Shenel lout aayegi - 3 in Hindi Fiction Stories by Pradeep Shrivastava books and stories PDF | शेनेल लौट आएगी - 3

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शेनेल लौट आएगी - 3

शेनेल लौट आएगी

प्रदीप श्रीवास्तव

भाग 3

सुबह नींद खुली तो आठ बज गए थे। एसी फुल स्वींग में चल रहा था। उसकी ठंड से ही मेरी नींद खुली थी। नींद खुलते ही ऐमिलियो की याद आई। याद आते ही नजर बगल में गई। तो दिल धक् से हो गया। ऐमिलियो वहां नहीं थी। उसका तकिया करीने से रखा हुआ था। चादर भी। पल में यह बात मन में दौड़ गई कि यह हाथ साफ कर रफूचक्कर हो गई क्या? झटके से उठा, कमरे के बाहर ड्रॉइंगरूम में आया तो वह खाली था। मेरी धड़कन एकदम से और बढ़ गई। मैंने आवाज़ देने की सोची कि देखूं वह बाथरूम में तो नहीं है। लेकिन तभी ‘गुडमॉर्निंग’ की हल्की सी आवाज़ मेरे कान में पड़ी।

मुड़कर देखा तो दो कप कॉफी लिए ऐमिलियो खड़ी थी। आश्चर्य भी हुआ। मैंने गुडमॉर्निंग कह कर कहा ‘अरे तुमने क्यों कष्ट किया? बताया होता मैं उठ कर बनाता। आफ्टर ऑल तुम मेरी गेस्ट हो।’ उसने कहा ‘फॉर्मेलिटी में क्या रखा है रोहिट?’ मुझे मेरी कॉफी पकड़ा कर फिर बोली ‘तुम्हें बुरा तो नहीं लगा कि तुम्हें बिना बताए किचेन में चली गई।’ मैंने कहा ‘नहीं।’ तब वह मुस्कुराती हुई बोली ‘एक्चुअली रोहिट कल तुमने जिस तरह मेरा वेलकम किया उससे मैं बहुत इम्प्रेस थी। मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी।

सुबह जब उठी तब भी दिमाग में कुछ नहीं था। तुम गहरी नींद में सो रहे थे। फिर नजर तुम्हारे कपड़ों पर गई। देखा तुम अपनी आदत कुछ घंटों के लिए भी नहीं छोड़ पाए। और मैं अपनी। मैं कपड़े पहन कर नहीं सो सकती तो नहीं सोई। तुम पहने बिना नहीं सो सकते तो नहीं सोए। उठते ही मुझे बेड टी लेने की आदत है। वह भी ब्लैक। आदत के मुताबिक एकदम से इच्छा हुई। सोचा कि तुम्हें उठाऊं। मगर कपड़ों की कहानी से मैंने अंदाजा लगाया कि तुम मेरे सोने के बाद भी बहुत देर तक जागते रहे हो। इसलिए जगाना अच्छा नहीं समझा। तभी दिमाग में सरप्राइज देने की बात ने आइडिया दिया कि चाय बनाऊं और तुम्हें बेड-टी दूं। किचेन में मैं चाय ढूंढ़ नहीं पाई। कॉेफी मिली तो सोचा चलो यही सही,यह तो और अच्छा है।’मैंने कहा ‘हूं,, गुड सरप्राइज, कॉफी बहुत अच्छी बनाई है। वैसे चाय भी वहीं रखी है। ऐमिलियो मेरे लिए ये वाकई सरप्राइज है। रियली यू आर ए ग्रेट लेडी।’ इस पर वह खिलखिला का हंस पड़ी। इतना ही बोली ‘ओह रोहिट।’

इसके बाद हम इधर-उधर की बातें करते रहे। और तैयार भी होते रहे। सुबह का नाश्ता बाहर रेस्त्रां में ही किया। इस बीच सबसे पहले दिल्ली घूमने का प्रोग्राम बना। एक टैक्सी मंगाई और उस दिन उसे लुटियन की दिल्ली के कई हिस्से घुमा कर ले आया। उसे संसद भवन की इतनी बड़ी सर्कल बिल्डिंग आश्चर्यजनक लगी। दिल्ली का कुजीन भी उसे रास आया।

रात को हम जब लौटे तो डिनर साथ पैक करा कर ले आए। तय हुआ कि रेस्त्रां के बजाय घर पर आराम से करेंगे। लंच और तमाम तरह की चाट वगैरह खाने के चलते डिनर जल्दी करने का मन नहीं हो रहा था। रात करीब ग्यारह बजे घर पहुंच कर हम दोनों नहा-धोकर फ्रेश हुए। दिन भर की थकान दूर की। मैंने दिन भर के उसके व्यवहार से यह समझ लिया कि वह एक बेहद प्रैक्टिकल लेडी है। वह किसी भी काम को करने में केवल दिमाग से काम लेती है। दिल या भावना का नहीं। दिन भर में उसने अपनी बातों व्यवहार से मेरे मन की हिचक, संकोच को कम क्या करीब-करीब खत्म कर दिया। अब मैं भी खुलकर बोल रहा था।

डिनर पूरा कर हम फिर अपने बेड पर थे। फिर टीवी चल रहा था। हॉलीवुड की एक ऐक्शन मूवी चल रही थी। मेरा बेडरूम बेहद सादगीपूर्ण था। दीवारों पर कोई पेंटिंग, कैलेंडर, शो पीस कुछ नहीं था। इस ओर ध्यान दिलाते हुए उसने कहा ‘इन जगहों पर न्यूड कपल्स की रोमांटिक मूड वाली पेंटिंग्स होनी चाहिए।’ मैंने कहा ‘मुझे क्या जरूरत है इनकी? सिंगल हूं। कभी यहां या कभी सोफे पर जहां मूड हुआ वहीं सो जाता हूं।’ उसने कहा ‘नहीं मैं तो मानती हूं कि घर के हर प्रमुख हिस्सों में सेक्सी कपल्स के पोस्टर्स, पेंटिंग्स होनी चाहिए। क्योंकि ये खराब से खराब मूड को सही कर देती हैं। आप खराब मूड लेकर सोने जाएं तो जल्दी नींद नहीं आएगी। नींद पूरी नहीं होगी। और अगला दिन भी खराब बीतेगा। चिड़चिड़ाहट में सारे काम खराब करेंगे।’

मैंने कहा ‘न्यूडिटी या सेक्स कैसे ठीक कर देगा यह सब, मैं नहीं समझ पा रहा हूं।’ वह बोली ‘वेरी सिम्पल रोहिट। मैं यह मानती हूं कि न्यूडिटी, सेक्स एक ऐसी चीज है जो हर तरफ से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लेती है। तमाम तरह की निगेटिव बातों से आप परेशान हों लेकिन एक खूबसूरत न्यूडिटी आपके सामने आ जाए तो आप का ध्यान उधर जाता ही है, मैं तो कम से कम यही मानती हूं। यह भी कहूंगी कि यह मेरा अनुभव रहा है।’ मैंने देखा आज ऐमिलियो का मूड फिल्म देखने में नहीं लग रहा है। उसका मूड बात करने का है।

उसने सिगरेट की डिब्बी उठा कर एक जला ली और डिब्बी मेरी तरफ भी बढ़ा दी। मैंने भी एक जला ली। ऐश ट्रे को बीच में ही रख लिया। एक दो कश लेने के बाद मैंने कहा ‘तुम्हारा अनुभव क्या है मैं नहीं जानता। लेकिन मेरा मानना है कि मूड का रोल अहम है। मूड खराब हो तो सेक्स, न्यूडिटी क्षण भर को एक ब्रेक दे सकती है लेकिन स्थायी समाधान नहीं। कम से कम यदि मेरा मूड खराब होता है तो सेक्स किसी भी रूप में सामने आ जाए, मैं एक नजर डाल भी लूं लेकिन बाकी सब भूल कर उसमें खो नहीं सकता। सब कुछ भूल कर तुम कैसे खो जाती हो सेक्स में यह मैं नहीं समझ पा रहा।’

‘रोहिट यह अपना-अपना विज़न है। जब मैं टेन्थ स्टैंडर्ड में थी तो किसी बात पर मेरी मदर ने मेरी बहुत इंसल्ट की, और बुरी तरह पीट दिया। संयोग यह हुआ कि हफ्ते भर में तीन बार पिटाई हुई। इससे मुझे बड़ी गुस्सा आई। अपने को मां से इमोशनली हर्ट फील कर रही थी। मैंने डिसाइड किया कि सुसाइड करूंगी। कमरे की खिड़की के पास पहुंच कर मैं उसका दरवाजा बंद करने लगी। तभी मेरी नजर सड़क की दूसरी तरफ एक लड़के, लड़की पर पड़ गई। जो मेरी उम्र के थे। दोनों एक दूसरे को प्यार किए जा रहे थे। इतने उत्तेजित थे कि अपना नियंत्रण खो रहे थे। लड़की, लड़के से भी आगे थी।

मैं उन्हें देख कर खुद भी कसमसाहट सी, तनाव सा महसूस करने लगी। दरवाजा बंद करना भूल कर मैं उन्हें देखती रही। तभी वह दोनों किसी की आहट सुन कर वहां से भाग गए। मगर मैं तब भी खड़ी रही। कुछ देर बाद फिर मुड़ी तो बाहर वाले दरवाजे पर आवाज़ हुई। मैंने वहां जाकर खोला तो मेरा क्लासफेलो था। मैं उसे देखकर और ज़्यादा तनाव महसूस करने लगी।

वह मेरी मां के पास किसी काम से आया था। मैंने कहा ‘वह तो हैं नहीं, बैठो।’ वह जाना चाहता था। लेकिन मैंने बैठा लिया। रोहित मैंने कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की लेकिन कर नहीं सकी। खिड़की के बाहर देखे दृश्य ने मुझे आउट ऑफ कंट्रोल कर दिया था। कोई आ ना जाए और बाहर भागे जोड़े की तरह हमें ना भागना पड़े यह सोच कर मैंने बिना समय गंवाए उसके साथ सेक्स किया।

मैं सुसाइड करना भूल गई। सोचा बेवजह अपनी लाइफ नष्ट कर रही थी। जिसमें मजे ही मजे भरे हुए हैं। वह चला गया। लेकिन मैं खुशी के मारे भीतर-भीतर उछल रही थी। मदर की पिटाई का कोई मलाल ही नहीं था। खिड़की के बाहर उस दृश्य के अलावा कुछ और होता तो शायद मेरा ध्यान सुसाइड से इस तरह ना हटा होता। और तभी से मेरा सेक्स, न्यूडिटी को लेकर नजरिया बदल गया है।’

उसकी इस बात से मैं सोच में पड़ गया कि जो सुसाइड करने जा रहा हो वह कुछ ही मिनटों में एक कामुक क्षण देखकर कैसे तुरंत बदल जाएगा। और इतना कि सेक्स कर डाले। मन ही मन कहा यह इसके तमाम फरेबों में से एक और फरेब हो सकता है। इसकी हर बात पर यकीन करना मुश्किल है। तब मैंने कहा ‘तुम्हारी बात ने मुझे आश्चर्य में डाल दिया है।’ वह बोली ‘इसमें आश्चर्य वाली क्या बात है? मैं तो समझती हूं कि मेरी जगह कोई भी होता तो यही करता।’ मैं कुछ देर उसे देखने के बाद बोला। ‘मेरा तो यह मानना है कि सब ऐसा नहीं कर पाएंगे। हां जो सेक्स पर ज़्यादा ध्यान देते हैं वो ऐसा कर सकते हैं।’

मैंने सोचा युवावस्था का जोश, उफान यह करा सकता है। आश्चर्य नहीं करना चाहिए। यहां जो मैं कर रहा हूं। यह क्या है, यह जोश में होश खो बैठने जैसा नहीं है क्या? ना जान ना-पहचान। मेल के जरिए इस बाला ने जो कुछ बताया वह कितना सच है पता नहीं। मगर मैं इसके पीछे पगलाया हुआ हूं। लाखों खर्च करने को तैयार बैठा हूं। इस मैच्योर एज में विदेशी युवती से संबंध जीने के लिए होश खोए बैठा हूं। और सही मायने में तो मैच्योर ये है, कि कितनी योजनाबद्ध ढंग से यहां मेरे बेड तक पर आकर बैठ गई है। वह भी कुछ सोच कर बोली ‘हो सकता है तुम्हारी बात सही हो रोहिट। वैसे हम लोग भी क्या बहस कर रहे हैं। दिन भर घूमा है, एंज्वाय किया है हम दोनों ने। अब आराम भी एंज्वाय करते हैं। इसी के लिए तो मैं सेनेगल से यहां आई हूं, और तुमने ऑफिस से छुट्टी ले रखी है।’

इसके बाद ऐमिलियो ने फिर वही किया जो पिछली रात किया था। एक चादर में हम दोनों थे। मूवी चलती रही और हम दोनों का गेम भी खूब चला। इस दौरान ऐमिलियो की हर एक एक्टिीविटी ने साफ-साफ बता दिया कि वह एक्स्पर्ट है इस खेल की। उसने यह खेल खूब खेला है। मैं भले ही दोगुनी उम्र का हूं। इस खेल का पुराना खिलाड़ी हूं। ना जाने कितनी खिलाडियों के संग खेल चुका हूं। लेकिन यह किसी सूरत में उन्नीस नहीं पड़ी।

मैं इसकी जगह होता, कहीं दूसरे देश में ऐसे पहुंचता तो निश्चित ही किसी से भी उन्नीस ही पड़ता। इसने तो पूरी बोल्डनेस के साथ गेम भी खुद ही शुरू किया। गेम पूरा हुआ तो कैसे आराम से सो गई। जैसे अपने ही घर में सो रही है। सोते-सोते यह कहना नहीं भूली कि मैं उसके सोने के बाद कपड़े ना पहनूं। कैसे लिपटी हुई है पूरे अधिकार के साथ। ऊपर से कैसे हंसते-हंसते ताना मारा कि मेल में तो मैं अपना फेवरेट गेम सेक्स बता रहा था। और उसके साथ सेक्स के लिए बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड था। लेकिन जब आ गई तो ऐसा कोई एक्साइटमेंट दिख ही नहीं रहा है। अंततः स्टार्ट भी उसे ही करना पड़ा।

जब मैंने देखा वह गहरी नींद सो गई है, उसकी बांहों की पकड़ मुझ पर बिलकुल ढीली पड़ गई है, तो मैंने धीरे-धीरे उससे अपने को मुक्त किया। बाथरूम गया। फिर फ्रिज से बीयर की एक केन निकाल कर बेड पर ही बैठ कर पीने लगा। मैं सोचने लगा कि कैसे यह ताना मार गई कि मैं अपना फेवरेट गेम छत्तीस घंटे बाद भी स्टार्ट करने की हिम्मत नहीं कर सका। वह उसके साथ रात भर नेकेड ही सोई लेकिन वह ना जाने किस संकोच में पड़ा रहा।

तब उसे दी अपनी सफाई पर भी मुझे हंसी आई कि मैंने कैसी बचकानी बात कही थी, कि उसने कोई पहल नहीं की इसलिए मैंने भी इनिसिएटिव नहीं लिया। उसे देखने से उसका मूड भी ऐसा कुछ करने के लिए नहीं दिख रहा था। इस लिए पहल नहीं की, सो गया। क्यों कि उसकी इच्छा के बिना करता तो यह रेप होता। और रेप मेरी दृष्टि में बहुत गंदा है। जानवरों से भी नीचे गिरने जैसा है।

मेरे इस जवाब पर यह कैसे खिलखिलाई थी। एक तो कई बार इसकी अमरीकन स्टाइल की इंग्लिश भी बातों को समझने में घोरमट्ठा (कंफ्यूजन) पैदा कर देती है। जब तक समझता हूं तब तक यह आगे निकल चुकी होती है। यह तो यही बात हुई कि यह मेरे ही घर में आकर मुझ पर ही हॉवी है। बातें ऐसे करती है कि जैसे मैं मेहमान हूं और यह मेज़बान। और मैं, मैं अपनी ऐंठ, अपनी मनमानी के लिए सबकेे बीच में जाना जाता हूं। मगर यहां तो जो देखेगा वो मुझे भीगी बिल्ली ही कहेगा। बड़ा टेंशन में कर दिया है इसने तो।

मैंने बीयर खत्म कर के केन डस्टविन में डाला। पता नहीं क्यों अजीब सी उलझन महसूस कर रहा था। उठ कर ड्रॉइंगरूम में गया और सिगरेट पीने लगा। टीवी ऑन की मगर मन नहीं लगा। मैं बड़ा अपमानित महसूस करने लगा कि मैं अपना फेवरेट गेम स्टार्ट करने में पिछड़ गया। हिम्मत नहीं कर सका। एक कल की छोकरी मेरी खिल्ली उड़ा रही है। यदि मैं समय से शादी ब्याह करता तो आज मेरे बच्चे इससे कम बड़े नहीं होते। टीवी चल रहा था लेकिन मन अंदर बेडरूम में ऐमिलियो पर लगा था।

मैं अपने अंदर कुछ आवेश सा महसूस कर रहा था। सिगरेट खत्म होने जा रही थी। मैं सोफे पर से उठा और दरवाजा खोला। ऐमिलियो बेसुध सोई पड़ी थी। उसे देखकर ये कहे बिना ना रह सका कि जो भी हो हिम्मत कमाल की है। अपने घर में मैं यहां बेचैन सिगरेट फूंक रहा हूं और यह बेधड़क सो रही है। बिस्तर पर लोट-पोट ऐसी कि चादर नीचे पड़ी है। और खुद..... । उस पर से मेरी नजर नहीं हट रही थी।

जितना मैं देख रहा था उतना ही उबलता जा रहा था। मैं अपने उपहास, अपने प्रति उसके नजरिए को बदल देने के लिए धधकता जा रहा था। मैंने उसे प्यार से छुआ। फिर उसके नर्म मुलायम, नाजुक जगहों पर अपने स्पर्श की गर्मी से उसे जगा दिया। उसकी आंखों में वाकई नींद थी, लेकिन मैं अपने उपहास से आक्रांत था। सब कुछ नजरंदाज किए जा रहा था। उसने मुझे बांहों में भर कर साथ लिया कि सो जाऊं। लेकिन मैं कहां अपने वश में था।

मुझ पर खुद को प्रमाणित करने का भूत सवार था। और भूत उतरा तब जब मैंने अपने हिसाब से प्रमाणित कर दिया। तब ऐमिलियो ने कहा। ‘मानती हूं कि तुम्हारा फेवरेट गेम क्या है?’ उसकी नींद टूट गई थी। उसने सिगरेट मांगी मैंने दे दिया। उसका आग्रह मैं नहीं टाल सका और मैंने भी सिगरेट सुलगा ली। वह बगल में बैठी कंधे पर सिर टिकाए बोली।

‘रोहिट मुझे यकीन है कि मैं यहां तुम्हारे साथ पूरा एंज्वाय करूंगी। अगर किस्मत ने चाहा तो हम दोनों पूरा जीवन साथ ही बिताएंगे।’ मैंने उसकी बातों का कोई जवाब देने के बजाय सिर घुमाकर हौले से उसका चुंबन ले लिया। अब मैं इस बात में उलझने लगा कि मैंने जो किया क्या वह सही था? मेरे ही हिसाब से यह रेप से कम नहीं। इसकी इच्छा इस समय कहां थी। यह तो सोना चाह रही थी। इसने तो एक तरह से यहां सिर्फ़ मैनेज किया है। वास्तव में यह फिर जीती है और मैं हारा हूं। मैं उसके साथ लेटा रहा। वह फिर सो गई थी। मुझे नींद नहीं आ रही थी। अगले दिन भी पहले वही उठी। अपनी कॉफी और मेरे लिए चाय लिए इंतजार कर रही थी। उसका यह रोल मुझे उसकी आदतों, उसकी लाइफ स्टाइल दोनों ही से मेल खाता नहीं लगा।

उसके साथ एक हफ्ते तक दिल्ली में घूमा। फिर गोल्डेन टेंपल अमृतसर गया। उसने कहीं पढ़ रखा था कि वहां सोने का मंदिर है। उसकी इच्छा पर ही स्वर्ण मंदिर गए। फिर दो दिन आराम करने के बाद मैं उसे लेकर शिमला, कुल्लू, मनाली, रोहतांग दर्रा भी हो आया। वहां जबरदस्त ठंड ने मेरी हालत खराब कर दी थी। मुझे वहां पहुंचने पर ही मालूम हुआ कि यह समुद्र तल से चार हज़ार मीटर से ज़्यादा ऊंचाई पर है।

हमेशा बर्फ पड़ी रहती है। कुल्लू से रोहतांग के लिए चलते हुए जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे-वैसे रास्ता कठिन हो रहा था। ठंड भी बढ़ रही थी। एक बार मन में आया कि यहीं से लौट चलूं। लेकिन जिस तरह आगे खूबसूरत दृश्य मिलते जा रहे थे, उससे मन करता अब यहां तक आकर लौटना बेवकूफी है। व्यास नदी के किनारे वशिष्ठ गांव में तो ऐमिलियो को इतना अच्छा लगा कि वह और ज़्यादा समय तक रुकना चाहती थी।

वहां की ठंड को देखते हुए हमने मनाली से आगे जाते वक्त ही वहां की कड़ाके की ठंड से बचने के लिए खास तरह के कोट और जूते किराए पर ले लिए थे। अपनी सुविधा के लिए मनाली से ही एक जीप किराए पर ली थी।

यहां ऐमिलियो के साथ व्यास नदी का स्रोत, महर्षि वेद व्यास का मंदिर देखा और अद्भुत व्यास कुंड का पानी भी पिया। रोहतांग दर्रे पर से हिमालय का जो चमत्कृत कर देने वाला दृश्य हम दोनों ने देखा तो बड़ी देर तक स्टेच्यू बने देखते ही रह गए। उस दृश्य को मैं जीवन में भूल नहीं सकता। ऐमिलियो का पता नहीं। बादलों को अपनी आंखों से पर्वतों के नीचे देख कर मैं, ऐमिलियो ठगे से रह गए।

वहां पर मैंने ऐमिलियो के साथ स्कीइंग भी की। हमारा ड्राइवर था तो नवयुवक ही लेकिन बेहद जानकार, हंसमुख और हिम्मती आदमी था। उसी ने बताया कि इसका प्राचीन नाम भृगुतुंग था। भगवान शिव ने भृगुतुंग पर्वत कोे अपने त्रिशुुल से काट कर यह बनाया था, इसीलिए इसका नाम भृगुतुंग पड़ गया था।

ऐमिलियो के साथ मेरी यह यात्रा बड़ी दिलचस्प, रोमांचक रही। ऐमिलियो का बिंदास लुक, विदेशी होना, उसके बेहद उन्मुक्त व्यवहार ने मुझे रोमांचित तो बहुत किया मजा भी खूब दिया। लेकिन घर वापस आने तक कई बार मुश्किल में भी डाला। एक बार कुल्लू में होटल में हंगामा किया। इतना कि होटल वालों ने पुलिस बुला ली। तब किसी तरह रिक्वेस्ट वगैरह करके मामले को शांत करा पाया था। उस रात उसने ज़रूरत से ज़्यादा शराब पी ली थी।

इस रोमांचक टूर से लौटा तो एक मुश्किल और ऑन पड़ी। ऐमिलियो को बुखार हो गया। हफ्ते भर ठीक ही नहीं हुआ। उस समय दिल्ली और आस-पास डेंगी बुखार ने कहर ढा रखा था। पिछले दसियों साल का रिकॉर्ड टूट गया था। मैं डरा कहीं इसे भी डेंगी तो नहीं हो गया। बैठे बिठाए एक आफ़त आ जाएगी। डॉक्टर ने संदेह भर किया तो मैंने सारे चेकप करवा डाले। मगर सौभाग्य से डेंगी नहीं निकला। वायरल ही था जो बिगड़ गया था।

उसे पूरी तरह ठीक होने में हफ्ता भर लगा। इस बीच चाय-नाश्ता खाना-पीना सब मैं अकेले ही संभालता रहा। बनाने को तो सिर्फ़ चाय-कॉफी ही बनाता था। बाकी सब होटल से ही लाता। जितना हो सका मैंने ऐमिलियो की पूरी देखभाल की। मैं सोचता कि इसे कहीं यह ना लगे कि यह दूर देश में है। और कोई इसकी देखभाल करने वाला नहीं। वह यह ना सोच ले कि मैंने उसे यहां बुलाकर अनदेखी की। वह रोज ही दिन भर में मुझे दस बार थैंक्यू बोलती। बार-बार कहती ‘रोहिट तुम मेरा कितना ध्यान रखते हो। इतना ध्यान तो घर में मेरी मां भी नहीं रखती।’

मैं कहता ‘तुम मेरी मेहमान हो। तुम्हारी देखभाल करना मेरा कर्तव्य है।’ वह मुझसे बार-बार कहती कि ‘तुम्हें भी इंफ़े़क्सन हो जाएगा। अलग सोओ।’ लेकिन मैं बराबर उसके साथ ही सोता रहा। पता नहीं क्यों मैं बिना उसके सो नहीं पा रहा था। कुछ हद तक मैं यह भी कह सकता हूं कि यह डर भी था कि मैं उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहता था।

इस एक हफ्ते में उसने अपने बारे में कई और नई बातें बर्ताइं जो उसकी पहले बताई बातों से मेल नहीं खा रही थीं। लेकिन इसका मुझ पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा था। जैसा कि पहले उसने बताया था कि उसके पैरेंट्स लाइबेरिया में गृहयुद्ध में मारे गए थे। लेकिन उसने बीमारी के समय नई कहानी बताई कि उसकी मां ने जिस व्यक्ति से शादी की थी, वह और मां दोनों एक ही जगह काम करते थे। मां के द्वारा गोरी अंग्रेज औरत होने पर भी नीग्रो से शादी करने के वक्त कई रिश्तेदारों और दोस्तों ने उन्हें मना किया था। लेकिन दोनों ने किसी की परवाह नहीं की। शादी कर ली। शादी के कुछ महीनों बाद ही ऐमिलियो का जन्म हो गया। यही कोई छः महीने बाद। वह शादी से पहले ही प्रिग्नेंट हो चुकी थीं।

नीग्रो-अंग्रेज की संतान के कारण वह एक मिला-जुला रूप लेकर पैदा हुई। ना पूरी तरह अंग्रेज ना पूरी तरह नीग्रो। ऐमिलियो ने बताया कि वह जब छोटी थी तभी उसके मां-बाप अलग हो गए। उसके पिता इस बिना पर अलग हो गए कि मां उनके एक दोस्त से रिलेशन बना चुकी है। इस बात को लेकर दोनों में रोज झगड़ा होता। अंततः दोनों अलग हो गए।

मां ऐमिलियो को अपने साथ ले आईं। उसके पिता ने ज़्यादा वक्त नहीं बिताया और दूसरी शादी कर ली। और मां उसी व्यक्ति के साथ करीब तीन साल रहीं जिसके कारण उनके और पिता के बीच झगड़ा हुआ। और दोनों अलग हो गए। ऐमिलियो की नजरों में यह दूसरा व्यक्ति जो कि एक गिरा हुआ इंसान था, वह उसका सौतेला पिता बन बैठा था। शुरू में तो उसका व्यवहार कुछ अच्छा था लेकिन फिर आए दिन मां से मारपीट करने लगा। और जिस दिन मां उससे अलग हुई उस दिन उन्होंने यह भी कहा कि वो एक गंदा इंसान है। वह उसकी लड़की ऐमिलियो को गंदी नजरों से देखता, छूता, पकड़ता है। उसकी बेटी की लाइफ खतरे में है। उसकी भी। इसलिए वो अब उसके साथ नहीं रहेंगी।

ऐमिलियो की मां ने इसके बाद उसे तीन और सौतेले पिता दिए। जिनमें एक बेहद नेक इंसान है। जिन्हें ऐमिलियो आज भी बहुत याद करती है। लेकिन मां उनके साथ भी साल भर से ज़्यादा नहीं रहीं। उनका आरोप था कि वह भले ही एक नेक इंसान हों, लेकिन अच्छा लाइफ पार्टनर बनने की काबिलियत उनमें नहीं है। इसलिए उनके साथ एक उबाऊ लिजलिजा जीवन जीना संभव ही नहीं। ऐमिलियो आज भी इसी सौतेले पिता की शुक्रगुजार है। जिसने सेनेगल की राजधानी डकार में उन्हें एक रहने लायक ठीक-ठाक मकान दिया। जिसमें वह मां-बेटी आज भी रहती हैं।

मां से अलग होने के बाद भी इस सौतेले पिता ने अपना मकान वापस नहीं लिया। कभी-कभी वह आज भी ऐमिलियो से मिलता है। उसे महंगे उपहार देता है । लाइबेरिया से आने के बाद उसकी मां जो नौकरी कर रही थी वह कुछ खास नहीं थी। इसी पिता ने उसे अच्छी नौकरी भी दिलाई थी। वह पहले तो मां से अपने बिजनेस में हाथ बंटाने को कह रहे थे। लेकिन मां के नौकरी करने पर अड़े रहने के कारण उन्होंने फिर कभी नहीं कहा। लेकिन उन्हें नौकरी अच्छी दिला दी।

आखिरी पिता से अलग होने के बाद मां पिछले कई बरसों से अकेले ही है। एक व्यक्ति है जिसके साथ वह अकसर देर तक बातें करती हैं। और आए दिन उसके साथ घंटों के लिए कहीं चली जातीं हैं। ऐमिलियो को यह आदमी बहुत धूर्त और मवाली दिखता है। वह मां से उम्र में काफी छोटा लगता है। ऐमिलियो उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती और उसके आने पर अपने को दूसरे कमरे में बंद कर लेती है। मां भी अब उससे कोई ज़्यादा बातचीत नहीं करतीं। उसकी पढ़ाई-लिखाई कॅरियर को लेकर उसे कोई फ़िक्र ही नहीं है।

वह अपने दोस्तों के साथ घंटों के लिए कहीं चली जाए या कई दिन तक ना आए मां तब भी कुछ नहीं पूछतीं। भारत आने की बात भी ऐमिलियो ने बताई तो भी उन्हें कोई फिक्र नहीं थी। इतना ही कहा ‘देखो मुझे किसी मुसीबत में नहीं डालना। पहले ही मैं तुम्हारे कारण कई मुसीबतें झेलती आ रही हूं।’ ऐमिलियो को उनका यह जवाब बहुत खराब लगा था। बहुत दुख हुआ था उसे।

***