Bachpan ka dost aur mera jurm in Hindi Biography by Akshay Choudhary books and stories PDF | बचपन का दोस्त और मेरा जुर्म

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बचपन का दोस्त और मेरा जुर्म

मेरी दोस्त मुझसे नाराज़ थी क्योंकि मेंने उसे कंजूस कि उपाधी  दी थी उसकी बात करु तो अब तक के मेरे  सबसे अच्छी दोस्त।
       उसकी बात करु तो मुंह पर हंसी आ जाएं। उसकी बात सबसे अलग है उसका दुनिया को देखने का नजरिया भी सबसे अलग था। वह बात अलग है वह कभी कब आ रही मेरे काम आती पर शायद कहीं ना कहीं वो मेरे energy drink थी।
                           हम बचपन से दोस्त हैं जब कभी भी उसे कोई तकलीफ हो या कोई भी समस्या हो तो सबसे पहले मुझे कहा करती थी और चिराग केेेे जीने की तरह पास पहुंच जाता था। 
                     उसमें कुछ अलग ही बात थी। मैं जब भी उसे हंसतेेे देख ले था तो मेरी कितनी भी बड़ी समस्या्या क्यों हो सब भूल जाता था और उसे रोते हुए तो देख ही नहीं सकता था वह कहते हैं ना शिद्दत वाला प्यार होता है
वैसे ही वह सच्ची वाली दोस्त बन गई थी वह कहीं ना कहीं मेरे लिए खास थीं।
                  हां उसे कभी भी नहीं खोना चाहता था मुझे उसकी हर एक बात पता थी उसी अरमान मलिक पसंद है उसका पसंदीदा रंग पर्पल है
                     पर क्याा करूं अब वो मेरे साथ नहीं हां पर कहीं ना कहीं वो मुझसे दूर थी मेरी दोस्त कंजूस मुझसे नाराज थी।
      हां वह एग्जाम टाइम में मेरा देती थी वह मुझे पागल कहती थी क्योंकि मैं हमेशा उसके लिए पंगा लिया करता था परंतु वह अभी मुझसे बहुत दूर चली गई थी पता नहीं क्यों अब तो हमारी बातेंं भी नहीं होती बस कभी कबार ग्रुप में बातें होती है इसकी वजह भी मैं ही था मैंने ही उसे दूरी बनाना चालू कर दिया था क्योंकि मैं उसे सी भी मुसीबत में नहीं डालना चाहता था क्योंकि मैं अब तक गैंगस्टर बन चुका था और पुलिस मुझे ढूंढने में लगी हुई थी मेरा एनकाउंटर होने वाला था मैं बहुत बड़ा गैंगस्टर बन चुका था वह अपनी जीवन की नई शुरुआत कर चुकी थी और मैं एक  ऐसी जगह पर पहुंच चुका था जहां पर रस्ता जाता है परंतु वापस कोई भी रास्ता नहीं आता बस एक ही रास्ता बचता है वह है ईश्वर से मिलाप
वाह किसी ने खूब लिखा है
चाहने से कोई चीज़ अपनी नहीं होती,
हर मुस्कुराहट खुशी नहीं होती
चाहने से कोई चीज़ अपनी नहीं होती
हर मुस्कुराहट खुशी नहीं होती
अरमान तो भूख होती है दिल में,
मगर कभी वक्त तो कभी किस्मत सही नहीं होती
मैं बहुत बार चाहता की स्नेक की जिंदगी से वापस लौट जाऊं परंतु वापस आने के लिए वहां पर कोई राह ही नहीं थी बचा था बस मेरे सामने एक हीरा है वह सब जरूर अब तक मैंने पता नहीं कितनी जरूरी है परंतु उनमें सबसे बुरा दिन वह निकला जब मैंने एक गरीब की झोपड़ी पर कब्जा किया मुझे बहुत पछतावा उस रात मैंने उस रात इतनी शराब पी ली की मैं सड़क पर ही सो गया सुबह उठा तो पता चला कि मैं पुलिस चौकी में था अब मेरे चारों ओर पथरी दीवार वह सामने लोहे की सीरीयो का गेट था मुझे न्यायालय में पेश किया गया और मेरे को फांसी की सजा हो गई फांसी के दिन मेरे से भी दोस्त वहां पर आए मैंने देखा उनमें वह भी सबसे आगे सफेद वस्त्र पहने आंखों में आंसू लिए हुए वह आई थी मेरे को फांसी हो गई मेरी ला से चुप कर रो रही थी अब क्या था मैं ईश्वर को प्यार हो चुका था मेरे जुर्म का हर जामा मैं भुगत चुका था कृपया आप किसी भी जुर्म नींद ना पड़े धन्यवाद


मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है की यह कहानी पढ़ने वाला कोई भी ऐसे जुर्म में ना पड़े की उसकी आखरी राय मौत हो और आपका परिवार से अलग हो

यह कहानी मैंने काल्पनिक तरीके से लिखी है वास्तविकता में मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है अच्छी लगी तो कमेंट करें धन्यवाद
जय हिंद जय भारत
                         पिन्टु पहलवान(अक्षय चौधरी)
 देवनगर