Khel pyar ka - 9 in Hindi Moral Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | खेल प्यार का...भाग 9

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खेल प्यार का...भाग 9

प्रस्तावना.....
 कहानी वसिम और कायनात की प्रेम 6कहानी है ! मैं इस कहानी को आपके समक्ष पहली बार रजू करने जा रही हूं!  लिखना आता है या नहीं वह तो आप पर निर्भर करता है मुझे जज आप करोगे..! देखते हैं मेरी संवेदनाएं इस कहानी में कैसे रंग लाती है..!
मुझे यकीन है कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी..!)


 उसके बाबा की हालत भी खराब थी! अपनी ईक्लोती बेटी कहाँ  गई ?
 क्यू गई?  
कुछ समझ नहीं आ रहा था !
 दोनों का हाल बुरा था !
 झार-झार रो रहे थे दोनों! फिर भी एक दूसरे को तसल्ली देते हुए बोल रहे थे ! 
"हमारी कायनात को कुछ नहीं होगा ! फ़िक्र ना करो वो आ जाएगी !
कहीं भटक गई होगी..! में सुबह पुलिस स्टेशन जाउंगा..! वो लोग हमारी कायनात को ढूंढ लाएंगे इंशाअल्लाह..।
अब आगे..
    
                           भाग 9

कायनात के मां बाबा दोनों ही बहुत परेशान थे !
सारी रात रोते हुए गुज़र रही थी! कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा हुआ क्या है जो कायनात घर नहीं आई? अब तक  कायनात का हाल क्या था ये कोई नहीं जान पाया! एक अपने मां बाबा से दूर होने का ग़म...! दूसरा प्यार में धोका खाई हुई कायनात...!!!
 बस मन करता था उसका की वो अपनी जान दे दे..! लेकिन बेचारी ऐसा कर भी नहीं सकती थी..! क्यूकि उसे नजर बंद  रखी जा रही थी कि वो कुछ भी गलत कदम ना उठा ले ! बस उसे रोने के सिवा और कुछ हासिल नहीं था! वो तड़पती रही चीखती ! चिल्लाती रही ! 
"मुझे जाने दो मेरे मम्मी बाबा मुझे ढूंढ़ रहे होगे..!"
उसकी चिखो का किसी पे कोई असर नही था !
जैसे तैसे रात गुजर गई ! सुबह कायनात के बाबा पुलिस स्टेशन गए और उसके बारे में सारी जानकारी दी ! रिपोर्ट लिखाई पुलिस ने उनको हिम्मत देते हुआ कहा ! हम पूरी कोशिश करेगे की आपकी बेटी सही सलमत मिल जाए ..!"
और यहां कायनात के लिए खरीदार अाना शुरू हुए! 
कायनात को कहा गया कि अब रोने से कोई फायदा नहीं !अब यही ज़िंदगी है तेरी! इसमें खुश रहना और अपने कस्टमर को खुश करना सीख ले !
यही तेरे लिए ठीक होगा!"
 लेकिन कायनात इस बात के लिए राज़ी नहीं हुई ! वो बस एक कोने में अपने दर्द के साथ रोते हुअ गुजारती रही! अब धीरे धीरे उसे 2 महीने गुजर गए ! लेकिन उसने अब तक खुद को किसी के हवाले नहीं किया था ! लेकिन जिस दलदल में वो फस गई थी उसके पास अब कोई रास्ता नहीं था सिवाय इसके कि वो अब खुद को दरिंदो और हवस के पुजारियों को खुद को सोंप दे ! और इस सबकी आदत डाल ले ! 
दो महीने बाद जब कायनात हार गई तो वो ये सब के लिए राज़ी हो गई !
आज वो तैयार थी कि उसे हवस का शिकार होना है !अपना जिस्म किसी ऐसे इंसान के हाथो सोंपना है जिसे वो जानती भी नहीं !और उसे अपनी सारी दुनिया यहीं तक रहेगी!
 आज रात उसका पहला खरीदार मिलने वाला था! जिसके बारे में सोच के वो बहुत सहमी हुई थी ! लेकिन अब उसे जीने की आस नहीं थी! सो उसे फर्क नहीं पड़ता था कि एक मुर्दे का जिस्म नोचा जाये तो भी क्या..? 
 रात 8 बजे कायनात के रूम का दरवाजा किसी ने खोला!  कायनात समझ गई कि कोई एक रात का  खरीदार आया है !अब वो बहुत घबराई हुई थी! उसने पीछे पलट के भी नहीं देखा था कि उसे किसने खरीदा है !
अब वो खरीदार उसके पास आया और बोला !
"वहां क्यू खड़ी हो ? यहां आओ मेरे पास..!" कायनात का ज़मीर गवारा नहीं कर रहा था !लेकिन उसने खुद को समझाया कि अभी यही ज़िंदगी है फिर वो उसके करीब आकर बैठ गई! कायनात ने अभी उस लड़के की ओर नहीं देखा था! लेकिन कायनात को देख के वो लड़का ज़रूर चोक उठा! उसने कायनात से सीधा एक सवाल किया कि तुम यहां कैसे आ गई? तुम तो किसी को बहुत प्यार करती थी..?"
 कायनात ने उसके लड़के की तरफ देखते हुए कहा!
 "ये सब आप कैसे जानते हो ?"
उस लड़के ने कहा !
"तुमने शायद मुझे देखा  भी था जब में तुम्हारे सामने की सीट पर बैठ था ! जब तुम अपने दोस्तो के साथ मुंबई आयी थी!
तुम्हरे साथ 3 लोग और भी थे! कायनात ने रोते हुआ कहा !
"हा वहीं वसीम ने मुझे धोका देते हुए यहां लाकर बेच दिया !
और वो रोने लगी!  फिर भी उसने खुद को संभालते हुआ कहा !
"आपने मुझे खरीदा है तो अपने पैसे क्यू बर्बाद करते हो अपना काम कर लो ! और जाओ यहां से..! "
तभी उस लड़के ने कहा !
"मुझे कोई काम नहीं करना है ! में बस अपने दोस्तो के साथ आया हूं ! वो मुझे पहली बार यहां ले आए है ! लेकिन तुम फिक्र ना करो में कुछ गलत नहीं करुगा..! लेकिन में आज खुश हू की तुम मुझे मिल गई ! मेने तुम्हे ट्रेन में जब देखा था तब से मुझे तुम पसंद थी! लेकिन उस दिन तुम्हारे साथ वसीम था, जिसे तुम बहुत प्यार करती थी उस दिन से ही में तुम्हारे ही खयालो मे खोया रहता था..... !
आज जाकर तुम मीली भी तो कहां मीली यार..! "

क्रमशः

            ******** सायरा खान*********