशियां के रंग भर रही है। 
                        सोमू.....हां    सोमू ने मुझे इतनी खुशियां दी है कि मैं तो भूल चुका हूं कि इन आंखों ने कभी दुख के आंसू भी बहाए थे।
                        मैं नहीं जानता कि हम दोनों का रिश्ता क्या है ......आखिर एक आत्मा और इंसान का क्या रिश्ता हो सकता है ,,,पर इतना कह सकता हूं कि मैं उसे बेटा बोलता हूं और वह मुझे भैया।
       वह रोज रात 9: 00 से 12 तक अपने पूर्ण अस्तित्व में होती है । दिन में भी कई बार उसकी झलकियां दिखाई दे जाती है ,,लेकिन ऐसा लगता है कि वह पूरे 24 घंटे मुझ पर नजर रखे हुए हैं। पिछले 7 दिनों के अनुभव से मैं इतना कह सकता हूं कि कोई भी आत्मा इस भौतिक जगत में संपूर्ण 24 घंटे नहीं रह सकती है । उसका अस्तित्व कुछ समय विशेष के लिए ही होता है।
        मैं जब भी उसे उसके गुनहगारों की सजा के बारे में पूछता हूं ,,तो वह हमेशा यह कह कर टाल देती है कि अभी वह खुद की शक्तियां समझ रही है... जब उसे अपनी शक्तियों की समझ हो जाएगी तब वह खुद ही उनसे अपना बदला लेगी।                
                        पिछले 7 दिनों में बहुत से लम्हे यादगार रहे समझ में नहीं आता कहां से शुरू करूं ,,, चलो वहीं से शुरू करता हूं जहां पे खत्म किया था।
                        
  दूसरे दिन सुबह   मैं तैयार होकर कॉलेज को निकलने ही वाला था कि अचानक से मुझे आवाज सुनाई दी "भैया " 
     जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वहां पर सोमू खड़ी थी उसे देखकर लगा... पता नहीं अभी कौन सी डिमांड फिर से कर दे   , मैंने उससे पूछा "क्या हुआ बेटा अब क्या चाहिए??" तो उसने कहा "भैया इतने सारे सोयाबीन कौन खाएगा "  
      मैं-"जिसने मंगवाया है वही खाएगा... मैं थोड़ी ना खाऊंगा ...तुम ही ने भिगोए थे इतने सारे ....अब खाओगी भी तुम्ही ।


सोमू-"आपकी थोड़ी सी हेल्प चाहिए .…साथ मिल कर खाते हैं ना .….....आप थोड़ा थोड़ा ही खा लेना।"
कुछ इतनी मासूमियत से बोली कि मैं उसे मना ही नहीं कर पाया और मैं भी उसके साथ खाने बैठ गया।
वह जल्दी-जल्दी खा रही थी मैं धीरे-धीरे। फिर भी पता नहीं क्या बकवास चीज है सोयाबीन और चने .....जिन्हें खाने में इतना वक्त लग जाता है।
         दोपहर को जब कॉलेज में इंटरवल हुई तब टिफिन को देखकर ऐसा लग रहा था कि आज मैं टिफिन नहीं खाने वाला,,,, टिफिन मुझे खा जाएगा ।भूख बिल्कुल भी नहीं थी।
          टिफन की तरफ मैं बड़े ही दीन भाव से देख रहा था अचानक से सोमू नज़र आई, ,"क्या भैया .....आज बिल्कुल नहीं खाओगे ??"
          मैं धीरे से फुसफुसाया और बोला ,"देखा तुमने...तुम्हारे थोड़े से  सोयाबीन क्या खाए कि आज पूरे दिन भूखा रहना पड़ेगा "  
          मेरी बात सुनकर वह हंसने लगी और बोली "भैया..!?? एक्चुअली वह सारे चने और सोयाबीन आप ही  ने खाए थे "
          मैं-"मतलब ..!!!! मैंने देखा था ,,,  ज्यादातर तो  तूने ही  खाए.... मैंने तो बहुत कम खाए हैं.."
           तब वह बोली -"आपको तो थोड़ा बहुत उल्लू बना ही सकती हूं..... इतनी पावर्स तो मिली है मुझे।?"
        


 यह तो कुछ भी नहीं है , बड़ी ही नटखट और शैतान है सोमू कभी-कभी जब मैं खूंटी से कपड़े उतार रहा होता हूं तब अचानक से कपड़ों के बीच से आवाज लगाती है "बूम...!!" मैं तो डर ही जाता हूं,,, लेकिन मैं उसका कुछ बिगाड़ भी नहीं पाता क्योंकि मैं उसे छू भी नहीं सकता हूं।
         उसे एक और बड़ी ही घटिया सुपर पावर मिली हुई है जब मैं नहा रहा होता हूं खासतौर पर जब पूरे चेहरे पर साबुन लगी होती है तब वह शावर बंद कर देती है और उसके बाद काफी देर तक हंसती हैं बड़ी मन्नतों के बाद पानी फिर से शुरू होता है।
         सबसे ज्यादा दिक्कत तो मुझे तब आती है जब उसे मोल कांसेप्ट और इक्विलिब्रियम के कुछ टॉपिक समझने होते हैं उसे चाहे जितना समझा दो उसके दिमाग में कुछ नहीं घुसता है शायद दिमाग है ही नहीं।
         चाहे जो भी हो पर उसने मुझे रूम साफ रखना.. जूते साफ करके बाहर जाना .....जूते चप्पल बाहर खोलना और रोजाना अपना तौलिया धोना सीखा ही दिया क्योंकि उन महारानी को साफ सफाई बेहद पसंद है।
         इन 7 दिनों में उसकी इतनी आदत हो गई है कि अगर थोड़ा भी मेरे पास टाइम हो और वह पास ना हो तो सच में अजीब सा लगता है । मैं उससे पूछता भी हूं कि क्या वह मुझे 24 घंटे तक लगातार दिखाई नहीं दे सकती तो वह बोलती है कि वह खुद नहीं जानती बचे हुए समय में वह कहां रहती है।
         पर जो भी हो,,, रात को ठंढ बढ़ने पर वो पंखा बन्द कर देती है। अक्सर जब सुबह उठता हूँ तो खुद को चद्दर ओढ़ के सोया हुआ पाता हूँ।
         ध्यान भी रखती है , परेशान भी करती है,
         कहने को तो वो इस दुनिया में नहीं है,
         पर मेरी दुनिया में तो, उसी की ही बस्ती है।
         आज तो उसने बड़ी भागदौड़ करवाई। दरअसल बात यह है कि आज अमावस है और जैसे कि महंत् जी ने बताया था कि हर अमावस को उसके नाम का कुछ मीठा खाना गरीबों को खिलाना है या गाय को देना है तो मैंने उससे पूछा वह क्या खाना पसंद करेगी तो वह बोली कि पहले उसे नमकीन बहुत पसंद थी , आजकल केवल मीठा खाने का ही मूड करता है .
         उसे जलेबी खाने की इच्छा हो रही थी तो मैंने खूब सारी जलेबी ले ली । मैंने कच्ची बस्ती ,,भिखारियों में ....पशुओं को... हर जगह पर जलेबी पहुंचाई यहां तक की मंदिर में पुजारी को भी दी... यह कहकर कि उस तक यह पहुंच जाए... पर हकीकत में देर शाम तक भी उसने यही कहा कि वह अभी भी भूखी है। फिर शाम को पास ही के किसी तीर्थ पर कोई भटकी हुई बुजुर्ग महिला मिली जो रो रही थी। उन्हे अपने घर का पता अच्छे से याद नहीं आ रहा था। शायद पैसे भी उनके खत्म हो गए थे उसने कईयों से मदद की गुहार लगाई ....  पर सभी लोग उसे यही कह रहे थे कि यह पैसे ठगने का जाल है । मुझे उनकी बातों में सच्चाई सी लगी। मैंने उनसे बातों ही बातों में पूछा क्या वह अपने पर्स में अपने घर के पते को लिख कर चलती है ...??या घर पर किसी ने लिखा हो?? तो उसने पर्स खोल कर दिखाया तो उसमें एक कागज था जिस पर एक मोबाइल नंबर लिखे थे । मोबाइल नंबर उनके किसी दूर के रिश्तेदार के निकले जिन से बात करके मैंने उनका पता निकलवाया । उसके बाद मैंने उन बुजुर्ग महिला से प्रार्थना की कि वह खाने में थोड़ी जलेबी ले ले और यह प्रार्थना करें कि यह किसी सोमू नाम की लड़की को मिल जाए । वह इन सब परंपराओं को जानती थी और उन्होंने ऐसा ही किया और मजे की बात यह थी ,,,,जैसे ही उन्होंने जलेबी खाई मेरे ठीक पीछे  से अचानक सोमू बोली," हां भैया..!! इस बार मिल गई है " सोमू फिर जलेबी को आंखे बन्द कर के इतना रस लेकर खा रही थी कि उसे देखकर ही हर किसी की जलेबी खाने की इच्छा हो जाए। 
            फिर मैंने उन बुजुर्ग महिला को बताए गए पते के हिसाब से बस में बिठाया और कंडक्टर के नंबर उनके रिश्तेदार को दे दिए।
         इन छोटी-छोटी बातों में किस हद तक सुकून छुपा होता है मैं अभी तक इससे बिल्कुल अपरिचित था। अभी तक मानो जिंदगी काट रहा था पर सोमू ने मुझे जीना सिखाया।

         मेरी सुनी तन्हा दुनिया थी,
         आकर तूने गजब कर दी।
         रंग भरती .......रंग भरती
         मेरे जहां में तू रंग भरती।
         इन सब के चक्कर में एक जरूरी बात तो बताना भूल ही गया । आजकल मुझ पर satanism जानने का भूत चढ़ा हुआ है । मैं पूरे दिन शैतानीजम पर  Google सर्च करता रहता हूं । जहां Google काम नहीं करती वहां ओनियन सर्च करता हूं । orbot और orfox जैसे ब्राउज़रों से मेरी यारी हो गई है। कुछ इंटरनेट लिंक्स ऐसे भी हैं जिनसे यह तय हो जाता है किसे satanism किस हद तक खतरनाक है। विभिन्न प्रकार के satanic अनुष्ठानों के वीडियो भी मैंने देखे हैं।कुछ ऐसी किताबे भी खरीदी है जो शैतान को प्रसन्न करने के तरीके सिखाती है।वे सभी pdf फॉर्मेट में है। आज इतना ही 
         Good night dear diary.
                  
                              


                                                                                
                                बदला


Dear dairy
                  आज पूरे 9 दिन बाद मुझे फिर से तुम्हारे पास आना पड़ा। लगता है सोमू ने अपने गुनहगारों को सजा देना शुरु कर दिया है। सोमू उनके साथ जो भी करती है वह सब मुझे रात को सपनों में दिखाई दे रहा है। इन सपनों में डर भी है और एक अजीब सा सुकून भी ,,,शायद तुम इसे समझ न  पाओ,,,,,लेकिन मैं तुम्हें समझाने की कोशिश करूंगा।
आज मैं वह सब लिखूंगा जो मैं पिछले 9 दिन से अपने सपनों में देख रहा हूं।
      विनीत अपने कमरे में बड़े ही आराम से कूलर की तरफ सर करके सोया हुआ था। तभी अचानक बुरी तरह से आवाज करता हुआ कूलर बंद हो गया जैसे किसी ने उसके पंखों में लकड़ी फंसा दी हो। खट खट  की कान फाड़ देने वाली आवाज के साथ कूलर बन्द हो गया, जो कमरे के बाहर खिड़की में विनीत के सिरहाने लगा हुआ था।
      आवाज़ सुनने के बाद विनीत घबरा कर बैठ गया। कमरे में एक अजीब सी शांति छा गई। विनीत इधर से उधर देख कर स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा था शायद थोड़ा डरा हुआ भी था। पसीने की बूंदों को पोंछते हुए जैसे ही उसने चादर को अपने पैरों से ऊपर की तरफ खींचा तो दूसरी तरफ से भीे चादर बड़ी तेजी से खींची गई और चादर  फर्श पर जा गिरी। इस अप्रत्याशित घटना से विनीत बुरी तरह से कांप गया । वह तुरंत बिस्तर से कूदा और कमरे में लाइट को ऑन किया। बल्ब चालू होते ही वह झर-झर की आवाज करने लगा। और फिर अचानक से कूलर अपने आप चालू हो गया। पंखे की गति इतनी बढ़ गई कि पूरे कमरे में आंधी जैसी हवा महसूस होने लगी । खिड़की में रखा हुआ ग्लास हवा से नीचे गिर गया और विनीत ने तब देखा तो उसकी आंखें भय से खुली रह गई क्योंकि गिलास से पानी नहीं .......खून बहा था। 
      वह घबराया हुआ तेजी से दरवाजे की तरफ लपका। लेकिन उसी वक्त दरवाजा अपने आप इतनी जल्दी से खुला कि इसके कारण उसके होंठ पर दरवाजा लगने से खून आने लगा । पास ही खूंटी पर रखें तोलिए से उसने अपना मुंह साफ किया कि तभी उसके पांव को नीचे से किसी ने खींचा और वह मुंह के बल जमीन पर जा गिरा।
      वह चिल्लाने की कोशिश कर रहा था पर उसकी आवाज नहीं निकल रही थी । जिस तौलिए से वह मुंह पोंछ  रहा था,  वह तोलिया तो मानो उसके  मुंह से चिपक ही गया था। विनीत ने दोनों हाथ लगाकर तोलिए को मुंह से हटाने की कोशिश की । लेकिन उसी वक्त उसका पूरा शरीर पीछे की तरफ खींचा गया जैसे किसी ने पांव से खींचकर दीवार पर दे मारा हो । वह दर्द के मारे आंसू बहा रहा था। लेकिन तोलिया मुंह से इस कदर चिपका था कि आवाज बाहर नहीं आ रही थी। विनीत डबडबाई आंखों से अभी भी झर झर करती हुई लाइट को ताक रहा था। शायद किसी और भी बड़ी अनहोनी का उसे अंदेशा था। उसकी चिंता सही साबित हुई जब पास ही रखी  अलमारी से एक बड़ी रस्सी नीचे गिरी जो उसकी तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगी।
      
विनीत ने पूरी ताकत से खड़े हो कर भागने की कोशिश की पर उसकी कोशिश नाकाम रही उससे पहले ही रस्सी उसको अपनी गिरफ्त में ले चुकी थी अब रस्सी ने उसे जकड़ रखा था और तोलिया उसके बुरी तरह से मुंह में घुसा जा रहा था शायद विनीत भगवान से रहम की भीख मांग रहा हो। भगवान ने सुन ली उसकी दरवाज़ा खुला और कमरे में  विनीत की मम्मी परेशान सी अंदर आई।
विनीत..... विनीत .....क्या हुआ तुझे??? सहमी हुई सी विनीत की मम्मी उसके मुंह से कपड़ा हटाते हुए कहा।
इससे पहले विनीत कुछ कह पाता कमरे में एक आवाज गूंजी..." विनीत भैया",,,,, फिर दिल दहलाने वाली चीखों से विनीत के कान फटने लगे पर शायद उसकी मम्मी को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था।
"मम्मी वह मुझे मार डालेगी" रोता हुआ विनीत बोला।
"कौन मार देगी ...!!!???और क्यों ....??क्या बिगाड़ा तूने किसी का,,, ???बेटा तुम शायद नींद में हो... तुम डर गए हो..."     विनीत का सिर थपथपाते हुए उसकी मम्मी बोली।
विनीत भी अब सब कुछ समझ चुका था । लेकिन अपने मुंह से अपने गुनाह  कुबूल नहीं करना चाहता था , इसलिए उसने कहा ,"मम्मी मुझे बहुत डर लग रहा है ...क्या मैं नीचे आपके साथ सो सकता हूं.."
 मम्मी ने कहा "हां बेटा ...नीचे आ जाओ"। थोड़ा शक तो विनीत को खुद पर भी हो रहा था क्योंकि अब कमरे में रस्सी भी नहीं थी और फर्श पर खून भी नहीं दिख रहा था। विनीत को सचमुच लगा कि शायद उसने कोई बुरा सपना देखा है।लेकिन उसका वहम तब दूर हो गया जब कमरे के बाहर चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक पड़े दिखाई दिए। उसे याद आ गया कि कैसे उसने इनका इस्तेमाल करके सोमू की जिंदगी छीनी थी।
सुबह तक विनीत तेज बुखार में थर थर कांप रहा था।
यह तो केवल शुरुआत थी। पिछले 5 दिनों में लगातार उसने जो सब झेला है उसके सामने वह टूट गया और रोते-रोते वह अपने सारे गुनाह अपने परिवार के सामने कुबूल कर बैठा। घर में एक असमंजस की स्थिति हो गई थी कि इसे सजा दिलाई जाए या इसे बचाया जाए पर जो भी हो विनीत के लिए किसी के भी दिल में हमदर्दी तो बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि अपनी हालत का जिम्मेदार वह खुद था।
        
              इधर महिपाल को तो सार्वजनिक पागल ही घोषित कर दिया गया था। यह सब उस दिन शुरू हुआ जब किसी ने मेडिकल स्टोर पर आकर वही दवाई मांगी जिसे खिलाकर सोमू के साथ दरिंदगी की गई थी। उस दवाई को छूते ही महिपाल के कानों में सोमू कि वह दर्दनाक सीखें गूंजने लगी थी जिन्हें कभी मैंने सुना था। वह आवाजें उसका पीछा ही नहीं छोड़ दी थी अगर वह कोल्ड ड्रिंक की बोतल को भी छूता तो उसे वही दवाई दिखाई देती। रात को उसका शरीर रस्सियों से निचोड़ा जाता था । जो उसके सिवा किसी को दिखाई नहीं देती थी। पर वह चीख भी नहीं पाता था क्योंकि उसके मुंह में गहराई तक तोलिया फंसा हुआ होता था। शायद उस रात का दर्द यह दोनों दरिंदे हर रोज भुगत रहे हैं और ऐसा होना भी चाहिए... पिछले 7 दिनों से उन दोनों की हालत पागलों से भी बदतर हो गई है और घर का माहौल तो मानो खत्म ही हो गया है..
              महिपाल तो दो से तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश भी कर चुका है पर          सोमू   मरने भी नहीं देती है।
              सोमू अब जब भी मेरे सामने होती है , मैं उससे कभी भी इस बारे में बात नहीं करता हूं। हमारी हंसी ठिठोली बस यूं ही चलती रहती है। उसके चेहरे पर एक अलग सा ही सुकून दिखाई देता है। अब इंसाफ कर रही थी खुद के साथ।
              परसों मुझे वह अंकल भी मिले थे । जिन्होंने मुझे रूम पर छोड़ा था। उन्होंने विनीत की हालत के बारे में बताया और मुझसे यह भी पूछा कि क्या मैंने फिर से कभी इस जगह पर उस लड़की की आत्मा देखी है ,,   मैं उनके सारे सवाल टाल गया। अंत में उन्होंने कहा कि अगर कोई भी ऐसा बंदा मिले जो विनीत की हालत में सुधार कर सके तो मैं उनको बताऊं क्योंकि डॉक्टर की कोई दवाई उसे असर नहीं कर रही है। और अंत में औपचारिकता पूर्वक हां कह कर मैंने उन से विदा ली।