Dastane Ashq - 18 in Hindi Classic Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | दास्तान-ए-अश्क - 18

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दास्तान-ए-अश्क - 18

"अो ईश पलट कर मेरी जिंदगी  देख लेता

मेरी बर्बादी मे कही कोई कसर तो नही थी"
          ...........

                दास्तान-ए-अश्क

  ( पिछले पार्ट मे हमने देखा  की उसकी प्रेग्नन्सी की बात जानने के बाद उसका पति उससे दुरी बनाता है.., आखिर क्या वजह थी..  जानने के लिए पढीये दास्तान-ए-अश्क  आगे.. )

एक तूफान जो उसके जीवन में सैलाब लाने को तैयार था!
अश्कों का सैलाब ! अश्क जो उसका पर्याय बन चुके थे !
सुबह में उठी और फिर से कोशिश में जुट गई ,
अपने पति को पाने की कोशिश में!
उन्हें समझने की कोशिश है ,पर वो जितना उनके करीब जाने का प्रयास करती वो उससे उतना ही दूर जा रहे थे !
ये बात अब उसे सहन नहीं हो पा रही थी!
हो ना हो उसके पति का संबंध किसी गैर औरत से है! ये शादी उनकी मर्जी से नहीं हुई !
शायद वो उसी गम में उससे नाराज रहते हैं!
पर इन सब में उस का क्या कसूर ? वह भी तो उसी कश्ती में सवार है !
उससे कब किसी ने उसकी रजामंदी जानने की कोशिश नही की! 
फिर भी वह निभा रही है ! तमाम दुखों के बावजूद  पर जब अब एक खुशी ने उनकी चौखट पर दस्तक दी है तो उन्हें सब कुछ भुला कर एक नए सिरे से आगाज करना चाहिए!
किंतु वो तो ना जाने किस मिट्टी के बने हैं? उसकी किसी बात का उन पर असर नहीं होता ! किससे पूछे ? "
वो व्याकुल हो उठती है !
आज सुबह से उसका सर भारी था!
चक्कर आ रहे थे !
बहुत अजीब सा दर्द हो रहा था पेट में !
वो जाकर अपनी सास को बताती है !
मम्मी सुनकर एकदम सकते में आ जाती है!
आनन-फानन गाड़ी मंगा कर सास ससुर और जेठानी उसे लेकर शहर के बड़े डॉक्टर के पास जाते हैं !
वो  उनकी फैमिली डॉक्टर थी !वहां उसे एडमिट कर लिया जाता है !
चेक करके  डॉक्टर बताती है कि "बच्चा तो ठीक है पर ये कोई बात दिल में लेकर बैठी है ,जिस कारण तनाव बढ़ गया है !
ये दर्द भी इसी कारण हो रहा है! अगर आप अपने वंश को आगे बढ़ाना चाहते हो तो इसे तनाव से दूर रखें खुश रखने की कोशिश करें !
मगर सच तो ये था की उसके दिमाग में  अपने पति को लेकर जो विचार चल रहे थे, वह उसे शांति से जीने नहीं दे रहे थे ! पर अपने बच्चे की खातिर वो खुश रहेगी, मजबूत बनेगी !
फिरभी  पति का राज जानकर रहेगी! उन्हें अपना बना कर रहेगी!
घर वापस आकर वह मौका तलाशने लगती है! अपने पति से बात करने का और वह मौका उसे उसी रात को मिल जाता है! उसका पति जैसे ही रात को घर वापस आता है वो उन्हें रास्ते में रोककर सवालों की झड़ी लगा देती है!
पति देव उसे अचानक सामने देख कर  ठिठक जाते हैं! उन्हें उस पर बहुत गुस्सा आता है !
वो उसे बाजू से पकड़ कर कमरे में ले जाते हैं !
"क्या बात है क्यों मेरे पीछे पड़ी है ?
क्या चाहिए तुझे बोल?
"मुझे कुछ नहीं चाहिए !"
वह संयत स्वर में जवाब देती है !
"क्यों परेशान कर रही हो मुझे ?"
"परेशान मैं नहीं आप कर रहे हो मुझे! अगर मैं आपको पसंद नहीं थी तो क्यों शादी की मुझसे ?क्यों मेरी जिंदगी खराब की ? क्यों मुझे इतना दर्द दिया?
"मैंने कुछ नहीं किया ! मैं तो तुझ से शादी ही नहीं करना चाहता था!
पर घर वालों की जीद के आगे मुझे हार माननी पड़ी ! उनका गुस्सा तुझ पर निकला !
"पर क्यों आप मुझसे शादी नहीं करना चाहते थे ? क्या आप किसी और से प्यार करते हो ? अगर ऐसा है तो यह बच्चा मैं आपको सौंप कर वापस घर चली जाऊंगी! ऐसे तो हम दोनों की जिंदगी खराब हो रही है!"
गुस्से से वो सुलग उठता है!
वो अचानक उसे बालों से पकड़ लेता है! ज्यादा महान बनने की जरूरत नहीं है!
मैं पहले भी बता चुका हूं मुझे औरतों में कोई दिलचस्पी नहीं है ! ना किसी और से मेरा कोई संबंध है !
"फिर ऐसा क्या है जो आप मुझसे छुपा रहे हो ?"
वह  आहत स्वर मैं पूछती है!
" तू जानना चाहती है ? तो सुन.. मैं समलैंगिक हूं ! अपने दोस्तों के साथ संबंध बनाता हूं! और बहुत खुश रहता हूं समझी तुम!
मेरे घर वालों को वारिस चाहिए! एक बच्चा जो एक औरत ही दे सकती है! इसलिए मेरी शादी तुझ से की गई ! जितने बच्चे चाहिए वह मैं तुझे दूंगा , पर मेरी जिंदगी में दखल देने की कोशिश ना करना!
मानो एक वज्रपात हुआ उसके जीवन में अभी और कितने दुख कितने सन में उसे सहने होंगे अपने जीवन से मानो उसे नफरत हो गई एक गंदा गलीज एहसास उसे सालने लगा
        क्रमशः
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